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क्या आप परमेश्वर के करीब महसूस करते हैं?प्रहरीदुर्ग—2015 | जनवरी 1
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पहले पेज का विषय | क्या आप परमेश्वर के दोस्त बन सकते हैं?
क्या आप परमेश्वर के करीब महसूस करते हैं?
“परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता होने से आपको कोई डर महसूस नहीं होता, ज़िंदगी खाली-खाली नहीं लगती और आप अपनी भावनाओं पर काबू रख पाते हैं। आपको एहसास होगा कि परमेश्वर हमेशा आपके भले की फिक्र में रहता है।”—घाना का रहनेवाला एक जवान, क्रिस्टफर।
“जब आप दुखी या मायूस होते हैं, तब परमेश्वर आपका खयाल रखता है। उस वक्त वह आपसे इतना प्यार करता है और आप पर इतना ध्यान देता है जितना आपने उम्मीद भी नहीं की होगी।”—अलास्का में रहनेवाली 13 साल की हॉनॉ।
“परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता होना वाकई बहुत बड़ी बात है। इससे जो खुशी और सुकून मिलता है, उसका कोई मोल नहीं।”—जमैका की रहनेवाली करीब 45 साल की जीन।
परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता रखनेवाले सिर्फ क्रिस्टफर, हॉनॉ और जीन ही नहीं हैं, पूरी दुनिया में ऐसे बहुत-से लोग हैं जिन्हें इस बात का यकीन है कि परमेश्वर उन्हें अपना दोस्त समझता है। क्या आप खुद को परमेश्वर के करीब महसूस करते हैं? या क्या आप उसके और भी करीब आना चाहेंगे? आप शायद कहें: ‘क्या एक मामूली इंसान के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता कायम करना वाकई मुमकिन है? अगर हाँ, तो हम यह कैसे कर सकते हैं?’
परमेश्वर के करीब आना मुमकिन है
परमेश्वर का वचन कहता है कि इंसानों के लिए परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता कायम करना मुमकिन है। परमेश्वर ने प्राचीन समय के अपने एक वफादार सेवक अब्राहम को “मेरे दोस्त” कहा। (यशायाह 41:8, उर्दू—ओ.वी.) ज़रा बाइबल में, याकूब 4:8 में दर्ज़ इस न्यौते पर गौर कीजिए, “परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।” जी हाँ, बाइबल साफ-साफ बताती है कि हम इंसान, परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता कायम कर सकते हैं, उससे दोस्ती कर सकते हैं। लेकिन हम परमेश्वर को देख तो सकते नहीं, फिर उसके करीब कैसे आ सकते हैं और उसके साथ करीबी रिश्ता कैसे कायम कर सकते हैं?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए गौर कीजिए कि इंसानों के बीच दोस्ती कैसे शुरू होती है। सबसे पहले, दो इंसान एक-दूसरे का नाम जानते हैं। फिर धीरे-धीरे वे एक-दूसरे से बातचीत करते हैं, एक-दूसरे को अपने विचार और अपनी भावनाएँ बताते हैं। इस तरह उनकी दोस्ती गहरी होने लगती है। और जब वे एक-दूसरे के भले के लिए कुछ करते हैं, तो उनकी दोस्ती का बंधन और भी मज़बूत होने लगता है। परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता कायम करने के लिए कुछ ऐसे ही कदम उठाने की ज़रूरत है। आइए देखें यह कैसे किया जा सकता है। (w14-E 12/01)
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क्या आप परमेश्वर का नाम जानते और उसे लेते हैं?प्रहरीदुर्ग—2015 | जनवरी 1
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पहले पेज का विषय | क्या आप परमेश्वर के दोस्त बन सकते हैं?
क्या आप परमेश्वर का नाम जानते और उसे लेते हैं?
क्या आप अपने किसी ऐसे करीबी दोस्त के बारे में सोच सकते हैं, जिसका आप नाम नहीं जानते? ज़ाहिर-सी बात है नहीं। बल्गारिया की रहनेवाली ईरीनॉ कहती है, “अगर आप परमेश्वर का नाम नहीं जानते, तो यह हो ही नहीं सकता कि आप खुद को उसके करीब महसूस करें।” मगर खुशी की बात यह है कि परमेश्वर खुद चाहता है आप उसके करीब आएँ, जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा। इसीलिए उसने बाइबल के ज़रिए यह कहकर आपसे अपना परिचय कराया है, “मैं यहोवा हूं, मेरा नाम यही है।”—यशायाह 42:8.
उसने बाइबल के ज़रिए यह कहकर आपसे अपना परिचय कराया है, “मैं यहोवा हूं, मेरा नाम यही है।”—यशायाह 42:8
क्या इस बात से यहोवा को कोई फर्क पड़ता है कि आप उसका नाम जानते और लेते हैं या नहीं? ज़रा गौर कीजिए: सबसे पहले जब बाइबल का शुरूआती हिस्सा जिसे इब्रानी शास्त्र कहा जाता है, लिखा गया तो उसमें परमेश्वर का नाम इब्रानी भाषा के चार अक्षरों में लिखा गया, जिसे टेट्राग्रामटन कहा जाता है। यह नाम पूरे इब्रानी शास्त्र में करीब 7,000 बार आया है। बाइबल में दूसरा और कोई नाम इतनी बार नहीं आया है। यह इस बात का पक्का सबूत है कि यहोवा चाहता है हम उसका नाम जानें और उसे लें।a
दो लोगों के बीच दोस्ती की शुरूआत एक-दूसरे का नाम जानने से होती है। क्या आप परमेश्वर का नाम जानते हैं?
मगर कुछ लोगों को शायद लगे कि परमेश्वर पवित्र है, वह सर्वशक्तिमान है, इसलिए उसका नाम लेना उसका अपमान करना होगा। हाँ, यह सच है कि परमेश्वर का नाम गलत तरीके से, या बेवजह लेना सही नहीं होगा, ठीक जैसे आप अपने करीबी दोस्त के नाम का गलत इस्तेमाल नहीं करेंगे। यहोवा चाहता है कि जो उससे प्यार करते हैं वे उसके नाम का सम्मान करें और उसका नाम दूसरों को बताएँ। (भजन 69:30, 31; 96:2, 8) जब यीशु ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया तो उसने कहा, “हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए।” तो जब हम परमेश्वर का नाम दूसरों को बताते हैं, तो हम उसके नाम को पवित्र करने में योगदान दे रहे होते हैं। ऐसा करने से हम परमेश्वर के करीब आ सकते हैं।—मत्ती 6:9.
बाइबल बताती है, जो लोग परमेश्वर के “नाम का सम्मान करते” हैं उन पर वह खास ध्यान देता है। (मलाकी 3:16) ऐसे इंसान को ध्यान में रखकर यहोवा वादा करता है, “मैं उसको छुड़ाऊंगा . . . क्योंकि उस ने मेरे नाम को जान लिया है। जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूंगा; संकट में मैं उसके संग रहूंगा।” (भजन 91:14, 15) इससे पता चलता है कि अगर हम यहोवा के साथ करीबी रिश्ता रखना चाहते हैं, तो उसका नाम जानना और उसे लेना ज़रूरी है। (w14-E 12/01)
a दुख की बात है, बहुत-से बाइबल के अनुवादों में से परमेश्वर का नाम निकाल दिया गया है, इसके बावजूद कि इब्रानी शास्त्र में, जिसे आम तौर पर पुराना नियम कहा जाता है, ‘यहोवा’ नाम हज़ारों बार आया है। अनुवादकों ने इस नाम की जगह “प्रभु” या “परमेश्वर” जैसी उपाधियाँ डाल दी हैं। इस विषय पर ज़्यादा जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब के पेज 195-197 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
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क्या आप परमेश्वर से बात करते हैं?प्रहरीदुर्ग—2015 | जनवरी 1
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पहले पेज का विषय | क्या आप परमेश्वर के दोस्त बन सकते हैं?
क्या आप परमेश्वर से बात करते हैं?
दो करीबी दोस्त, जब भी मौका मिलता है किसी-न-किसी तरह एक-दूसरे से बात करते हैं, फिर चाहे आमने-सामने हो या फोन पर, ई-मेल या वीडियो कॉल के ज़रिए या खत लिखकर। परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता बनाने के लिए भी ज़रूरी है कि हम बराबर उससे बात करें। कैसे?
हम प्रार्थना के ज़रिए परमेश्वर यहोवा से बात कर सकते हैं। लेकिन परमेश्वर से प्रार्थना करना ऐसा नहीं है, जैसे हम आम तौर पर अपने दोस्त से बात करते हैं। प्रार्थना करते वक्त हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने सृष्टिकर्ता से बात कर रहे होते हैं जो पूरे विश्व की सबसे बड़ी हस्ती है। इसलिए हमें गहरे आदर और श्रद्धा के साथ परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए। अगर हम चाहते हैं कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएँ सुने, तो ज़रूरी है कि हम उसकी बतायी कुछ माँगें पूरी करें। आइए ऐसी तीन माँगों पर गौर करें जो हमारी मदद कर सकती हैं।
पहली, हमें सिर्फ परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए, न कि यीशु से या किसी संत या गुरु से और न किसी मूर्ति के सामने। (निर्गमन 20:4, 5) बाइबल साफ-साफ कहती है, “हर बात में प्रार्थना और मिन्नतों और धन्यवाद के साथ अपनी बिनतियाँ परमेश्वर को बताते रहो।” (फिलिप्पियों 4:6) दूसरी, हमें परमेश्वर के बेटे यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना करनी चाहिए। उसने खुद कहा, “कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता, सिवा उसके जो मेरे ज़रिए आता है।” (यूहन्ना 14:6) तीसरी, हमारी प्रार्थनाएँ परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक होनी चाहिए। परमेश्वर का वचन कहता है, “हम उसकी मरज़ी के मुताबिक चाहे जो भी माँगें वह हमारी सुनता है।”a—1 यूहन्ना 5:14.
करीबी दोस्तों को जब भी मौका मिलता है एक-दूसरे से बात करते हैं
लेकिन ध्यान रखिए, दो दोस्तों में अगर एक ही बात करता रहे, तो उनका रिश्ता जल्द ही खत्म हो जाएगा। रिश्ता बरकरार रखने और उससे खुशी पाने के लिए ज़रूरी है कि दोनों बात करें। उसी तरह परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम परमेश्वर को भी बात करने का मौका दें और उसकी बात ध्यान से सुनें। लेकिन परमेश्वर हमसे कैसे बात करता है?
आज परमेश्वर यहोवा अपने लिखित वचन बाइबल के ज़रिए हमसे “बात” करता है। (2 तीमुथियुस 3:16, 17) ऐसा हम क्यों कह सकते हैं? सोचिए आपको अपने करीबी दोस्त से खत मिला है। खत पढ़ते वक्त आपको लगेगा कि आपका दोस्त आपसे बात कर रहा है। हालाँकि उसने आपसे आमने-सामने बात नहीं की, पर खत लिखकर आपसे बात की है। जब आप बाइबल पढ़ते हैं, तो एक तरह से आप यहोवा को बात करने का मौका देते हैं। पहले लेख में ज़िक्र की जीन कहती है, “अगर मैं चाहती हूँ कि परमेश्वर मुझे एक दोस्त समझे, तो ज़रूरी है कि उसने मुझे जो ‘खत’ लिखा है, यानी जो बाइबल दी है, उसे मैं पढूँ।” “हर दिन बाइबल पढ़ने की वजह से मैं परमेश्वर के और भी करीब महसूस करती हूँ।” क्या आप हर दिन बाइबल पढ़ते हैं? क्या परमेश्वर को आपसे बात करने का मौका देते हैं? ऐसा करने से आप परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता बना पाएँगे। (w14-E 12/01)
a हम प्रार्थना के ज़रिए परमेश्वर के करीब कैसे आ सकते हैं, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 17 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
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क्या आप वह काम करते हैं जिससे परमेश्वर खुश होता है?प्रहरीदुर्ग—2015 | जनवरी 1
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पहले पेज का विषय | क्या आप परमेश्वर के दोस्त बन सकते हैं?
क्या आप वह काम करते हैं जिससे परमेश्वर खुश होता है?
“जो भी चाहिए हो मुझे बताना।” ऐसी बात आप एक अजनबी से या जिसे आप बस थोड़ा-बहुत जानते हैं, उससे शायद नहीं कहेंगे। लेकिन एक करीबी दोस्त से ऐसा कहने से आप बिलकुल नहीं झिझकेंगे। करीबी दोस्त एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं।
बाइबल से पता चलता है कि यहोवा अच्छी तरह जानता है कि किन कामों से उसके उपासकों को खुशी मिलेगी और वह हमेशा वे काम करता है। मिसाल के लिए, राजा दाविद को लीजिए जिसका परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता था। उसने कहा, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है . . . उनकी गिनती नहीं हो सकती।” (भजन 40:5) यही नहीं, जो लोग अभी तक यहोवा को नहीं जानते, उनके लिए भी वह ऐसे काम करता है, जिनसे उन्हें खुशी मिलती है। वह ‘उन्हें जी भर के खाना और ढेरों खुशियाँ देकर उनके दिलों को आनंद से भरता है।’—प्रेषितों 14:17.
जिनके लिए हमारे दिल में प्यार और आदर होता है उनके लिए हम खुशी-खुशी काम करते हैं
जब यहोवा को वे काम करना अच्छा लगता है, जिनसे दूसरों को खुशी मिलती है, तो जो परमेश्वर के दोस्त बनना चाहते हैं, क्या उनसे यह उम्मीद करना सही नहीं कि वे भी वही काम करें जिनसे परमेश्वर का “मन आनन्दित” होता है? (नीतिवचन 27:11) मगर आप कैसे परमेश्वर को खुश कर सकते हैं? बाइबल इसका जवाब देती है, “भलाई करना और अपनी चीज़ों से दूसरों की मदद करना न भूलो, क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से बहुत खुश होता है।” (इब्रानियों 13:16) तो क्या इसका मतलब परमेश्वर को खुश करने के लिए सिर्फ भले काम करना और अपनी चीज़ों से दूसरों की मदद करना काफी है?
परमेश्वर का वचन कहता है, “विश्वास के बिना परमेश्वर को खुश करना नामुमकिन है।” (इब्रानियों 11:6) गौर करनेवाली बात है कि “अब्राहम ने यहोवा पर विश्वास किया” और उसके बाद ही “वह ‘यहोवा का मित्र’ कहलाया।” (याकूब 2:23) यीशु मसीह ने भी इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर हम परमेश्वर से आशीषें पाना चाहते हैं, तो हमें “परमेश्वर पर विश्वास” दिखाने की ज़रूरत है। (यूहन्ना 14:1) तो फिर आप वह विश्वास कैसे दिखा सकते हैं, जो परमेश्वर उनमें देखता है जिन्हें वह अपना दोस्त बनाना चाहता है? इसकी शुरूआत आप नियमित तौर पर परमेश्वर का वचन बाइबल पढ़ने और उसे समझने के ज़रिए कर सकते हैं। ऐसा करके आप “उसकी मरज़ी के बारे में सही-सही ज्ञान” ले पाएँगे और यह जान पाएँगे कि आप कैसे “उसे पूरी तरह खुश कर” सकते हैं। जैसे-जैसे आप यहोवा को और करीबी से जानेंगे और उसके स्तरों के मुताबिक जीएँगे, उस पर आपका विश्वास बढ़ेगा और वह आपके और भी करीब आएगा।—कुलुस्सियों 1:9, 10. (w14-E 12/01)
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जीने का सबसे बेहतर तरीकाप्रहरीदुर्ग—2015 | जनवरी 1
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पहले पेज का विषय | क्या आप परमेश्वर के दोस्त बन सकते हैं?
जीने का सबसे बेहतर तरीका
आप परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता बनाने के लिए क्या कर सकते हैं? पिछले लेखों में हमने जिन मुद्दों पर चर्चा की थी उन पर अमल करके आप परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता कायम कर सकते हैं:
परमेश्वर का नाम जानिए और उसे लीजिए, उसका नाम यहोवा है।
लगातार परमेश्वर यहोवा से बात कीजिए, यानी उससे प्रार्थना कीजिए और उसका वचन बाइबल पढ़िए।
हमेशा वह काम कीजिए जिससे यहोवा को खुशी होती है।
परमेश्वर का नाम लेने, उससे प्रार्थना करने, उसके वचन बाइबल का अध्ययन करने और उसे खुशी देनेवाले काम करने के ज़रिए परमेश्वर के करीब आइए
इन अहम मुद्दों को ध्यान में रखकर, क्या आप कह सकते हैं कि आप वही कर रहे हैं जो परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता बनाने के लिए ज़रूरी है? या क्या आपको लगता है कि आपको कहीं सुधार करने की ज़रूरत है? बेशक इसमें मेहनत लगेगी, मगर ध्यान दीजिए इससे कितने फायदे होंगे।
अमरीका की रहनेवाली जेनिफर कहती है, “परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता बनाने के लिए आप जो मेहनत करते हैं वह बेकार नहीं जाती। इससे आपको ढेरों आशीषें मिलेंगी। उस पर आपका भरोसा बढ़ेगा, आप उसके गुणों को और अच्छी तरह समझ पाएँगे और सबसे बढ़कर दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा। इससे बेहतर जीने का और कोई तरीका नहीं!”
अगर आप परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता बनाना चाहते हैं, तो इस मामले में यहोवा के साक्षियों को आपकी मदद करने में खुशी होगी। वे आपको बाइबल के बारे में सिखाने का इंतज़ाम कर सकते हैं, वह भी मुफ्त में। यहोवा के साक्षी जहाँ इकट्ठा होते हैं उसे राज-घर कहते हैं। वहाँ बाइबल पर चर्चा करने के लिए जो सभाएँ रखी जाती हैं, उनमें भी आपका स्वागत है। वहाँ आपको उन लोगों से मिलने-जुलने का मौका मिलेगा जिनका परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता है। वे अपने इस रिश्ते को अनमोल समझते हैं।a अगर आप यह सब करेंगे, तो आप महसूस करेंगे कि “परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है।” ऐसा ही परमेश्वर के एक वफादार सेवक ने महसूस किया था।—भजन 73:28. ▪ (w14-E 12/01)
a अगर आप बाइबल के बारे में सीखना चाहते हैं, या अपने आस-पास के राज-घर का पता जानना चाहते हैं, तो कृपया उस व्यक्ति से बात कीजिए जिसने आपको यह पत्रिका दी, या हमारी वेबसाइट www.pr418.com पर जाकर सबसे नीचे हमसे संपर्क करें पर क्लिक कीजिए।
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