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कप्पदुकिया—जहाँ लोग, हवा और पानी से तराशे घरों में रहते थेप्रहरीदुर्ग—2004 | जुलाई 15
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प्रेरित पतरस ने कप्पदुकिया का ज़िक्र किया था। उसने अपनी पहली पत्री दूसरे लोगों के साथ-साथ, “उन परदेशियों के नाम” भी लिखी ‘जो कप्पदुकिया, में तित्तर बित्तर होकर रहते थे।’ (1 पतरस 1:1) कप्पदुकिया कैसा इलाका था? वहाँ के निवासी क्यों हवा और पानी से तराशे पत्थरों के घरों में रहते थे? उन्हें मसीही धर्म के बारे में कैसे पता चला?
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कप्पदुकिया—जहाँ लोग, हवा और पानी से तराशे घरों में रहते थेप्रहरीदुर्ग—2004 | जुलाई 15
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सामान्य युग पूर्व दूसरी सदी तक, कप्पदुकिया में यहूदी बस्तियाँ दिखाई देने लगीं। और सा.यु. 33 के वक्त यहाँ के यहूदी भी यरूशलेम में मौजूद थे। वे पिन्तेकुस्त का पर्व मनाने के लिए आए थे। इस तरह पवित्र आत्मा के उँडेले जाने के बाद प्रेरित पतरस ने कप्पदुकिया से आए इन यहूदियों को प्रचार किया। (प्रेरितों 2:1-9) सबूत दिखाते हैं कि इनमें से कुछ लोगों ने सच्चाई अपनायी और वे यह नया विश्वास अपने देश ले गए। यही वजह है कि आगे चलकर पतरस ने अपनी पहली पत्री में कप्पदुकिया के मसीहियों का भी ज़िक्र किया।
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