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ध्यान से देखिए कि आप समय का कैसे इस्तेमाल करते हैंराज-सेवा—2004 | जनवरी
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ध्यान से देखिए कि आप समय का कैसे इस्तेमाल करते हैं
इस युग में हालाँकि तरह-तरह के उपकरणों की वजह से वक्त और मेहनत दोनों बचते हैं, फिर भी बहुतों को लगता है कि उनके पास समय कम मगर काम ज़्यादा है। ऐसे में क्या आपको आध्यात्मिक बातों की एक अच्छी समय-सारणी बनाए रखने में मुश्किल हो रही है? क्या आप कहते हैं कि काश, मैं सेवा में और वक्त बिता सकता? हम अपने समय का अच्छा इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?—भज. 90:12; फिलि. 1:9-11.
2 वक्त बरबाद करनेवाली चीज़ों को पहचानिए: हममें से हरेक को नियमित तौर पर यह जाँच करने की ज़रूरत है कि हम अपने समय का कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं। बाइबल उकसाती है: “ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।” (इफि. 5:15, 16) गौर कीजिए कि जानकारी देनेवाली टैक्नोलॉजी में आयी तरक्की से क्या-क्या समस्याएँ उठ सकती हैं। माना कि कंप्यूटर और दूसरे इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के बहुत-से फायदे हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल करते वक्त अगर हम समय का ध्यान न रखें, तो ये हमारे लिए फँदा बन सकते हैं।—1 कुरि. 7:29, 31.
3 हममें से हरेक को खुद से पूछना चाहिए: ‘क्या मैं हर दिन ई-मेल में ऐसे संदेश पढ़ता और उनके जवाब भेजता हूँ जिनसे सिर्फ वक्त बरबाद होता है? क्या मेरा ज़्यादातर वक्त फोन पर बातें करने या हर छोटी-मोटी बात के लिए सॆल फोन पर संदेश भेजने में बीत जाता है? (1 तीमु. 5:13) क्या मैं बेमतलब इंटरनॆट की सैर करता हूँ या टी.वी. पर बस यूँ ही चैनल बदलता रहता हूँ? क्या मैं वीडियो और कंप्यूटर गेम्स खेलने में इतना डूब जाता हूँ कि मुझे परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने की फुरसत ही नहीं मिलती?’ अगर हम सावधान न रहें और ऐसे कामों में ज़रूरत से ज़्यादा वक्त गँवा दें, तो धीरे-धीरे हम आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर पड़ जाएँगे।—नीति. 12:11.
4 समय का बुद्धिमानी से इस्तेमाल करना: इलेक्ट्रोनिक उपकरण अकसर हमारा पूरा समय और ध्यान ले लेते हैं। मसलन, एक जवान हमेशा कंप्यूटर गेम्स खेलने में ही डूबा रहता था। उसने कबूल किया: “कभी-कभी जब मैं प्रचार या मसीही सभा जाने से पहले कंप्यूटर गेम्स खेलता, तो वहाँ ध्यान लगाना बहुत मुश्किल हो जाता था। उस दौरान मेरे दिमाग में बस यही चलता रहता कि कब घर जाऊँ और दोबारा गेम को ठीक से खेलूँ। इसका मेरे निजी अध्ययन और रोज़ाना बाइबल पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा। परमेश्वर की सेवा में मेरी खुशी धीरे-धीरे खत्म होने लगी।” जब उस जवान को एहसास हुआ कि उसे बदलाव करने की ज़रूरत है, तो उसने अपने कंप्यूटर से सारे गेम्स मिटा दिए। इस बारे में वह याद करता है: “ऐसा करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे उनकी इतनी बुरी लत लग जाएगी। मगर उन्हें मिटाने के बाद मुझे अच्छा लग रहा था मानो मैंने कोई फतह हासिल कर ली हो, क्योंकि मैं जानता था कि मैंने जो किया उसमें मेरी ही भलाई है।”—मत्ती 5:29, 30.
5 अपनी ज़िंदगी में कुछ फेरबदल करने के लिए शायद आपको भी उस जवान की तरह ठोस कदम उठाने पड़ें। क्या आप हर दिन, गैर-ज़रूरी कामों से आधा घंटा निकाल सकते हैं? एक साल में पूरी बाइबल पढ़ने के लिए आपको हर दिन लगभग इतना ही समय निकालने की ज़रूरत है। ऐसा करने से हमें आध्यात्मिक रूप से क्या ही बढ़िया आशीषें मिलेंगी! (भज. 19:7-11; 119:97-100) बाइबल पढ़ाई, सभाओं की तैयारी और प्रचार में जाने के लिए एक पक्का समय तय कीजिए। (1 कुरि. 15:58) इस तरह आप वक्त बरबाद करनेवाली चीज़ों को खुद पर हावी नहीं होने देंगे और ‘ध्यान से समझ पाएँगे कि प्रभु की इच्छा क्या है।’—इफि. 5:17.
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पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिएराज-सेवा—2004 | जनवरी
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पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जन.-मार्च
“हममें से ज़्यादातर लोग ऐसे शख्स को जानते होंगे जिसे डायबिटीज़ हो। मगर क्या आपको इस बीमारी के बारे में कुछ जानकारी है? [पत्रिका का कवर दिखाइए, और जवाब के लिए रुकिए।] यह बीमारी किस वजह से होती है और इसका क्या इलाज है, इसकी जानकारी इस पत्रिका में दी गयी है। इसमें बाइबल का यह वादा भी बताया गया है कि भविष्य में सभी बीमारियों को हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा।” आखिर में यशायाह 33:24 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग जन. 15
“आजकल वादे करके तोड़ना बहुत आम है, इसलिए किसी पर भी भरोसा रखना बहुत मुश्किल है। क्या आपको लगता है कि ऐसा कोई है जिसके वादों पर हम भरोसा रख सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए। उसके बाद यहोशू 23:14 पढ़िए।] यह पत्रिका दिखाती है कि हम कैसे बाइबल में दर्ज़ परमेश्वर के वादों पर अपना भरोसा बढ़ा सकते हैं।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“अगर आपका कोई अज़ीज़ लगभग हर मामले में अव्वल है, तो क्या आपको जलन होती है या आप खुद को बहुत छोटा महसूस करते हैं? [जवाब के लिए रुकिए, और फिर पेज 13 पर दिया लेख दिखाइए।] यह पत्रिका बताती है कि आप ऐसी भावनाओं पर कैसे काबू पा सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग फर. 1
“हममें से ज़्यादातर लोग अपनी सेहत का खयाल रखने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन हाल में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि हम कितने सेहतमंद और खुशहाल रहेंगे, यह हमारी आध्यात्मिकता पर भी निर्भर है। क्या आपको लगता है कि हमारी आध्यात्मिक हालत का हमारी सेहत और मन पर असर पड़ता है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर मत्ती 5:3, NW पढ़िए।] प्रहरीदुर्ग का यह अंक बताता है कि हम कैसे अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत पूरी कर सकते हैं।”
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