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  • यहोवा को अपना सर्वोत्तम देना
    राज-सेवा—2004 | अप्रैल
    • यहोवा को अपना सर्वोत्तम देना

      यहोवा ने इस्राएल को जो कानून-व्यवस्था दी, उसमें यह माँग की गयी थी कि बलिदान के लिए चढ़ाया जानेवाला जानवर “दोषरहित” (NHT) हो। जिस जानवर में दोष रहता, वह परमेश्‍वर को कबूल नहीं होता। (लैव्य. 22:18-20; मला. 1:6-9) इसके अलावा, जानवरों का बलिदान चढ़ाते वक्‍त, उनकी सारी चर्बी जिसे शरीर का सबसे उत्तम भाग माना जाता है, वह यहोवा को चढ़ायी जानी थी। (लैव्य. 3:14-16) जी हाँ, इस्राएल का पिता और स्वामी होने के नाते, यहोवा सर्वोत्तम पाने का हकदार था।

      2 प्राचीन समय की तरह, आज भी परमेश्‍वर गहरी दिलचस्पी लेता है कि हम उसे किस तरह की भेंट चढ़ाते हैं। हमारी सेवा से यह साफ झलकना चाहिए कि हमारे मन में यहोवा के लिए सही किस्म की श्रद्धा है। बेशक, हममें से हरेक के हालात अलग-अलग हैं। फिर भी, हम यहोवा को अपना सर्वोत्तम दे रहे हैं या नहीं, यह परखने के लिए हम सभी के पास एक वाजिब कारण है।—इफि. 5:10.

      3 तन-मन से सेवा: अगर हम चाहते हैं कि हमारी सेवा से यहोवा की महिमा हो और हमारा संदेश लोगों के दिल तक पहुँचे, तो हमें ध्यान रखना होगा कि हमारी सेवा एक ढर्रा न बन जाए। परमेश्‍वर और उसके शानदार उद्देश्‍यों के बारे में हम जो भी कहते हैं, वह मन से और एहसान भरे दिल से होना चाहिए। (भज. 145:7) इसका मतलब है कि हमें निजी बाइबल पढ़ाई और अध्ययन के एक अच्छे कार्यक्रम का पालन करने की सख्त ज़रूरत है।—नीति. 15:28.

      4 यहोवा को अपना सर्वोत्तम देने में यह भी शामिल है कि परमेश्‍वर ने लोगों के लिए जैसा प्यार दिखाया है, वैसा ही प्यार हम भी दिखाएँ। (इफि. 5:1, 2) दूसरों के लिए प्यार हमें ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक सच्चाई का जीवनदायी संदेश पहुँचाने के लिए उभारेगा। (मर. 6:34) यह प्यार हमें उकसाएगा कि हम जिनसे बात करते हैं, उनमें निजी दिलचस्पी लें। यह हमें पहली मुलाकात के बाद, उनके बारे में सोचते रहने और उनसे दोबारा मिलने का बढ़ावा देगा। लोगों के लिए प्यार हमें प्रेरणा देगा कि हम उनकी आध्यात्मिक रूप से तरक्की करने में अपनी तरफ से पूरी मदद करें।—प्रेरि. 20:24; 26:28, 29.

      5 “स्तुतिरूपी बलिदान”: यहोवा को अपना सर्वोत्तम देने का एक और तरीका है, सेवा में कड़ी मेहनत करना। अगर हम प्रचार काम तरतीब से और पूरा ध्यान लगाकर करें, तो हम सेवा में जितना भी वक्‍त बिताएँगे उसमें बहुत कुछ कर पाएँगे। (1 तीमु. 4:10) अच्छी तैयारी करने से हम साफ-साफ और पूरे यकीन के साथ बात कर पाएँगे। इस तरह हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को अपना संदेश कबूल करने में मदद दे पाएँगे। (नीति. 16:21) इसलिए दूसरों को सुसमाचार सुनाते वक्‍त हमारे दिल से निकली हर बात को “स्तुतिरूपी बलिदान” कहना सही होगा।—इब्रा. 13:15.

  • जवानो—परमेश्‍वर का वचन पढ़ो!
    राज-सेवा—2004 | अप्रैल
    • जवानो—परमेश्‍वर का वचन पढ़ो!

      जवानी का समय, एक ऐसा दौर है जो चुनौतियों से भरा होता है और जिसमें अहम फैसले करने होते हैं। आप मसीही जवानों में से कइयों पर आए दिन, चालचलन के मामले में परमेश्‍वर के स्तर तोड़ने का दबाव डाला जाता है। इससे पहले कि पढ़ाई, नौकरी और शादी के मामलों में फैसले करने का वक्‍त आए, आपको कुछ आध्यात्मिक लक्ष्य रखने चाहिए। तभी आप ज़िंदगी के बाकी फैसले इस तरह कर पाएँगे जिससे आपको हमेशा-हमेशा के फायदे होंगे। अगर आप ठीक-ठीक तय करें कि आपको कौन-से आध्यात्मिक लक्ष्य हासिल करने हैं, तो आप बुद्धिमानी से काम कर पाएँगे और आपका जीवन सफल होगा। नियमित रूप से परमेश्‍वर का वचन पढ़ने और उस पर मनन करने से आपको परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी सलाह मानने का बढ़ावा मिलेगा, और आप जो सही काम करेंगे, उसमें आपको ज़रूर कामयाबी मिलेगी।—यहो. 1:8; भज. 1:2, 3.

      2 आपको क्या फायदा होगा? शैतान की दुनिया में ऐसे कई फँदे हैं, जो हमें गलत कामों में फँसा सकते हैं। (1 यूह. 2:15, 16) आप शायद अपनी क्लास के या अपनी उम्र के ऐसे नौजवानों को जानते होंगे जो साथियों के दबाव में आकर गलत काम कर बैठे हैं और इस वजह से उन्होंने अपने लिए मुसीबत मोल ली है। लेकिन अगर आप बाइबल की सलाह को सख्ती से मानेंगे, तो आप आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होंगे, साथ ही आपको गलत कामों को ठुकराने की हिम्मत मिलेगी। इसके अलावा, परमेश्‍वर के वचन की सलाह आपको शैतान की धूर्त्त चालों से बचे रहने में भी मदद देगी। (2 कुरि. 2:11; इब्रा. 5:14) परमेश्‍वर के मार्ग पर चलने से आपको सच्ची खुशी मिलेगी—आपने जो रास्ता चुना है, उसमें आपको संतोष मिलेगा।—भज. 119:1, 9, 11.

      3 परमेश्‍वर के वचन में दिए सिद्धांत कभी नहीं बदलते और ये इंसानी बुद्धि से कहीं ज़्यादा श्रेष्ठ हैं। (भज. 119:98-100) आपको चाहिए कि आप बाइबल के सिद्धांतों से अच्छी तरह वाकिफ हों, यहोवा ने जो मकसद ज़ाहिर किए हैं, उन पर मनन करें और दिल से प्रार्थना करें। ऐसा करने पर आप बाइबल के रचनाकार और सबसे बुद्धिमान हस्ती, यहोवा परमेश्‍वर के साथ एक करीबी रिश्‍ता कायम कर पाएँगे। वह वादा करता है: “मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मति दिया करूंगा।”—भज. 32:8.

      4 उसे पढ़ने के लिए समय तय कीजिए: एक जवान मसीही ने पूरी बाइबल पढ़ने का लक्ष्य रखा और उसने एक साल में अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। इससे उसे क्या फायदा हुआ? वह याद करते हुए कहती है: “मैंने यहोवा के बारे में क्या कुछ नहीं सीखा! ऐसी बातें जिनसे मैं उसके और भी करीब आ गयी हूँ और मेरे अंदर जिंदगी भर उसका भय मानने की तमन्‍ना जागी है।” (याकू. 4:8) क्या आपने पूरी बाइबल पढ़ी है? अगर नहीं, तो क्यों न आप ऐसा करने का लक्ष्य रखें? यहोवा आपकी इस मेहनत पर ज़रूर आशीष देगा और आपको बहुत-से प्रतिफल मिलेंगे।

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