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  • यहोवा सोर का घमंड मिट्टी में मिला देता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 32. यूहन्‍ना ने क्या चेतावनी दी और हम इस चेतावनी को कैसे लागू कर सकते हैं?

      32 हमारी माली हालत चाहे जैसी भी हो, परमेश्‍वर के राज्य को हमारी ज़िंदगी में हमेशा पहला स्थान मिलना चाहिए। यह बेहद ज़रूरी है कि हम कभी-भी प्रेरित यूहन्‍ना के इन शब्दों को न भूलें: “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है।” (1 यूहन्‍ना 2:15) यह सच है कि हमें ज़िंदा रहने के लिए इस दुनिया में पैसा कमाना तो पड़ेगा ही। (2 थिस्सलुनीकियों 3:10) फिर भी हम “दुनियावी कारोबार” करते हुए ऐसे न हों कि “दुनिया ही के . . . हो जाएँ।” (1 कुरिन्थियों 7:31, हिन्दुस्तानी बाइबल) अगर हम इस संसार की वस्तुओं यानी दुनिया की धन-दौलत और साज़ो-सामान से हद-से-ज़्यादा प्रेम करते हैं तो हममें यहोवा के लिए प्रेम नहीं रहेगा। “शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा” के पीछे भागने और “जीविका का घमण्ड” करने के साथ-साथ परमेश्‍वर की इच्छा पूरी करना नामुमकिन है।d मगर ध्यान रहे कि सिर्फ परमेश्‍वर की इच्छा पूरी करने से ही हमें अनंत जीवन मिल सकता है।—1 यूहन्‍ना 2:16,17.

  • यहोवा सोर का घमंड मिट्टी में मिला देता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • d यहाँ “घमण्ड” शब्द को यूनानी शब्द आलाज़ोनिया के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिसका मतलब है, “एक ऐसा अपवित्र और खोखला विश्‍वास कि सांसारिक चीज़ें कभी मिट नहीं सकतीं।”—द न्यू थेअर्स्‌ ग्रीक-इंग्लिश लेक्सीकन।

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