वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • यीशु दोबारा मंदिर को शुद्ध करता है
    यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
    • यीशु एक पैसा बदलनेवाले सौदागर की मेज़ उलट रहा है

      अध्याय 103

      यीशु दोबारा मंदिर को शुद्ध करता है

      मत्ती 21:12, 13, 18, 19 मरकुस 11:12-18 लूका 19:45-48 यूहन्‍ना 12:20-27

      • यीशु अंजीर के पेड़ को शाप देता है और मंदिर को शुद्ध करता है

      • यीशु को मरना होगा ताकि बहुत लोगों को जीवन मिले

      यीशु और उसके चेलों को बैतनियाह आए तीन दिन हो चुके हैं। आज सोमवार नीसान 10 है। वे सुबह-सुबह यरूशलेम जा रहे हैं। यीशु को भूख लगी है। रास्ते में जब वह एक अंजीर का पेड़ देखता है, तो वह उसके पास जाता है। मगर क्या उसमें अंजीर लगे हैं?

      अंजीर के पेड़ पर जून के महीने में फल लगते हैं। अभी मार्च के आखिरी दिन चल रहे हैं, फिर भी उस पर पत्तियाँ आ चुकी हैं। इसलिए यीशु सोचता है कि इस पर समय से पहले ही फल लग गए होंगे। लेकिन पास जाने पर वह देखता है कि एक भी फल नहीं है। पत्तों की वजह से धोखा हो रहा है कि उस पर फल होंगे। यीशु कहता है, “अब से फिर कभी कोई तेरा फल न खा सके।” (मरकुस 11:14) अंजीर का पेड़ फौरन सूखने लगता है। यह जो हुआ है इसका मतलब चेलों को अगले दिन पता चलता है।

      कुछ ही देर में यीशु और उसके चेले यरूशलेम पहुँच जाते हैं। फिर यीशु मंदिर जाता है। पिछले दिन यीशु ने देखा था कि मंदिर में क्या-क्या हो रहा है। आज वह सिर्फ देखता ही नहीं बल्कि कुछ करता भी है। वह उन लोगों को भगा देता है “जो मंदिर में बिक्री और खरीदारी कर रहे थे” और वह “पैसा बदलनेवाले सौदागरों की मेज़ें और कबूतर बेचनेवालों की चौकियाँ उलट” देता है। (मरकुस 11:15) तीन साल पहले ईसवी सन्‌ 30 में जब वह फसह मनाने यहाँ आया था, तब भी उसने ऐसा ही किया था। (यूहन्‍ना 2:14-16) वह किसी को भी मंदिर के आँगन से चीज़ें लाने या ले जाने नहीं देता।

      यीशु बताता है कि क्यों उसने उन लोगों को मंदिर से भगा दिया है: “क्या यह नहीं लिखा है, ‘मेरा घर सब राष्ट्रों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा’? मगर तुम लोगों ने इसे लुटेरों का अड्डा बना दिया है।” (मरकुस 11:17) सौदागर बहुत ऊँचे दाम पर लोगों को जानवर बेच रहे थे, इसलिए यीशु उन्हें लुटेरे कहता है।

      प्रधान याजकों, शास्त्रियों और बड़े-बड़े अधिकारियों को पता चलता है कि यीशु ने ऐसा किया है, इसलिए वे उसे मार डालने की फिर से कोशिश करते हैं। लेकिन उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे कैसे मारें, क्योंकि यीशु के पास हमेशा लोगों की भीड़ रहती है।

      त्योहार में यहूदियों के अलावा वे लोग भी आए हैं जिन्होंने यहूदी धर्म अपनाया है। उनमें से कुछ लोग यूनानी हैं और वे फिलिप्पुस के पास जाकर उससे कहते हैं कि वे यीशु से मिलना चाहते हैं। फिलिप्पुस यूनानी नाम है शायद इसीलिए वे उसके पास आते हैं। फिलिप्पुस को ठीक-ठीक नहीं पता कि यीशु इनसे मिलना चाहेगा या नहीं, इसलिए वह जाकर अन्द्रियास को यह बात बताता है। फिर वे दोनों यीशु से बात करते हैं। यीशु शायद अभी-भी मंदिर में है।

      यीशु जानता है कि कुछ ही दिनों में उसकी मौत हो जाएगी। यह समय लोगों से वाह-वाही पाने और उन्हें खुश करने का नहीं है। यीशु इन दोनों चेलों को एक मिसाल बताता है, “वह घड़ी आ चुकी है जब इंसान का बेटा महिमा पाए। मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, जब तक गेहूँ का एक दाना मिट्टी में गिरकर मर नहीं जाता, तब तक वह एक दाना ही रहता है। लेकिन जब वह मर जाता है तो बहुत फल पैदा करता है।”​—यूहन्‍ना 12:23, 24.

      गेहूँ के एक दाने को देखने से लग सकता है कि उसकी कोई कीमत नहीं है। लेकिन जब उसे मिट्टी में बोया जाता है, तो वह मानो “मर जाता है।” कुछ समय बाद उसमें से एक डंठल निकलता है और उस पर बहुत-से दाने लगते हैं। उसी तरह एक अकेले यीशु की मौत से बहुत-से लोगों को हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। वह एक परिपूर्ण इंसान है और अगर वह अपनी मौत तक परमेश्‍वर की बात मानेगा, तो उन सबको हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी जिनमें उसके जैसी त्याग की भावना है। यीशु कहता है, “जो अपनी जान से लगाव रखता है, वह इसे नाश करता है। मगर जो इस दुनिया में अपनी जान से नफरत करता है वह इसे बचाएगा ताकि हमेशा की ज़िंदगी पाए।”​—यूहन्‍ना 12:25.

      यीशु सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि दूसरों के बारे में भी सोच रहा है। वह कहता है, “जो मेरी सेवा करना चाहता है, वह मेरे पीछे हो ले और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा। जो मेरी सेवा करेगा, पिता उसका आदर करेगा।” (यूहन्‍ना 12:26) यीशु के पीछे चलनेवालों को उसके साथ राज करने का मौका मिलेगा। यह कितना बड़ा इनाम होगा!

      यीशु जानता है कि उसे बहुत दुख झेलना पड़ेगा और दर्दनाक मौत सहनी पड़ेगी। वह कहता है, “अब मैं और क्या कहूँ? मेरा जी बेचैन है। हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा ले!” मगर यीशु परमेश्‍वर की मरज़ी को टालना नहीं चाहता। वह कहता है, “मगर मैं इसीलिए तो इस घड़ी तक पहुँचा हूँ।” (यूहन्‍ना 12:27) यीशु वह सब करना चाहता है जो परमेश्‍वर उससे चाहता है। वह अपना जीवन भी बलिदान करने के लिए तैयार है।

      • यीशु को क्यों लगा कि अंजीर के पेड़ पर फल होंगे?

      • यीशु ने सौदागरों को ‘लुटेरे’ क्यों कहा?

      • यीशु किस तरह गेहूँ के दाने जैसा है? यीशु को जो दुख और मौत सहनी पड़ेगी, उसके बारे में उसे कैसा लगता है?

  • क्या परमेश्‍वर की आवाज़ सुननेवाले विश्‍वास करेंगे?
    यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
    • यीशु कहता है, “पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब आस-पास खड़े लोग परमेश्‍वर की आवाज़ सुनते हैं

      अध्याय 104

      क्या परमेश्‍वर की आवाज़ सुननेवाले विश्‍वास करेंगे?

      यूहन्‍ना 12:28-50

      • बहुत लोगों ने परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी

      • लोग क्यों दोषी ठहरेंगे?

      सोमवार नीसान 10 का ही दिन है और मंदिर में यीशु बता रहा है कि बहुत जल्द उसकी मौत होगी। उसे चिंता हो रही है कि उसकी मौत से परमेश्‍वर के नाम की बदनामी होगी। इसलिए वह परमेश्‍वर से कहता है, “पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब आकाश से एक बुलंद आवाज़ आती है, “मैंने इसकी महिमा की है और फिर से करूँगा।”​—यूहन्‍ना 12:27, 28.

      वहाँ आस-पास जो लोग हैं, वे उलझन में पड़ जाते हैं। कुछ कहते हैं कि बादल गरजा है। दूसरे कहते हैं, “किसी स्वर्गदूत ने उससे बात की है।” (यूहन्‍ना 12:29) मगर वह आवाज़ असल में यहोवा की है। इससे पहले भी इंसानों ने परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी थी।

      जब यीशु का बपतिस्मा हुआ था, तब यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने परमेश्‍वर को यह कहते सुना था, “यह मेरा प्यारा बेटा है। मैंने इसे मंज़ूर किया है।” फिर ईसवी सन्‌ 32 की फसह के बाद जब याकूब, यूहन्‍ना और पतरस के सामने यीशु का रूप बदला, तो उन तीनों ने परमेश्‍वर को यह कहते सुना, “यह मेरा प्यारा बेटा है जिसे मैंने मंज़ूर किया है। इसकी सुनो।” (मत्ती 3:17; 17:5) मगर अब तीसरी बार जब यहोवा बात कर रहा है, तो बहुत सारे लोग सुनते हैं।

      यीशु कहता है, “यह आवाज़ मेरी खातिर नहीं बल्कि तुम्हारी खातिर सुनायी दी है।” (यूहन्‍ना 12:30) यह इस बात का सबूत है कि यीशु सच में परमेश्‍वर का बेटा है। वह मसीहा है जिसके बारे में पहले से भविष्यवाणी की गयी थी।

      यीशु ने सारी ज़िंदगी परमेश्‍वर की बात मानकर दिखाया है कि इंसानों को कैसे जीना चाहिए। उसने यह भी साबित किया है कि दुनिया का राजा शैतान नाश के लायक है। यीशु कहता है, “अब इस दुनिया का न्याय किया जा रहा है और इस दुनिया का राजा बाहर कर दिया जाएगा।” यीशु की मौत एक हार नहीं बल्कि जीत होगी। वह कहता है, “जब मुझे धरती से ऊपर उठाया जाएगा, तो मैं सब किस्म के लोगों को अपनी ओर खींचूँगा।” (यूहन्‍ना 12:31, 32) यीशु यातना काठ पर जान देकर बहुत-से लोगों को अपनी तरफ खींचेगा और उन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी।

      कुछ लोग कहते हैं, “हमने तो कानून में सुना है कि मसीह हमेशा तक रहेगा, फिर तू कैसे कह सकता है कि इंसान के बेटे को ऊपर उठाया जाना है? यह इंसान का बेटा कौन है?” (यूहन्‍ना 12:34) लोगों ने इतने सारे सबूत देखे हैं और परमेश्‍वर की आवाज़ भी सुनी है, फिर भी वे नहीं मानते कि यीशु सच में इंसान का बेटा है, मसीहा है।

      फिर यीशु कहता है कि वह “रौशनी” है जैसे उसने पहले भी कहा था। (यूहन्‍ना 8:12; 9:5) वह लोगों से कहता है, ‘रौशनी बस थोड़ी देर और तुम्हारे बीच रहेगी। जब तक यह तुम्हारे साथ है, तब तक रौशनी में चलते रहो ताकि अँधेरा तुम पर हावी न हो। जब तक रौशनी तुम्हारे साथ है, तब तक उस पर विश्‍वास करो और तुम रौशनी के बेटे कहलाओगे।’ (यूहन्‍ना 12:35, 36) इसके बाद यीशु वहाँ से चला जाता है, क्योंकि उसकी मौत नीसान 10 को नहीं होनी है। उसे नीसान 14 को फसह के दिन ‘ऊपर उठाया जाएगा’ यानी काठ पर ठोंक दिया जाएगा।​—गलातियों 3:13.

      बहुत-से यहूदी यीशु पर विश्‍वास नहीं करते। जब यीशु ने सेवा शुरू की, तब से यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है कि लोगों की आँखें बंद कर दी जाएँगी और उनका मन सुन्‍न कर दिया जाएगा। इसलिए वे पलटकर लौट नहीं आएँगे और चंगे नहीं होंगे। बिलकुल ऐसा ही हुआ है। (यशायाह 6:10; यूहन्‍ना 12:40) बहुत-से यहूदी अपनी आँखों से सबूत देखने के बाद भी नहीं मानते कि यीशु उनका उद्धारकर्ता है और उससे उन्हें ज़िंदगी मिलेगी।

      नीकुदेमुस, अरिमतियाह के यूसुफ और बहुत-से अधिकारियों ने यीशु पर विश्‍वास किया है। मगर अब क्या वे अपने विश्‍वास के हिसाब से काम करेंगे? क्या वे खुलकर यह बताने से पीछे हटेंगे कि वे यीशु पर विश्‍वास करते हैं? क्या वे डर जाएँगे कि उन्हें सभा-घर से निकाल दिया जाएगा? क्या उन्हें इंसानों से मिलनेवाली महिमा ज़्यादा प्यारी होगी?​—यूहन्‍ना 12:42, 43.

      यीशु बताता है कि उस पर विश्‍वास करनेवालों को क्या करना होगा, “जो मुझ पर विश्‍वास करता है वह मुझ पर ही नहीं बल्कि उस पर भी विश्‍वास करता है जिसने मुझे भेजा है। और जो मुझे देखता है वह उसे भी देखता है जिसने मुझे भेजा है।” परमेश्‍वर ने यीशु को कुछ सच्चाइयाँ सिखाने के लिए कहा है और यीशु अब तक वही सिखा रहा है। वह कहता है, “जो कोई मुझे ठुकरा देता है और मेरे वचन स्वीकार नहीं करता, उसे दोषी ठहरानेवाला कोई और है। जो वचन मैंने कहा है वही उसे आखिरी दिन में दोषी ठहराएगा।”​—यूहन्‍ना 12:44, 45, 48.

      यीशु आखिर में कहता है, “मैंने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा। मगर खुद पिता ने, जिसने मुझे भेजा है, मुझे आज्ञा दी है कि मैं क्या-क्या बताऊँ और क्या-क्या बोलूँ। और मैं जानता हूँ कि उसकी आज्ञा मानने का मतलब हमेशा की ज़िंदगी है। इसलिए मैं सिर्फ वही बातें बताता हूँ जो पिता ने मुझे बतायी हैं।” (यूहन्‍ना 12:49, 50) बहुत जल्द यीशु उन लोगों की खातिर अपना खून बहाएगा जो उस पर विश्‍वास करते हैं।​—रोमियों 5:8, 9.

      • जब यीशु ने सेवा शुरू की, तब से इंसानों ने किन तीन मौकों पर परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी?

      • किन अधिकारियों ने यीशु पर विश्‍वास किया है? वे शायद किन कारणों से यह बात खुलकर नहीं बताते?

      • “आखिरी दिन में” लोगों को क्यों दोषी ठहराया जाएगा?

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें