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  • जब मौत किसी अपने को हमसे जुदा कर दे
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2016 | अंक 3
    • एक लड़की रो रही है

      पहले पेज का विषय

      जब मौत किसी अपने को हमसे जुदा कर दे

      “मत रो, गुड़िया! . . .  ऊपरवाला जो करता है, वह अच्छे के लिए ही करता है।”

      बीनाa नाम की एक लड़की से किसी ने ये बात उस वक्‍त कही, जब उसके पिता की मौत हो गयी थी। उसके पिताजी एक कार दुर्घटना में गुज़र गए थे।

      यह बात उसके किसी जान-पहचानवाले ने दिलासा देने के लिए ही कही थी, लेकिन बीना को ऐसा लगा कि मानो उसे कोई तीर चुभो गया हो। बीना अपने पिता के बहुत करीब थी। वह अपने-आप से बार-बार यह कहती रही, “उनकी मौत से कुछ भी अच्छा नहीं हुआ।” इस घटना के सालों बाद बीना ने एक किताब में जिस तरह यह बात लिखी, उससे पता चलता है कि उसे अब भी इस बात का कितना दुख है।

      इससे हम समझ पाते हैं कि जब किसी की मौत हो जाती है, तो इस दुख से उबरने में बहुत वक्‍त लग सकता है, खासकर जब हम उस व्यक्‍ति के बहुत करीब होते हैं। पवित्र किताब बाइबल में एकदम सही कहा गया है कि मौत हमारी “दुश्‍मन” है। (1 कुरिंथियों 15:26) यह हमारी ज़िंदगी में अचानक से हमला बोल देती है, हम इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं होते हैं और यह आती है और हमारे किसी अपने को हमसे ज़बरदस्ती जुदा कर देती है। हममें से कोई भी इसके कहर से नहीं बच सकता। ऐसे वक्‍त पर हमें समझ में नहीं आता कि हम खुद को कैसे सँभालें।

      कभी-न-कभी शायद आपने भी यह सोचा हो कि कैसे कोई इस दुख से उबर सकता है? इस सदमे से बाहर आने में कितना वक्‍त लगता है? जो दुखी हैं, उन्हें मैं कैसे दिलासा दे सकता हूँ? क्या हम कभी उनसे दोबारा मिल सकते हैं, जो अब नहीं रहे? (w16-E No. 3)

      a कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

  • क्या रोना और दुखी होना गलत है?
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2016 | अंक 3
    • पहले पेज का विषय | जब मौत किसी अपने को हमसे जुदा कर दे

      क्या रोना और दुखी होना गलत है?

      क्या आप कभी बीमार हुए हैं? शायद आप इतनी जल्दी ठीक हो गए हों कि अब आपको वे दिन याद भी नहीं। लेकिन किसी की मौत होने पर जो दुख होता है, वह भुलाए नहीं भूलता। इस बारे में एक किताब में लिखा है कि हम कभी-भी इस दुख से उबर नहीं सकते। लेकिन जब अपनों का साथ हो, तो यह दुख काफी हद तक कम हो जाता है और वक्‍त भी हमारे घाव भर देता है।

      अब्राहम नाम के एक व्यक्‍ति को भी अपनी पत्नी सारा के गुज़र जाने के दुख से उबरने में काफी वक्‍त लगा। पवित्र शास्त्र में उसके बारे में लिखा है कि वह बहुत समय तक मातम मनाता रहा और खूब रोया।a और जब अब्राहम के पोते याकूब को यह बताया गया कि एक जंगली जानवर ने उसके बेटे यूसुफ को मार डाला है, तो वह भी कई दिनों तक रोता रहा। उसके परिवारवालों ने उसे दिलासा देने की लाख कोशिश की, लेकिन उसका दुख कम नहीं हुआ। कई सालों बाद भी उसे अपने बेटे की याद सताती रही।—उत्पत्ति 23:2; 37:34, 35; 42:36; 45:28.

      सारा की मौत हो गयी है और अब्राहम रो रहा है

      अब्राहम अपनी पत्नी सारा की मौत पर रो रहा है

      आज भी हमें अपनों से बिछड़ने के दुख से उबरने में बहुत वक्‍त लग जाता है। ज़रा इन दो उदाहरणों पर ध्यान दीजिए।

      • गीता, जिसकी उम्र 60 साल है, कहती है, ‘9 जुलाई, 2008 को मेरे पति रंजन की एक दुर्घटना में मौत हो गयी। रोज़ की तरह उस दिन भी काम पर निकलने से पहले उन्होंने मुझे गले से लगाया और कहा कि वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं। उन्हें गुज़रे छ: साल हो गए हैं, लेकिन आज भी मुझे उतना ही दुख होता है, जितना उस दिन हुआ था। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इस दुख से उबर पाऊँगी।’

      • अशोक, जिसकी उम्र 84 साल है, कहता है, “मेरे पत्नी को गुज़रे 18 साल बीत चुके हैं, लेकिन मुझे अब भी उसकी याद सताती है और बहुत दुख होता है। जब भी मैं आस-पास के नज़ारे में कुछ अच्छी चीज़ देखता हूँ, तब मुझे तुरंत उसका खयाल आता है और मैं यह सोचने लगता हूँ कि वह यहाँ होती, तो यह सब देखकर कितनी खुश होती।”

      यह सच है कि अपनों से बिछड़ने का गम हमें हर पल सताता है। हर इंसान अलग होता है, इसलिए हर कोई अलग-अलग तरीके से दुखी होता है और रोता है। हमें किसी पर सवाल नहीं उठाना चाहिए कि वह इस तरह से या इतना दुखी क्यों हो रहा है। उसी तरह अगर हम खुद हद-से-ज़्यादा दुखी हो जाएँ, तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं इतना दुखी क्यों हो रहा हूँ। तो फिर ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? (w16-E No. 3)

      a अब्राहम के बेटे इसहाक भी अपनी माँ के गुज़र जाने पर बहुत समय तक मातम मनाता रहा। पवित्र शास्त्र में लिखा है कि वह उसकी मौत के तीन साल बाद भी बहुत दुखी था।—उत्पत्ति 24:67.

  • अपनों से बिछड़ने के दुख का सामना करना
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2016 | अंक 3
    • पहले पेज का विषय | जब मौत किसी अपने को हमसे जुदा कर दे

      अपनों से बिछड़ने के दुख का सामना कीजिए

      जब अपनों से बिछड़ने के दुख का सामना करने की बात आती है, तो सभी सलाह देने आ जाते हैं। पर हरेक सलाह सबके मामले में ठीक नहीं बैठती। जैसे, कुछ शायद कहें, ‘आपको रोना नहीं चाहिए’ या ‘खुद को सँभालो, ज़्यादा दुखी मत हो।’ और कुछ शायद रोने और अपने मन की सारी बात बताने के लिए आप पर ज़ोर डालें। पर पवित्र शास्त्र में इस बारे में जो सलाह दी गयी है, उससे आज मनोवैज्ञानिक भी पूरी तरह सहमत हैं।

      कुछ देशों में लोगों का मानना है कि मर्द रोते नहीं। पर क्या सबके सामने रोना कोई शर्म की बात है? मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि दुखी होने पर आँखों में आँसू आ ही जाते हैं, इन्हें कोई रोक नहीं सकता। और समय के चलते ऐसा करने से हम अपने दुख से उबर पाते हैं। उलटा, आँसुओं को रोकने से हमारा नुकसान भी हो सकता है। पवित्र शास्त्र में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा कि आँसू बहाना मर्दानगी नहीं है। यीशु को ही लीजिए। जब उसके दोस्त लाज़र की मौत हुई, तो वह सबके सामने रो पड़ा, जबकि उसके पास मौत की नींद सो रहे लोगों को ज़िंदा करने की ताकत थी!—यूहन्‍ना 11:33-35.

      कई बार दुख के साथ-साथ हमें गुस्सा भी आता है, खासकर जब कोई अपना अचानक गुज़र जाए। इसकी कई वजह हैं। जैसे, अगर कोई ऐसा व्यक्‍ति जिसकी हम बहुत इज़्ज़त करते हैं, सोचे-समझे बगैर कुछ कह दे, तो शायद हमें गुस्सा आ सकता है। दक्षिण अफ्रीका में रहनेवाला माइक नाम का एक आदमी बताता है, “जब मेरे पिता की मौत हुई, तब मैं सिर्फ 14 साल का था। उस वक्‍त एक पादरी ने कहा कि ईश्‍वर को अच्छे लोगों की ज़रूरत है, इसलिए वह उन्हें अपने पास बुला लेता है।a यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया, क्योंकि अपने पिता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत हमें थी। आज उस बात को हुए 63 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी मुझे उस बारे में सोचकर बहुत दुख होता है।”

      कुछ लोग किसी की मौत के लिए खुद को कसूरवार मानने लगते हैं। खासकर जब यह सब कुछ अचानक हो जाए, तो कुछ लोग यह सोचने लगते हैं, ‘काश मैंने ऐसा कर लिया होता, तो वह आज हमारे बीच होता।’ या फिर हो सकता है कि जब आप दोनों के बीच आखिरी बार बात हुई थी, तो बहस हो गयी थी और इस वजह से आपको और भी बुरा लग रहा है।

      अगर आपको बार-बार गुस्सा आ रहा है या फिर आप खुद को कसूरवार मान रहे हैं, तो ऐसी बातों को अपने दिल में मत रखिए। हो सके तो ऐसे किसी दोस्त से बात कीजिए, जो आपकी सुने और आपको यह यकीन दिलाए कि हर किसी के मन में ऐसी सोच कभी-न-कभी आ ही जाती है। पवित्र शास्त्र में भी यही सलाह दी गयी है, “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।”—नीतिवचन 17:17.

      हमारा सबसे अच्छा दोस्त यहोवा परमेश्‍वर हो सकता है, जो हमारे दुखी मन को दिलासा देता है। (पवित्र शास्त्र के मुताबिक परमेश्‍वर का नाम यहोवा है।) यहोवा को अपने मन की सारी बात बताइए, क्योंकि ‘उसे आपकी परवाह है।’ (1 पतरस 5:7) वह वादा करता है कि अगर हम उससे प्रार्थना करें, तो वह हमें ऐसी शांति देगा, “जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है।” (फिलिप्पियों 4:6, 7) प्रार्थना के अलावा परमेश्‍वर हमें पवित्र शास्त्र से भी दिलासा देता है। आप शास्त्र की कुछ आयतें लिखकर रख सकते हैं, जिनसे आपको तसल्ली मिलती है। (यहाँ दिया बक्स देखिए।) आप वे आयतें मुँह-ज़ुबानी याद कर सकते हैं, ताकि जब आप दुखी हों खासकर रात के वक्‍त अकेले में और जब नींद न आए, तो इन आयतों से आपको तसल्ली मिलेगी।—यशायाह 57:15.

      हाल ही में 40 साल के जय ने अपनी पत्नी को खो दिया। उसकी पत्नी की मौत कैंसर की वजह से हुई। जय कहता है कि कई बार वह अपने-आपको बहुत अकेला पाता है। लेकिन उस दौरान प्रार्थना करने से उसे राहत मिलती है। वह बताता है, “जब मैं यहोवा से प्रार्थना करता हूँ, तो मुझे लगता है कि मैं अकेला नहीं हूँ। कई बार रात को मेरी नींद टूट जाती है और फिर मैं सो नहीं पाता। लेकिन जब मैं शास्त्र से दिलासा देनेवाली आयतें पढ़ता हूँ और उनके बारे में सोचता हूँ और फिर प्रार्थना करता हूँ, तो धीरे-धीरे मेरा मन शांत होने लगता है और मुझे नींद आ जाती है।”

      वनेसा की माँ बहुत बीमार थी और फिर उसकी मौत हो गयी। वनेसा कहती है, “जब मुझे माँ की याद सताने लगती, तो मैं परमेश्‍वर का नाम लेती और फिर खूब रोती। यहोवा ने हर बार मेरी प्रार्थनाएँ सुनीं और मुझे हिम्मत दी।”

      कुछ सलाहकार यह सुझाव देते हैं कि जो इस दुख से गुज़र रहे हैं, उन्हें दूसरों की मदद करनी चाहिए या समाज-सेवा करनी चाहिए। इससे उनका दुख कुछ हद तक कम होगा और उन्हें खुशी भी मिलेगी। (प्रेषितों 20:35) कई मसीहियों का कहना है कि दूसरों की मदद करने से उन्हें बहुत तसल्ली मिली है।—2 कुरिंथियों 1:3, 4. (w16-E No. 3)

      a यह पवित्र शास्त्र की शिक्षा नहीं है। शास्त्र में बताया गया है कि इंसानों की मौत क्यों होती है।—सभोपदेशक 9:11; यूहन्‍ना 8:44; रोमियों 5:12.

      दिलासा देनेवाली आयतें

      • ईश्‍वर आपका दुख समझता है।—भजन 55:22; 1 पतरस 5:7.

      • ईश्‍वर प्रार्थनाओं को ध्यान से सुनता है।—भजन 86: 5; 1 थिस्सलुनीकियों 5:17.

      • ईश्‍वर उन सबको हर पल याद करता है, जो अब नहीं रहे।—अय्यूब 14:13-15.

      • ईश्‍वर उन्हें ज़िंदा करने का वादा करता है।—यशायाह 26:19; यूहन्‍ना 5:28, 29.

  • जो अपनों से बिछड़ गए हैं, उन्हें दिलासा दीजिए
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2016 | अंक 3
    • पहले पेज का विषय | जब मौत किसी अपने को हमसे जुदा कर दे

      जो अपनों से बिछड़ गए हैं, उन्हें दिलासा दीजिए

      एक पिता और उसका बेटा कब्रिस्तान जा रहे हैं

      ज़रा उस वक्‍त के बारे में सोचिए, जब आपके किसी जान-पहचानवाले ने अपने किसी अज़ीज़ को खो दिया था। तब क्या आपको लगा था कि मैं उसे दिलासा कैसे दूँ? कई बार हमें समझ में नहीं आता कि हमें क्या करना चाहिए और हम बिना कुछ कहे या किए वहाँ से चले आते हैं। इस लेख में ऐसी कुछ बातें बतायी गयी हैं, जिनसे हम उन्हें तसल्ली दे सकते हैं।

      अकसर आपका वहाँ मौजूद होना ही अपने-आप बहुत कुछ कर जाता है। कुछ देशों में लोग दुखी व्यक्‍ति को गले लगाकर, कंधे पर हाथ रखकर या हाथ पकड़कर या कुछ ऐसा कहकर हमदर्दी जताते हैं, ‘मुझे इस बात का बहुत दुख है।’ अगर दुखी व्यक्‍ति बात करना चाहता है, तो उसकी ध्यान से सुनिए। सबसे अच्छा होगा कि हम उस दुखी परिवार के लिए कुछ करें। हम कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो वे इस हालत में नहीं कर पा रहे हैं। जैसे, खाना बनाना, बच्चों की देखभाल करना या फिर अगर वे चाहें, तो हम अंतिम संस्कार या दफनाने के इंतज़ाम में मदद कर सकते हैं। इस तरह उनकी मदद करने से हमारे कुछ न कहने पर भी वे समझ जाएँगे कि हमें उनकी परवाह है।

      कुछ समय बाद शायद आप उनसे उस व्यक्‍ति के बारे में बात कर सकते हैं, जिसकी मौत हुई है। जैसे, उसके कुछ अच्छे गुणों के बारे में या उसके साथ बिताए खुशी के कुछ पलों के बारे में। इस तरह की बातें करने से दुखी व्यक्‍ति के चेहरे पर मुसकान आ सकती है। पैम, जिसने अपने पति इयन को 6 साल पहले खो दिया, कहती है, “कभी-कभार लोग मुझे इयन के बारे में कुछ ऐसी बातें बताते हैं, जिनके बारे में मुझे मालूम ही नहीं था और अब उस बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगता है।”

      एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे मौकों पर शुरूआत में तो उनके दोस्त उनसे बहुत प्यार और हमदर्दी जताते हैं, लेकिन कुछ ही समय बाद वे अपने-अपने काम में लग जाते हैं और भूल जाते हैं कि उन्हें अब भी सहारे की ज़रूरत है। इसलिए समय-समय पर उनसे मिलते रहिए या बातचीत करते रहिए।a वे इसकी बहुत कदर करते हैं, क्योंकि इससे वे अपना मन हलका कर पाते हैं।

      काओरी नाम की एक जापानी लड़की पर ध्यान दीजिए। पहले उसकी माँ गुज़र गयी, फिर उसके 15 पंद्रह महीने बाद उसकी बड़ी बहन। लेकिन इस दौरान उसके दोस्तों ने उसका साथ नहीं छोड़ा। वह अपनी एक खास सहेली रीतसुको का ज़िक्र करती है, जो उससे उम्र में काफी बड़ी है। जब रीतसुको ने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया, तो उसे कैसा लगा? इस बारे में वह कहती है, “सच कहूँ तो मुझे अच्छा नहीं लगा। मैं किसी और को माँ का दर्जा नहीं दे सकती थी और न ही मुझे ऐसा लगा कि कोई उसकी जगह ले सकता है। लेकिन रीतसुको ने मुझसे इतना प्यार किया कि उन्होंने मेरी माँ की कमी पूरी कर दी। और मैं न चाहकर भी उनके करीब आती चली गयी। हर हफ्ते हम साथ प्रचार करने के लिए जाते और सभाओं में भी साथ जाते। उन्होंने मुझे अपने घर चाय पर बुलाया, खाने पर बुलाया और कई बार मुझे चिट्ठियाँ लिखीं और कार्ड भी भेजे। उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और मुझे दिलासा देने की हर मुमकिन कोशिश की, जिससे मैं इस दुख का सामना कर पायी।”

      काओरी की माँ को गुज़रे 12 साल बीत चुके हैं। आज काओरी और उसके पति पूरे समय की सेवा कर रहे हैं। काओरी कहती है, “रीतसुको अब भी मेरी परवाह करती हैं। जब भी मैं घर जाती हूँ, मैं हमेशा उनसे मिलती हूँ और उनसे मिलकर मेरा हौसला बढ़ता है।”

      अब ज़रा पॉली पर ध्यान दीजिए। उसके पति के गुज़र जाने पर उसके दोस्तों ने उसका साथ नहीं छोड़ा। पॉली यहोवा की साक्षी है। वह पहले साइप्रस में रहती थी। उसके पति सॉज़ोस बहुत ही दयालु थे। वह अकसर ऐसे लोगों को अपने घर पर खाने के लिए बुलाते थे, जिनके साथी या फिर जिनके माँ-बाप गुज़र गए हों। (याकूब 1:27) दुख की बात है कि 53 साल की उम्र में सॉज़ोस के दिमाग में गाँठ हो गयी, जिस वजह से उनकी मौत हो गयी। अपने पति से बिछड़ने के गम को वह कुछ इस तरह बयान करती है, “मैंने अपने प्यारे पति को खो दिया, जिनके साथ मैंने 33 साल गुज़ारे थे।”

      एक पति-पत्नी एक आदमी और उसके बेटे के लिए खाना लाए हैं

      सोचिए कि आप कैसे उनकी मदद कर सकते हैं, जो दुखी हैं

      उनकी मौत के बाद पॉली अपने सबसे छोटे बेटे डैनियेल के साथ कनाडा जाकर बस गयी। उस वक्‍त डैनियेल 15 साल का था। वे वहाँ भी यहोवा के साक्षियों की सभाओं में जाते रहे। कनाडा में अपने शुरूआती दिनों के बारे में पॉली बताती है, “वहाँ सभा में लोगों को हमारे बारे में कुछ पता नहीं था। उन्हें नहीं मालूम था कि हम पर क्या बीती है। लेकिन वे अपने प्यार-भरे शब्दों से और दूसरे तरीकों से हमारा हौसला बढ़ाते रहे। हम उनके बहुत शुक्रगुज़ार हैं। जब डैनियेल को पापा के प्यार की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, तो कुछ यहोवा के साक्षियों ने उसे वही प्यार दिया और उससे दोस्ती की। उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि जब वे अपने दोस्तों के साथ वक्‍त बिताएँ या खेलने जाएँ, तो डैनियेल को भी साथ लेकर जाएँ।” आज पॉली और डैनियेल खुश हैं।

      आज जिन्हें अपनों से बिछड़ जाने का गम है, उन्हें हम कई तरीकों से दिलासा दे सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, पवित्र शास्त्र में एक बढ़िया बात बतायी गयी है, जिससे हमें बहुत दिलासा मिलता है। (w16-E No. 3)

      a कुछ लोग अपने कैलेंडर में उस तारीख पर निशान लगा देते हैं, ताकि वे उस दिन या उस तारीख के आस-पास उन्हें दिलासा दे सकें।

  • जो अब नहीं रहे, उन्हें ज़िंदा किया जाएगा!
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2016 | अंक 3
    • पहले पेज का विषय | जब मौत किसी अपने को हमसे जुदा कर दे

      जो अब नहीं रहे, उन्हें ज़िंदा किया जाएगा!

      हमने पहले गीता नाम की स्त्री का ज़िक्र किया था, जिसके पति रंजन की मौत हो गयी थी। उसे लगता है कि वह कभी इस दुख से उबर नहीं पाएगी। लेकिन उसे यह उम्मीद ज़रूर है कि एक दिन वह अपने पति से दोबारा मिलेगी। परमेश्‍वर ने वादा किया है कि बहुत जल्द एक ऐसा वक्‍त आएगा, जब वह इस धरती को एक खूबसूरत बगीचे जैसा बना देगा। उस समय के बारे में पवित्र शास्त्र में बताया गया है, ‘परमेश्‍वर इंसानों की आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।’ (प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) गीता को यह बात बहुत अच्छी लगती है।

      वह कहती है, “इस वादे से एक इंसान को दिलासा मिलता है और आस होती है। जब मैं ऐसे लोगों के बारे में सोचती हूँ, जिन्हें ये मालूम ही नहीं कि उनके अपने जो अब नहीं रहे, ज़िंदा किए जाएँगे और वे उनसे दोबारा मिल सकेंगे, तो मेरा मन करता है कि मैं उन्हें इस बारे में बताऊँ।” गीता जैसे सोचती है, वैसे करती भी है। वह हर महीने लोगों को परमेश्‍वर के वादों के बारे में बताने में करीब 70 घंटे बिताती है।

      अय्यूब के शरीर पर फोड़े हैं

      अय्यूब को पूरा यकीन था कि उसे ज़िंदा किया जाएगा

      आप शायद कहें कि जो नहीं रहे, वे ज़िंदा हो ही नहीं सकते! लेकिन ध्यान दीजिए कि यह वादा खुद परमेश्‍वर ने किया है। ज़रा अय्यूब नाम के एक व्यक्‍ति की मिसाल लीजिए। उसे परमेश्‍वर पर बहुत विश्‍वास था। उसने कहा कि परमेश्‍वर अपने सेवकों को दोबारा ज़िंदा करने के लिए तरस रहा है। (अय्यूब 14:13, 15) उसके जीवन में एक वक्‍त ऐसा आया था, जब उसने अपने लिए दुआ माँगी कि वह मर जाए, क्योंकि वह बहुत बीमार था। (अय्यूब 2:7) लेकिन उसे पूरा यकीन था कि उसके न रहने पर परमेश्‍वर उसे हर पल याद करेगा। उसे भरोसा था कि परमेश्‍वर उसे फिर से जी उठाएगा। इसलिए उसने कहा कि जब परमेश्‍वर उसे पुकारेगा, तो वह जवाब देगा।

      बहुत जल्द परमेश्‍वर इस धरती को एक खूबसूरत बगीचा बनाएगा, तब वह न सिर्फ अपने भक्‍त अय्यूब को, बल्कि अनगिनत लोगों को दोबारा ज़िंदा करेगा। (लूका 23:42, 43) पवित्र शास्त्र में लिखा है, “लोग मरे हुओं में से जी उठेंगे।” (प्रेषितों 24:15) परमेश्‍वर के बेटे यीशु ने भी कहा था, “इस बात पर ताज्जुब मत करो, क्योंकि वह वक्‍त आ रहा है जब वे सभी जो स्मारक कब्रों में हैं उसकी आवाज़ सुनेंगे और बाहर निकल आएँगे।” (यूहन्‍ना 5:28, 29) अय्यूब इस वादे को पूरा होते हुए देखेगा। जब उसे ज़िंदा किया जाएगा, तो ‘उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएँगे’ और उसकी त्वचा बच्चे की त्वचा जैसी कोमल हो जाएगी। (अय्यूब 33:24, 25) जो परमेश्‍वर के इस वादे पर विश्‍वास करते हैं, वे भी अय्यूब की तरह इसे पूरा होते हुए देखेंगे।

      अगर आपने भी किसी अपने को खोया है, तो अब तक आपने जो भी पढ़ा है, उससे आपका दुख मिट तो नहीं हो जाएगा, लेकिन जब आप पवित्र शास्त्र में दिए परमेश्‍वर के वादों के बारे में सोचेंगे, तो आपको अपने अज़ीज़ से दोबारा मिलने की उम्मीद होगी और ज़िंदगी की राह में चलने के लिए हिम्मत मिलेगी।—1 थिस्सलुनीकियों 4:13.

      क्या आप इस बारे में और जानना चाहेंगे? या फिर अगर आपके मन में कुछ और सवाल हैं, जैसे “परमेश्‍वर ने बुराई और दुख-तकलीफें क्यों रहने दीं?”, तो हमारी वेबसाइट jw.org पर जाइए और इस तरह के सवालों के पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए। ▪ (w16-E No. 3)

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