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धन्य है वह जो प्रकाशितवाक्य के वचन को पढ़ता हैप्रहरीदुर्ग—1999 | दिसंबर 1
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१६. प्रकाशितवाक्य के आखिरी अध्यायों में हमारे लिए कौन-सी खुशखबरी है?
१६ अगर हम प्रकाशितवाक्य के आखिरी अध्यायों को पढ़ें, तो हमारा रोम-रोम खुशी से झूम उठेगा, क्योंकि इसमें एक बहुत ही सुंदर भविष्य की दिलकश तस्वीर पेश की गई है। एक नया आकाश और नयी पृथ्वी होगी, यानी स्वर्ग में एक धर्मी सरकार होगी जो धरती पर वफादार इंसानों पर हुकूमत चलाएगी। इस तरह “सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर” यहोवा की महिमा होगी। (प्रकाशितवाक्य २१:२२) ये शानदार दर्शन दिखाने के बाद स्वर्गदूत यूहन्ना से कहता है: “ये बातें विश्वास के योग्य, और सत्य हैं, और प्रभु ने जो भविष्यद्वक्ताओं की आत्माओं का परमेश्वर है, अपने स्वर्गदूत को इसलिये भेजा, कि अपने दासों को वे बातें जिन का शीघ्र पूरा होना अवश्य है दिखाए। देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूं; धन्य है वह, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें मानता है।”—प्रकाशितवाक्य २२:६, ७.
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धन्य है वह जो प्रकाशितवाक्य के वचन को पढ़ता हैप्रहरीदुर्ग—1999 | दिसंबर 1
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१८, १९. (क) यीशु किस लिए शीघ्र आएगा और यूहन्ना की तरह हम भी क्या चाहते हैं? (ख) यहोवा क्यों ‘आ’ रहा है?
१८ प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में यीशु कई बार कहता है: “मैं शीघ्र ही आनेवाला हूं” (प्रकाशितवाक्य २:१६; ३:११; २२:७, २०क) जी हाँ, यीशु शीघ्र ही आएगा और बड़े बाबुल का और शैतान की राजनैतिक व्यवस्था का नाश करेगा। साथ ही वह उन लोगों का भी नाश करेगा जो मसीह के राज्य को ठुकराते हैं और इस तरह यहोवा की हुकूमत को कुबूल नहीं करते हैं। इसलिए हम प्रेरित यूहन्ना के साथ कहते हैं: “आमीन। हे प्रभु यीशु आ।”—प्रकाशितवाक्य २२:२०ख.
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