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दानिय्येल की किताब और आपकी ज़िंदगीदानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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यह ज़रूर बताती है कि इसके बाद फारस का साम्राज्य खड़ा करनेवाले राजा कुस्रू के राज के तीसरे साल तक दानिय्येल ज़िंदा था और शाही काम-काज कर रहा था। और उस वक्त तक दानिय्येल करीब 100 साल का हो चुका होगा!
14 बाबुल के गिरने के कुछ समय बाद दानिय्येल ने अपनी ज़िंदगी की सारी खास-खास घटनाएँ लिख ली थीं। उसकी इस रचना को दानिय्येल की किताब कहा जाता है और यह पवित्र शास्त्र बाइबल का एक अभिन्न हिस्सा है। लेकिन इस पुरानी किताब पर ध्यान देना हमारे लिए क्यों ज़रूरी है?
दो धागों से बनी एक डोरी
15. (क) दानिय्येल की किताब किन दो धागों से बटी डोरी है? (ख) दानिय्येल की किताब में लिखे इतिहास से हमें क्या फायदा होता है?
15 दानिय्येल की यह अनोखी किताब एक ऐसी डोर की तरह है जो दो अलग-अलग धागों से बटी है। इसमें एक धागा है इतिहास और दूसरा है भविष्यवाणी। ये दोनों ही हमारे विश्वास को मज़बूत कर सकते हैं। वह कैसे? इसका इतिहास—जो कि बाइबल में लिखी बहुत ही ज़बरदस्त घटनाएँ हैं—हमें यह यकीन दिलाता है कि यहोवा परमेश्वर उन लोगों की हिफाज़त ज़रूर करेगा और उन्हें ज़रूर आशीष देगा जो परीक्षाओं के बावजूद उसके वफादार बने रहते हैं। सबसे खतरनाक और कड़ी-से-कड़ी परीक्षाओं से गुज़रने पर भी दानिय्येल और उसके तीन साथी अपने विश्वास से नहीं डगमगाए। उनकी इस मिसाल पर ध्यान देने से ऐसे सभी लोगों का विश्वास मज़बूत हो सकता है जो यहोवा के वफादार बने रहना चाहते हैं।
16. दानिय्येल की किताब की भविष्यवाणी से हम क्या सीखते हैं?
16 दानिय्येल की भविष्यवाणियाँ भी हमारे विश्वास को मज़बूत करती हैं। इनसे हम यह सीखते हैं कि यहोवा, दुनिया के भविष्य के बारे में सैकड़ों साल यहाँ तक कि हज़ारों साल पहले से ही बता सकता है। इसकी एक मिसाल यह है कि दानिय्येल की किताब में प्राचीन बाबुल से लेकर हमारे ज़माने के इन ‘अन्तिम दिनों’ तक की विश्वशक्तियों के उठने और गिरने का ब्यौरा दिया गया है। (दानिय्येल 12:4) इसमें परमेश्वर के राज्य के बारे में बताया गया है। यह बताती है कि परमेश्वर का यह राज्य उसके अभिषिक्त राजा और उस राजा के साथी ‘पवित्र जनों’ के हाथों में हमेशा-हमेशा तक कायम रहेगा। इस पृथ्वी के लिए यहोवा के एक-एक उद्देश्य को इस राज्य की सरकार पूरा करेगी और इससे उन सभी लोगों को ढेरों आशीषें मिलेंगी जो परमेश्वर की सेवा करना चाहते हैं।—दानिय्येल 2:44; 7:13, 14, 22.
17, 18. (क) दानिय्येल की किताब का गहराई से अध्ययन करने से हमारा विश्वास कैसे मज़बूत होगा? (ख) दानिय्येल की भविष्यवाणी की इस किताब का अध्ययन करने से पहले किन सबूतों को जाँचने की ज़रूरत है और क्यों?
17 हम यहोवा के कितने एहसानमंद हैं कि उसने भविष्य की जानकारी को सिर्फ अपने तक ही नहीं रखा बल्कि वह ‘भेदों को प्रगट करता है।’ (दानिय्येल 2:28) दानिय्येल की किताब की एक-एक भविष्यवाणी का गहरा अध्ययन करने के साथ-साथ परमेश्वर के वायदों में हमारा भरोसा भी बढ़ता जाएगा। हमें इस बात का और भी ज़्यादा यकीन होता जाएगा कि एकदम सही वक्त पर परमेश्वर अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा और ठीक उसी तरीके से करेगा जैसा उसने ठाना है।
18 दानिय्येल की किताब का खुले दिमाग से अध्ययन करने से हमारा विश्वास और भी बढ़ता जाएगा। लेकिन इससे पहले कि हम इस किताब का गहराई से अध्ययन करें, हमें उन सबूतों को जाँचने की ज़रूरत है जिनसे साबित होगा कि यह किताब वाकई भरोसे के लायक है या नहीं। क्योंकि कुछ आलोचकों ने दानिय्येल की किताब पर यह इलज़ाम लगाया है कि इसमें पायी जानेवाली भविष्यवाणियाँ, घटनाओं के पूरा होने के बाद लिखी गई हैं। क्या शक करनेवाले इन लोगों का यह दावा सच्चा है? अगला अध्याय इसका जवाब देगा।
आपने क्या समझा?
• क्यों कहा जा सकता है कि दानिय्येल की किताब हमारे ज़माने के लिए है?
• दानिय्येल और उसके साथी बाबुल के शाही काम-काज में कैसे दाखिल हुए?
• बाबुल में दानिय्येल को कौन-सी भारी ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी?
• हमें दानिय्येल की भविष्यवाणी पर क्यों ध्यान देना चाहिए?
[पेज 4 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]
[पेज 11 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]
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दानिय्येल की किताब—कठघरे मेंदानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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[पेज 12 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]
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