सत्रहवाँ अध्याय
अपने घराने के साथ भक्ति का बर्ताव करें
1. परमेश्वर के वचन की सलाह मानने से कई लोगों ने शादी-शुदा ज़िंदगी और परिवार में क्या-क्या बदलाव किए हैं?
शादी की शुरूआत यहोवा ने की थी, यह उसी का ठहराया हुआ इंतज़ाम है। और उसके वचन में परिवार के लिए सबसे बेहतरीन मार्गदर्शन दिया गया है। इस पर चलकर, बहुत-से लोग अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी में कामयाब हुए हैं। तारीफ की बात है कि कुछ स्त्री-पुरुष, जो पहले बगैर शादी किए साथ रहते थे, उन्होंने बाइबल की सलाह मानने के बाद अपनी शादी को कानूनी तौर पर रजिस्टर किया है। दूसरों ने ऐसे लोगों के साथ लैंगिक संबंध रखने छोड़ दिए जो उनके जीवन-साथी नहीं थे। कुछ पुरुष जो पहले अपनी पत्नियों और बच्चों पर अत्याचार करते थे, उन्होंने अब उनके साथ प्यार और कोमलता से पेश आना सीख लिया है।
2. मसीही परिवार को किन-किन बातों का ध्यान रखना है?
2 एक मसीही परिवार में कई पहलू होते हैं। मिसाल के तौर पर, हम शादी के अटूट बंधन को किस नज़र से देखते हैं, परिवार में खुद हमारी जो ज़िम्मेदारी बनती है उसे निभाने के लिए हम कैसी कोशिश करते हैं और हम परिवार में एक-दूसरे के साथ कैसा सलूक करते हैं। (इफिसियों 5:33–6:4) परिवार के बारे में बाइबल की हिदायतें जानना एक बात है, मगर उन पर अमल करना दूसरी बात है। हममें से कोई भी उन लोगों में अपनी गिनती नहीं चाहेगा जिनकी यीशु ने इसलिए निन्दा की क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को ताक पर रख दिया था। वे धर्मी होने का पाखण्ड करके खुद को धोखा दे रहे थे। (मत्ती 15:4-9) हम नहीं चाहते कि हमारी भक्ति एक दिखावा हो और हम “अपने ही घराने” में उसके मुताबिक बर्ताव करने से चूक जाएँ। इसके बजाय, हम परमेश्वर की सच्ची भक्ति करना चाहेंगे, क्योंकि यह एक “बड़ी कमाई” है।—1 तीमुथियुस 5:4; 6:6; 2 तीमुथियुस 3:5.
शादी का बंधन कितने समय का है?
3. (क) आज बहुत-सी शादियों के साथ क्या हो रहा है, लेकिन हमारा क्या संकल्प होना चाहिए? (ख) अपनी बाइबल इस्तेमाल करके, इस पैराग्राफ के नीचे दिए गए सवालों के जवाब दीजिए।
3 आज ज़्यादा-से-ज़्यादा शादियाँ बस चंद दिनों में ही टूट जाती हैं। कुछ पति-पत्नी जो कई सालों से साथ मिलकर रहते थे, अब किसी और से शादी करने के लिए तलाक लेने का फैसला कर रहे हैं। आज यह सुनकर ज़रा भी ताज्जुब नहीं होता कि जवान पति-पत्नी कुछ ही दिनों में एक-दूसरे को छोड़कर अलग रहने लगते हैं। खैर, दूसरे चाहे जो भी करें, मगर हमें वही करना चाहिए जिससे यहोवा खुश हो। इसलिए आइए हम नीचे दिए गए सवालों और आयतों की जाँच करें और देखें कि परमेश्वर का वचन, शादी के अटूट रिश्ते के बारे में क्या कहता है।
जब एक पुरुष और स्त्री शादी करते हैं, तो उन्हें कब तक एक-दूसरे का साथ निभाना चाहिए? (मरकुस 10:6-9; रोमियों 7:2,3)
वह एकमात्र कारण क्या है जिससे तलाक लेकर दोबारा शादी करना, परमेश्वर की नज़र में जायज़ है? (मत्ती 5:31,32; 19:3-9)
यहोवा ऐसे तलाक के बारे में कैसा महसूस करता है जो बाइबल के मुताबिक सही नहीं है? (मलाकी 2:13-16)
क्या बाइबल यह सलाह देती है कि पति-पत्नी के बीच पैदा होनेवाली समस्याओं का हल करने के लिए उनका अलग हो जाना ठीक रहेगा? (1 कुरिन्थियों 7:10-13)
किन हालात में पति-पत्नी को अलग होने की ज़रूरत पड़ सकती है? (भजन 11:5; लूका 4:8; 1 तीमुथियुस 5:8)
4. कुछ लोग शादी-शुदा ज़िंदगी में क्यों कामयाब होते हैं?
4 कुछ लोग अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी में कामयाब होते हैं और मरते दम तक एक-दूसरे का साथ निभाते हैं। इसकी वजह? एक वजह है, लड़के या लड़की का तब तक इंतज़ार करना जब तक कि वे शादी जैसा गंभीर कदम उठाने के लिए समझदारी हासिल ना कर लें। इसके अलावा, ऐसा साथी चुनना भी ज़रूरी है जिसकी इच्छाएँ और रुचि आपसे मिलती-जुलती हों और जो आपसे किसी भी मामले पर खुलकर चर्चा कर सके। लेकिन इससे भी अहम बात है, ऐसा साथी चुनना जो यहोवा से प्यार करता हो और दिल से मानता हो कि उसके वचन की सलाह के मुताबिक ही समस्याओं का हल किया जा सकता है। (भजन 119:97,104; 2 तीमुथियुस 3:16,17) ऐसा इंसान यह नहीं सोचेगा कि अगर बात नहीं जमी तो वह अलग हो सकता है या तलाक ले सकता है। वह अपने साथी की खामियों का बहाना बनाकर, अपनी ज़िम्मेदारियों से बचने की कोशिश नहीं करेगा। इसके बजाय, वह समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार होगा और उनका कारगर हल ढूँढ़ने की कोशिश करेगा।
5. (क) शादी-शुदा ज़िंदगी में यहोवा के साथ वफादारी निभाने की बात कैसे आती है? (ख) विरोध का सामना करने के बावजूद, यहोवा के स्तरों पर चलते रहने से क्या फायदे हो सकते हैं?
5 शैतान का दावा है कि अगर हम पर दुःख-तकलीफें आएँगी, तो हम यहोवा के मार्गों पर चलना छोड़ देंगे। (अय्यूब 2:4,5; नीतिवचन 27:11) लेकिन यहोवा के साक्षियों में से जिनको अपने जीवन-साथी के हाथों ज़ुल्म सहने पड़े हैं, उनमें से ज़्यादातर ने अपनी तकलीफों के बावजूद शादी की शपथ को नहीं तोड़ा। वे आज तक यहोवा और उसकी आज्ञाओं के वफादार बने हुए हैं। (मत्ती 5:37) बरसों तक अपने साथी से विरोध सहनेवाले कुछ लोगों को उनके सब्र का फल मिला है। उनके साथियों ने जब आखिरकार यहोवा का सेवक बनने का फैसला किया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा! (1 पतरस 3:1,2) लेकिन कुछ मसीहियों के साथियों में बदलाव के कोई आसार नहीं नज़र आते और वे उन्हें यहोवा की सेवा करने की वजह से छोड़कर चले गए हैं। फिर भी, हमारे ये मसीही भाई-बहन जानते हैं कि उन्होंने जो ईश्वरीय भक्ति दिखायी है, उसका उन्हें ज़रूर प्रतिफल मिलेगा।—भजन 55:22; 145:16.
हरेक अपना भाग अदा करे
6. शादी में कामयाब होने के लिए किस इंतज़ाम का आदर करना ज़रूरी है?
6 बेशक, शादी में कामयाब होने के लिए एक छत के नीचे रहना काफी नहीं। पति और पत्नी, दोनों के लिए एक ज़रूरी बात यह है कि वे मुखियापन के बारे में यहोवा के ठहराए इंतज़ाम का दिल से आदर करें। इससे गड़बड़ी पैदा नहीं होगी और परिवार का हर सदस्य घर में सुख-चैन महसूस करेगा। पहला कुरिन्थियों 11:3 में हम पढ़ते हैं: “हर एक पुरुष का सिर मसीह है: और स्त्री का सिर पुरुष है: और मसीह का सिर परमेश्वर है।”
7. परिवार में मुखियापन की ज़िम्मेदारी किस तरह निभानी चाहिए?
7 क्या आपने गौर किया कि 1 कुरिन्थियों 11:3 में सबसे पहले क्या कहा गया है? जी हाँ, हर पुरुष का सिर मसीह है, जिसके अधीन उसे रहना चाहिए। इसका मतलब यह है कि पुरुष को मुखिया होने की ज़िम्मेदारी निभाते वक्त यीशु जैसे गुण दिखाने होंगे। मसीह, यहोवा के अधीन रहता है, कलीसिया से गहरा प्यार करता और उसकी देखभाल करता है। (1 तीमुथियुस 3:15) यहाँ तक कि उसने कलीसिया के लिए ‘अपने आप को दे दिया।’ यीशु घमंडी और कठोर नहीं है बल्कि वह “नम्र और मन में दीन” है। जो लोग उसके मुखियापन के अधीन आते हैं, वे ‘अपने मन में विश्राम पाते हैं।’ इसी तरह जब एक पति, यीशु के ये गुण दिखाते हुए अपने परिवार के साथ बर्ताव करता है, तो वह यही दिखाता है कि वह मसीह के अधीन है। तो फिर एक मसीही पत्नी को भी समझना चाहिए कि अपने पति की मदद करना और उसके मुखियापन के अधीन रहना उसके लिए फायदेमंद है और यह उसे सुख-चैन और विश्राम देगा।—इफिसियों 5:25-33; मत्ती 11:28,29; नीतिवचन 31:10,28.
8. (क) ऐसा क्यों लग सकता है कि कुछ घरों में मसीही उसूलों पर चलने से अच्छे नतीजे नहीं मिल रहे? (ख) ऐसे हालात पैदा होने पर हमें क्या करना चाहिए?
8 फिर भी, परिवार में समस्याएँ पैदा होंगी ही। इससे पहले कि आप बाइबल के सिद्धांतों को लागू करें, हो सकता है कि घर के लोगों की यह आदत बन चुकी हो कि किसी दूसरे की बात मानने के नाम से ही उन्हें चिढ़ आती है। शायद प्यार से बताने और समझाने-बुझाने का उन पर कोई असर न पड़ता हो। हम बाइबल की यह सलाह जानते हैं कि हमें “क्रोध, और कलह, और निन्दा” से खुद को दूर रखना चाहिए। (इफिसियों 4:31) लेकिन अगर परिवार के किसी सदस्य को प्यार से बताने पर बात समझ नहीं आ रही तब क्या किया जाना चाहिए? ऐसे हालात में, यीशु ने दूसरों की तरह घुड़कने और भला-बुरा कहने का रास्ता नहीं अपनाया। इसके बजाय, उसने यहोवा पर भरोसा रखा। (1 पतरस 2:22,23) इसलिए जब घर पर मुश्किल हालात पैदा होते हैं, तो दुनिया के लोगों जैसा रवैया अपनाने के बजाय, यहोवा से प्रार्थना कीजिए। ऐसा करना यह दिखाएगा कि हमारे अंदर परमेश्वर की भक्ति है।—नीतिवचन 3:5-7.
9. बहुत-से मसीही पतियों ने, अपने साथियों में गलतियाँ ढूँढ़ने के बजाय क्या करना सीखा है?
9 परिवार के सदस्यों में बदलाव, रातों-रात नहीं आ सकता, लेकिन जब हम हिम्मत हारे बिना, धीरज और समझदारी से बाइबल की सलाह लागू करते हैं तब वाकई अच्छे नतीजे निकलते हैं। बहुत-से पतियों ने कलीसिया के साथ मसीह के बर्ताव पर गहराई से विचार किया और जब वे उसकी मिसाल पर चले, तो उन्होंने अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी में सुधार होते देखे। मसीही कलीसिया, सिद्ध इंसानों से नहीं बनी है। फिर भी यीशु उससे प्यार करता, उसके लिए सही मिसाल पेश करता और उसे सुधार करने में मदद देने के लिए परमेश्वर के वचन का इस्तेमाल करता है। यहाँ तक कि उसने कलीसिया की खातिर अपनी जान भी दे दी। (1 पतरस 2:21) उसकी मिसाल देखकर बहुत-से मसीही पतियों ने काफी कुछ सीखा है। वे अच्छे मुखिया बन पाए हैं और अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी में सुधार करने के लिए प्यार से मदद कर सके हैं। जी हाँ, एक-दूसरे की गलतियाँ गिनने और बोलचाल बंद कर देने के बजाय, मसीह की मिसाल पर चलने से अच्छे नतीजे मिलते हैं।
10. (क) मसीही होने का दावा करनेवाला एक पति या पत्नी भी किन तरीकों से घर में दूसरों का जीना दुश्वार कर सकता है? (ख) ऐसे हालात का सामना करने के लिए क्या किया जा सकता है?
10 लेकिन अगर एक पति, परिवार के सदस्यों की भावनाएँ नहीं समझता या परिवार के साथ मिलकर बाइबल की चर्चा करने या कुछ और कामों का इंतज़ाम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाता तब क्या? या तब क्या जब एक पत्नी, परिवार में सहयोग नहीं देती और परमेश्वर के सिद्धांतों के मुताबिक पति के आधीन नहीं रहती? ऐसे हालात में कुछ परिवारों ने साथ बैठकर, आदर की भावना से समस्याओं पर चर्चा करके अच्छे नतीजे पाए हैं। (उत्पत्ति 21:10-12; नीतिवचन 15:22) लेकिन हो सकता है हमें अपनी उम्मीदों के मुताबिक नतीजे न मिलें। फिर भी, हममें से हरेक अगर अपने जीवन में परमेश्वर की आत्मा के फल पैदा करेगा, परिवार के बाकी सदस्यों के साथ प्यार से पेश आएगा, तो हम अपने परिवार के माहौल को खुशनुमा बनाए रख सकते हैं। (गलतियों 5:22,23) रिश्ते में सुधार तब आएगा जब हम यह सोचकर नहीं बैठेंगे कि दूसरे को पहल करनी चाहिए या उसे कदम उठाना चाहिए बल्कि हमारा जो फर्ज़ बनता है, उसे पूरा करने में हम पहल करें। इससे ज़ाहिर होगा कि हम अपने घराने के साथ भक्ति का बर्ताव कर रहे हैं।—कुलुस्सियों 3:18-21.
हल कहाँ से पाएँ?
11, 12. पारिवारिक ज़िंदगी में हमें कामयाबी दिलाने के लिए, यहोवा ने क्या इंतज़ाम किया है?
11 लोग अपने परिवार के मसलों के बारे में सलाह-मशविरा करने के लिए कई जगह जाते हैं। लेकिन हमें मालूम है कि सबसे बेहतरीन सलाह सिर्फ परमेश्वर का वचन ही दे सकता है और इसके लिए हम परमेश्वर के शुक्रगुज़ार हैं कि वह अपने संगठन के ज़रिए हमें उन सलाहों पर चलना सिखा रहा है। क्या आप इस मदद से पूरा-पूरा लाभ उठा रहे हैं?—भजन 119:129,130; मीका 4:2.
12 कलीसिया की सभाओं में हाज़िर होने के अलावा, क्या आपने परिवार के साथ बाइबल अध्ययन करने का समय ठहराया है? जो परिवार ऐसा करते हैं, वे एक-जुट होकर परमेश्वर की उपासना करते हैं। जब वे हालात के मुताबिक, परमेश्वर के वचन की सलाह को अमल में लाते हैं, तो उनका घर खुशियों का आशियाना बन जाता है।—व्यवस्थाविवरण 11:18-21.
13. (क) अगर परिवार के मामले में हमारे मन में कुछ सवाल हैं, तो हम अकसर उनका जवाब कहाँ पा सकते हैं? (ख) हमारे सभी फैसलों से क्या ज़ाहिर होना चाहिए?
13 हो सकता है, परिवार के संबंध में आपके मन में कुछ सवाल हों। मिसाल के लिए, परिवार-नियोजन के बारे में क्या? क्या किसी भी हालत में गर्भपात करना जायज़ है? अगर एक बच्चा आध्यात्मिक मामलों में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाता, तो किस हद तक उससे परिवार के साथ मिलकर उपासना में भाग लेने की माँग की जानी चाहिए? ऐसे कई सवालों पर यहोवा के साक्षियों द्वारा प्रकाशित किए गए साहित्य में चर्चा की गयी है। अपने सवालों के जवाब मालूम करने के लिए, बाइबल की समझ देनेवाली इन किताबों, साथ ही इंडैक्स का इस्तेमाल करना सीखिए। अगर इंडैक्स में बताया गया कोई साहित्य आपके पास नहीं है, तो किंगडम हॉल की लाइब्ररी में ढूँढ़िए। या हो सकता है ये साहित्य आपको अपने कंप्यूटर पर मिल जाएँ। आप अपनी समस्याओं के बारे में अनुभवी मसीही भाई-बहनों से भी बात कर सकते हैं। लेकिन हर सवाल का जवाब सीधे हाँ या न में पाने की उम्मीद मत कीजिए। ज़्यादातर मामलों में अपने लिए या पति-पत्नी के नाते परिवार के लिए, खुद आपको फैसला करना होगा। तो खोजबीन के बाद ऐसे फैसले कीजिए जिनसे ज़ाहिर हो कि आप न सिर्फ लोगों के सामने बल्कि अपने घराने के साथ भी भक्ति का बर्ताव करते हैं।—रोमियों 14:19; इफिसियों 5:10.
आइए याद करें
• ज़िंदगी-भर अपने जीवन-साथी का साथ निभाना, कैसे यहोवा के वफादार होने का सबूत है?
• परिवार की समस्याओं की वजह से जब हम पर दबाव आए, तो क्या करने से हम परमेश्वर को खुश कर सकेंगे?
• परिवार में उठी किसी समस्या को सुलझाने में दूसरे सदस्य भले ही साथ ना दें, लेकिन हम अपनी तरफ से क्या कर सकते हैं?
[पेज 155 पर तसवीर]
एक पति को मुखियापन की ज़िम्मेदारी निभाते वक्त यीशु के गुण दिखाने चाहिए
[पेज 157 पर तसवीर]
साथ मिलकर और नियमित तौर पर बाइबल अध्ययन करने से परिवार की एकता मज़बूत होती है