बाइबल अध्ययन की पेशकश के लिए एक खास दिन
1 जनवरी 2009 से सभी कलीसियाएँ हर महीने के एक शनिवार या रविवार को, लोगों के सामने बाइबल अध्ययन की पेशकश रखने पर ध्यान देंगी। शनिवार सही रहेगा या रविवार, यह प्रचारकों की सहूलियत के हिसाब से तय किया जाना चाहिए। और अच्छा होगा कि यह दिन महीने के पहले हफ्ते में हो। अगर कोई घर-मालिक बाइबल अध्ययन कबूल करने से इनकार कर देता है, तो भी प्रचारक उसे बाइबल सिखाती है किताब या नयी पत्रिकाएँ दे सकते हैं। सभी प्राचीनों और सहायक सेवकों को चाहिए कि वे इस इंतज़ाम में पूरा-पूरा हिस्सा लें और बाइबल अध्ययन शुरू करने में प्रचारकों की मदद करें।
2 महीने के किस शनिवार या रविवार को लोगों के सामने बाइबल अध्ययन की पेशकश रखी जाएगी, यह कलीसिया की सेवा समिति तय करेगी। समय-समय पर प्रचारकों को इस इंतज़ाम के बारे में याद दिलाया जाना चाहिए, ताकि वे इसके लिए तैयारी कर सकें। और घर-घर प्रचार करते वक्त या जिन्होंने पहले दिलचस्पी दिखायी है, उनसे मुलाकात करते वक्त बाइबल अध्ययन की पेशकश रखने की खास कोशिश कर सकें।
3 तैयारी कैसे करें: बाइबल अध्ययन शुरू करने के सुझाव, जनवरी 2006 की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट में और किस तरह बाइबल चर्चाओं को आरंभ करें और जारी रखें पुस्तिका के पेज 4-5 पर दिए गए हैं। कुछ प्रचारक शायद एक ट्रैक्ट का इस्तेमाल करके बाइबल अध्ययन शुरू करें। जैसे, क्या आप सच्चाई जानना चाहेंगे? ट्रैक्ट। इसके अलावा, अगस्त 2007 की हमारी राज्य सेवकाई के पेज 3 पर ये सुझाव दिए गए हैं कि हम उन लोगों के साथ बाइबल अध्ययन कैसे शुरू कर सकते हैं, जिन्होंने पहले पत्रिकाएँ ली थीं। तय किए गए शनिवार या रविवार को प्रचार की सभा चलाने के लिए अलग-अलग प्राचीनों और सहायक सेवकों को ठहराया जाएगा। उन्हें यह सभा 10 से 15 मिनट तक चलानी चाहिए। इस सभा में उन्हें बाइबल अध्ययन शुरू करने के एक-दो कारगर सुझावों पर चर्चा करनी चाहिए या फिर उनका प्रदर्शन दिखाना चाहिए। हमारी राज्य सेवकाई के हाल के अंकों में, प्रचार में हिस्सा लेते वक्त सूझ-बूझ से काम लेने के बारे में जो सुझाव दिए गए थे, उन्हें ध्यान में रखिए।
4 बेशक हर कोई बाइबल अध्ययन कबूल नहीं करेगा और जो कबूल करेगा, ज़रूरी नहीं कि वह आगे भी इसे जारी रखेगा। लेकिन इन वजहों से हमें हार नहीं मान लेनी चाहिए। क्योंकि यहोवा ही है, जो भेड़ सरीखे लोगों को अपने संगठन में खींच लाता है। (यूह. 6:44) हमारी ज़िम्मेदारी सिर्फ सच्चाई का बीज बोना ही नहीं, बल्कि उसकी सिंचाई और देखभाल करना भी है। इसमें नेकदिल लोगों के साथ बाइबल अध्ययन करना शामिल है। ऐसा करके हम परमेश्वर के सहकर्मी के तौर पर सेवा कर रहे होते हैं।—1 कुरि. 3:9.