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“तैयार रहो”राज-सेवा—2003 | नवंबर
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“तैयार रहो”
यीशु ने इस संसार के अंत के बारे में एक खास भविष्यवाणी की थी, जिसमें उसने हमें आगाह किया कि कहीं ऐसा न हो कि हम ज़िंदगी की छोटी-मोटी चिंताओं में डूब जाएँ। (मत्ती 24:36-39; लूका 21:34, 35) भारी क्लेश का कहर किसी भी वक्त टूट सकता है, इसलिए हमें यीशु की सलाह पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है: “तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” (मत्ती 24:44) इस मामले में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?
2 चिंताओं और ध्यान भटकानेवाली बातों से संघर्ष: रोज़ी-रोटी की चिंता करना एक ऐसा आध्यात्मिक खतरा है, जिससे हमें अपनी हिफाज़त करनी होगी। (लूका 21:34) कई देशों में गरीबी, बेरोज़गारी और महँगाई की वजह से ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है। दूसरे देशों में, ऐशो-आराम की चीज़ें बटोरना आम है। अगर इन चीज़ों को जुटाने की चिंता हम पर हावी हो जाए तो राज्य की सच्चाइयों से हमारा ध्यान हटने का खतरा रहता है। (मत्ती 6:19-24, 31-33) मसीही सभाएँ इन सच्चाइयों पर ध्यान लगाए रखने में हमारी मदद करेंगी। क्या आप हर सभा में हाज़िर होने का लक्ष्य रखते हैं?—इब्रा. 10:24, 25.
3 संसार में आज हर तरफ ध्यान भटकानेवाली चीज़ें हैं जिनसे हमारा कीमती वक्त बरबाद हो सकता है। अगर कंप्यूटर पर, इंटरनॆट की सैर करने, ई-मेल भेजने और पढ़ने या कंप्यूटर गेम्स खेलने में हम बहुत सारा वक्त ज़ाया करें, तो यह हमारे लिए एक फंदा हो सकता है। टी.वी., फिल्मों, अपने शौक पूरे करने में, दुनियावी किताबें पढ़ने में और खेलों में हमारे अनगिनत घंटे बरबाद हो सकते हैं और हमारे पास आध्यात्मिक बातों के लिए बहुत कम समय और ताकत बचती है। जहाँ मनोरंजन और मन बहलाव थोड़े समय की खुशी देता है, वहीं बाइबल का निजी तौर पर और परिवार के साथ अध्ययन करने से ऐसे फायदे मिलते हैं जो सदा तक रहेंगे। (1 तीमु. 4:7, 8) क्या आप हर दिन परमेश्वर के वचन पर मनन करने के लिए वक्त निकालते हैं?—इफि. 5:15-17.
4 हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हो सकते हैं कि उसके संगठन ने हमें आध्यात्मिक हिदायतें देने का इंतज़ाम किया है, जिससे हमें “सब आनेवाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य” बनने में मदद मिलती है। (लूका 21:36) आइए हम इन इंतज़ामों का पूरा फायदा उठाएँ और ‘तैयार रहें’ जिससे हमारा विश्वास, “यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।”—1 पत. 1:7.
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शाबाशी हममें जान डाल देती हैराज-सेवा—2003 | नवंबर
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शाबाशी हममें जान डाल देती है
रात को सोने से पहले छोटी बच्ची ने सुबकते हुए पूछा: “क्या आज मैं अच्छी बच्ची नहीं बनी?” इस सवाल पर उसकी माँ चौंक गयी। उस दिन यह देखने के बाद भी कि उस बच्ची ने कितनी लगन से पूरा दिन अच्छे बच्चों की तरह बर्ताव किया, माँ ने उसे शाबाशी देने के लिए एक लफ्ज़ भी नहीं कहा। उस बच्ची के आँसू हमें याद दिलाते हैं कि चाहे जवान हों या बूढ़े, हम सभी को शाबाशी की ज़रूरत होती है। हमारे आस-पास के लोग जो अच्छा काम करते हैं, क्या हम उनकी तारीफ करके उनका हौसला बढ़ाते हैं?—नीति. 25:11.
2 हमारे मसीही भाई-बहनों की तारीफ करने के लिए हमारे पास बहुत-से अच्छे कारण हैं। प्राचीन, सहायक सेवक, और पायनियर अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। (1 तीमु. 4:10; 5:17) परमेश्वर का भय माननेवाले माता-पिता, अपने बच्चों को यहोवा के मार्गों के मुताबिक बड़ा करने के लिए जी-जान से मेहनत करते हैं। (इफि. 6:4) मसीही जवान “संसार की आत्मा” के खिलाफ लड़ने के लिए काफी संघर्ष करते हैं। (1 कुरि. 2:12; इफि. 2:1-3) दूसरे मसीही, ढलती उम्र, बीमारियों या दूसरी परेशानियों के बावजूद वफादारी से यहोवा की सेवा करते हैं। (2 कुरि. 12:7) ऐसे सभी लोगों को शाबाशी दी जानी चाहिए। क्या हमें वाकई उनकी मेहनत की सराहना नहीं करनी चाहिए?
3 अच्छे काम के लिए किसी की तारीफ: जब प्लेटफॉर्म से शाबाशी दी जाती है, तो हम सभी को सचमुच बहुत अच्छा लगता है। मगर जब हमारे किसी खास काम के लिए हमें शाबाशी दी जाती है तब हमें और ज़्यादा खुशी मिलती है। उदाहरण के लिए, पौलुस ने रोमियों की पत्री के 16वें अध्याय में और लोगों के अलावा फीबे, प्रिसका और अक्विला, त्रूफैना और त्रूफोसा और पिरसिस को उनके खास कामों के लिए शाबाशी दी। (रोमि. 16:1-4, 12) पौलुस के शब्दों से उन वफादार भाई-बहनों का कितना हौसला बढ़ा होगा! इस तरह की तारीफ से हमारे भाई-बहनों को यह यकीन होता है कि हमें उनकी ज़रूरत है और हम सब एक-दूसरे के करीब आते हैं। क्या आपने हाल ही में किसी के अच्छे काम के लिए उसकी तारीफ की है?—इफि. 4:29.
4 सच्चे दिल से: शाबाशी अगर दिल से दी जाए तभी दूसरों को उससे खुशी मिलेगी। लोग भाँप लेते हैं कि हम उनकी तारीफ दिल से कर रहे हैं या हम सिर्फ “चापलूसी” कर रहे हैं। (नीति. 28:23) जब हम दूसरों में अच्छाई देखना सीखते हैं, तो हमारा दिल हमें दूसरों को शाबाशी देने के लिए उभारेगा। आइए हम दूसरों की दिल खोलकर तारीफ करें, यह जानते हुए कि सही “अवसर पर कहा हुआ वचन क्या ही भला होता है!”—नीति. 15:23.
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