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  • विश्‍वास रखने के द्वारा परमेश्‍वर की प्रतिज्ञाओं के प्रति प्रतिक्रिया दिखाइए
    प्रहरीदुर्ग—1993 | जुलाई 1
    • ४. हमें अपने विश्‍वास को कौनसे गुण प्रदान करने हैं?

      ४ यहोवा की प्रतिज्ञाओं पर विश्‍वास और अपनी परमेश्‍वर-प्रदत्त स्वतंत्रता के लिए कृतज्ञता से हमें प्रेरित होना चाहिए कि अनुकरणीय मसीही बनने के लिए हम भरसक कोशिश करें। पतरस ने कहा: “तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्‍वास को सद्‌गुण, और सद्‌गुण को ज्ञान, और ज्ञान को संयम, और संयम को धीरज, और धीरज को ईश्‍वरीय भक्‍ति, और ईश्‍वरीय भक्‍ति को भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति को प्रेम प्रदान करते जाओ।” (२ पतरस १:५-७, NW) इस प्रकार पतरस हमें एक सूची देता है जिसे याद करना हमारे लिए बुद्धिमत्ता की बात होगी। आइए हम इन गुणों को और नज़दीकी से देखें।

  • विश्‍वास रखने के द्वारा परमेश्‍वर की प्रतिज्ञाओं के प्रति प्रतिक्रिया दिखाइए
    प्रहरीदुर्ग—1993 | जुलाई 1
    • ८. संयम क्या है, और यह धीरज के साथ कैसे सम्बन्धित है?

      ८ विश्‍वास के साथ संकटों का सामना करने में मदद करने के लिए, हमें अपने ज्ञान को संयम प्रदान करने की ज़रूरत है। “संयम” के लिए यूनानी शब्द, अपने आपको नियंत्रण में रखने की योग्यता का अर्थ रखता है। परमेश्‍वर की आत्मा का यह फल विचार, कथन, और आचरण पर नियंत्रण रखने के लिए हमारी मदद करता है। संयम बनाए रखने के द्वारा, हम इसे धीरज प्रदान करते हैं। “धीरज” के लिए यूनानी शब्द साहसी वफ़ादारी का अर्थ रखता है, न कि अपरिहार्य कठिनाई की उदास-मुखी स्वीकृति। उस आनन्द के कारण जो उसके आगे रखा गया था, यीशु ने यातना स्तंभ सहा। (इब्रानियों १२:२) धीरज के साथ परमेश्‍वर-प्रदत्त शक्‍ति हमारे विश्‍वास को सहारा देती है और विपत्ति में आनन्द मनाने, प्रलोभन का प्रतिरोध करने, तथा सताए जाने पर समझौता करने से बचे रहने के लिए हमारी मदद करती है।—फिलिप्पियों ४:१३.

      ९. (क) ईश्‍वरीय भक्‍ति क्या है? (ख) अपनी ईश्‍वरीय भक्‍ति को भाईचारे की प्रीति क्यों प्रदान करें? (ग) हम अपने भाईचारे की प्रीति को कैसे प्रेम प्रदान कर सकते हैं?

      ९ हमें अपने धीरज को ईश्‍वरीय भक्‍ति प्रदान करनी है—अर्थात्‌ यहोवा के प्रति सम्मान, उपासना, और सेवा। जैसे-जैसे हम ईश्‍वरीय भक्‍ति का अभ्यास करते हैं और देखते हैं कि यहोवा अपने लोगों से कैसे व्यवहार करता है, हमारा विश्‍वास बढ़ता है। लेकिन, धर्मपरायणता प्रदर्शित करने के लिए, हमें भाईचारे की प्रीति की ज़रूरत है। आख़िरकार, “जो अपने भाई से, जिसे उस ने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्‍वर से भी जिसे उस ने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।” (१ यूहन्‍ना ४:२०) यहोवा के अन्य सेवकों के लिए सच्ची प्रीति दिखाने और हर समय उनकी ख़ैरियत चाहने के लिए हमारे हृदय को हमें प्रेरित करना चाहिए। (याकूब २:१४-१७) परन्तु हमें अपने भाईचारे की प्रीति को प्रेम प्रदान करने के लिए क्यों कहा गया है? स्पष्ट रूप से पतरस का अर्थ था कि हमें केवल अपने भाइयों को ही नहीं बल्कि सारे मानवजाति को प्रेम दिखाना है। यह प्रेम ख़ासकर सुसमाचार प्रचार करने और लोगों की आध्यात्मिक तौर से मदद करने के द्वारा दिखाया जाता है।—मत्ती २४:१४; २८:१९, २०.

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