मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
3-9 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | गिनती 27-29
“यहोवा जैसे बनिए, भेदभाव मत कीजिए”
यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए
14 पाँचों बहनें मूसा के पास आयीं और उन्होंने उससे पूछा: “हमारे पिता का नाम उसके कुल में से पुत्र न होने के कारण क्यों मिट जाए?” उन्होंने बिनती की: “हमारे चाचाओं के बीच हमें भी कुछ भूमि निज भाग करके दे।” क्या मूसा ने उन्हें इस तरह जवाब दिया, ‘हम आपके लिए नया कानून नहीं बना सकते’? नहीं, इसके बजाय “उनकी यह बिनती मूसा ने यहोवा को सुनाई।” (गिन. 27:2-5) मूसा को क्या जवाब मिला? यहोवा ने उससे कहा: “सलोफाद की बेटियां ठीक कहती हैं; इसलिये तू उनके चाचाओं के बीच उनको भी अवश्य ही कुछ भूमि निज भाग करके दे, अर्थात् इनके पिता का भाग उनके हाथ सौंप दे।” यहोवा ने कुछ और भी किया। उसने एक नया कानून बनाया और मूसा को यह हिदायत दी: “यदि कोई मनुष्य निपुत्र मर जाए, तो उसका भाग उसकी बेटी के हाथ सौंपना।” (गिन. 27:6-8; यहो. 17:1-6) इसके बाद से जो भी इसराएली स्त्री ऐसे हालात में होती, उसे अपनी विरासत ज़रूर मिलती।
यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए
15 यह कितना प्यार-भरा और निष्पक्ष फैसला था! ये पाँच बहनें बेबस थीं, लेकिन यहोवा उनके साथ उसी गरिमा से पेश आया जैसे वह बाकी सभी इसराएलियों के साथ पेश आया था। (भज. 68:5) यह बाइबल में दर्ज़ उन बहुत-से वाकयों में से सिर्फ एक है, जो दिल छू लेनेवाली इस सच्चाई का बयान करता है कि यहोवा अपने सभी सेवकों के साथ एक समान पेश आता है, वह किसी के साथ भेदभाव नहीं करता।—1 शमू. 16:1-13; प्रेषि. 10:30-35, 44-48.
यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए
16 भेदभाव न करने के मामले में हम यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? याद कीजिए कि भेदभाव न करने में दो बातें शामिल हैं। जब हमारे मन में भेदभाव की भावना नहीं होगी, तभी हम दूसरों के साथ अपने व्यवहार में भेदभाव नहीं करेंगे। यह सच है कि हम सभी अपने बारे में यही सोचते हैं कि हम भेदभाव नहीं करते। लेकिन यह भी सच है कि हम हमेशा अपनी भावनाओं का सही-सही जायज़ा नहीं कर सकते। तो हम असल में भेदभाव करते हैं कि नहीं, यह पता लगाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? यीशु की मिसाल पर गौर कीजिए। जब वह जानना चाहता था कि लोग उसके बारे में क्या कह रहे हैं, तो उसने अपने भरोसेमंद दोस्तों से पूछा: “लोग क्या कहते हैं, इंसान का बेटा कौन है?” (मत्ती 16:13, 14) यीशु की तरह क्यों न आप अपने किसी ऐसे दोस्त से बात करें, जो आपके सवाल का सच-सच जवाब देगा और उससे पूछें, “क्या तुम्हें लगता है कि मैं पक्षपाती हूँ? और लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं?” अगर वह आपको बताता है कि आप किसी की जाति या तबके की वजह से या फिर किसी की दौलत आँककर थोड़ा-बहुत भेदभाव करते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? सच्चे मन से यहोवा से बिनती कीजिए कि वह आपको अपना नज़रिया बदलने में मदद दे, ताकि आप यहोवा की मिसाल पर और नज़दीकी से चल सकें और किसी के साथ भेदभाव न करें।—मत्ती 7:7; कुलु. 3:10, 11.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-2 पेज 528 पै 5
चढ़ावे
अर्घ। इसराएली जब वादा किए गए देश में बस गए, तो उसके बाद से वे ज़्यादातर चढ़ावों के साथ अर्घ भी चढ़ाने लगे। (गिन 15:2, 5, 8-10) अर्घ में दाख-मदिरा होती थी। इसे वेदी पर पूरी तरह उँडेल दिया जाता था। (गिन 28:7, 14; निर्ग 30:9 और गिन 15:10 से तुलना करें) पौलुस ने अपनी चिट्ठी में फिलिप्पी के मसीहियों से कहा, “फिर भी चाहे तुम्हारे उस बलिदान पर और तुम्हारी पवित्र सेवा पर जो तुम विश्वास की वजह से कर रहे हो, मुझे अर्घ की तरह उँडेला जा रहा है, तो भी मैं खुश होता हूँ।” पौलुस यह कह रहा था कि जैसे वेदी पर अर्घ पूरी तरह उँडेल दिया जाता था, उसी तरह वह भाई-बहनों की खातिर खुद को पूरी तरह दे देने के लिए तैयार है। (फिल 2:17) उसने अपनी मौत से कुछ समय पहले तीमुथियुस के नाम चिट्ठी में कहा, “मुझे अर्घ की तरह उँडेला जा रहा है और मेरी रिहाई का वक्त एकदम करीब है।”—2 तीम 4:6.
बढ़ाएँ प्रचार में हुनर
प्र07 4/1 पेज 17-18
ऐसे बलिदान चढ़ाइए जिन्हें परमेश्वर स्वीकार करे “मेसोअमेरिका में प्राचीन ऐज़टेक जाति के लोग मानते थे कि किसी की मौत से ही किसी को ज़िंदगी मिल सकती है। इसलिए उन्होंने इतने सारे इंसानों की बलि चढ़ायी जितना कि पहले कभी नहीं चढ़ायी गयी थी। जैसे-जैसे उनका साम्राज्य फलने-फूलने लगा, वे और भी ज़्यादा लोगों की बलियाँ चढ़ाने लगे।” यह बात ताकतवर ऐज़टेक नाम की किताब में लिखी है। एक और किताब में लिखा है कि ऐज़टेक लोगों ने एक साल में 20,000 लोगों की बलि चढ़ा दी।
सदियों से लोग अपने देवी-देवताओं को खुश करने के लिए किसी-न-किसी तरह की बलि चढ़ाते आए हैं। डर और आशंका की वजह से या दोष की भावना की वजह से वे बलिदान चढ़ाते हैं। बाइबल में बताया गया है कि यहोवा परमेश्वर ने इसराएलियों को कुछ तरह के बलिदान चढ़ाने की आज्ञा दी थी। तो हमें जानना होगा कि परमेश्वर हमसे किस तरह के बलिदान चाहता है। और क्या आज भी परमेश्वर की उपासना करने के लिए उसे बलिदान और चढ़ावे देना ज़रूरी है।
सच्ची उपासना में चढ़ावे और बलिदान जब इसराएली लोगों का एक राष्ट्र बना, तो यहोवा ने उन्हें साफ-साफ बताया कि उन्हें उसकी उपासना कैसे करनी चाहिए और क्या-क्या चढ़ावे और बलिदान देने चाहिए। (गिनती, अध्याय 28 और 29) उन्हें अनाज वगैरह का चढ़ावा देना होता था और कुछ पशु-पक्षियों की बलि देनी होती थी। जैसे बैलों, भेड़ों, बकरियों, फाख्तों और कबूतरों की। (लैव्यव्यवस्था 1:3, 5, 10, 14; 23:10-18; गिनती 15:1-7; 28:7) होम-बलि के जानवर को पूरी तरह आग में जला देना होता था। (निर्गमन 29:38-42) उन्हें शांति-बलि भी चढ़ानी थी। इस बलिदान में कुछ चीज़ें परमेश्वर को अर्पित की जाती थीं और कुछ चीज़ें बलिदान चढ़ानेवाला खा सकता था।—लैव्यव्यवस्था 19:5-8.
मूसा के कानून में बताए गए बलिदान चढ़ाना इसराएलियों के लिए उपासना करने का एक तरीका था। वे मानते थे कि यहोवा ही पूरी दुनिया का मालिक है, इसलिए वे उसकी उपासना करते थे और उसी को बलिदान चढ़ाते थे। बलिदान चढ़ाकर वे मानो यहोवा से यह भी कहते थे कि वे उसके एहसानमंद हैं, क्योंकि वह उन्हें आशीषें देता है और उनकी रक्षा करता है। वे अपने पापों की माफी के लिए भी बलि चढ़ाते थे। जब तक उन्होंने यहोवा के बताए तरीके से उसकी उपासना की, तब तक यहोवा ने उन्हें बहुत-सी आशीषें दीं।—नीतिवचन 3:9, 10.
जब इसराएली बलिदान चढ़ाते थे, तो यहोवा सबसे पहले यह देखता था कि उनकी सोच और उनका चालचलन सही है या नहीं। यहोवा ने भविष्यवक्ता होशे के ज़रिए कहा, “मैं अटल प्यार से खुश होता हूँ, बलिदान से नहीं, परमेश्वर के बारे में ज्ञान से खुश होता हूँ, पूरी होम-बलियों से नहीं।” (होशे 6:6) जब लोग झूठे देवताओं को पूजने लगे और बुरे-बुरे काम करने लगे और बेकसूर लोगों का खून बहाने लगे, तो उनके बलिदानों को यहोवा ने बेकार समझा। यहोवा ने यशायाह के ज़रिए ऐसे लोगों से कहा, “तुम्हारे ढेरों बलिदान मेरे किस काम के? मेढ़ों की होम-बलि और मोटे-ताज़े जानवरों की चरबी से मैं उकता चुका हूँ, अब मुझे तुम्हारे बैलों और भेड़-बकरियों के खून से कोई खुशी नहीं मिलती।”—यशायाह 1:11.
‘ऐसा काम जिसकी मैंने कभी आज्ञा नहीं दी’
कनानी लोगों के बलिदान इसराएलियों के बलिदानों से बिलकुल अलग होते थे। वे अपने देवताओं को अपने बच्चों की बलि चढ़ाते थे। अम्मोनियों के मोलेक देवता के लिए भी इस तरह की बलि दी जाती थी। मोलेक को मिलकोम और मोलोक भी कहा जाता था। (1 राजा 11:5, 7, 33; प्रेषितों 7:43) हैली की बाइबल पुस्तिका (अँग्रेज़ी) में लिखा है, “कनानी लोग अपने देवताओं के सामने नीच लैंगिक काम करते थे और फिर उन्हीं देवताओं के लिए अपने पहलौठे बच्चों को बलि कर देते थे। यही उनकी पूजा थी।”
क्या यहोवा ऐसे बलिदानों से खुश होता था? बिलकुल भी नहीं। जब इसराएली कनान देश में जानेवाले थे, तो यहोवा ने उनसे साफ कहा, “अगर कोई इसराएली आदमी या इसराएल में रहनेवाला कोई परदेसी अपने किसी बच्चे को मोलेक के लिए अर्पित करता है, तो उसे हर हाल में मार डाला जाए। देश के लोगों को उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए। मैं ऐसे आदमी को ठुकरा दूँगा और उसे मौत की सज़ा दूँगा क्योंकि उसने अपना बच्चा मोलेक को अर्पित करके मेरे पवित्र-स्थान को दूषित किया है और मेरे पवित्र नाम का अपमान किया है।”—लैव्यव्यवस्था 20:2, 3.
हैरानी की बात है कि कनान देश में बसने के बाद कुछ इसराएली झूठी उपासना करने लगे और अपने बच्चों को झूठे देवताओं के लिए बलि करने लगे। उनके बारे में भजन 106:35-38 में लिखा है, “वे उन जातियों से घुल-मिल गए और उनके तौर-तरीके अपना लिए। वे उनकी मूरतों की सेवा करते रहे और ये उनके लिए फंदा बन गयीं। वे दुष्ट स्वर्गदूतों के लिए अपने बेटे-बेटियों का बलिदान चढ़ाते थे। वे मासूमों का खून बहाते रहे, अपने ही बेटे-बेटियों का खून बहाते रहे, जिन्हें वे कनान की मूरतों को बलिदान चढ़ाते थे और सारा देश उनके बहाए खून से दूषित हो गया।”
10-16 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | गिनती 30-31
“अपनी मन्नतें पूरी कीजिए”
इंसाइट-2 पेज 1162
मन्नत
मन्नत पूरी करना ज़रूरी। इसराएली अपनी मरज़ी से मन्नत मान सकते थे। किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं की जाती थी। लेकिन परमेश्वर का कानून था कि अगर कोई मन्नत माने, तो वह उसे ज़रूर पूरा करे। कानून में बताया गया था कि जब कोई मन्नत मानता है, तो वह “खुद पर बंदिश लगाता है” यानी अगर वह अपनी मन्नत या शपथ पूरा नहीं करता, तो उसे मौत की सज़ा मिलती। (गि 30:2; रोम 1:31, 32 भी देखें।) इसलिए बाइबल में ज़ोर देकर बताया गया है कि मन्नत मानने या शपथ लेने से पहले हमें अच्छी तरह सोचना चाहिए कि हम पर क्या-क्या ज़िम्मेदारियाँ आ सकती हैं और क्या हम वह ज़िम्मेदारियाँ लेने के लिए तैयार हैं। कानून में लिखा है, ‘अगर तुम यहोवा के लिए कोई मन्नत मानते हो, तो यहोवा तुमसे ज़रूर इसकी माँग करेगा। अगर तुम उसे पूरा नहीं करते तो तुम पापी ठहरोगे। लेकिन अगर तुम कोई मन्नत नहीं मानते तो तुम पाप के दोषी नहीं हो।’—व्य 23:21, 22.
इंसाइट-2 पेज 1162
मन्नत
एक इसराएली परमेश्वर से पूरी गंभीरता के साथ जो वादा करता, उसे मन्नत कहा जाता था। वह चाहे तो कोई चढ़ावा चढ़ाने, भेंट देने, किसी तरह की सेवा करने या कुछ ऐसी चीज़ों का त्याग करने का वादा कर सकता था जो कानून के मुताबिक गलत नहीं थीं। मन्नत अपनी मरज़ी से मानी जाती थी। मन्नत को शपथ के जितना गंभीर समझा जाता था और कुछ आयतों में मन्नत और शपथ का एक-साथ ज़िक्र किया गया है। (गि 30:2; मत 5:33) मन्नत मानने का मतलब है वादा करना और शपथ का मतलब है अपने से किसी बड़े के नाम पर गारंटी देना कि मैं अपना वादा ज़रूर पूरा करूँगा। लोग करार करते समय अकसर शपथ लिया करते थे।—उत 26:28; 31:44, 53.
गिनती किताब की झलकियाँ
निर्गमन 30:6-8—क्या एक मसीही पुरुष अपनी पत्नी की मन्नतें रद्द कर सकता है? आज यहोवा अपने हर सेवक को उसकी मन्नत के लिए ज़िम्मेदार ठहराता है। मसलन, यहोवा को अपना जीवन समर्पित करना एक निजी मन्नत है। (गलतियों 6:5) पत्नी की ऐसी मन्नत को रद्द करने का हक पति को नहीं है। मगर एक पत्नी को भी ऐसी मन्नत नहीं माननी चाहिए जो परमेश्वर के वचन के खिलाफ हो या जिसकी वजह से वह पति की तरफ अपनी ज़िम्मेदारी को निभा न सके।
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इंसाइट-2 पेज 28 पै 1
यिप्तह
इसराएली माता-पिताओं को अधिकार दिया गया था कि वे अपने बच्चों को पवित्र स्थान में सेवा करने के लिए दे सकते थे। हन्ना ने शमूएल के जन्म से पहले ही मन्नत मानी थी कि अगर उसका लड़का हुआ, तो वह उसे पवित्र डेरे में सेवा करने के लिए दे देगी। हन्ना के पति एलकाना ने उसकी मन्नत को मंज़ूर किया। इसलिए जैसे ही शमूएल का दूध छुड़ाया गया, हन्ना उसे पवित्र डेरे में सेवा करने के लिए ले गयी। उस वक्त वह एक जानवर भी बलिदान करने के लिए ले गयी। (1शम 1:11, 22-28; 2:11) शिमशोन को नाज़ीर के नाते सेवा करने के लिए खास तौर से चुना गया था। (न्या 13:2-5, 11-14) एक पिता को अपनी बेटी पर क्या अधिकार दिया गया था, इस बारे में गिनती 30:3-5, 16 में समझाया गया है।
17-23 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | गिनती 32-33
“उन सभी लोगों को भगा देना जो वहाँ बसे हुए हैं”
प्र10 8/1 पेज 23, अँग्रेज़ी
क्या आप जानते हैं?
इब्रानी शास्त्र में बतायी गयी ‘पूजा की ऊँची जगह’ क्या थीं? परमेश्वर ने इसराएलियों को जो देश देने का वादा किया था, वहाँ पहले कनानी लोग रहते थे। कनानियों ने वहाँ कई पूजा-स्थल बना रखे थे। इसलिए जब इसराएली उस देश में जानेवाले थे, तो यहोवा ने उनसे कहा, ‘तुम उनकी सभी मूरतें चूर-चूर कर देना, फिर चाहे वे पत्थर की नक्काशीदार मूरतें हों या धातु की मूरतें और उनकी पूजा की सभी ऊँची जगह ढा देना।’ (गिनती 33:52) ये पूजा की ऊँची जगह शायद पहाड़ियों पर खुले में बनायी गयी थीं। और कुछ जगह पेड़ों के नीचे या शहर में कहीं ऊँचे चबूतरों पर बनायी गयी थीं। (1 राजा 14:23; 2 राजा 17:29; यहेजकेल 6:3) इन पूजा-स्थलों में वेदियाँ, पूजा-लाठें या खंभे, मूरतें, धूप-स्तंभ और पूजा-पाठ की दूसरी चीज़ें हुआ करती थीं।
इस्राएलियों की गलतियों से सीखिए
इस्राएलियों की तरह आज हम भी कई चुनौतियों का सामना करते हैं। भले ही आज के ज़माने में बाल की उपासना नहीं की जाती, लेकिन ऐसी कई चीज़ों और लोगों को ईश्वर माना जाता है। जैसे पैसा, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी, राजनीतिक संगठन, धर्म-गुरु और परिवार के सदस्य भी। इनमें से कोई भी चीज़ या व्यक्ति हमारी ज़िंदगी में पहली जगह ले सकता है। जो लोग यहोवा से प्यार नहीं करते, उनके साथ गहरी दोस्ती करना खतरे से खाली नहीं। क्योंकि इससे हम यहोवा के साथ अपने रिश्ते को बिगाड़ सकते हैं।
बाल की उपासना का एक अहम हिस्सा था, नाजायज़ लैंगिक संबंध। और इस फँदे में न जाने कितने इस्राएली जा फँसे थे। आज भी परमेश्वर के कई सेवक इस फँदे में फँस जाते हैं। मिसाल के लिए, अगर एक इंसान सतर्क न रहे तो वह घर बैठे ही बड़ी आसानी से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी देख सकता है और अपने विवेक को अशुद्ध कर सकता है। अगर एक मसीही के साथ ऐसा हो, तो यह कितने दुःख की बात होगी।
इंसाइट-1 पेज 404 पै 2
कनान
यहोवा ने मूसा के ज़रिए यहोशू को आज्ञा दी थी कि वह कनानी लोगों का नाश कर दे। यहोशू ने ठीक वैसा ही किया। उसने “कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ा।” (यह 11:15) मगर बाद में इसराएलियों ने यहोशू की तरह काम नहीं किया। उन्होंने उन कनानी लोगों को छोड़ दिया जो देश में बच गए थे। इन कनानी लोगों की वजह से बाद में इसराएल देश में अपराध, बदचलनी और मूर्तिपूजा होने लगी। इसका नतीजा यह था कि कई लोगों की मौत हो गयी। अगर इसराएली परमेश्वर की बात मानते और सभी कनानियों का नाश कर देते, तो ऐसा नहीं होता। (गिन 33:55, 56; न्या 2:1-3, 11-23; भज 106:34-43) यहोवा ने इसराएलियों को पहले ही बता दिया था कि अगर वे कनानी लोगों से दोस्ती करेंगे, उनसे शादी करेंगे, उनके धर्म के रीति-रिवाज़ अपना लेंगे और उनके जैसे नीच काम करेंगे, तो वह उन्हें सज़ा देगा। जैसे उसने कनानी लोगों का नाश किया, उसी तरह वह इसराएलियों का भी नाश कर देगा। वह कोई भेदभाव नहीं करेगा। उन्हें भी उस देश से ‘खदेड़ दिया जाएगा।’—निर्ग 23:32, 33; 34:12-17; लैव 18:26-30; व्य 7:2-5, 25, 26.
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इंसाइट-1 पेज 359 पै 2
सरहद
एक बार जब यह फैसला हो गया कि गोत्रों को कहाँ-कहाँ ज़मीन मिलनी चाहिए, तो इसके बाद यह तय किया गया कि हर गोत्र को कितना बड़ा इलाका मिलना चाहिए। इसके लिए यह देखा गया कि एक गोत्र कितना बड़ा है। यहोवा ने यह निर्देश दिया था, “तुम चिट्ठियाँ डालकर देश की ज़मीन अपने सभी घरानों में बाँट देना। जो समूह बड़ा है उसे विरासत में ज़्यादा ज़मीन देना और जो समूह छोटा है उसे कम देना। चिट्ठियाँ डालकर तय किया जाए कि देश में किसे कहाँ पर विरासत की ज़मीन मिलेगी।” (गि 33:54) हर गोत्र को देश में वहीं पर ज़मीन दी जानी थी जो चिट्ठियों के मुताबिक तय हुआ था। इसमें कोई फेरबदल नहीं किया जाना था। मगर गोत्र बड़ा है या छोटा, यह देखकर उसका इलाका बढ़ाया जा सकता था या घटाया जा सकता था। इसी वजह से जब देखा गया कि यहूदा को मिलनेवाला इलाका कुछ ज़्यादा ही बड़ा है, तो उसे घटा दिया गया। और उसी के इलाके में कहीं-कहीं पर शिमोन गोत्र को ज़मीन दी गयी।—यह 19:9.
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प्र09 10/1 पेज 30, अँग्रेज़ी
परमेश्वर ने इसराएलियों को युद्ध में जीत दिलायी
मसीही धर्म शुरू होने से सदियों पहले यहोवा ने इसराएलियों को अपना राष्ट्र चुना था। वह उन्हें कभी-कभी दूसरे देशों के लोगों से युद्ध करने के लिए कहता था। मिसाल के लिए, जब वे कनान देश में जानेवाले थे, तो यहोवा ने उनसे कहा, “तुम्हारा परमेश्वर यहोवा [सात जातियों को] तुम्हारे हाथ में कर देगा और तुम उन्हें हरा दोगे। तुम उन्हें हर हाल में नाश कर देना। तुम उनके साथ कोई भी करार न करना, न ही उन पर तरस खाना।” (व्यवस्थाविवरण 7:1, 2) इसराएलियों के सेनापति यहोशू ने उन जातियों का नाश कर दिया, ‘ठीक जैसे यहोवा ने आज्ञा दी थी।’—यहोशू 10:40.
क्या यहोवा ने इसराएलियों से यह कहा कि वे बिना किसी वजह के दूसरी जातियों पर हमला कर दें, उनका सबकुछ लूट लें और अंधाधुंध उनका नाश कर दें? नहीं। उन जातियों का नाश करने की एक वजह थी। उन्होंने कनान देश को मूर्तिपूजा से भर दिया था। जहाँ देखो वहाँ वे खून-खराबा और नीच लैंगिक काम करते थे और अपने बच्चों को भी आग में जलाकर बलि कर देते थे। (गिनती 33:52; यिर्मयाह 7:31) परमेश्वर पवित्र है, न्याय से काम करता है और अपने लोगों से प्यार करता है, इसलिए उसने आज्ञा दी कि देश से उन बुरे लोगों को मिटा दिया जाए। मगर यहोवा ने यह भी देखा कि कनान के लोगों में से किनका दिल अच्छा है, जो कि कोई भी सेनापति नहीं देख सकता था। यहोवा ने इसराएलियों से कहा कि जो लोग बुरे काम छोड़कर उसकी उपासना करने के लिए तैयार होंगे, उनका वे नाश न करें।
24-30 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | गिनती 34-36
“यहोवा के पास जाकर शरण पाइए”
क्या आप यहोवा की पनाह लेते हैं?
4 लेकिन तब क्या जब एक इसराएली के हाथों गलती से किसी का खून हो जाता था? हालाँकि उसने जानबूझकर खून नहीं किया था, फिर भी वह एक बेकसूर की जान लेने का दोषी था। (उत्प. 9:5) ऐसे मामले में यहोवा ने कहा था कि उस आदमी पर दया की जा सकती है। अनजाने में खून करनेवाला छ: शरण नगरों में से किसी एक में भागकर शरण ले सकता था ताकि खून का बदला लेनेवाले से अपनी जान बचा सके। शरण नगर में उसे हिफाज़त मिलती थी। फिर महायाजक की मौत तक उसे शरण नगर के अंदर ही रहना होता था।—गिन. 35:15, 28.
क्या आप यहोवा की पनाह लेते हैं?
6 अगर एक इसराएली गलती से किसी का खून करता था, तो उसे शरण नगर में भागना होता था और नगर के फाटक पर मुखियाओं के सामने “अपना मामला पेश करना” होता था। तब मुखिया उसे नगर में ले लेते थे। (यहो. 20:4) फिर कुछ समय बाद उसे वापस उस शहर भेजा जाता था जहाँ खून हुआ था ताकि वहाँ के मुखिया उसके मुकदमे का फैसला करें। (गिनती 35:24, 25 पढ़िए।) अगर मुखिया यह फैसला सुनाते कि उससे अनजाने में खून हुआ है और वह निर्दोष है, तो उसे वापस शरण नगर भेज दिया जाता था।
क्या आप यहोवा की पनाह लेते हैं?
13 जो इंसान शरण नगर में भागकर जाता था, वहाँ वह सुरक्षित रहता था। यहोवा ने साफ बताया था, ‘वहाँ उसे हिफाज़त मिलेगी।’ (यहो. 20:2, 3) यहोवा ने कहा था कि उस पर दोबारा मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और न ही खून का बदला लेनेवाले को नगर में घुसकर उसे मार डालने की इजाज़त थी। शरण नगर में अब वह इंसान यहोवा की पनाह में महफूज़ रह सकता था। लेकिन यह नगर कोई जेल नहीं था। उसे काम करने की छूट थी, वह दूसरों की मदद कर सकता था और शांति से यहोवा की सेवा कर सकता था। जी हाँ, वह शरण नगर में रहकर खुशहाल ज़िंदगी जी सकता था!
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
प्र91 2/15 पेज 13 पै 13, अँग्रेज़ी
सबकी खातिर फिरौती का बराबर दाम
13 फिरौती का फायदा आदम और हव्वा को नहीं मिलेगा। मूसा के कानून में लिखा था, “जो खूनी मौत की सज़ा के लायक है उसके लिए तुम कोई फिरौती की कीमत लेकर उसे ज़िंदा मत छोड़ना।” (गिनती 35:31) आदम ने धोखे में आकर नहीं बल्कि जानबूझकर पाप किया था। (1तीमुथियुस 2:14) उसने और हव्वा ने परिपूर्ण होकर भी परमेश्वर का कानून जानबूझकर तोड़ा था। इसलिए वे मौत की सज़ा के लायक थे। आदम और हव्वा की वजह से उनकी संतान भी अपरिपूर्ण हो गयी और उन पर मौत आने लगी। उन सबकी मौत के लिए आदम और हव्वा ज़िम्मेदार थे, यानी वे खूनी थे। इसलिए यहोवा फिरौती के इंतज़ाम से आदम और हव्वा को फायदा नहीं दिलाएगा। आदम और हव्वा को पाप की मज़दूरी यानी मौत दी गयी। लेकिन उनकी संतान को जो मौत की सज़ा मिली, उसे परमेश्वर ने रद्द कर दिया। (रोमियों 5:16) यीशु ने अपनी जान की फिरौती दी और ‘हर इंसान के लिए’ यानी आदम की सभी संतान के लिए ‘मौत का दुख झेला।’ उसकी फिरौती से सभी इंसानों को मौत से छुटकारा मिल सकता है।—इब्रानियों 2:9; 2कुरिंथियों 5:21; 1पतरस 2:24.
31 मई–6 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | व्यवस्थाविवरण 1-2
“तुम परमेश्वर की तरफ से न्याय करते हो”
प्र96 3/15 पेज 23 पै 1
यहोवा धार्मिकता और न्याय से प्रीति रखनेवाला
नियुक्त कलीसिया प्राचीन गंभीर कुकर्म के मामलों में न्याय करने के लिए बाध्य हैं। (1 कुरिन्थियों 5:12, 13) ऐसा करते समय, वे याद रखते हैं कि परमेश्वर का न्याय जहाँ संभव हो वहाँ दया दिखाने का प्रयास करता है। यदि उसके लिए कोई आधार न हो—जैसा कि पश्चाताप-रहित पापियों के मामले में—तो दया नहीं दिखायी जा सकती। लेकिन प्राचीन एक ऐसे कुकर्मी को दण्ड देने की भावना से कलीसिया से बाहर नहीं करते। वे आशा करते हैं कि बहिष्कृत करने की कार्यवाही आप ही उसे होश में ले आएगी। (यहेजकेल 18:23 से तुलना कीजिए।) मसीह के मुखियापन के अधीन, प्राचीन न्याय के हित में कार्य करते हैं, और इसमें “आंधी से छिपने का स्थान” होना सम्मिलित है। (यशायाह 32:1, 2) इसलिए उन्हें निष्पक्षता और कोमलता दिखाने की ज़रूरत है।—व्यवस्थाविवरण 1:16, 17.
वफादारी से परमेश्वर के ठहराए हुए अधिकार के अधीन रहिए
4 मगर, एक न्यायी के लिए सिर्फ व्यवस्था का ज्ञान होना काफी नहीं था। ये पुरनिए असिद्ध थे, इसलिए उन्हें हमेशा सावधान रहना था कि वे कभी अपने अंदर स्वार्थ, पक्षपात और लोभ जैसी गलत भावनाएँ पैदा न होने दें, जिससे उनका न्याय बिगड़े। मूसा ने उनसे कहा: “न्याय करते समय किसी का पक्ष न करना; जैसे बड़े की वैसे ही छोटे मनुष्य की भी सुनना; किसी का मुंह देखकर न डरना, क्योंकि न्याय परमेश्वर का काम है।” (तिरछे टाइप हमारे।) जी हाँ, इस्राएल के न्यायी परमेश्वर की तरफ से न्याय कर रहे थे। सचमुच, यहोवा की तरफ से न्याय करना कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी और सम्मान की बात थी!—व्यवस्थाविवरण 1:16, 17.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
यहोवा की चितौनियाँ विश्वासयोग्य हैं
9 जब इसराएलियों ने विराने में अपना 40 साल का सफर शुरू किया, तो यहोवा ने उन्हें साफ-साफ नहीं बताया था कि वह ठीक कैसे उन्हें निर्देश देगा, उनकी हिफाज़त करेगा और उनकी देखभाल करेगा। फिर भी उसने बार-बार यह ज़ाहिर किया कि अगर वे उस पर भरोसा रखें और उसकी हिदायतें मानें, तो उन्हें फायदा होगा। दिन में बादल के खंभे और रात में आग के खंभे के ज़रिए उनकी अगुवाई करके, यहोवा ने उन्हें याद दिलाया कि वह उस मुश्किल सफर में उनके साथ है। (निर्ग. 40:36-38; व्यव. 1:19) उसने उनकी ज़रूरतें भी पूरी कीं। “न तो उनके वस्त्र पुराने हुए और न उनके पांव में सूजन हुई।” वाकई, “उनको कुछ घटी न हुई।”—नहे. 9:19-21.
7-13 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | व्यवस्थाविवरण 3-4
“यहोवा के नियमों को मानने में ही बुद्धिमानी है”
इंसाइट-2 पेज 1140 पै 5
समझ
जो व्यक्ति परमेश्वर के वचन का अच्छी तरह अध्ययन करेगा और परमेश्वर की आज्ञाएँ मानेगा, उसे उन लोगों से भी ज़्यादा समझ मिल सकती है जो उससे उम्र में बड़े हैं या जिन्होंने उसे पहले कुछ सिखाया हो। (भज 119:99, 100, 130; लूक 2:46, 47 से तुलना कीजिए।) परमेश्वर ने हमें इस तरह के कानून दिए हैं कि उन्हें मानने से हम बुद्धिमान बन सकते हैं। अगर इसराएली हमेशा परमेश्वर के कानूनों को मानते, तो आस-पास के देशों के लोग ज़रूर कहते कि वे बहुत “बुद्धिमान और समझदार हैं।” (व्य 4:5-8; भज 111:7, 8, 10; 1रा 2:3 से तुलना करें।) जिस इंसान में समझ होती है, उसे एहसास रहता है कि उसे परमेश्वर के खिलाफ कोई काम नहीं करना चाहिए बल्कि उसके मुताबिक ही काम करना चाहिए और इसके लिए परमेश्वर से मदद माँगनी चाहिए। (भज 119:169) वह कोशिश करता है कि परमेश्वर की बातें उसके दिल में गहराई तक असर करें (मत 13:19-23), वह परमेश्वर की बातों को अपने “दिल की पटिया” पर लिख लेता है (नीत 3:3-6; 7:1-4) और “हर झूठी राह से” नफरत करता है। (भज 119:104) जब परमेश्वर का बेटा धरती पर था, तो उसने भी समझ से काम लिया। परमेश्वर के वचन में उसके बारे में जो लिखा था उसे पूरा करने के लिए वह काठ पर मरने को भी तैयार हो गया। उसने मौत से बचने की कोशिश नहीं की।—मत 26:51-54.
प्र99 11/1 पेज 20 पै 6-7
जब दरियादिली दिखायी जाती है
रानी तो ये सब कुछ देख-सुनकर हैरान रह गई और बड़ी दीनता से बोली: “धन्य हैं तेरे ये सेवक! जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं।” (1 राजा 10:4-8) रानी ने सुलैमान के सेवकों को धन्य कहा, क्या इसलिए कि वे बेशुमार धन-दौलत से घिरे हुए थे? जी नहीं। मगर इसलिए क्योंकि वे सुलैमान से बुद्धि की बातें हमेशा सुन सकते थे, ऐसी बुद्धि जो परमेश्वर ने उसे दी थी। आज यहोवा के लोगों के लिए शीबा की रानी कितनी बढ़िया मिसाल है क्योंकि वे तो खुद अपने सृष्टिकर्ता यहोवा और उसके बेटे यीशु मसीह की बुद्धि की बातों का हमेशा आनंद लेते हैं!
लेकिन इसके बाद रानी ने जो बात सुलैमान से कही, वह गौर करने लायक है: “धन्य है तेरा परमेश्वर यहोवा!” (1 राजा 10:9) उसने ज़रूर देखा होगा कि सुलैमान को बुद्धि और ऐश्वर्य देनेवाला और कोई नहीं बल्कि यहोवा था। जो वादा यहोवा ने इस्राएल से किया था वह सुलैमान के मामले में बिलकुल ठीक बैठता था। उसने कहा था, अगर मेरी ‘विधियों को मानोगे’ तो “देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात् वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।”—व्यवस्थाविवरण 4:5-7.
क्या आप “परमेश्वर की दृष्टि में धनी” हैं?
13 यहोवा हमेशा अपने लोगों को सबसे बेहतरीन आशीषें देता है। (याकूब 1:17) मिसाल के लिए, उसने इस्राएलियों को एक ऐसे देश में बसाया था, जिसमें “दूध और मधु की धाराएं बहती” थीं। हालाँकि मिस्र देश के बारे में भी यही कहा जाता था, मगर उसमें और इस्राएलियों को दिए गए देश में कम-से-कम एक बड़ा फर्क ज़रूर था। वह फर्क क्या था? मूसा ने इस्राएलियों से कहा: “वह ऐसा देश है जिसकी देखभाल तुम्हारा परमेश्वर यहोवा करता है।” (NHT) दूसरे शब्दों में कहें तो इस्राएली इसलिए फलते-फूलते, क्योंकि यहोवा उनकी देखभाल करता। इसलिए जब तक वे यहोवा के वफादार बने रहे, तब तक वह उन्हें भरपूर आशीषें देता रहा। साथ ही, यह साफ ज़ाहिर था कि आस-पास की जातियों के मुकाबले, उनके जीने का स्तर कहीं ज़्यादा ऊँचा था। वाकई, यहोवा की आशीष की बदौलत ही इंसान “धनवान बनता है”!—गिनती 16:13; व्यवस्थाविवरण 4:5-8; 11:8-15.
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व्यवस्थाविवरण किताब की झलकियाँ
व्यवस्थाविवरण 4:15-20, 23, 24—मूर्तियाँ बनाने की जो मनाही की गयी थी, क्या उसका यह मतलब है कि सजावट की चीज़ें बनाना भी गलत है? नहीं। इन आयतों में उपासना के लिए मूर्तियाँ बनाने और “उन्हें दण्डवत् करके उनकी सेवा करने” से मना किया गया है। बाइबल, सजावट के लिए मूर्तियाँ तराशने या किसी चीज़ की पेंटिंग बनाने से मना नहीं करती।—1 राजा 7:18, 25.
14-20 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | व्यवस्थाविवरण 5-6
“अपने बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाइए”
माता-पिताओ, अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी कीजिए
11 आम तौर पर, इस बारे में बात करते वक्त व्यवस्थाविवरण 6:5-7 का जितनी ज़्यादा बार हवाला दिया जाता है, उतनी बार शायद ही किसी और आयत का हवाला दिया जाता हो। कृपया अपनी बाइबल खोलकर इन आयतों को पढ़िए। ध्यान दीजिए, माता-पिताओं को बताया गया है कि पहले वे खुद आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत बनें, यहोवा के लिए प्यार बढ़ाएँ और उसके वचनों को दिल में बसा लें। जी हाँ, आप माता-पिताओं को परमेश्वर के वचन का गहराई से अध्ययन करने की आदत डालनी चाहिए। रोज़ाना बाइबल पढ़नी चाहिए और उस पर मनन करना चाहिए, तभी आप यहोवा के मार्गों, सिद्धांतों और नियमों की सही समझ पाएँगे और उनसे लगाव पैदा कर सकेंगे। आपका दिल बाइबल की ढेरों रोमांचक सच्चाइयों से भरा होगा, जिससे आप खुशी पाएँगे और यहोवा के लिए श्रद्धा और प्यार से भर जाएँगे। फिर आपके पास बच्चों को बताने के लिए भली बातों का भंडार होगा।—लूका 6:45.
प्र07 5/15 पेज 15-16, अँग्रेज़ी
मैं अपने बच्चों को सही तरह की शिक्षा कैसे दे सकता हूँ?
माता-पिता की बातों से नहीं बल्कि उनके व्यवहार और जीने के तरीके से पता चलेगा कि उनके लक्ष्य और उसूल क्या हैं और वे किन बातों को अहमियत देते हैं। (रोमियों 2:21, 22) बच्चे दूध पीने की उम्र से ही अपने माता-पिता पर ध्यान देते हैं और उनसे सीखते हैं। वे समझ जाते हैं कि उनके माता-पिता किन बातों को ज़रूरी मानते हैं। ज़्यादातर बच्चे भी उन्हीं बातों को ज़रूरी समझने लगते हैं। अगर आप सच में यहोवा से प्यार करते हैं, तो यह आपके बच्चों को ज़रूर नज़र आएगा। अगर आप रोज़ बाइबल पढ़ते हैं, उसका अध्ययन करते हैं और राज के कामों को ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं, तो आपके बच्चे साफ देख सकेंगे कि आप इन बातों को बहुत ज़रूरी समझते हैं। (मत 6:33) अगर आप लगातार सभाओं और प्रचार में जाते हैं, तो बच्चे समझ पाएँगे कि यहोवा की पवित्र सेवा आपकी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत रखती है।—मत 28:19, 20; इब्र 10:24, 25.
माता-पिताओ, अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी कीजिए
14 जैसे व्यवस्थाविवरण 6:7 दिखाता है, बच्चों के साथ आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करने के लिए आपको कई मौके मिल सकते हैं। साथ मिलकर सफर करते वक्त, घर के काम-काज निपटाते वक्त या फिर मन-बहलाव करते वक्त आपको बच्चों की आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने का मौका मिलेगा। मगर हाँ, आपको हमेशा बच्चों को बिठाकर बाइबल की सच्चाइयों के बारे में “भाषण” नहीं देना चाहिए। इसके बजाय, बातचीत ऐसी होनी चाहिए कि पूरे परिवार को आध्यात्मिक बातों के लिए हौसला मिले और वे फायदा पाएँ। मिसाल के लिए, सजग होइए! में ढेरों अलग-अलग विषयों पर ऐसे लेख छापे जाते हैं जिन पर आप बच्चों के साथ बातचीत कर सकते हैं। जैसे, यहोवा के बनाए जीव-जंतु, दुनिया के अलग-अलग इलाकों में पाए जानेवाले खूबसूरत नज़ारे, तरह-तरह की संस्कृतियाँ और रहन-सहन के तरीके। इन लेखों में दिए विषयों पर बातचीत करने से बच्चों को विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास के दिए साहित्य ज़्यादा-से-ज़्यादा पढ़ने का बढ़ावा मिलेगा।—मत्ती 24:45-47.
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प्राचीन इसराएल में प्यार और न्याय की अहमियत
11 सबक: यहोवा सिर्फ बाहरी रूप नहीं देखता, वह यह भी देखता है कि हम अंदर से कैसे इंसान हैं। (1 शमू. 16:7) हमारे मन की कोई भी सोच, कोई भी भावना या हमारा कोई भी काम यहोवा से छिप नहीं सकता। यह सच है कि वह हममें अच्छाइयाँ ढूँढ़ता है और चाहता है कि ये हममें बढ़ती रहें, लेकिन वह हमसे भी कुछ उम्मीद करता है। वह चाहता है कि हम खुद की जाँच करें और मन में उठनेवाली गलत सोच को निकाल फेंकें, इससे पहले कि यह हमें पाप की तरफ ले जाए।—2 इति. 16:9; मत्ती 5:27-30.
21-27 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | व्यवस्थाविवरण 7-8
“तुम उनके साथ शादी के ज़रिए रिश्तेदारी न करना”
प्र12 7/1 पेज 29 पै 2, अँग्रेज़ी
यहोवा ने अपने लोगों से क्यों कहा कि वे सिर्फ उसकी उपासना करनेवालों से शादी करें?
यहोवा जानता था कि शैतान उसके लोगों को झूठी उपासना में फँसाकर उन्हें भ्रष्ट करने की कोशिश करेगा। यहोवा ने उन्हें सावधान किया कि झूठे देवताओं को पूजनेवाले “तुम्हारे बच्चों को बहका देंगे और तुम्हारे बच्चे मुझसे मुँह मोड़ लेंगे और दूसरे देवताओं की सेवा करने लगेंगे।” अगर इसराएली दूसरे देवी-देवताओं को पूजते, तो भारी नुकसान होता। यहोवा उन्हें आशीषें देना और उनकी रक्षा करना छोड़ देता। तब दुश्मन आकर उनका नाश कर देते। फिर मसीहा उस राष्ट्र में पैदा नहीं होता। शैतान भी यह सब जानता था, इसीलिए उसने इसराएलियों को बहकाने की कोशिश की ताकि वे झूठी उपासना करनेवालों से शादी कर लें।
“सिर्फ प्रभु में” शादी करना—क्या वाकई इसमें अक्लमंदी है?
फिर भी बाइबल में यहोवा ने हमें सिर्फ प्रभु में शादी करने की आज्ञा दी है। क्यों? क्योंकि वह जानता है कि हमारी भलाई किस में है और वह हमारी हिफाज़त करना चाहता है। वह नहीं चाहता कि हम ऐसे फैसले लें जिनसे हमें नुकसान हो या दुख उठाना पड़े। नहेमायाह के दिनों में कई यहूदी ऐसी स्त्रियों से शादी कर रहे थे, जो यहोवा की उपासक नहीं थीं। इसलिए नहेमायाह ने सुलैमान की बुरी मिसाल का ज़िक्र किया। सुलैमान “अपने परमेश्वर का प्रिय . . . था, और परमेश्वर ने उसे सारे इस्राएल के ऊपर राजा नियुक्त किया; परन्तु उसको भी अन्यजाति स्त्रियों ने पाप में फंसाया।” (नहे. 13:23-26) यहोवा जानता है कि उसकी हिदायतें मानने में हमारी भलाई है, इसलिए उसने हमें आज्ञा दी है कि हम सिर्फ सच्चे उपासकों में ही जीवन-साथी चुनें। (भज. 19:7-10; यशा. 48:17, 18) हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि वह हमें प्यार-भरी और भरोसेमंद सलाह देता है। जब हम यहोवा को अपना राजा मानकर उसकी आज्ञा मानते हैं, तो हम यह कबूल करते हैं कि उसे हमें यह बताने का हक है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।—नीति. 1:5.
इन आखिरी दिनों में बुरी संगति से खबरदार रहिए!
12 जो मसीही शादी करना चाहते हैं, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वे किसके साथ संगति करते हैं। परमेश्वर का वचन हमें खबरदार करता है, “अविश्वासियों के साथ बेमेल जूए में न जुतो। क्योंकि नेकी के साथ दुराचार का क्या मेल? या रौशनी के साथ अंधेरे की क्या साझेदारी?” (2 कुरिं. 6:14) बाइबल परमेश्वर के सेवकों को सलाह देती है कि वे “सिर्फ प्रभु में” शादी करें। इसका मतलब, एक मसीही को सिर्फ ऐसे व्यक्ति से शादी करनी चाहिए, जो समर्पित और बपतिस्मा-शुदा यहोवा का साक्षी हो और यहोवा के स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी जीता हो। (1 कुरिं. 7:39) जब आप एक ऐसे व्यक्ति से शादी करेंगे जो यहोवा से प्यार करता है तो आपको एक ऐसा साथी मिलेगा जो परमेश्वर के वफादार बने रहने में आपकी मदद करेगा।
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यहोवा हमारे हर दिन की ज़रूरतें पूरी करता है
4 हर दिन की रोटी के लिए हमारी प्रार्थना से हमें यह भी याद आना चाहिए कि हमें हर दिन आध्यात्मिक भोजन की ज़रूरत है। कई दिनों के उपवास के बाद यीशु बहुत भूखा था, मगर जब शैतान ने उसे पत्थरों को रोटी बनाने के लिए लुभाया तब उसने इनकार करते हुए कहा: “लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।” (मत्ती 4:4) यीशु ने यहाँ भविष्यवक्ता मूसा का हवाला दिया, जिसने इस्राएलियों से कहा था: “[यहोवा] ने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है।” (व्यवस्थाविवरण 8:3) यहोवा जिस तरह इस्राएलियों को मन्ना देता था, उससे उन्हें न सिर्फ शरीर के लिए भोजन मिलता था बल्कि आध्यात्मिक सबक सीखने को भी मिलते थे। एक सबक यह था कि उन्हें सिर्फ “प्रतिदिन का भोजन इकट्ठा” करना था। अगर वे एक दिन के लिए जितना ज़रूरी था उससे ज़्यादा मन्ना इकट्ठा करते, तो बचे हुए मन्ना से बदबू आने लगती और उसमें कीड़े पड़ जाते थे। (निर्गमन 16:4, 20) मगर, ऐसा छठे दिन नहीं होता था जब उन्हें सब्त के लिए बाकी दिनों से दुगना मन्ना इकट्ठा करना होता था। (निर्गमन 16:5, 23, 24) तो फिर, मन्ना के इंतज़ाम ने उनके मन में यह बात बिठा दी कि उन्हें परमेश्वर का आज्ञाकारी होना है और यह कि उनकी ज़िंदगी का दारोमदार केवल रोटी पर नहीं बल्कि “जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं” उस पर है।
28 जून–4 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | व्यवस्थाविवरण 9-10
“तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुमसे क्या चाहता है?”
यहोवा हमसे क्या चाहता है?
कौन-सी बातें हमें खुशी-खुशी परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए उकसा सकती हैं? एक बात मूसा ने बतायी: “तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मा[न]।” (आयत 12) यह भय इस बात का खौफ नहीं कि परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने से हमें बुरे अंजाम भुगतने पड़ेंगे। बल्कि इसका मतलब है परमेश्वर और उसके मार्गों के लिए गहरा विस्मय और आदर होना। अगर हममें परमेश्वर के लिए गहरी श्रद्धा होगी, तो हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे यहोवा नाराज़ हो जाए।
लेकिन परमेश्वर की आज्ञा मानने के पीछे हमारा इरादा क्या होना चाहिए? मूसा ने कहा: ‘यहोवा से प्रेम रखो और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करो।’ (आयत 12) परमेश्वर से प्यार करने का सिर्फ यह मतलब नहीं कि दिल में उसके लिए प्यार-भरी भावनाएँ होना। एक किताब कहती है: “इब्रानी भाषा में भावनाओं के लिए जो क्रियाएँ इस्तेमाल की जाती हैं, उनमें कई बार वे काम भी शामिल होते हैं जो एक इंसान उन भावनाओं के उभारे जाने पर करता है।” अगर हम परमेश्वर से सचमुच प्यार करते हैं, तो हम वही करेंगे जो उसे भाता है।—नीतिवचन 27:11.
यहोवा हमसे क्या चाहता है?
अगर हम खुशी-खुशी परमेश्वर की हर आज्ञा मानें, तो हम पर उसकी आशीष होगी। मूसा ने लिखा: ‘जो-जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं, उनको ग्रहण कर जिससे तेरा भला हो।’ (आयत 13) जी हाँ, यहोवा की हर आज्ञा, हर माँग हमारे भले के लिए है। क्योंकि बाइबल कहती है कि “परमेश्वर प्यार है।” (1 यूहन्ना 4:8) तो ज़ाहिर-सी बात है कि वह हमें सिर्फ ऐसी आज्ञाएँ देगा, जिन पर चलकर हमें हमेशा का फायदा हो। (यशायाह 48:17) यहोवा हमसे जो भी चाहता है, अगर हम उसे पूरा करें तो आज हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। यही नहीं, आगे चलकर जब परमेश्वर का राज इस धरती पर हुकूमत करेगा, तब हमें ढेरों आशीषें मिलेंगी।
क्या आप सचमुच “परमेश्वर के करीब” आ सकते हैं?
2 प्राचीनकाल के इब्राहीम का, परमेश्वर के साथ ऐसा ही करीबी रिश्ता था। यहोवा ने इब्राहीम को ‘मेरा मित्र’ कहा। (यशायाह 41:8, NHT) जी हाँ यहोवा, इब्राहीम को अपना करीबी दोस्त मानता था। परमेश्वर ने इब्राहीम को अपना दोस्त इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि उसने “परमेश्वर पर विश्वास किया।” (याकूब 2:23, NHT) आज भी, यहोवा ऐसे मौकों की तलाश में रहता है कि वह कैसे अपने उन सेवकों के लिए “स्नेह” दिखाए जो प्रेम की खातिर उसकी सेवा करते हैं। (व्यवस्थाविवरण 10:15) उसका वचन उकसाता है: “परमेश्वर के करीब आओ, और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकूब 4:8, NW) इन शब्दों में हमें न सिर्फ एक न्यौता दिया गया है, बल्कि हमसे एक वादा भी किया गया है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 103
अनाकी लोग
अनाकी एक जाति का नाम है जिसके लोग हद-से-ज़्यादा लंबे-चौड़े थे। वे कनान देश के पहाड़ी इलाकों में और समुंदर किनारे के इलाकों में रहते थे, खासकर दक्षिण में। एक ज़माने में अनाकी लोगों के तीन खास आदमी हेब्रोन में रहते थे। उनके नाम थे, अहीमन, शेशै और तल्मै। (गि 13:22) यहीं पर 12 इसराएली जासूसों ने पहली बार अनाकी लोगों को देखा था। उनमें से दस जासूसों ने जाकर इसराएलियों को अनाकी लोगों के बारे में बताकर डरा दिया। उन्होंने कहा कि अनाकी लोग उन नफिलीम के वंशज हैं जो जलप्रलय से पहले धरती पर थे और उनके सामने हम इसराएली लोग टिड्डियों जैसे लग रहे थे। (गि 13:28-33; व्य 1:28) एमी और रपाई लोग भी बहुत लंबे-चौड़े होते थे और उनके बारे में भी कहा जाता था कि वे अनाकी लोगों जैसे दिखते हैं। पुराने ज़माने में अनाकियों से लोग इतना डरते थे कि वे कहते थे, ‘कौन अनाकियों से टक्कर ले सकता है?—व्य 2:10, 11, 20, 21; 9:1-3.