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  • दुनिया का अंत—इसका क्या मतलब है?
    प्रहरीदुर्ग—2015 | जुलाई 1
    • लोग विपत्ति की वजह से मची तबाही से अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं और यह मंज़र देखकर एक स्त्री यह सोचकर डर रही है कि कहीं दुनिया का अंत न हो जाए

      पहले पेज का विषय | क्या अंत करीब है?

      दुनिया का अंत—इसका क्या मतलब है?

      क्या आपने कभी किसी को यह कहते हुए सुना है, “यह दुनिया खत्म होनेवाली है”? ज़रूर सुना होगा। इस दुनिया के बिगड़ते हालात देखकर कई लोग ऐसा ही कहते हैं। दुनिया का अंत कब होगा, इस बारे में टीवी और अखबारों में भी कई खबरें आयी थीं। इस दुनिया का अंत कैसे होगा, इस बारे में आपका क्या मानना है? क्या आपको लगता है कि धरती पर एक महाप्रलय आएगा या तीसरा विश्‍व युद्ध होगा, जिससे सबकुछ खत्म हो जाएगा? इस बारे में सोचकर कुछ लोग चिंता करने लगते हैं, तो कुछ लोगों को लगता है कि यह सब बेकार की बातें हैं और ऐसा कुछ नहीं होनेवाला।

      पवित्र शास्त्र बाइबल में भी लिखा है कि “अन्त आएगा।” (मत्ती 24:14, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) पवित्र शास्त्र में अंत को ‘परमेश्‍वर का महान दिन’ और “हर-मगिदोन” भी कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 16:14, 16) यह सच है कि इस बारे में अलग-अलग धर्म अलग-अलग बातें सिखाते हैं और जब भी लोग अंत के बारे में सोचते हैं, तो उन्हें सिर्फ तबाही का ही खयाल आता है। मगर पवित्र शास्त्र में साफ-साफ बताया गया है कि अंत का मतलब क्या है। पवित्र शास्त्र से हमें यह जानने में भी मदद मिलती है कि क्या यह वाकई करीब है और इससे भी बढ़कर कि हम अंत से कैसे बच सकते हैं। लेकिन आइए पहले हम अंत से जुड़ी कुछ गलतफहमियों को दूर करें।

      अंत से जुड़ी कुछ गलतफहमियाँ

      1. अंत होने पर पूरी पृथ्वी आग में जलकर राख हो जाएगी।

        पवित्र शास्त्र में लिखा है, “[परमेश्‍वर] ने पृथ्वी को उसकी नींव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए।” (भजन 104:5) पवित्र शास्त्र में लिखी यह बात और दूसरी कई बातें हमें यकीन दिलाती हैं कि न तो परमेश्‍वर खुद पृथ्वी का विनाश करेगा, और न ही उसका विनाश होने देगा।—सभोपदेशक 1:4; यशायाह 45:18.

      2. अंत अपने-आप आ जाएगा।

        पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि अंत अपने-आप नहीं आएगा, क्योंकि खुद परमेश्‍वर ने अंत लाने का वक्‍त तय किया है। वहाँ यह भी लिखा है कि “उस दिन या उस वक्‍त के बारे में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, न बेटा, बल्कि पिता जानता है। चौकन्‍ने रहो, आँखों में नींद न आने दो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तय किया हुआ वक्‍त कौन-सा है।” (मरकुस 13:32, 33) यहाँ साफ-साफ बताया गया है कि “पिता,” यानी परमेश्‍वर ने पहले से अंत का वक्‍त “तय किया” है।

      3. आकाश से कोई बड़ा-सा पत्थर पृथ्वी से टकराने से अंत आएगा या इंसान ही सबकुछ तबाह कर देगा।

        पवित्र शास्त्र में बताया है कि ऐसा नहीं होगा। इसके एक लेखक ने बताया, “मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा और देखो! एक सफेद घोड़ा। जो उस पर सवार था, वह विश्‍वासयोग्य और सच्चा कहलाता है।” उसने यह भी कहा कि उस घुड़सवार के पीछे-पीछे स्वर्गदूतों की सेनाएँ आ रही थीं। फिर उसने एक “जंगली जानवर और धरती के राजाओं और उनकी सेनाओं को देखा जो उस घुड़सवार और उसकी सेना से युद्ध लड़ने के लिए इकट्ठा हुए थे।” (प्रकाशितवाक्य 19:11-21) यहाँ पर लिखी कुछ बातों को सीधे-सीधे नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि इन्हें निशानियों के तौर पर लिखा गया है। लेकिन हम इससे यह समझ सकते हैं कि खुद परमेश्‍वर स्वर्गदूतों की सेना भेजकर अपने दुश्‍मनों का खात्मा करेगा और इस तरह अंत लाएगा।

      लोग हर-मगिदोन से बच निकले हैं और उनके पीछे धूआँ उठता हुआ दिखायी दे रहा है

      पवित्र शास्त्र में अंत की जो तसवीर पेश की गयी है, वह तबाही की नहीं, बल्कि खुशहाली की है

      अंत का मतलब क्या है

      1. इंसानों की नाकाम सरकारों का अंत।

        पवित्र शास्त्र में लिखा है, “उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्‍वर, एक ऐसा राज्य [परमेश्‍वर की हुकूमत] उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन्‌ वह उन सब राज्यों [इंसान की सरकारों] को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (दानिय्येल 2:44) जैसा पहले बताया गया है स्वर्गदूतों की सेना धरती के राजाओं और उनकी सेनाओं से लड़ेगी और उन्हें खत्म कर देगी।—प्रकाशितवाक्य 19:19.

      2. युद्ध, खून-खराबे और नाइंसाफी का अंत।

        “[परमेश्‍वर] पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है।” (भजन 46:9) “क्योंकि धर्मी लोग [धरती] में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उस में बने रहेंगे। दुष्ट लोग [धरती] में से नष्ट होंगे, और विश्‍वासघाती उसमें से उखाड़े जाएँगे।” (नीतिवचन 2:21, 22) परमेश्‍वर कहता है, “देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ।”—प्रकाशितवाक्य 21:4, 5.

      3. परमेश्‍वर और इंसान जिन धर्मों से नाखुश हैं उनका अंत।

        पवित्र शास्त्र में लिखा है, “नबी झूठी नबूवत [या भविष्यवाणी] करते हैं; पुरोहित उनकी हां में हां मिलाते हैं। . . . परन्तु जब अन्त आएगा तब तुम क्या करोगे?” (यिर्मयाह 5:31, हिंदी—कॉमन लैंग्वेज) यीशु ने भी कहा था, “उस दिन बहुत-से लोग मुझसे कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की और तेरे नाम से, लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को नहीं निकाला और तेरे नाम से बहुत-से शक्‍तिशाली काम नहीं किए?’ तब मैं उनसे साफ-साफ कह दूँगा: मैंने तुम्हें कभी नहीं जाना! अरे दुराचारियो, मेरे सामने से दूर हो जाओ।”—मत्ती 7:21-23.

      4. जो दुनिया के बुरे हालात के लिए ज़िम्मेदार हैं और जो ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं, उनका अंत।

        यीशु मसीह ने कहा, “सज़ा का आधार यह है कि रौशनी दुनिया में आयी, मगर लोगों ने रौशनी के बजाय अंधकार से प्यार किया, क्योंकि उनके काम दुष्ट थे।” (यूहन्‍ना 3:19) पवित्र शास्त्र में बताया है कि सालों पहले नूह नाम के व्यक्‍ति के ज़माने में पूरी दुनिया का नाश हुआ था। “परमेश्‍वर के वचन से . . . उस वक्‍त की दुनिया पानी के प्रलय से डूबकर नाश हुई। मगर उसी वचन से, आज के आकाश और पृथ्वी को आग से भस्म किए जाने के लिए रखा गया है और उन्हें न्याय के दिन तक यानी भक्‍तिहीन लोगों के नाश किए जाने के दिन तक ऐसे ही रखा जाएगा।”—2 पतरस 3:5-7.

      ध्यान दीजिए कि आज की दुनिया के “न्याय के दिन” की तुलना नूह के ज़माने की “दुनिया” के नाश से की गयी है। नूह के ज़माने में जिस “दुनिया” के नाश किए जाने की बात की गयी है, उसमें पृथ्वी का नाश नहीं हुआ था, बल्कि परमेश्‍वर के दुश्‍मनों, यानी “भक्‍तिहीन लोगों” का “नाश” हुआ था। उसी तरह, आनेवाले “न्याय के दिन” में उन सभी का नाश हो जाएगा, जो परमेश्‍वर की आज्ञा नहीं मानते हैं। मगर जैसे पानी के प्रलय के वक्‍त नूह और उसका परिवार बचाया गया था, न्याय के दिन में परमेश्‍वर की आज्ञा माननेवाले बचाए जाएँगे।—मत्ती 24:37-42.

      सोचिए जब परमेश्‍वर सारी दुष्टता का अंत कर देगा, तो धरती पर कितना अच्छा माहौल होगा! इसमें कोई दो राय नहीं कि पवित्र शास्त्र में अंत की जो तसवीर पेश की गयी है, वह तबाही की नहीं, बल्कि खुशहाली की है। लेकिन शायद आपके मन में ये सवाल आएँ, ‘क्या बाइबल में यह बताया गया है कि अंत कब आएगा? क्या अंत सचमुच करीब है? मैं इससे कैसे बच सकता हूँ?’ (w15-E 05/01)

      दुनिया के अंत के बाद

      अंत के बाद हालात कैसे होंगे? पवित्र शास्त्र में कई जगहों पर बताया गया है कि उस वक्‍त हालात बहुत अच्छे होंगे। जैसे, “[परमेश्‍वर] उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।” फिर परमेश्‍वर ने कहा, “देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ।” (प्रकाशितवाक्य 21:4, 5) अंत का मतलब आपकी ज़िंदगी का अंत नहीं है। परमेश्‍वर नहीं चाहता है कि हमारा नाश हो। इसके बजाय, वह हमें अंत से बच निकलने का रास्ता बताता है।

  • क्या अंत करीब है?
    प्रहरीदुर्ग—2015 | जुलाई 1
    • पहले पेज का विषय

      क्या अंत करीब है?

      आज भ्रष्ट और लालची सरकारों की वजह से पूरी मानवजाति का वजूद खतरे में है। क्या परमेश्‍वर हमेशा तक उन्हें अपनी मनमानी करने देगा? नहीं, ऐसा नहीं होगा। जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा था सदियों से जो दुख-तकलीफें और ज़ुल्म इस दुनिया में होते आ रहे हैं, उन सब को परमेश्‍वर खत्म कर देगा। परमेश्‍वर बहुत जल्द कदम उठानेवाला है और वह चाहता है कि हम इस बारे में जानें। उसने हमें यह कैसे बताया है?

      मान लीजिए कि आप बस में सफर करनेवाले हैं। सफर शुरू करने से पहले आप शायद लोगों से पूछें कि फलाँ जगह जाने के लिए आपको कौन-सी बस लेनी होगी, वह कहाँ से मिलेगी और उतरने से पहले रास्ते में क्या-क्या निशानियाँ आएँगी, ताकि आप पहचान पाएँ कि आप सही रास्ते पर हैं या नहीं। फिर जैसे-जैसे आप सफर के दौरान रास्ते में आनेवाली उन निशानियों को देखते हैं, आपको यकीन हो जाता है कि आप अपनी मंज़िल के बहुत करीब हैं।

      पवित्र शास्त्र में बताया है कि यह दुनिया एक ऐसे मुकाम पर पहुँचेगी, जो उसे अंत की तरफ ले जाएगा। उस वक्‍त पूरी दुनिया में ऐसी घटनाएँ होंगी और ऐसे हालात पैदा होंगे, जैसा मानवजाति के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। आइए पवित्र शास्त्र में दी ऐसी कुछ निशानियों पर गौर करें।

      1. दुनिया-भर में उथल-पुथल पवित्र शास्त्र में दी एक भविष्यवाणी में धरती पर होनेवाली घटनाओं के बारे में बताया गया है। ये घटनाएँ “दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त” की निशानी हैं और उसके बाद “अंत” आएगा। (मत्ती 24:3, 14) इन घटनाओं में बड़े-बड़े युद्ध, अकाल, एक-के-बाद-एक कई जगहों पर भूकंप, बढ़ती दुष्टता, लोगों में प्यार कम हो जाना और धर्म गुरुओं का लोगों को गुमराह करने की कोशिश करना शामिल है। (मत्ती 24:6-26) यह सच है कि कुछ हद तक ये घटनाएँ सदियों से होती आ रही हैं। लेकिन भविष्यवाणी में बताया गया था कि जैसे-जैसे अंत करीब आएगा, ये सभी घटनाएँ हर कहीं होने लगेंगी। इन घटनाओं के अलावा, अंत आने से पहले नीचे बतायी तीन और निशानियाँ दिखायी देंगी।

      2. लोगों का रवैया पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि “आखिरी दिनों” में, यानी अंत आने से पहले लोगों का रवैया बद-से-बदतर होता जाएगा। शास्त्र में लिखा है, “लोग सिर्फ खुद से प्यार करनेवाले, पैसे से प्यार करनेवाले, डींगें मारनेवाले, मगरूर, निंदा करनेवाले, माता-पिता की न माननेवाले, एहसान न माननेवाले, विश्‍वासघाती, मोह-ममता न रखनेवाले, किसी भी बात पर राज़ी न होनेवाले, बदनाम करनेवाले, असंयमी, खूँखार, भलाई से प्यार न रखनेवाले, धोखेबाज़, ढीठ, घमंड से फूले हुए, परमेश्‍वर के बजाय मौज-मस्ती से प्यार करनेवाले होंगे।” (2 तीमुथियुस 3:1-4) लोग पहले भी एक-दूसरे की इज़्ज़त नहीं करते थे, लेकिन “आखिरी दिनों” में लोगों का रवैया इतना खराब हो जाएगा कि इस दौर को “संकटों से भरा ऐसा वक्‍त” कहा गया है, “जिसका सामना करना मुश्‍किल होगा।” क्या आपने गौर किया है कि आज लोगों का रवैया बद-से-बदतर होता जा रहा है?

      3. पृथ्वी को तबाह किया जा रहा है पवित्र शास्त्र में लिखा है कि परमेश्‍वर “पृथ्वी को तबाह-बरबाद करनेवालों को खत्म” कर देगा। (प्रकाशितवाक्य 11:18) लोग किस तरह पृथ्वी को तबाह-बरबाद करते? नूह के ज़माने के बारे में भी पवित्र शास्त्र में कुछ ऐसा ही बताया गया था, “पृथ्वी परमेश्‍वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव [या हिंसा] से भर गई थी। और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा कि वह बिगड़ी हुई है।” इसलिए परमेश्‍वर ने उन दुष्ट लोगों से कहा, “मैं उनको पृथ्वी समेत नष्ट कर डालूँगा।” (उत्पत्ति 6:11-13) क्या आपने गौर किया है कि पृथ्वी पर हिंसा कितनी बढ़ गयी है? और-तो-और, आज इंसान के पास तरह-तरह के हथियार हैं जिससे वह धरती पर से इंसानों का नामो-निशान मिटा सकता है और इस तरह पृथ्वी को तबाह-बरबाद कर सकता है। इंसानों के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। एक और तरीके से पृथ्वी को तबाह-बरबाद किया जा रहा है। इंसान धरती पर जीवन कायम रखनेवाली हर चीज़ को तबाह कर रहा है। धीरे-धीरे जानवरों की जातियाँ लुप्त हो रही हैं, पेड़-पौधों को काटा जा रहा है, और समुद्र और हवा को दूषित किया जा रहा है।

      ज़रा सोचिए कि ‘आज से 100 साल पहले क्या इंसानों के पास इतने हथियार थे कि वे धरती पर से सभी इंसानों का नामो-निशान मिटा देते?’ लेकिन आज उनके पास इतने खतरनाक हथियार हैं और उन्होंने वातावरण को इस कदर दूषित कर दिया है कि वे धरती पर से सभी इंसानों का नामो-निशान मिटा सकते हैं। इस दुनिया में इतनी तेज़ी से नयी-नयी चीज़ें बनायी जा रही हैं, लेकिन इंसान यह नहीं समझ पा रहा है कि इनसे क्या-क्या परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं और इनका सामना कैसे किया जा सकता है। लेकिन खुशी की बात तो यह है कि पृथ्वी का भविष्य इंसानों के हाथ में नहीं है। परमेश्‍वर धरती को तबाह-बरबाद करनेवाले इंसानों को खत्म कर देगा, इससे पहले कि वे धरती पर से सभी इंसानों का नामो-निशान मिटा दें। परमेश्‍वर ने वादा किया है कि वह ऐसा ज़रूर करेगा!

      4. पूरी दुनिया में प्रचार काम हो रहा है अंत के बारे में बतायी निशानी में यह भविष्यवाणी भी शामिल है कि उस समय एक ऐसा काम किया जाएगा, जो पहले कभी नहीं किया गया। “राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों पर गवाही हो; और इसके बाद अंत आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) यहाँ जिस प्रचार अभियान की बात की गयी है, वह सदियों से चले आ रहे अलग-अलग धर्मों के प्रचार अभियान से बहुत अलग है। आखिरी दिनों में एक खास संदेश का प्रचार किया जाता, यानी ‘राज की खुशखबरी’ का प्रचार। क्या आप किसी ऐसे धार्मिक समूह को जानते हैं, जो खुशखबरी का प्रचार करता है? और अगर ऐसा कोई समूह है, तो क्या वे सिर्फ एक ही इलाके में प्रचार करते हैं, या उन्होंने इस खुशखबरी का “सारे जगत में प्रचार किया” है, “ताकि सब राष्ट्रों पर गवाही हो”?

      दो यहोवा के साक्षी समुद्र के किनारे प्रचार कर रहे हैं; वे एक आदमी को पवित्र शास्त्र से एक आयत दिखा रहे हैं

      दुनिया-भर में परमेश्‍वर के राज के बारे में सैकड़ों भाषाओं में ऐलान किया जा रहा है

      यहोवा के साक्षियों की वेबसाइट www.pr418.com में खास तौर पर “राज की इस खुशखबरी” के बारे में बताया गया है। इस वेबसाइट में 700 से भी ज़्यादा भाषाओं में किताबें-पत्रिकाएँ और वीडियो उपलब्ध हैं, जो यह खुशखबरी बताते हैं। क्या आपको किसी और संगठन के बारे में पता है, जो इस तरह राज की खुशखबरी पूरी दुनिया में फैला रहा है? इंटरनेट के उपलब्ध होने से बहुत पहले यहोवा के साक्षी परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी फैलाने के लिए जाने जाते थे। सन्‌ 1939 से प्रहरीदुर्ग पत्रिका के हर अंक के पहले पन्‍ने पर ये शब्द लिखे होते हैं, “यहोवा के राज्य की घोषणा करता है।” (बाइबल के मुताबिक परमेश्‍वर का नाम यहोवा है।) धर्मों पर लिखी गयी एक किताब में यहोवा के साक्षियों के प्रचार काम के बारे में कहा गया था कि वे जिस जोश से और जितने बड़े पैमाने पर प्रचार काम करते हैं, वैसा दुनिया में और कोई नहीं करता। यहोवा के साक्षी इस खुशखबरी का प्रचार करते हैं कि परमेश्‍वर के राज के ज़रिए बहुत जल्द “अंत आ जाएगा।”

      दुनिया के इतिहास में एक अहम घड़ी

      क्या आपको नहीं लगता कि अंत के बारे में पवित्र शास्त्र में बतायी गयी ये चारों बातें आपके ज़माने में हो रही हैं? पिछले 100 से भी ज़्यादा सालों से यह पत्रिका दुनिया में हो रही घटनाओं के बारे में लोगों को बता रही है, ताकि लोग खुद इस नतीजे पर पहुँच सकें कि हम अंत के बहुत करीब हैं। लेकिन कुछ लोग इस बात से सहमत नहीं हैं और उनका कहना है कि आँकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन्हें तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है और सबकी अपनी-अपनी राय होती है। वे यह भी दावा करते हैं कि दुनिया-भर में संचार में तरक्की हुई है जिस वजह से हमें पहले से कहीं ज़्यादा बुरी खबरें सुनने को मिलती हैं और ऐसा लगता है कि हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। लेकिन सच तो यह है कि इस बात के ढेरों सबूत हैं कि हम इंसानों के इतिहास के एक ऐसे अनोखे दौर में जी रहे हैं, जिसका अंत बहुत करीब है।

      कुछ जानकारों का मानना है कि बहुत जल्द इस धरती पर ज़बरदस्त बदलाव होनेवाले हैं। मिसाल के लिए, सन्‌ 2014 में कुछ वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट में बताया कि आज ऐसी कई घटनाएँ हो रही हैं, जिस वजह से मानवजाति के वजूद के खत्म होने का बहुत बड़ा खतरा है। बहुत-से लोगों को इस बात का यकीन हो गया है कि हम इंसानों के इतिहास की एक अहम घड़ी में आ पहुँचे हैं। इस पत्रिका को तैयार करनेवाले और इसे पढ़नेवाले बहुत-से लोगों को इस बात का पूरा यकीन हो गया है कि हम इस दौर के आखिरी दिनों में जी रहे हैं और अंत बहुत करीब है। लेकिन आनेवाले कल से डरने के बजाय, आप उसके बारे में सोचकर खुश हो सकते हैं। क्यों? क्योंकि आप अंत से बच सकते हैं! (w15-E 05/01)

      क्या यहोवा के साक्षी सिर्फ आनेवाले अंत के बारे में बताते हैं?

      नहीं। इसके बजाय, वे 100 से भी ज़्यादा सालों से लोगों को भविष्य के बारे में खुशी की खबर सुना रहे हैं। उदाहरण के लिए, सन्‌ 1958 में यहोवा के साक्षियों के अधिवेशन में एक भाषण दिया गया था, जिसका विषय था “परमेश्‍वर का राज शुरू हो चुका है—क्या दुनिया का अंत करीब है?” इस भाषण में समझाया गया था कि “परमेश्‍वर का राज पृथ्वी का नाश करने के लिए नहीं, बल्कि शैतान की दुनिया का नाश करने के लिए आया है। परमेश्‍वर का राज पृथ्वी को भस्म करने के लिए नहीं, बल्कि स्वर्ग और धरती पर उसकी मरज़ी पूरी करने के लिए आया है। और इस वजह से परमेश्‍वर अपनी सृष्टि, यानी पृथ्वी का नाश नहीं करेगा; और हमेशा-हमेशा के लिए उसे बनाए रखेगा।”

  • आप भी अंत से बच सकते हैं!
    प्रहरीदुर्ग—2015 | जुलाई 1
    • यहोवा की साक्षी एक स्त्री के साथ बाइबल से चर्चा कर रही है

      पहले पेज का विषय | क्या अंत करीब है?

      आप भी अंत से बच सकते हैं!

      बाइबल अंत के समय में होनेवाले विनाश के बारे में कुछ ऐसा बताती है, “ऐसा महा-संकट होगा जैसा दुनिया की शुरूआत से न अब तक हुआ और न फिर कभी होगा। दरअसल, अगर वे दिन घटाए न गए होते, तो कोई भी नहीं बच पाता।” (मत्ती 24:21, 22) लेकिन परमेश्‍वर हमसे वादा करता है कि बहुत-से लोग इस विनाश से बच निकलेंगे। “यह दुनिया मिटती जा रही है . . . , मगर जो परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करता है वह हमेशा तक कायम रहेगा।”—1 यूहन्‍ना 2:17.

      अगर आप इस मिटती दुनिया से बचना चाहते हैं और “हमेशा तक कायम” रहना चाहते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? क्या आपको अभी से ज़रूरत में काम आनेवाला सामान इकट्ठा करना शुरू कर देना चाहिए? नहीं, हमें ऐसा करने की ज़रूरत नहीं। इसके बजाय, ध्यान दीजिए कि पवित्र शास्त्र हमें क्या करने का बढ़ावा देता है। वहाँ लिखा है, “इसलिए, जब ये सारी चीज़ें इस तरह पिघल जाएँगी, तो सोचो कि आज तुम्हें कैसे इंसान होना चाहिए! तुम्हें पवित्र चालचलन रखनेवाले और परमेश्‍वर की भक्‍ति के काम करनेवाले इंसान होना चाहिए, और यहोवा के दिन का इंतज़ार करते हुए उस दिन के बहुत जल्द आने की बात को हमेशा अपने मन में रखना चाहिए।” (2 पतरस 3:10-12) अगर हम इसके आस-पास की आयतें देखें, तो हमें पता चलता है कि पिघलनेवाली इन ‘सारी चीज़ों’ में इस दुनिया की भ्रष्ट सरकार और वे सभी लोग शामिल हैं, जो परमेश्‍वर को अपना राजा मानने के बजाय, इन सरकारों का साथ देते हैं। इससे ये बात साफ हो जाती है कि इस दुनिया में चीज़ें बटोरने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि ये चीज़ें हमें विनाश से नहीं बचा सकतीं।

      अगर हम उस विनाश से बचना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि हम यहोवा परमेश्‍वर की भक्‍ति करें और यह जानने की कोशिश करें कि उसे किस तरह का चालचलन और कैसे काम पसंद हैं। (सपन्याह 2:3) लोगों के पीछे हो लेने और इस नाज़ुक दौर में अंत की निशानियों को नज़रअंदाज़ करने के बजाय, हमें “यहोवा के दिन . . . के बहुत जल्द आने की बात को हमेशा अपने मन में रखना चाहिए।” यहोवा के साक्षी आपको बाइबल से यह जानने में मदद कर सकते हैं कि आप उस दिन से कैसे बच सकते हैं। ▪ (w15-E 05/01)

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