नौजवान पूछते हैं
आखिर मैं हूँ कौन?
समीर, मयंक को अपनी तरफ आते देखता है और आगे जो होगा उसके बारे में सोचकर ही वह पसीना-पसीना हो जाता है। मयंक कहता है: “हाय सैम, तुम्हारे लिए कुछ है!” मयंक अपनी मुट्ठी खोलता है; समीर को पता है कि मयंक क्या लाया होगा। मयंक के हाथ में एक सिगरेट है। समीर, सिगरेट नहीं लेना चाहता लेकिन वह यह भी नहीं चाहता है कि मयंक उसका मज़ाक उड़ाए। समीर हिचकिचाकर कहता है, “नहीं . . . मेरा मतलब फिर कभी।”
तनुका, मयंक को अपनी तरफ आते देखती है और आगे जो होगा उसके लिए तैयार हो जाती है। मयंक कहता है: “हाय तनु, तुम्हारे लिए कुछ है!” मयंक अपनी मुट्ठी खोलता है; तनुका को पता है कि मयंक क्या लाया होगा। मयंक के हाथ में एक सिगरेट है। तनुका पूरे यकीन के साथ कहती है, “नहीं। मुझे अपनी सेहत का खयाल है और मैं अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहती और वैसे मयंक . . . तुम इतने बेवकूफ तो नहीं लगते कि सिगरेट पियो!”
ऊपर दिए हालात में तनुका क्यों खुद पर आए दबाव का अच्छी तरह सामना कर पायी जबकि समीर ऐसा नहीं कर पाया? क्योंकि उसके पास एक ऐसी चीज़ थी जो समीर के पास नहीं थी। पता है क्या? एक पहचान। इसका मतलब एक कार्ड नहीं है जिस पर आपकी तसवीर और आपका नाम छपा हो। पहचान वह एहसास है जो हमें बताता है कि हम कौन हैं और किन स्तरों पर चलते हैं। अगर आप में यह एहसास है, तो गलत काम का दबाव आने पर आप मना कर पाएँगे यानी आपकी ज़िंदगी पर आपका हुक्म चलेगा न कि दूसरों का। आप इस तरह का आत्म-विश्वास कैसे पैदा कर सकते हैं? आगे दिए सवालों से आपको यह जानने में मदद मिलेगी।
1 मेरे अंदर क्या खूबियाँ हैं?
यह जानना क्यों ज़रूरी है: अपनी काबिलीयतों और खूबियों को पहचानने से आपका आत्म-विश्वास बढ़ेगा।
गौर कीजिए: हर किसी में कोई-न-कोई खूबी ज़रूर होती है। जैसे कुछ लोग कला या संगीत में माहिर होते हैं तो कुछ खेल-कूद में तेज़ होते हैं। कार ठीक करना रेकल के बाएँ हाथ का खेल है।a वह बताती है: “15 साल की उम्र में ही मैंने मन बना लिया था कि मैं मेकैनिक बनूँगी।”
बाइबल से एक उदाहरण: प्रेषित पौलुस ने लिखा: “चाहे मैं बोलने में अनाड़ी सही, मगर ज्ञान में हरगिज़ नहीं हूँ।” (2 कुरिंथियों 11:6) उसे बाइबल की अच्छी समझ थी इसलिए जब दूसरों ने उसके अधिकार और उसकी सेवा पर सवाल उठाया उस वक्त भी वह अपने विश्वास पर बना रहा। लोगों के बुरे रवैए को देखकर वह निराश नहीं हुआ।—2 कुरिंथियों 10:10; 11:5.
खुद की जाँच कीजिए। अपनी कोई एक काबिलीयत या हुनर नीचे लिखिए।
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अब लिखिए कि आपमें कौन-सा अच्छा गुण है। (उदाहरण के लिए, क्या आप दूसरों की परवाह करते हैं? दरियादिल हैं? भरोसेमंद हैं? या वक्त के पाबंद हैं?)
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“मैं दूसरों की मदद करने की कोशिश करती हूँ। अगर किसी को मुझसे बात करनी है लेकिन मैं व्यस्त हूँ, तब भी मैं अपना काम रोककर उनकी बात सुनती हूँ।” —भावना।
अगर आपको अपनी कोई खूबी ढूँढ़ने में मुश्किल हो रही है तो सोचिए कि कौन-सा ऐसा मामला है जिसमें पहले आप समझदारी नहीं दिखाते थे, लेकिन अभी दिखाने लगे हैं और उसे नीचे लिखिए।—कुछ उदाहरण बक्स “आपके हमउम्र क्या कहते हैं” में दिए गए हैं।
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2 मेरी कमज़ोरियाँ क्या हैं?
यह जानना क्यों ज़रूरी है: अगर किसी ज़ंजीर की एक भी कड़ी कमज़ोर है तो उसे मज़बूत नहीं कहा जा सकता। उसी तरह अगर आप अपनी कमज़ोरियों को अपने ऊपर हावी होने देंगे तो दूसरों के सामने आपका नाम खराब हो जाएगा।
गौर कीजिए: कोई भी ऐसा नहीं जो सिद्ध हो। (रोमियों 3:23) हर इंसान के अंदर कोई-न-कोई कमी ज़रूर होती है जिसे वह बदलना चाहता है। शैलजा कहती है: “पता नहीं मैं क्यों छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाती हूँ? ज़रा-सी बात पर मेरा दिमाग खराब हो जाता है और मैं अपनी भावनाओं को काबू में नहीं रख पाती!”
बाइबल से एक उदाहरण: पौलुस अपनी कमज़ोरियों को अच्छी तरह जानता था। उसने लिखा: “मेरे अंदर का इंसान वाकई परमेश्वर के कानून में खुशी पाता है मगर मैं अपने अंगों में दूसरे कानून को काम करता हुआ पाता हूँ, जो मेरे सोच-विचार पर राज करनेवाले कानून से लड़ता है और मुझे पाप के उस कानून का गुलाम बना लेता है।”—रोमियों 7:22, 23.
खुद की जाँच कीजिए। आप अपनी किस कमज़ोरी पर काबू पाना चाहते हैं?
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“मैंने गौर किया है कि जब भी मैं कोई रोमांटिक फिल्म देखती हूँ तो थोड़ी दुखी हो जाती हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि काश! कोई मुझे भी इसी तरह प्यार करता। इसलिए अब मुझे समझ आ गया है कि मनोरंजन चुनने के मामले में मुझे सावधानी बरतनी चाहिए।”—प्रियंका।
3 मेरे लक्ष्य क्या हैं?
यह जानना क्यों ज़रूरी है: लक्ष्य होने से आपकी ज़िंदगी को एक दिशा और मकसद मिलेगा। तब आप ऐसे लोगों और हालात से ज़्यादा अच्छी तरह बच पाएँगे जो आपको अपने लक्ष्य हासिल करने से रोक सकते हैं।
गौर कीजिए: क्या आप टैक्सी में बैठकर ड्राइवर से कहेंगे कि वह तब तक उसी इलाके में चक्कर लगाता रहे, जब तक कि उसकी गाड़ी का पेट्रोल खत्म नहीं हो जाता? ऐसा करना बेवकूफी होगी और यह आपको महँगा भी पड़ेगा! अगर आपकी ज़िंदगी में लक्ष्य होंगे, तो आप यहाँ-वहाँ भटकने या गोल-गोल चक्कर लगाने से बच पाएँगे। आपके सामने एक मंज़िल होगी और आप यह तय कर पाएँगे कि आप वहाँ तक कैसे पहुँचें।
बाइबल से एक उदाहरण: पौलुस ने लिखा: “मैं अंधाधुंध यहाँ-वहाँ नहीं दौड़ता।” (1 कुरिंथियों 9:26) हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहने के बजाय पौलुस ने ज़िंदगी में लक्ष्य रखे और उन्हें हासिल करने के लिए मेहनत की।—फिलिप्पियों 3:12-14.
खुद की जाँच कीजिए। लिखिए कि अगले एक साल में आप कौन-से तीन लक्ष्य हासिल करना चाहेंगे।
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अब चुनिए कि आपके लिए कौन-सा लक्ष्य सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है, और लिखिए कि उसे हासिल करने के लिए आप अभी से क्या कर सकते हैं।
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“अगर मैं खुद को व्यस्त नहीं रखता तो ऐसा लगता है कि बस यूँ ही जीए जा रहा हूँ। इसलिए बेहतर यही है कि ज़िंदगी में कुछ लक्ष्य हों और हम उन्हें हासिल करने की कोशिश करें।”—रोहित।
4 मैं किन बातों पर विश्वास करता हूँ?
यह जानना क्यों ज़रूरी है: अगर आपका विश्वास अटल नहीं है तो आप अपने फैसलों पर टिके नहीं रह पाएँगे। जैसे गिरगिट रंग बदलता है, आप भी अपने दोस्तों के रंग में रंगने के लिए रंग बदलते जाएँगे और इससे यह साफ पता चलेगा कि आपकी अपनी कोई पहचान नहीं है।
गौर कीजिए: बाइबल मसीहियों को बढ़ावा देती है कि “परखकर खुद के लिए मालूम करते रहो कि परमेश्वर की भली, उसे भानेवाली और उसकी सिद्ध इच्छा क्या है।” (रोमियों 12:2) जब आपके काम आपके विश्वास के मुताबिक होंगे तो आप अपनी पहचान बनाए रख पाएँगे, फिर चाहे दूसरे कुछ भी करें।
बाइबल से एक उदाहरण: जब भविष्यवक्ता दानिय्येल किशोर उम्र का था तभी उसने “अपने मन में ठान लिया” कि वह परमेश्वर के कानून मानेगा, जबकि उस वक्त वह अपने परिवार और संगी विश्वासियों से अलग कर दिया गया था। (दानिय्येल 1:8) इस तरह वह अपनी पहचान बनाए रख पाया। दानिय्येल अपने विश्वास के मुताबिक जीया।
खुद की जाँच कीजिए। आप किन बातों पर विश्वास करते हैं? जैसे:
● क्या आप परमेश्वर पर विश्वास करते हैं? अगर हाँ, तो क्यों? कौन-से सबूत आपको यकीन दिलाते हैं कि परमेश्वर अस्तित्व में है?
● क्या आपको विश्वास है कि परमेश्वर के ठहराए नैतिक स्तर आपकी भलाई के लिए हैं? अगर हाँ, तो क्यों? उदाहरण के लिए, क्या बात आपको यकीन दिलाती है कि सेक्स के बारे में परमेश्वर के नियम मानने से आप खुश रहेंगे न कि अपने दोस्तों की तरह “आज़ाद पंछी” बनने से?
इन सवालों का जवाब जल्दबाज़ी में नहीं दिया जा सकता। आराम से सोचिए कि आप जिन बातों पर विश्वास करते हैं उनकी क्या वजहें हैं। ऐसा करके आप ज़्यादा अच्छी तरह अपने विश्वास की सफाई पेश कर पाएँगे।—नीतिवचन 14:15; 1 पतरस 3:15.
“अगर आपका विश्वास मज़बूत नहीं है तो स्कूल में बच्चे आप पर गलत काम करने का दबाव डाल सकते हैं। मैं नहीं चाहती थी कि मेरा विश्वास कमज़ोर हो और दूसरे मुझ पर दबाव डालें। इसलिए मैंने अपने मन में एक साफ तसवीर बनायी कि मैं क्या विश्वास करती हूँ और क्यों। दूसरों से यह कहने के बजाय कि ‘नहीं मैं यह नहीं कर सकती क्योंकि यह मेरे धर्म के खिलाफ है,’ मेरे मना करने की वजह होती कि ‘मैं इसे सही नहीं समझती।’ मैं जिन बातों पर विश्वास करती हूँ, वे मेरे विश्वास हैं।”—अंजली।
आखिर आप किसकी तरह बनना चाहेंगे—एक सूखे पत्ते की तरह जो हवा के हर झोंके से यहाँ-वहाँ उड़ता रहता है या एक पेड़ की तरह जो भयंकर-से-भयंकर तूफान भी झेल जाता है? अपनी एक पहचान बनाइए और तब आप उस पेड़ की तरह होंगे, जो मज़बूती से खड़ा रहता है। और तब आपको इस सवाल का जवाब मिलेगा: आखिर मैं हूँ कौन? (g11-E 10)
“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं
[फुटनोट]
a इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
[पेज 27 पर बक्स/तसवीरें]
आपके हमउम्र क्या कहते हैं
“जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ मैंने सीखा कि बात छोटी हो या बड़ी, मुझे सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए और उन कामों से दूर रहना चाहिए जिनसे परमेश्वर नाराज़ होता है।”
“जब मैं छोटी थी तो मुझे लगता था कि जो भी मेरी तरह नहीं है वह अजीब है। लेकिन अब मुझे यह जानकर अच्छा लगता है कि सभी इंसान एक-जैसे नहीं होते। और मैं दूसरों के नज़रिए को जानने में दिलचस्पी रखती हूँ।”
[तसवीरें]
जेरेमायाह
जेनिफर
[पेज 28 पर बक्स]
क्यों न आप अपने माता-पिता से पूछें?
आपको मुझमें कौन-से हुनर नज़र आते हैं? आपके हिसाब से मुझे किन आदतों को बदलने की ज़रूरत है? आपको कैसे यकीन हुआ कि परमेश्वर के स्तर सही हैं?
[पेज 26 पर रेखाचित्र]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
खूबियाँ
कमज़ोरियाँ
लक्ष्य
विश्वास
[पेज 28 पर तसवीर]
जब आपकी अपनी एक पहचान होती है तो आप उस पेड़ की तरह होते हैं जो भयंकर-से-भयंकर तूफान भी झेल जाता है