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जो आप देखते हैं उन बातों के आगे देखिए!प्रहरीदुर्ग—1996 | फरवरी 15
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दूसरों के क्लेशों के अलावा यीशु ने अपने क्लेशों का भी अनुभव किया। (इब्रानियों ५:७, ८) लेकिन सिद्ध आध्यात्मिक दृष्टि के साथ उसने, उन बातों के आगे अपने खराई के मार्ग पर चलने के लिए अविनाशी जीवन के लिए उठाए जाने के प्रतिफल को देखा। फिर मसीहाई राजा के तौर पर, उसके पास पीड़ित मानवजाति को उसकी गिरी हुई दशा से उस सिद्धता तक वापस लाने का विशेषाधिकार होता जिसका उद्देश्य यहोवा ने उनके लिए आरम्भ में किया था। अपनी आँखें इन अनदेखी भविष्य की प्रत्याशाओं पर लगाए रखने से प्रतिदिन के क्लेशों का सामना करने के द्वारा, उसे ईश्वरीय सेवा में आनन्द बनाए रखने में मदद प्राप्त हुई। पौलुस ने बाद में लिखा: “जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दहिने जा बैठा।”—इब्रानियों १२:२.
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जो आप देखते हैं उन बातों के आगे देखिए!प्रहरीदुर्ग—1996 | फरवरी 15
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जिस बात ने यीशु को धीरज धरने में समर्थ किया उस की चर्चा करते हुए, पौलुस ने उस मार्ग को स्पष्ट किया जिस पर हमें चलना है जब उसने लिखा: “वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें।” (इब्रानियों १२:१, २) जी हाँ, मसीही मार्ग पर सफलतापूर्वक और आनन्दपूर्वक चलने के लिए हमें वर्तमान बातों से आगे देखना चाहिए। परन्तु हम यीशु की ओर कैसे ‘ताकते रहते हैं’ और ऐसा करने से हमारे लिए क्या फ़ायदा है?
उदाहरण के तौर पर, १९१४ में, यीशु परमेश्वर के राज्य के राजा के रूप में पदारूढ़ किया गया था, और वह स्वर्ग से राज्य करता है। निश्चित ही, यह सब हमारी शारीरिक आँखों के लिए अदृश्य है। फिर भी, यदि हम यीशु की ओर ‘ताकते रहते हैं’ तो हमारी आध्यात्मिक दृष्टि हमें यह देखने में मदद करेगी कि वह अब, वर्तमान दुष्ट रीति व्यवस्था को नष्ट करने के लिए और शैतान और उसके पैशाचिक झुण्ड को निष्क्रियता के बन्धनों में बान्धने की कार्यवाही करने के लिए तैयार है। इससे और आगे देखने पर, हमारी आध्यात्मिक दृष्टि उस अद्भुत नए संसार को प्रकट करेगी जिसमें “मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।”—प्रकाशितवाक्य १९:११-१६; २०:१-३; २१:४.
सो, फिर, पल-भर के क्लेशों से दबने के बजाय, जिनका सामना शायद हमें प्रतिदिन करना पड़े, क्यों न उन बातों पर अपनी दृष्टि केंद्रित करें जो अनन्त हैं? विश्वास की आँखों से, क्यों न इस दूषित पृथ्वी की बीमारी और लालच के आगे उस परादीस को देखें जो कि स्वस्थ, ख़ुश, और परवाह करनेवाले लोगों से भरा होगा? क्यों न अपनी शारीरिक और आध्यात्मिक कमियों के आगे देखें, और स्वयं को मसीह के छुड़ौती बलिदान के आधार पर इनसे सर्वदा के लिए मुक्त देखें? क्यों न युद्ध, अपराध, और हिंसा द्वारा पीछे छोड़े गए जनसंहार के आगे देखें और नए-नए पुनरुत्थित लोगों को यहोवा की शान्ति और धार्मिकता में शिक्षित होते हुए देखें?
इसके अलावा, यीशु की ओर ‘ताकते रहना’ यह हमारी आध्यात्मिक दृष्टि को उन बातों पर केंद्रित करना भी शामिल करता जो कि राज्य, हालाँकि अदृश्य है, पृथ्वी पर परमेश्वर के लोगों के मध्य पहले ही कर चुका है: एकता, शान्ति, प्रेम, भाईचारे की प्रीति और आध्यात्मिक ख़ुशहाली। जर्मनी की एक मसीही महिला ने, ईश्वरीय शिक्षा द्वारा संयुक्त (अंग्रेज़ी) वीडियो देखने के बाद लिखा: “यह वीडियो मुझे मन में यह रखने में और अधिक मदद करता रहेगा कि इतने सारे मसीही भाई और बहन सारे संसार में इस क्षण भी वफ़ादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं—और ऐसा वे विरोध के बावजूद कर रहे हैं। हिंसा और घृणा के संसार में हमारी भाइचारे की एकता क्या ही बहुमूल्य है!”
क्या आप भी यहोवा, यीशु, वफ़ादार स्वर्गदूतों, और लाखों संगी मसीहियों को अपने पक्ष में खड़ा “देखते” हैं? यदि ऐसा है, तो आप “इस संसार की चिन्ता” हद से ज़्यादा नहीं करेंगे जो आप को निरुत्साहित बना सकती है और आपको मसीही सेवकाई में ‘फल न लानेवाला’ बनाने का कारण हो सकती है। (मत्ती १३:२२) सो परमेश्वर के स्थापित राज्य और उसकी वर्तमान और भविष्य की आशिषों पर हमारी आध्यात्मिक दृष्टि केंद्रित करने के द्वारा, यीशु की ओर ‘ताकते रहें।’
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