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विषय-सूचीदानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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विषय-सूची
पेज पाठ
4 1 दानिय्येल की किताब और आपकी ज़िंदगी
12 2 दानिय्येल की किताब—कठघरे में
30 3 परखे गए—मगर यहोवा के वफादार निकले!
46 4 लम्बी चौड़ी मूर्ति का खड़ा होना और गिरना
68 5 उनका विश्वास आग में भी कायम रहा
82 6 ऊँचे और विशाल पेड़ का भेद प्रकट करना
98 7 चार शब्द जिन्होंने ज़माना बदल दिया
114 8 शेरों के मुँह से बचाया गया!
128 9 दुनिया पर किसका राज होगा?
164 10 हाकिमों के हाकिम के सामने कौन ठहर सकता है?
180 11 मसीहा के आने का समय बताया गया
198 12 परमेश्वर का दूत हिम्मत बँधाता है
210 13 दो राजाओं के बीच संघर्ष
256 15 दो राजाओं की दुश्मनी 20वीं सदी में भी जारी रहती है
270 16 संघर्ष करनेवाले राजाओं का अंत करीब
286 17 अन्त के दिनों में सच्चे उपासकों को पहचानना
306 18 यहोवा बेहतरीन इनाम देने का दानिय्येल से वायदा करता है
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दानिय्येल की किताब और आपकी ज़िंदगीदानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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पहला अध्याय
दानिय्येल की किताब और आपकी ज़िंदगी
1, 2. (क) बाइबल की दानिय्येल नाम की किताब में कौन-सी कुछ हैरतअंगेज़ बातें बताई गई हैं? (ख) आज हमारे ज़माने में इस किताब पर क्या-क्या सवाल उठते हैं?
एक महाशक्तिशाली सम्राट अपने राज्य के सारे बुद्धिमान पंडितों को जान से मरवा डालने की धमकी देता है क्योंकि उनमें से कोई भी यह नहीं बता पा रहा कि उस सम्राट ने क्या सपना देखा और उस अजीबो-गरीब सपने का क्या मतलब था। तीन नौजवान एक बड़ी मूरत के सामने गिरकर दंडवत करने से इनकार कर देते हैं इसलिए उन्हें आग के धधकते हुए भट्ठे में फेंक दिया जाता है, लेकिन उनको आँच तक नहीं आती। एक बड़े जश्न में मौज-मस्ती करनेवाले सैकड़ों लोगों के देखते-देखते एक हाथ महल की दीवार पर रहस्य-भरे शब्द लिखता हुआ दिखाई पड़ता है। मक्कार लोग एक बुज़ुर्ग इंसान के खिलाफ गंदी साज़िश रचकर उसे शेरों की माँद में फिंकवा देते हैं, लेकिन उसके जिस्म पर एक खरोंच तक नहीं आती। परमेश्वर का एक भविष्यवक्ता, दर्शन में चार खौफनाक जानवरों को देखता है और यह दर्शन आनेवाले हज़ारों सालों में होनेवाली ऐसी ज़बरदस्त घटनाओं की भविष्यवाणी करता है जो इतिहास पर असर डालनेवाली थीं।
2 ऊपर लिखे ये हैरतअंगेज़ किस्से, बाइबल की दानिय्येल नाम की किताब के बस कुछ नमूने हैं। लेकिन क्या ये बातें इस लायक हैं कि इन पर गौर किया जाए? पुराने ज़माने की दानिय्येल नाम की इस किताब का आखिर आज हमारी ज़िंदगी से क्या लेना-देना? क्या ज़रूरत है कि हम उन बातों की परवाह करें जो आज से तकरीबन 2,600 साल पहले हुई थीं?
प्राचीन किताब—हमारे लिए लिखी गई
3, 4. अपने भविष्य के बारे में आज लोगों का चिंता करना जायज़ क्यों है?
3 दानिय्येल की करीब पूरी किताब का खास मुद्दा ही दुनिया की हुकूमत है, और आज दुनिया का सबसे बड़ा मसला भी यही हुकूमत है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि आज हम बहुत बुरे वक्त में जी रहे हैं। भले ही विज्ञान और टेकनॉलजी में तरक्की आसमान क्यों न छू रही हो, मगर आए दिन खबरों को देख-देखकर यह एहसास और भी गहरा होता जा रहा है कि पूरी दुनिया मुसीबतों की दलदल में धँसती जा रही है।
4 ज़रा ध्यान दीजिए: इंसान ने चाँद की सैर तो कर ली, मगर अपनी ही ज़मीन पर वह सड़कों पर बेखौफ नहीं घूम सकता। वह अपने घर को दुनिया-भर के सामान और ऐशो-आराम की चीज़ों से तो भर सकता है मगर टूटे हुए रिश्तों के ज़ख्मों को नहीं भर सकता। सीखने-सिखाने के लिए कंप्यूटरों की ईजाद तो कर सका मगर लोगों को आपस में चैन-अमन से रहना नहीं सिखा पाया। इतिहास के एक प्रोफेसर ह्यू टॉमस ने लिखा: “इतने सारे ज्ञान और शिक्षा ने आत्म-संयम के बारे में इंसान को कुछ भी नहीं सिखाया है और आपस में प्यार से रहना तो ज़रा भी नहीं।”
5. इंसानों की हुकूमत का आज तक क्या नतीजा निकला है?
5 समाज में व्यवस्था कायम करने के लिए इंसानों ने अपने लिए तरह-तरह की सरकारें बनाईं। मगर इन सरकारों में से एक भी इस सच्चाई को झुठला नहीं पायी जो राजा सुलैमान ने कही थी: “एक मनुष्य दूसरे मनुष्य पर अधिकारी होकर अपने ऊपर हानि लाता है।” (सभोपदेशक 4:1; 8:9) बेशक इनमें से बहुत से राज करनेवाले नेक इरादे रखते थे। तौभी कोई भी राजा, राष्ट्रपति, या तानाशाह, बीमारी और मौत को नहीं मिटा सका। कोई भी इंसान हमारी इस धरती को उस शांति और खुशियों के फिरदौस की शक्ल नहीं दे सकता जैसा परमेश्वर का मकसद था।
6. यहोवा को अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए इंसानी सरकारों की इजाज़त लेने या उनकी मदद की ज़रूरत क्यों नहीं है?
6 लेकिन हमारा बनानेवाला ऐसा नहीं कि वह अपने मकसद को भूल गया हो। वह आज भी इसे पूरा करना चाहता है। वह सिर्फ ऐसा चाहता नहीं बल्कि ऐसा करने की ताकत भी रखता है। वह इस सारे जहान का मालिक और शहंशाह है। किसी भी इंसानी सरकार या देश का अधिकार उसके अधिकार के सामने नहीं चलता क्योंकि उसकी नज़रों में ‘जगत के सारे देश घड़े में एक छोटी बूँद जैसे हैं। अगर यहोवा दूर-दूर के देशों को लेकर अपनी तराज़ू पर धर दे, तो वे छोटे से रजकण जैसे लगेंगे।’ (यशायाह 40:15, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) इसलिए अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए उसे इंसानी सरकारों से इजाज़त लेने या उनकी मदद लेने की ज़रूरत नहीं। उसका ही राज्य सभी इंसानों को हमेशा-हमेशा की आशीषें देने के लिए दुनिया की हुकूमत, इंसानों के हाथों से ले लेगा। ये सब बातें दानिय्येल की किताब से ज़्यादा अच्छी तरह और कहीं नहीं बताई गईं।
दानिय्येल—परमेश्वर का प्यारा
7. दानिय्येल कौन था और यहोवा की नज़रों में वह कैसा था?
7 दानिय्येल बरसों से यहोवा का नबी था और यहोवा परमेश्वर दानिय्येल से बहुत प्यार करता था। इसीलिए यहोवा के स्वर्गदूत ने दानिय्येल को “अति प्रिय” इंसान कहा। (दानिय्येल 9:23) “अति प्रिय” के लिए इब्रानी शब्द का मतलब “बेहद प्यारा,” “अत्यंत सम्मानित,” यहाँ तक कि “चहेता” भी हो सकता है। दानिय्येल वाकई परमेश्वर की नज़रों में अनमोल था।
8. दानिय्येल बाबुल कैसे पहुँच गया?
8 अब आइए देखें कि यह बेहद प्यारा भविष्यवक्ता किन हालात में जी रहा था। सा.यु.पू. 618 में बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर कब्ज़ा कर लिया था। (दानिय्येल 1:1) उसके कुछ ही समय बाद, सा.यु.पू. 617 में यहूदियों में से बुद्धिमान और पढ़े-लिखे नौजवानों को बंदी बनाकर ज़बरदस्ती बाबुल ले जाया गया। दानिय्येल को भी इन्हीं बँधुओं के साथ ले जाया गया था। उस वक्त वह एक किशोर ही था।
9. दानिय्येल और उसके बाकी यहूदी साथियों को किस तरह की शिक्षा दी गई?
9 इनमें से कुछ यहूदी बँधुओं को तीन साल तक “कसदियों के शास्त्र और भाषा की शिक्षा” देने के लिए चुना गया था। दानिय्येल और उसके तीन साथी हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह भी इन लोगों में शामिल थे। (दानिय्येल 1:3, 4) कई विद्वान यह बताते हैं कि इस शिक्षा में सिर्फ भाषा सीखना ही शामिल नहीं था। जैसे प्रोफेसर सी. एफ. काइल कहते हैं, “दानिय्येल और उसके साथियों को कसदी पंडितों और विद्वानों की विद्या और हर तरह के शास्त्रों की शिक्षा दी जानी थी। यह शिक्षा बाबुल के विश्वविद्यालयों में दी जाती थी।” इस तरह दानिय्येल और उसके साथियों को खासकर शाही काम-काज के लिए तैयार किया जा रहा था।
10, 11. दानिय्येल और उसके साथियों को कैसे हालात का सामना करना पड़ा और यहोवा ने कैसे उनकी मदद की?
10 ये सब दानिय्येल और उसके साथियों की ज़िंदगी में बहुत भारी बदलाव था! यहूदा में वे यहोवा की उपासना करनेवाले लोगों के बीच रहते थे। मगर यहाँ वे उन लोगों के बीच फँसे हुए थे जो झूठे देवी-देवताओं की पूजा करते थे। फिर
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