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  • गयुस ने कैसे भाइयों की मदद की?
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | मई
    • गंभीर समस्या को निपटाने में मदद

      यूहन्‍ना ने गयुस का सिर्फ धन्यवाद कहने के लिए उसे चिट्ठी नहीं लिखी। दरअसल वह एक गंभीर समस्या को निपटाने में गयुस की मदद भी करना चाहता था। मसीही मंडली का एक सदस्य दियुत्रिफेस किसी वजह से सफरी भाइयों का आदर-सत्कार नहीं करता था। वह बाकी भाई-बहनों को भी ऐसा करने से रोकता था।—3 यूह. 9, 10.

      इसमें कोई शक नहीं कि अगर उस वक्‍त के वफादार मसीहियों को दियुत्रिफेस के यहाँ रहने को कहा जाता तो भी वे वहाँ नहीं रहते। क्यों नहीं? वह इसलिए कि दियुत्रिफेस मंडली में सबसे बड़ा बनना चाहता था और यूहन्‍ना की किसी भी बात की इज़्ज़त नहीं करता था। और-तो-और वह यूहन्‍ना और दूसरे भाइयों को बदनाम करने के लिए बुरी-बुरी बातें फैला रहा था। हालाँकि यूहन्‍ना ने दियुत्रिफेस को झूठा शिक्षक नहीं कहा लेकिन वह यूहन्‍ना के अधिकार का आदर नहीं करता था। बड़ा बनने की चाहत और अपने बुरे रवैए की वजह से वह वफादार नहीं रहा। दियुत्रिफेस की मिसाल से हम सीखते हैं कि घमंड और बड़ा बनने की चाहत मंडली में फूट पैदा कर सकती है। इसलिए यूहन्‍ना ने गयुस को और एक मायने में हम सबको कहा, ‘बुरी मिसालों पर मत चलो।’—3 यूह. 11.

  • गयुस ने कैसे भाइयों की मदद की?
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | मई
    • दूसरी बात, अगर कोई मंडली में अधिकार रखनेवाले भाइयों का आदर नहीं करता तो ऐसे में हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। याद कीजिए कि यूहन्‍ना के अधिकार का आदर नहीं किया गया और प्रेषित पौलुस के साथ भी यही हुआ था। (2 कुरिं. 10:7-12; 12:11-13) जब मंडली में ऐसा होता है तो हमें गुस्सा आ सकता है। मगर हमें क्या करना चाहिए? पौलुस ने तीमुथियुस को सलाह दी, “प्रभु के दास को लड़ने की ज़रूरत नहीं बल्कि ज़रूरी है कि वह सब लोगों के साथ नरमी से पेश आए, सिखाने के काबिल हो और जब उसके साथ कुछ बुरा होता है तब भी खुद को काबू में रखे और जो सही नज़रिया नहीं दिखाते उन्हें कोमलता से समझाए।” जी हाँ, खामियाँ ढूँढ़नेवालों के साथ कोमलता से पेश आने के अच्छे नतीजे निकल सकते हैं। हो सकता है, हमारा व्यवहार देखकर उनका मन बदल जाए और वे अपनी सोच सुधारें। बदले में शायद यहोवा “उन्हें पश्‍चाताप करने का मौका दे जिससे वे सच्चाई का सही ज्ञान” पा सकें।—2 तीमु. 2:24, 25.

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