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  • झुंड की देखभाल करनेवाले प्राचीन
    यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित
    • 9 जो भाई निगरानी की ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए आगे बढ़ रहा है, वह अपनी ज़िंदगी में बुद्धि-भरे फैसले लेता है। अगर वह शादीशुदा है तो वह शादी के मामले में मसीही स्तरों पर चलता है, यानी उसकी एक ही पत्नी  होती है और वह अपने परिवार की अच्छी तरह अगुवाई करता है।  अगर भाई के बच्चे विश्‍वासी हों  और उन पर ऐयाशी की ज़िंदगी जीने या बागी होने का इलज़ाम न हो,  बल्कि वे पूरी गंभीरता से उसके अधीन रहते हों,  तो मंडली के लोग पूरे भरोसे के साथ परिवार और मसीही ज़िंदगी से जुड़े मामलों पर उससे सलाह-मशविरा कर सकेंगे। निगरानी करनेवाले भाई पर कोई आरोप नहीं  होता और बाहरवाले भी उसके बारे में अच्छा कहते हैं।  उस पर गलत चालचलन का इलज़ाम लगाने का कोई वाजिब कारण नहीं होता, जिससे मंडली का नाम बदनाम हो सकता है। ऐसे भाई को निगरानी की ज़िम्मेदारी के काबिल नहीं समझा जाएगा जिसने कुछ ही समय पहले कोई गंभीर पाप किया हो और उसे सुधारा गया हो। निगरानी करनेवाले भाइयों की बढ़िया मिसाल से मंडली के भाई-बहनों को भी उनकी तरह बनने का बढ़ावा मिलता है। साथ ही, उन्हें पूरा भरोसा होता है कि प्राचीन उनकी अच्छी देखभाल करेंगे ताकि यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता मज़बूत रहे।​—1 कुरिं. 11:1; 16:15, 16.

      10 मसीही मंडली में इन काबिल भाइयों की ज़िम्मेदारी इसराएल के मुखियाओं की ज़िम्मेदारी से मिलती-जुलती है जिन्हें “बुद्धिमान और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले और तजुरबेकार” कहा गया है। (व्यव. 1:13) ऐसा नहीं है कि मसीही प्राचीनों से कभी कोई गलती नहीं होती। मगर मंडली और समाज में वे सीधाई से चलनेवाले और परमेश्‍वर का डर माननेवाले इंसानों के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी ज़िंदगी से साफ ज़ाहिर होता है कि वे परमेश्‍वर के सिद्धांतों के मुताबिक जीते हैं। बेदाग ज़िंदगी जीने की वजह से वे मंडली में बेझिझक और निडर होकर बोल पाते हैं।​—रोमि. 3:23.

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    • 11 जो भाई निगरानी का काम करने के योग्य होते हैं, वे दूसरों के साथ अपने व्यवहार में और हर बात में संयम बरतते हैं।  वे किसी मामले में कट्टर नहीं होते बल्कि ज़िंदगी के सभी पहलुओं में संतुलन रखते हैं और संयम से काम लेते हैं।  वे खाने-पीने, अपने शौक पूरे करने, मनोरंजन करने और दूसरे कामों में संयम बरतते हैं। वे शराब के मामले में भी संयम रखते हैं ताकि उन पर ज़्यादा शराब पीने या पियक्कड़  होने का इलज़ाम न  लगे। अगर एक व्यक्‍ति शराब से मतवाला हो जाए तो उसकी इंद्रियाँ ठीक से काम नहीं करेंगी। नतीजा, वह आसानी से अपना संयम खो बैठेगा और मंडली की ठीक तरीके से निगरानी नहीं कर पाएगा।

      12 मंडली की देखरेख करने के लिए ज़रूरी है कि एक प्राचीन कायदे से चलनेवाला  हो। उसमें अच्छी आदतें हों और ये आदतें उसके पहनावे, उसके घर और रोज़मर्रा के कामों से दिखती हों। वह भाई बेवजह अपने काम में टाल-मटोल नहीं करता। वह पहले से देखता है कि कौन-से काम किए जाने हैं और फिर उसके मुताबिक योजना बनाता है। वह परमेश्‍वर के सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करता।

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    यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित
    • 14 मंडली में प्राचीन के नाते सेवा करनेवाला भाई सही सोच  रखता है। इसका मतलब, वह मुश्‍किल हालात में भी शांत रहता है और उतावली में आकर फैसले नहीं करता। उसे यहोवा के सिद्धांतों की और उन्हें ज़िंदगी में लागू करने की अच्छी समझ होती है। सही सोच रखने का मतलब यह भी है कि एक इंसान सलाह या हिदायतें मिलने पर सही रवैया रखे। वह दोहरी ज़िंदगी नहीं जीता।

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    • 15 पौलुस ने तीतुस को याद दिलाया कि एक प्राचीन भलाई से प्यार करनेवाला  होता है। उसे नेक  और वफादार  होना चाहिए। ये गुण दूसरों के साथ उसके व्यवहार और उसके पक्के इरादे से साफ झलकते हैं। वह यहोवा के लिए भक्‍ति दिखाने में डाँवाँडोल नहीं होता। वह हर हाल में परमेश्‍वर के नेक स्तरों के मुताबिक फैसले करता है। जिन बातों को गुप्त रखा जाना चाहिए उन्हें वह अपने तक ही रखता है। वह सच्चे दिल से मेहमान-नवाज़ी  करता है। वह दूसरों की खातिर खुशी-खुशी काम करता है और उनकी सेवा में अपनी चीज़ें लगाता है।​—प्रेषि. 20:33-35.

      16 प्राचीन की ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाने के लिए ज़रूरी है कि एक भाई सिखाने के काबिल हो।  तीतुस को लिखी पौलुस की चिट्ठी के मुताबिक, प्राचीन ‘विश्‍वासयोग्य वचन को मज़बूती से थामे रहता है ताकि वह न सिर्फ खरी शिक्षा देकर हौसला बढ़ाए बल्कि जो इस शिक्षा का विरोध करते हैं उन्हें सुधारे भी।’ (तीतु. 1:9) एक प्राचीन तर्क करने, सबूत पेश करने और सवाल उठाए जाने पर जवाब देने के काबिल होता है। साथ ही, वह आयतों को इस तरह समझाता है कि सुननेवाले कायल हो जाते हैं और उनका विश्‍वास मज़बूत होता है। वह अच्छे और बुरे समय में भी सिखाने के काबिल होता है। (2 तीमु. 4:2) उसमें सब्र का गुण होता है इसलिए वह गलती करनेवाले को कोमलता से सुधारता है, शक करनेवाले को यकीन दिलाता है और विश्‍वास के आधार पर भले काम करने का बढ़ावा देता है। अगर एक भाई लोगों के सामने भाषण दे सकता है या किसी एक व्यक्‍ति को सिखा सकता है, तो यह इस बात का सबूत है कि वह प्राचीन बनने की यह अहम योग्यता पूरी करता है, यानी वह सिखाने के काबिल है।

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