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यहोवा के लिए गवाही दो और थक न जाओप्रहरीदुर्ग—1990 | जनवरी 1
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८. (अ) इब्रानियों को पत्र लिखने के लिए पौलुस को क्या प्रेरित किया? (ब) उसके पत्र के किस पहलू को हम देखनेवाले हैं और क्यों?
८ करीब सा.यू. ६१ में, पौलुस को रोम में गिरफ्तार किया गया था, किन्तु वह इस बात से अवगत था कि यरूशलेम में उसके भाइयों पर क्या बीत रहा था। इसलिए, यहोवा की आत्मा के निर्देशन के अनुसार, उन्होंने इब्रानियों के लिए उसकी समयोचित चिट्ठी लिखी। वह उनके इब्रानी भाइयों और बहनों के प्रति प्रेममय चिन्ता से भरी हुई है। पौलुस जानता था कि यहोवा में, उनके सहायक के रूप में, विश्वास और भरोसा का निर्माण करने के लिए उन्हें क्या आवश्यक था। तब वे ‘उस दौड़ में जिसमें दौड़ना है, धीरज से दोड़ सकते हैं’ और विश्वासपूर्वक कह सकते हैं: “यहोवा मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?” (इब्रानियों १२:१; १३:६, न्यू.व.) इब्रानियों (अध्याय ११-१३) के लिए पौलुस के पत्र के इस पहलू पर हम अब हमारा ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे। क्यों? क्योंकि वह परिस्थिति जिनका वे प्राचीन मसीहियों ने सामना की, वही परिस्थितियों के समान है जो आज यहोवा के गवाहों के द्वारा सामना किया गया है।
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यहोवा के लिए गवाही दो और थक न जाओप्रहरीदुर्ग—1990 | जनवरी 1
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११. हम कैसे “गवाहों का ऐसा बड़ा बादल” से लाभ उठा सकते हैं?
११ इन वफादार पुरुषों और स्त्रियों का वर्णन करने के पश्चात हुए, पौलुस कहता है: “इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु, और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दोड़ना है, धीरज से दौड़े।” (इब्रानियों १२:१) यद्यपि ये अब कबर में सो रहे हैं, क्या ये उदाहरणीय वफादार गवाह हमारे मन में जीवित हैं? क्या आप उनको और उनके अनुभवों के बारे में अच्छी तरह जानते हैं कि आप, हाँ, में उत्तर दे सकते हैं? नियमित बाइबल अध्ययन के कई प्रतिफलों में यह एक है, जिससे हम “गवाहों का ऐसा बड़ा बादल” के उत्तेजक अनुभवों का पुनः अनुभव कर सकेंगे। यह सच है, कि उनके वफादार उदाहरण को अपने दिल में प्रभाव डालने से कोई विश्वास की कमी पर विजय पाने के लिए हमें बहुत सहायता दे सकती है। परिणामस्वरूप, यह हमें किसी भी परिस्थिति में सच्चाई की एक साहसी ओर निर्भय गवाही देने में मदद करेगी।—रोमियों १५:४.
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