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वह अन्तिम महा विश्व शक्तिप्रहरीदुर्ग—1990 | जनवरी 1
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जब बाइबल की प्रकाशितवाक्य पुस्तक लिखी गयी थी, करीब १,९०० साल पहले, उसने कहा कि पाँच “राजाएं”, या विश्व शक्तियाँ, आकर चली भी गयी थीं। ये थे, मिस्र, अश्शूर, बाबेलोन, मादी-फारसी, और यूनान। छटवी, रोम तब भी ‘थी’, लेकिन सातवाँ अब तक आयी नही थी। (प्रकाशितवाक्य १७:१०) वह सातवी विश्व शक्ति क्या थी? वह अस्तित्व में कैसे आयी? और उसके बाद क्या आयेगी? इस लेख का विषय इन महत्त्वपूर्ण सवालों के जवाब हैं।
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वह अन्तिम महा विश्व शक्तिप्रहरीदुर्ग—1990 | जनवरी 1
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रोमी साम्राज्य के उत्तरपश्चिम कोने में ऊपर एक द्वीप था, जो बहुत समय से सांसारिक मामलों के किनारे पर था। जैसे एक इतिहासकार ने विवरण दिया: “सोलहवी सदी में, इंग्लैण्ड एक मामूली शक्ति थी। नेदरलैंण्ड की धन की तुलना में उसका धन कम था। उसकी आबादी फ्रान्स की आबादी से बहुत कम था। उसकी सेना (जलसेना को मिलाकर) स्पेन की सेना से निम्न थी।” किन्तु, इंग्लैण्ड ने काफी महत्त्व की एक जलसेना विकसित किया और उसके समुद्री डाकू और उसके गैरसरकारी युद्धपोत कप्तानों ने स्पेन के नगरों पर और उसके धन से भरे जहाज़ों पर धावा करने लगे।
वे तीन सींग
१५८८ में स्पेन के फिलिप्प II ने उसके अंग्रेजी उत्पीड़कों के विरुद्ध स्पेन की जलसेना को उतारा। २४,००० से अधिक आदमियों को ले जोनेवाले १३० जहाज़ों की यह सेना आहिस्ता इंग्लिश चैनल से प्रस्थान करते हुए निकले, केवल प्रचण्ड अटलैंटिक तूफानों और प्रतिकूल हवाओं से के शिकार बन गए। मॉडन यूरोप टु १८७०, में इतिहासकार काल्टन हेज़ लिखते हैं कि इस घटना ने “स्पेन से इंग्लैण्ड की ओर जलसेना की वरिष्ठता का निश्चयात्मक अवतरण को सूचित की।”
१७ वी सदी में, डच लोगों ने इस दुनिया के सब से बड़े वणिज्य-पोत विकसति किया। उनके जहाज़ समुद्र पर अधिकार चलाए, और उन्होंने उनका मुनाफा दूर तक के सरकारों को उधार दिया। लेकिन अपने बढ़ते हुए विदेशी नगरों के कारण यहाँ भी इंग्लैण्ड प्रबल हुआ।
फिर १८-वी सदी में, ब्रिटिश और फ्रेन्च ने, एक दूसरे से बहुत अलग जगहों में जैसे, उत्तर अमरीका और भारत में, लड़ाई की, जिसके परिणामस्वरूप १७६३ में ट्रीटी ऑफ पॅरिस उत्पन्न हुआ। उस के बारे में, अपनी पुस्तक स्टार ऑफ एम्पायर—अ स्टडी ऑफ ब्रिटन अस अ वल्ड पवर में विलियम बी. विलॉक्स लिखते हैं कि यद्यपि वह संधि एक समझौता के रूप में प्रतीत हुआ, “वास्तव में वह यूरोप के पार जो दुनिया है उस में एक प्रबल यूरापी शक्ति के रूप में ब्रिटन के नए स्थन को पहचान रही थी।”
दूसरे इतिहासकार यह कहते हुए सहमत होते हैं: “स्पेन, डच, और फ्रेन्च के साथ दो सदियों के युद्ध के बाद, १७६३ में ग्रेट ब्रिटन ने संसार के सब से अधिक व्यापारिक और उपनिवेशीय शक्ति के रूप में ऊपर उठी।” (मॉडन यूरोप टु १८७०) “१७६३ में ब्रिटिश साम्राज्य ने दुनिया में कोई पुनर्जीवित और विवर्द्धित रोम की तरह टाँगे फैलाकर खड़ा हुआ।” “वह मध्य सदी के युद्धों से सब से बड़ा साम्राज्य और प्रभावशाली—और सबसे अधिक नफरत की गयी—शक्ति बन गयी।” ( जेम्स एल. स्टोक्सबरी द्वारा लिखित, नेवी ॲन्ड एम्पायर) जी हाँ, यह ‘छोटा सा सींग’ बढ़कर बाइबल इतिहास की सातवीं विश्व शक्ति बन गयी थी।
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वह अन्तिम महा विश्व शक्तिप्रहरीदुर्ग—1990 | जनवरी 1
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ब्रिटेन के अधिकांश उपनिवेश स्वतंत्रता पायी है और राष्ट्रमण्डल से मिल गए हैं। जब कि वह साम्राज्य चला गया है, आंगलो-अमरीकी विश्व शक्ति बनी हुई है। लेकिन वह “कुछ समय” के लिए ही रहेगी उन कई सदियों की तुलना में जो उसकी पूर्ववर्ती रोमी शक्ति ने शासन किया।—प्रकाशितवाक्य १७:१०.
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