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  • ‘मुझे इतना अच्छा तोहफा आज तक नहीं मिला!’
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2017 | अंक 6
    • एक लड़की की गोद में पिल्ला है, एक औरत कंप्यूटर लेकर बैठी हुई है और एक आदमी के पास हाथ से बना कार्ड है, जो उसे शादी की सालगिरह पर मिला है

      पहले पेज का विषय | सबसे बढ़िया तोहफा कौन-सा है?

      ‘मुझे इतना अच्छा तोहफा आज तक नहीं मिला!’

      जब तेरह साल की एक लड़की को तोहफे में एक पिल्ला मिला, तो उसने कहा, ‘मुझे इतना अच्छा तोहफा आज तक नहीं मिला!’ एक औरत ने, जो बिज़नेस में कामयाब है, कहा कि जब वह हाई-स्कूल में थी, तब उसके पिता ने उसे एक कंप्यूटर तोहफे में दिया था और इससे उसकी ज़िंदगी बदल गयी। जब एक नए शादीशुदा आदमी को उसकी पत्नी ने उनकी पहली सालगिरह पर अपने हाथों से कार्ड बनाकर दिया, तो उसने कहा कि यह उसकी ज़िंदगी का सबसे बढ़िया तोहफा है।

      लोग अपने दोस्तों या रिश्‍तेदारों को किसी खास मौके पर ऐसा तोहफा देना चाहते हैं, जो सबसे अच्छा हो। इस तरह का तोहफा ढूँढ़ने में वे हर साल काफी मेहनत करते हैं। हम सब चाहते हैं कि जब हम किसी को कोई तोहफा दें, तो वह वही बात कहे जो इस लेख की शुरूआत में कही गयी है। तो क्या आप ऐसा तोहफा देना या पाना चाहेंगे, जिससे दिल खुश हो जाए?

      बेशक हर कोई ऐसा तोहफा देना या पाना चाहेगा, क्योंकि अच्छा तोहफा पानेवाले को तो खुशी होती ही है, साथ ही देनेवाले को भी खुशी होती है। तभी तो पवित्र शास्त्र बाइबल में लिखा है, “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” (प्रेषितों 20:35) तोहफा देनेवाले को तब और भी ज़्यादा खुशी होती है, जब तोहफा पानेवाला उसकी कदर करता है।

      हम दूसरों को ऐसा तोहफा कैसे दे सकते हैं, जिससे हमें और उन्हें भी खुशी मिले? हो सकता है कि हम किसी को सबसे बढ़िया तोहफा न दे पाएँ, फिर भी हम क्या कर सकते हैं कि वह हमारे तोहफे की कदर करे?

  • सबसे अच्छे तोहफे की तलाश
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2017 | अंक 6
    • तरह-तरह के तोहफे

      पहले पेज का विषय | सबसे बढ़िया तोहफा कौन-सा है?

      सबसे अच्छे तोहफे की तलाश

      एक अच्छा तोहफा ढूँढ़ना आसान नहीं है और फिर एक तोहफा कितना बढ़िया है, यह तो पानेवाला ही तय करता है। जो तोहफा किसी एक को पसंद आए, ज़रूरी नहीं कि वह दूसरे को भी पसंद आए।

      उदाहरण के लिए, शायद एक नौजवान को लगे कि उसके लिए सबसे अच्छा तोहफा बाज़ार में आया नए किस्म का मोबाइल है। वहीं शायद एक आदमी कोई पुश्‍तैनी चीज़ पाकर बहुत खुश हो जाए, क्योंकि वह उसके लिए बहुत मायने रखती है। कुछ देशों में जवान और बुज़ुर्ग दोनों का मनपसंद तोहफा पैसा होता है, क्योंकि इसका वे जैसे चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं।

      अच्छा तोहफा ढूँढ़ना मुश्‍किल होने के बावजूद लोग अपने किसी अज़ीज़ के लिए एक ऐसा तोहफा तलाशते हैं, जो उसके लिए एकदम सही हो। माना कि इस तरह का तोहफा ढूँढ़ पाना हमेशा मुमकिन नहीं होता, फिर भी अगर आप कुछ बातों को ध्यान में रखें, तो एक अच्छा तोहफा ढूँढ़ने में आसानी होगी। आइए ऐसी चार बातें देखें, जिन्हें ध्यान में रखने से हम दूसरों को वह तोहफा दे सकते हैं जिससे उन्हें खुशी होगी।

      तोहफा पानेवाले की चाहत। उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट शहर में रहनेवाला एक आदमी बताता है कि जब वह 10-11 साल का था, तो उसे गियर वाली साइकिल तोहफे में मिली थी। उसने कहा कि यह उसकी ज़िंदगी का सबसे अच्छा तोहफा था। क्यों? वह कहता है, “क्योंकि मेरा बहुत मन था कि मुझे वह मिल जाए।” उसकी बात से पता चलता है कि एक व्यक्‍ति किसी तोहफे की कदर करेगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि उस चीज़ को पाने की उसे कितनी इच्छा है। तो आप जिसे तोहफा देना चाहते हैं, उसके बारे में सोचिए। यह जानने की कोशिश कीजिए कि उसके लिए कौन-सी चीज़ मायने रखती है, क्योंकि एक व्यक्‍ति जिस चीज़ की कदर करता है, वह वही पाना चाहेगा। जैसे, बुज़ुर्ग लोगों के लिए परिवार का साथ बहुत मायने रखता है। उनका मन करता है कि उनके बच्चे और नाती-पोते उनके साथ ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त बिताएँ। इस वजह से अगर परिवार के लोग उनके साथ मिलकर छुट्टियाँ बिताएँ, तो शायद उनके लिए यही सबसे बढ़िया तोहफा होगा।

      एक व्यक्‍ति क्या चाहता है, यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है, उसकी बातें ध्यान से सुनना। पवित्र शास्त्र में लिखा है, “हर कोई सुनने में फुर्ती करे, बोलने में उतावली न करे।” (याकूब 1:19) अपने दोस्तों या रिश्‍तेदारों से बातचीत करते वक्‍त उनकी ध्यान से सुनिए, इससे आप उनकी पसंद-नापसंद जान पाएँगे। फिर आप उन्हें ऐसा तोहफा दे पाएँगे, जो उन्हें अच्छा लगेगा।

      तोहफा पानेवाले की ज़रूरतें। अगर एक तोहफे से किसी की कोई ज़रूरत पूरी होती है, तो वह उसकी बहुत कदर करेगा, फिर चाहे वह तोहफा मामूली क्यों न हो। पर हम किसी की ज़रूरत के बारे में कैसे जान सकते हैं?

      कई लोगों को लगता है कि इसका सबसे आसान तरीका है, उस व्यक्‍ति से पूछना कि उसे किस चीज़ की ज़रूरत है या वह क्या चाहता है। लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि किसी को उसकी ज़रूरत की चीज़ अचानक तोहफे में देने में जो मज़ा है, वह पूछकर देने में नहीं आएगा। कई बार ऐसा भी होता है कि लोग अपनी पसंद-नापसंद के बारे में तो खुलकर बात करते हैं, पर वे दूसरों को कभी नहीं बताते कि उन्हें किस चीज़ की ज़रूरत है।

      ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? आप जिसे तोहफा देना चाहते हैं, उसके हालात पर ध्यान दीजिए। जैसे, क्या वह जवान है या बुज़ुर्ग, अविवाहित है या शादीशुदा? क्या उसका तलाक हुआ है? क्या उसके साथी की मौत हो गयी है? या क्या वह रिटायर हो चुका है? फिर सोचिए कि इस तरह के व्यक्‍ति को आम तौर पर किस चीज़ की ज़रूरत होती है।

      आप जिसे तोहफा देना चाहते हैं, उसकी ज़रूरत जानने के लिए उन लोगों से बात कीजिए, जो उसके जैसे हालात का सामना कर चुके हैं या कर रहे हैं। वे शायद आपको वे बातें बताएँ, जो आम तौर पर लोगों को नहीं पता होतीं। तब शायद आप उन्हें ज़रूरत की कोई ऐसी चीज़ दे पाएँगे, जिसके बारे में दूसरों ने नहीं सोचा होगा।

      सही वक्‍त। पवित्र शास्त्र में लिखा है, “सही वक्‍त पर कही गयी बात क्या खूब होती है!” (नीतिवचन 15:23) सच में, सही वक्‍त पर कही गयी बात बहुत मायने रखती है। हमारे कामों के बारे में भी यही कहा जा सकता है। जैसे सही वक्‍त पर कही गयी बात सुननेवाले को भा जाती है, वैसे ही सही वक्‍त या मौके पर दिया गया तोहफा एक व्यक्‍ति का दिल खुश कर सकता है।

      कुछ लोग साल-भर में होनेवाले खास मौकों को लिखकर रखते हैं। जैसे, दोस्त की शादी कब होनेवाली है, एक नौजवान स्कूल की पढ़ाई कब पूरी करनेवाला है, फलाँ रिश्‍तेदार के यहाँ कब बच्चा होनेवाला है। इस तरह वे पहले से सोच पाते हैं कि किस मौके पर कौन-सा तोहफा देना सही रहेगा।a

      बेशक यह ज़रूरी नहीं कि आप सिर्फ खास मौकों पर ही लोगों को तोहफे दें, आप किसी भी वक्‍त ऐसा करके वह खुशी पा सकते हैं, जो देने से मिलती है। लेकिन तोहफा देने के मामले में हमें थोड़ा सावधान रहना चाहिए। अगर एक आदमी किसी औरत को यूँ ही तोहफा देता है, तो उस औरत को लग सकता है कि उस आदमी को उसमें दिलचस्पी है और उससे नज़दीकियाँ बढ़ाना चाहता है। अगर ऐसा कोई इरादा नहीं है, तो तोहफा देने से गलतफहमी पैदा हो सकती है या बेवजह समस्या खड़ी हो सकती है। यह बात एक और पहलू पर हमारा ध्यान ले जाती है, वह है तोहफा देनेवाले के इरादे।

      तोहफा देनेवाले के इरादे। जैसे हमने देखा, किसी को तोहफा देने से पहले यह सोचना अच्छा होता है कि कहीं वह हमारे इरादों को गलत न समझ बैठे। वहीं हमें भी यह सोचना चाहिए कि हम क्यों किसी को तोहफा दे रहे हैं। वैसे तो तोहफा देनेवाले ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि वे नेक इरादे से दे रहे हैं, लेकिन असल में कई बार लोग खास मौकों पर बस इसलिए तोहफा देते हैं कि उनसे इसकी उम्मीद की जाती है। कुछ लोग इस इरादे से किसी को तोहफा देते हैं कि वह उनसे अच्छी तरह पेश आएगा या बदले में उन्हें भी कुछ मिलेगा।

      तो फिर आप कैसे जान सकते हैं कि आपके इरादे नेक हैं या नहीं? पवित्र शास्त्र में लिखा है, “तुम्हारे बीच सारे काम प्यार से किए जाएँ।” (1 कुरिंथियों 16:14) अगर आप किसी को प्यार की वजह से तोहफा देते हैं, तो उसे तोहफा पाकर ज़रूर खुशी होगी और इस तरह उदार होने से आपको और भी ज़्यादा खुशी होगी। जब आप सच्चे मन से किसी को कुछ देते हैं, तो परमेश्‍वर का भी दिल खुश होता है। ऐसा ही कुछ प्राचीन कुरिंथ शहर के मसीहियों ने किया था। पहली सदी में इन मसीहियों ने मुसीबत की घड़ी में यहूदिया के मसीहियों की मदद की थी, इसलिए यीशु के एक शिष्य पौलुस ने कुरिंथ के मसीहियों की तारीफ की और उनसे कहा, “परमेश्‍वर खुशी-खुशी देनेवाले से प्यार करता है।”—2 कुरिंथियों 9:7.

      हमने जिन बातों पर गौर किया, उन्हें ध्यान में रखकर किसी को तोहफा देने से हम उसका दिल खुश कर सकते हैं। दरअसल परमेश्‍वर ने भी इस तरह की कई बातों को ध्यान में रखकर इंसानों को ऐसा तोहफा दिया, जो अब तक का सबसे बढ़िया तोहफा है। क्या आप जानना चाहेंगे कि वह बेमिसाल तोहफा क्या है? क्यों न अगला लेख पढ़ें!

      a कई लोग जन्मदिन या त्योहारों वगैरह पर भी दूसरों को तोहफे देते हैं। लेकिन अकसर इन मौकों पर ऐसे रीति-रिवाज़ माने जाते हैं, जो पवित्र शास्त्र बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ हैं। इस पत्रिका में दिया लेख, “आपके सवाल—क्या मसीहियों को क्रिसमस मनाना चाहिए?” पढ़िए।

  • सबसे बढ़िया तोहफा कौन-सा है?
    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए)—2017 | अंक 6
    • खूबसूरत धरती पर अलग-अलग परिवार के लोग

      हमेशा की ज़िंदगी देनेवाला फिरौती बलिदान परमेश्‍वर का सबसे बढ़िया तोहफा

      पहले पेज का विषय | सबसे बढ़िया तोहफा कौन-सा है?

      सबसे बढ़िया तोहफा कौन-सा है?

      “हर अच्छा तोहफा और हर उत्तम देन ऊपर से मिलती है यानी आकाश की ज्योतियों के पिता की तरफ से।” (याकूब 1:17) शास्त्र की इस बात से पता चलता है कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता, परमेश्‍वर यहोवा कितना उदार है। (बाइबल के मुताबिक यहोवा, परमेश्‍वर का नाम है।) वैसे तो परमेश्‍वर ने इंसानों को बहुत-से तोहफे दिए हैं, लेकिन एक तोहफा सबसे बढ़कर है। वह कौन-सा तोहफा है? यीशु ने बताया, “परमेश्‍वर ने दुनिया से इतना प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न किया जाए बल्कि हमेशा की ज़िंदगी पाए।”—यूहन्‍ना 3:16.

      परमेश्‍वर ने अपना इकलौता बेटा दे दिया। यह वाकई इंसानों को मिला सबसे बढ़िया तोहफा है, क्योंकि इससे हमें पाप, बुढ़ापे और मौत से छुटकारा मिल सकता है। (भजन 51:5; यूहन्‍ना 8:34) इंसान अपने बलबूते इन सबके चंगुल से खुद को कभी नहीं छुड़ा सकता। लेकिन परमेश्‍वर को हमसे बेहद प्यार है, इसलिए उसने हमें छुड़ाने का इंतज़ाम किया। उसने अपने इकलौते बेटे यीशु मसीह की कुरबानी देकर फिरौती दी, ताकि नेक इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी मिल सके। लेकिन फिरौती क्या है? फिरौती देना ज़रूरी क्यों था? हम इससे फायदा कैसे पा सकते हैं?

      फिरौती वह कीमत है, जो किसी को छुड़ाने के लिए या गँवायी हुई चीज़ वापस पाने के लिए दी जाती है। पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि जब सबसे पहले स्त्री-पुरुष यानी आदम और हव्वा को बनाया गया था, तो उनमें कोई पाप या खोट नहीं था, वे परिपूर्ण थे। वे अपने बच्चों के साथ इस खूबसूरत धरती पर हमेशा जी सकते थे। (उत्पत्ति 1:26-28) लेकिन अफसोस उन्होंने परमेश्‍वर की आज्ञा नहीं मानी। इस तरह वे पापी हो गए और उन्होंने धरती पर हमेशा जीने का मौका गँवा दिया। शास्त्र में लिखा है, “एक आदमी से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी और इस तरह मौत सब इंसानों में फैल गयी क्योंकि सबने पाप किया।” (रोमियों 5:12) आदम ने अपने बच्चों को विरासत में परिपूर्ण जीवन देने के बजाय पाप और मौत दी।

      फिरौती में दी जानेवाली रकम उस चीज़ के बराबर होनी चाहिए, जो गँवा दी गयी है। जब आदम ने जानबूझकर परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ी, तो यह बहुत बड़ा पाप था। नतीजा यह हुआ कि उसने परिपूर्ण जीवन गँवा दिया। उसने अपनी संतानों को मानो पाप और मौत की गुलामी में बेच दिया। इस गुलामी से उन्हें छुड़ाने के लिए एक परिपूर्ण जीवन की कुरबानी दी जानी थी। (रोमियों 5:19; इफिसियों 1:7) इसके लिए परमेश्‍वर ने अपने परिपूर्ण बेटे यीशु को चुना। अपने इस बेटे की कुरबानी देकर परमेश्‍वर ने हम सबकी खातिर फिरौती की रकम चुकायी, ताकि हमें खूबसूरत धरती पर हमेशा जीने का मौका मिले, जो आदम और हव्वा ने गँवा दिया था। कितना प्यार है परमेश्‍वर को हमसे!—प्रकाशितवाक्य 21:3-5.

      फिरौती की वजह से इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है। क्या आपको नहीं लगता कि परमेश्‍वर से मिला यह तोहफा दुनिया का सबसे बढ़िया तोहफा है? आइए देखें कि पिछले लेख में हमने अच्छे तोहफे की जिन चार खासियतों पर चर्चा की थी, वह सब फिरौती के मामले में कैसे सच साबित होती हैं। इससे हम समझ पाएँगे कि यह कितना बढ़िया तोहफा है।

      यह हमारी चाहत पूरी करता है। कोई भी इंसान मरना नहीं चाहता, बल्कि जीना चाहता है। (सभोपदेशक 3:11) इंसान अपनी यह चाहत अपने आप कभी नहीं पूरी कर सकता, लेकिन फिरौती बलिदान की वजह से यह चाहत पूरी हो सकती है। पवित्र शास्त्र में लिखा है, “पाप जो मज़दूरी देता है वह मौत है, मगर परमेश्‍वर जो तोहफा देता है वह हमारे प्रभु मसीह यीशु के ज़रिए हमेशा की ज़िंदगी है।”—रोमियों 6:23.

      यह हमारी ज़रूरतें पूरी करता है। पाप और मौत की गुलामी से आज़ाद होने के लिए हम इंसान फिरौती नहीं दे सकते, क्योंकि जैसे शास्त्र में लिखा है, ‘इंसान की जान की फिरौती की कीमत इतनी ज़्यादा है कि वे उसे कभी नहीं चुका सकते।’ (भजन 49:8) हमें परमेश्‍वर की मदद चाहिए थी और परमेश्‍वर ने हमारी मदद की। उसने ठीक वही किया, जिसकी हमें ज़रूरत थी। उसने हमें छुड़ाने के लिए मसीह यीशु के ज़रिए “फिरौती का दाम दिया।”—रोमियों 3:23, 24.

      एकदम सही वक्‍त पर दिया गया। पवित्र शास्त्र कहता है, “जब हम पापी ही थे, तब मसीह हमारे लिए मरा।” (रोमियों 5:8) जी हाँ, यह फिरौती तब दी गयी, “जब हम पापी ही थे।” इससे पता चलता है कि हमारे पापी होने के बावजूद परमेश्‍वर हमसे कितना प्यार करता है। भले ही आज हमें पाप के बुरे अंजाम भुगतने पड़ रहे हैं, लेकिन फिरौती की बदौलत हम भविष्य में एक खुशहाल ज़िंदगी पाने की आशा रख सकते हैं।

      नेक इरादे से दिया गया। शास्त्र से पता चलता है कि किस बात ने परमेश्‍वर को अपने बेटे की कुरबानी देने के लिए उभारा। इसमें लिखा है, “हमारे मामले में परमेश्‍वर का प्यार इस बात से ज़ाहिर हुआ कि परमेश्‍वर ने अपना इकलौता बेटा दुनिया में भेजा ताकि हम उसके ज़रिए जीवन पाएँ। ऐसा नहीं कि हमने परमेश्‍वर से प्यार किया था और बदले में उसने हमसे प्यार किया, बल्कि उसी ने हमसे प्यार किया।”—1 यूहन्‍ना 4:9, 10.

      हम इस लाजवाब तोहफे की कदर कैसे कर सकते हैं? ध्यान दीजिए कि यीशु ने कहा था कि जो कोई उस पर “विश्‍वास” करेगा, वही बचाया जाएगा। (यूहन्‍ना 3:16) शास्त्र में बताया है कि विश्‍वास “आशा की हुई बातों का पूरे भरोसे के साथ इंतज़ार करना है।” (इब्रानियों 11:1) इस भरोसे के लिए सही ज्ञान का होना ज़रूरी है। हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप वक्‍त निकालकर परमेश्‍वर यहोवा के बारे में सीखें, जिसने यह लाजवाब तोहफा दिया है। साथ ही, यह जानें कि यीशु के फिरौती बलिदान की वजह से आपको हमेशा की ज़िंदगी कैसे मिल सकती है।

      यह सब जानने के लिए आप www.pr418.com पर शास्त्र पर आधारित जानकारी पढ़ सकते हैं। यहोवा के साक्षियों को आपसे इस बारे में चर्चा करने में खुशी होगी। हमें यकीन है कि जब आप इस लाजवाब तोहफे के बारे में सीखेंगे और इससे फायदा पाएँगे, तो आप भी कहेंगे, “हमारे प्रभु, यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर का धन्यवाद हो!”—रोमियों 7:25.

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