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एक बुज़ुर्ग प्रार्थना करते हुए

बाइबल से जुड़े सवालों के जवाब

हमें प्रार्थना क्यों करनी चाहिए?

यहोवा परमेश्‍वर चाहता है कि हम दिल खोलकर और लगातार उससे बात करें। उसे वे बातें बताते रहें जिनकी हमें चिंता या फिक्र है। (लूका 18:1-7) उसे हमारी परवाह है इसलिए वह हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है। जब स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता खुद हमसे कहता है कि हम उससे प्रार्थना करें, तो क्या उसका यह न्यौता हम कबूल नहीं करेंगे?—फिलिप्पियों 4:6 पढ़िए।

प्रार्थना सिर्फ मदद माँगने का ज़रिया नहीं है। इसके बजाय, प्रार्थना के ज़रिए हम परमेश्‍वर के करीब आ सकते हैं। (भजन 8:3, 4) जब हम लगातार परमेश्‍वर को अपनी भावनाएँ बताते हैं, तो उसके साथ हमारी दोस्ती गहरी होती जाती है।—याकूब 4:8 पढ़िए।

हमें किस तरह प्रार्थना करनी चाहिए?

जब हम प्रार्थना करते हैं तो परमेश्‍वर यह नहीं चाहता कि हम भारी-भारी या लच्छेदार शब्द इस्तेमाल करें या रटी-रटायी प्रार्थनाएँ करें। न ही वह हमसे माँग करता है कि हम किसी खास तरह से बैठकर या खड़े होकर प्रार्थना करें। यहोवा चाहता है कि हम दिल से प्रार्थना करें। (मत्ती 6:7) मिसाल के लिए, प्राचीन इसराएल देश में हन्‍ना नाम की स्त्री ने अपने परिवार से जुड़ी एक दर्दभरी समस्या के बारे में प्रार्थना की। बाद में, जब उसका दुख दूर हो गया और उसकी ज़िंदगी खुशियों से भर गयी, तो उसने प्रार्थना में सच्चे दिल से परमेश्‍वर को धन्यवाद दिया।—1 शमूएल 1:10, 12, 13, 26, 27; 2:1 पढ़िए।

परमेश्‍वर से प्रार्थना करना, हमारे लिए कितना बड़ा सम्मान है! हम सृष्टिकर्ता को बेझिझक वे सब बातें बता सकते हैं जिनकी हमें चिंता या फिक्र है। वह जो कुछ करता है, उसके लिए हम उसकी बड़ाई कर सकते हैं और उसको धन्यवाद दे सकते हैं। हमें इस अनमोल सम्मान को कभी कम नहीं आँकना चाहिए।—भजन 145:14-16 पढ़िए। (w14-E 07/01)

ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 17 देखिए, जिसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है

www.pr418.com पर भी उपलब्ध है

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