मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
2-8 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 शमूएल 27-29
“दाविद की युद्ध रणनीति”
इंसाइट-1 पेज 41
आकीश
जब दाविद शाऊल से बचकर भाग रहा था, तो उसने दो बार राजा आकीश के यहाँ शरण ली। जब पहली बार दाविद वहाँ पहुँचा, तो वहाँ के लोगों ने उस पर भरोसा नहीं किया और कहा कि यह तो हमारा दुश्मन है। तब दाविद ने पागल होने का नाटक किया। यह देखकर राजा आकीश ने सोचा, ‘यह तो पागल है, हमें इससे कोई खतरा नहीं’ और उसे छोड़ दिया। (1शम 21:10-15; भज 34: उप.; 56:उप.) दूसरी बार जब दाविद वहाँ गया तो उसके 600 सैनिक और उनके परिवार भी उसके साथ थे। तब आकीश ने उनसे कहा कि वे सब सिकलग शहर में रह सकते हैं। दाविद और उसके आदमी वहाँ एक साल और चार महीने तक रहे। उस दौरान वे कुछ इलाकों पर हमला करके आते थे। तब आकीश ने सोचा कि वे यहूदा के शहरों पर हमला कर रहे हैं। मगर असल में दाविद गशूरियों, गिरजियों और अमालेकियों को लूट रहा था। (1शम 27:1-12) आकीश को दाविद पर पूरा भरोसा हो गया था, इसलिए जब पलिश्ती लोग राजा शाऊल पर हमला करने जा रहे थे, तो उसने दाविद को अपना अंगरक्षक बना लिया। ऐन मौके पर पलिश्ती सरदारों ने आकीश से कहा कि दाविद को साथ ले जाना ठीक नहीं होगा, इसलिए दाविद और उसके आदमियों को वापस सिकलग भेज दिया गया। (1शम 28:2; 29:1-11) ऐसा मालूम पड़ता है कि जब दाविद राजा बना और उसने गत पर हमला किया, तो उसने आकीश को जिंदा छोड़ दिया। सुलैमान के राज के दौरान भी आकीश ज़िंदा था।—1रा 2:39-41.
जवान भाइयो, आप दूसरों का भरोसा कैसे जीत सकते हैं?
8 दाविद को एक और मुश्किल का सामना करना पड़ा। उसे राजा तो बहुत पहले चुन लिया गया था, लेकिन यहूदा का राजा बनने के लिए उसे काफी लंबा समय इंतज़ार करना पड़ा। (1 शमू. 16:13; 2 शमू. 2:3, 4) इस दौरान दाविद ने क्या किया? क्या वह निराश हो गया? नहीं। उसने सब्र रखा और वह जो कर सकता था, उसने किया। जैसे, जब वह शाऊल से भागकर पलिश्तियों के देश गया, तो वहाँ रहते हुए भी उसने इसराएल के दुश्मनों से लड़ाई की। और उसने यहूदा के इलाके की हिफाज़त की।—1 शमू. 27:1-12.
इंसाइट-2 पेज 245 पै 6
झूठ
बाइबल में साफ लिखा है कि झूठ बोलना यहोवा की नज़र में गलत है। इसका मतलब यह नहीं कि हम ऐसे लोगों को पूरी जानकारी दे दें जिन्हें जानने का हक नहीं। यीशु ने कहा, “पवित्र चीज़ें कुत्तों को मत दो, न ही अपने मोती सूअरों के आगे फेंको। ऐसा न हो कि वे अपने पैरों से उन्हें रौंद दें और पलटकर तुम्हें फाड़ डालें।” (मत 7:6) इस वजह से यीशु कभी-कभार लोगों को पूरी जानकारी नहीं देता था या कुछ सवालों के सीधे-सीधे जवाब नहीं देता था। वह जानता था कि ऐसा करने से नुकसान हो सकता है।—मत 15:1-6; 21:23-27; यूह 7:3-10.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
प्र10 1/1 पेज 20 पै 5-6, अँग्रेज़ी
क्या मरे हुए ज़िंदा लोगों की मदद कर सकते हैं?
बाइबल में लिखा है कि मरने पर इंसान “मिट्टी में मिल जाता है” और “उसके सारे विचार मिट जाते हैं।” (भजन 146:4) यहोवा ने अपने लोगों को साफ बताया था कि वे ऐसे लोगों के पास न जाएँ जो मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करते हैं। यह बात शाऊल और शमूएल अच्छी तरह जानते थे। इसी वजह से कुछ साल पहले शाऊल ने ऐसे लोगों को इसराएल देश से निकाल दिया था।—लैव्यव्यवस्था 19:31.
आइए कुछ देर के लिए मान लें कि शाऊल ने जिससे बात की वह शमूएल ही था। क्या आपको लगता है कि शमूएल परमेश्वर का कानून तोड़ देता और ऐसी औरत का साथ देता जो मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करती है? और-तो-और यह साफ था कि यहोवा शाऊल से बात नहीं करना चाहता था। तो क्या वह औरत सर्वशक्तिमान परमेश्वर को मजबूर कर सकती थी कि वह शमूएल के ज़रिए शाऊल से बात करे? इससे साफ पता चलता है कि कोई और शमूएल का ढोंग करके शाऊल से बात कर रहा था। वह असल में एक दुष्ट स्वर्गदूत था जो भविष्यवक्ता शमूएल की तरह बात कर रहा था।
9-15 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 शमूएल 30-31
“अपने परमेश्वर यहोवा से हिम्मत पाइए”
परमेश्वर का भय मानकर खुश रहिए!
12 यहोवा के लिए दाऊद के भय ने उसे सिर्फ गलत काम करने से नहीं रोका, बल्कि मुश्किल हालात में सोच-समझकर फौरन कदम उठाने की शक्ति भी दी। एक साल और चार महीने तक दाऊद और उसके आदमियों ने शाऊल से बचते-बचाते पलिश्तियों की एक बस्ती, सिकलग में पनाह ली। (1 शमूएल 27:5-7) एक बार जब दाऊद और उसके आदमी कहीं गए हुए थे, तब अमालेकी हमलावरों ने सिकलग नगर को आग में झोंक दिया और सभी आदमियों के बीवी-बच्चों और भेड़-बकरियों को उठाकर ले गए। जब दाऊद और उसके आदमी लौटे, तो जो हुआ वह देखकर वे फूट-फूटकर रोने लगे। देखते-ही-देखते दाऊद के आदमियों का क्रोध दाऊद पर भड़क उठा और वे उस पर पत्थरवाह करने की बात करने लगे। यह जानकर दाऊद बहुत दुःखी हुआ, मगर इसके बावजूद उसने हार नहीं मानी। (नीतिवचन 24:10) परमेश्वर के भय की वजह से उसने यहोवा से मदद माँगी और ‘यहोवा में शक्ति पाई।’ (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) फिर परमेश्वर की मदद से दाऊद और उसके आदमियों ने अमालेकियों का पीछा किया और जो उनका था, सबकुछ वापस ले लिया।—1 शमूएल 30:1-20.
यहोवा, उद्धार के लिए हमारी हिफाज़त करता है
14 दाविद को अपनी ज़िंदगी में बहुत से तनाव और दर्द-भरे हालात से गुज़रना पड़ा। (1 शमू. 30:3-6) परमेश्वर का प्रेरित वचन बताता है कि यहोवा उसकी भावनाओं को अच्छी तरह समझता था। (भजन 34:18; 56:8 पढ़िए।) यहोवा हमारी भावनाएँ भी जानता है। जब हमारा ‘मन टूट’ जाता है या हम अंदर से ‘पिसा हुआ’ महसूस करते हैं, तब वह हमारे करीब होता है। यह बात अपने आप में हमें कुछ हद तक दिलासा देती है। दाविद का भी यही अनुभव रहा। उसने एक गीत में कहा, “मैं तेरी करुणा से मगन और आनन्दित हूं, क्योंकि तू ने मेरे दुःख पर दृष्टि की है, मेरे कष्ट के समय तू ने मेरी सुधि ली है।” (भज. 31:7) मगर यहोवा हमारी दुख-तकलीफों पर सिर्फ गौर ही नहीं करता, बल्कि हमें दिलासा देकर और हमारी हिम्मत बँधाकर हमें सँभालता भी है। वह यह कैसे करता है? मसीही सभाओं के ज़रिए।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
पहले शमूएल किताब की झलकियाँ
30:23, 24. यह फैसला गिनती 31:27 के आधार पर किया गया था जो दिखाता है कि यहोवा उन लोगों की बहुत कदर करता है, जो मंडली में किसी-न-किसी तरीके से हाथ बँटाते हैं। इसलिए हम जो भी करते हैं, आइए ‘तन-मन से ऐसे करें मानो यहोवा के लिए कर रहे हों न कि इंसानों के लिए।’—कुलुस्सियों 3:23.
16-22 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 शमूएल 1-3
“‘धनुष’ नाम के शोकगीत से हम क्या सीखते हैं?”
जो आप पर अधिकार रखते हैं, उनकी इज़्ज़त कीजिए
9 लेकिन शाऊल ने जब दाऊद से इतना बुरा सलूक किया तो क्या दाऊद को ज़रा-भी दुःख नहीं हुआ? ज़रूर हुआ था। तभी तो उसने यहोवा से फरियाद की कि ‘खूंखार मनुष्य मेरी जान के पीछे पड़े हैं,’ इसलिए “हे मेरे परमेश्वर, मुझे मेरे शत्रुओं से बचा; . . . हिंसक मनुष्य मेरे विरुद्ध इकट्ठे होते हैं। परन्तु हे यहोवा, मेरा कोई दोष व पाप नहीं है। मेरा कोई दोष नहीं, फिर भी वे दौड़कर मेरे विरुद्ध धावा करने को तैयार हो जाते हैं। मुझे बचाने के लिए जाग उठ और देख!” (भजन 54:3, NHT; 59:1-4, NHT) क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? क्या जिनका आप पर अधिकार है उन्होंने बेवज़ह आपके साथ बुरा सलूक किया है? दाऊद के किस्से में हम देखते हैं कि उसने हमेशा शाऊल की इज़्ज़त की। शाऊल की मौत पर दाऊद को खुशी नहीं मगर इतना दुःख हुआ कि उसने एक विलापगीत बनाया: “शाऊल और योनातन . . . जीवनकाल में तो प्रिय और मनभाऊ थे, . . . वे उकाब से भी वेग चलनेवाले, और सिंह से भी अधिक पराक्रमी थे। हे इस्राएली स्त्रियो, शाऊल के लिये रोओ।” (2 शमूएल 1:23, 24) दाऊद वाकई हमारे लिए एक बढ़िया उदाहरण है, क्योंकि उसने शाऊल के बुरे सलूक के बावजूद सच्चे दिल से उसकी इज़्ज़त की। वह जानता था कि शाऊल को यहोवा ने ही राजा बनाया था।
विश्वासघात—आखिरी दिनों की निशानी का हिस्सा!
8 बाइबल कई वफादार लोगों के बारे में भी बताती है। आइए हम ऐसी दो मिसालों पर चर्चा करें और देखें कि हम उनसे क्या सीख सकते हैं। आइए सबसे पहले हम योनातान के बारे में देखें, जो दाविद का वफादार रहा। राजा शाऊल का बड़ा बेटा होने के नाते शायद वही इसराएल का अगला राजा होता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसराएल का राजा बनने के लिए यहोवा ने दाविद को चुना। योनातान ने परमेश्वर का फैसला कबूल किया। उसने कभी दाविद को अपना दुश्मन नहीं समझा, ना ही उसके मन में दाविद के लिए कभी जलन उठी। इसके बजाय, योनातान ने वादा किया कि वह हमेशा उसका साथ देगा। उसका “मन दाऊद पर . . . लग गया।” उसने अपना वस्त्र, अपनी तलवार, धनुष और कमरबंद दाविद को देकर उसे राजा होने का सम्मान दिया। (1 शमू. 18:1-4) योनातान ने दाविद को ‘ढाढ़स देने’ में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह अपने पिता के सामने दाविद का पक्ष लेकर खुद की जान जोखिम में डालने को भी तैयार था। उसने वफादारी दिखाते हुए दाविद से कहा, “तू ही इसराएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे हूंगा।” (1 शमू. 20:30-34; 23:16, 17) इसलिए हमें हैरानी नहीं होती कि क्यों योनातान की मौत पर दाविद ने उसके लिए अपना प्यार और उससे बिछड़ने का गम ज़ाहिर करने के लिए एक शोकगीत गाया।—2 शमू. 1:17, 26.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 369 पै 2
भाई
बाइबल में न सिर्फ सगे भाइयों को, बल्कि ऐसे लोगों को भी “भाई” कहा गया है जिनकी सोच और जिनके लक्ष्य एक-जैसे हों। जब दाविद ने लिखा, “देखो! भाइयों का एक होकर रहना क्या ही भली और मनभावनी बात है!” तो वह सगे भाइयों की बात नहीं कर रहा था। इसका मतलब, भले ही दो लोगों का खून का रिश्ता न हो, फिर भी उनके बीच इतना प्यार हो सकता है जितना सगे भाइयों के बीच होता है। (भज 133:1) दाविद और योनातान भी सगे भाई नहीं थे, पर दाविद ने योनातान को अपना भाई कहा। वह इसलिए कि उन्हें एक-दूसरे से लगाव था और उनकी सोच एक-जैसी थी।—2शम 1:26.
23-29 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 शमूएल 4-6
“यहोवा का डर मानिए, उसे गुस्सा मत दिलाइए”
दूसरा शमूएल किताब की झलकियाँ
6:1-7. हालाँकि दाऊद के इरादे नेक थे, मगर एक गाड़ी पर वाचा का संदूक लाना परमेश्वर की आज्ञा के खिलाफ था और इसलिए वह अपनी कोशिश में नाकाम रहा। (निर्गमन 25:13,14; गिनती 4:15,19; 7:7-9) उज्जा का संदूक थामना भी दिखाता है कि इंसान के इरादे चाहे कितने ही नेक क्यों न हो, परमेश्वर अपनी माँगें नहीं बदलता।
यहोवा हमेशा वही करता है जो सही है
20 याद रखें कि उज्जा को व्यवस्था से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए था। वाचा का संदूक, यहोवा की मौजूदगी को दर्शाता था। व्यवस्था में साफ-साफ बताया गया था कि ऐसे लोगों के लिए संदूक को छूना मना है जिन्हें इजाज़त नहीं है, और चेतावनी दी गयी थी कि इस नियम का उल्लंघन करनेवालों को मौत की सज़ा दी जाएगी। (गिनती 4:18-20; 7:89) इसलिए उस पवित्र पेटी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के काम को हलका नहीं समझना था। ऐसा लगता है कि उज्जा एक लेवी था (भले ही वह याजक नहीं था), इसलिए उसे व्यवस्था की अच्छी जानकारी होनी थी। इतना ही नहीं, कई साल पहले संदूक को उज्जा के पिता के घर ले जाया गया था ताकि वहाँ पर वह सुरक्षित रहे। (1 शमूएल 6:20–7:1) संदूक वहाँ करीब 70 साल तक रहा, जब तक कि दाऊद ने उसे वहाँ से ले जाने का फैसला नहीं किया। तो उज्जा, बचपन से ही संदूक के बारे में कायदे-कानूनों से वाकिफ रहा होगा।
यहोवा हमेशा वही करता है जो सही है
21 जैसा पहले भी बताया गया है, यहोवा देख सकता है कि एक इंसान के दिल में क्या है। उसका वचन कहता है कि उज्जा ने जो किया वह ‘उसका दोष’ था। इसका मतलब है कि यहोवा ने उसमें स्वार्थ की भावना देखी होगी जिसका बाइबल के वृत्तांत में साफ-साफ ज़िक्र नहीं है। क्या उज्जा घमंडी था, जिसकी वजह से उसने अपनी हद पार करने की गुस्ताखी की? (नीतिवचन 11:2) यह देखते हुए कि उसके परिवार ने ही संदूक को छिपाकर उसकी रखवाली की थी, उसे सबके सामने से ले जाते वक्त क्या उज्जा खुद को बहुत ऊँचा समझने लगा? (नीतिवचन 8:13) क्या उज्जा को यहोवा पर इतना भी विश्वास नहीं था कि वह अपनी मौजूदगी को दर्शानेवाली पवित्र पेटी को गिरने से बचा सकता है? कारण चाहे जो भी रहा हो, मगर हम पक्का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ने जो किया वह सही था। उसने उज्जा के दिल में ज़रूर कोई ऐसी बात देखी होगी जिसकी वजह से उसने फौरन उसे दंड दिया।—नीतिवचन 21:2.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
प्र96 4/1 पेज 29 पै 1
हमेशा अपना बोझ यहोवा पर डालिए
राजा होने के नाते दाविद कुछ हद तक इसके लिए ज़िम्मेदार था। उसने जो किया, उससे पता चलता है कि जिन लोगों का यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्ता है, वे भी मुश्किल हालात में कई बार सही तरह व्यवहार नहीं करते। पहले तो दाविद को बहुत गुस्सा आया। फिर वह डर गया। (2 शमूएल 6:8, 9) वैसे तो दाविद यहोवा पर भरोसा करता था, लेकिन इस मौके पर उसने यहोवा पर भरोसा नहीं किया। उसने यहोवा पर अपना बोझ नहीं डाला, उसकी आज्ञाएँ नहीं मानीं। क्या हमारे साथ भी कभी ऐसा होता है कि हम यहोवा की बात नहीं मानते और फिर समस्या आने पर उसी को दोष देते हैं?—नीतिवचन 19:3.
30 मई–5 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 शमूएल 7-8
“यहोवा ने किया दाविद से करार”
“तेरा राज्य सदा अटल बना रहेगा”
मंदिर बनाने की दाविद की ख्वाहिश जानकर यहोवा का दिल खुश हो उठता है। इसलिए दाविद की भक्ति को देखकर और जैसे भविष्यवाणी की गयी थी, यहोवा उससे वाचा बाँधता है कि वह उसके शाही वंश से एक ऐसा राजा चुनेगा जो हमेशा तक राज करेगा। यहोवा नातान के ज़रिए दाविद से कहता है: “तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे साम्हने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।” (आयत 16) इस वाचा का सनातन वारिस कौन है जो सदा के लिए राज करेगा?—भजन 89:20, 29, 34-36.
“तेरा राज्य सदा अटल बना रहेगा”
नासरत का रहनेवाला यीशु, दाविद के वंश से था। यीशु के पैदा होने की खबर देते हुए एक स्वर्गदूत ने कहा: “यहोवा परमेश्वर उसके पुरखे दाविद की राजगद्दी उसे देगा। वह याकूब के घराने पर हमेशा तक राजा बनकर राज करेगा और उसके राज का कभी अंत न होगा।” (लूका 1:32, 33) यहोवा ने दाविद के साथ जो वाचा बाँधी थी, उसका राजा कोई और नहीं बल्कि यीशु ही है। इससे साबित हो जाता है कि यीशु का राजा बनाया जाना इंसानों की तरफ से नहीं, बल्कि वाचा के मुताबिक यहोवा की तरफ से है। और क्योंकि यह वाचा यीशु में पूरी होती है, इसलिए उसे पूरा हक है कि वह हमेशा-हमेशा तक राज करे। आइए हम हमेशा यह बात याद रखें कि यहोवा के वादे हर हाल में पूरे होते हैं।—यशायाह 55:10, 11.
परमेश्वर के राज पर अटूट विश्वास रखिए
14 यहोवा ने इसराएल के राजा दाविद से एक वादा किया, जिसे दाविद से किया गया करार कहा जाता है। (2 शमूएल 7:12, 16 पढ़िए।) यहोवा ने इस करार के ज़रिए साफ बताया कि वंश किस खानदान से आएगा। उसने वादा किया कि वह दाविद के ही खानदान से आएगा। (लूका 1:30-33) यहोवा ने कहा कि दाविद के इस वारिस के पास मसीहाई राज का राजा बनने का कानूनी अधिकार होगा। (यहे. 21:25-27) दाविद का शासन हमेशा तक कायम रहेगा, क्योंकि यीशु, जो दाविद के खानदान से है, “सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य की नाईं . . . ठहरी रहेगी।” (भज. 89:34-37) जी हाँ, दाविद से किया गया करार इस बात की गारंटी देता है कि मसीहा का राज कभी भ्रष्ट नहीं होगा और इस राज से इंसानों को हमेशा-हमेशा तक आशीषें मिलती रहेंगी!
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-2 पेज 206 पै 2
आखिरी दिन
बिलाम की भविष्यवाणी। इससे पहले कि इसराएली वादा किए गए देश में जाते बिलाम ने मोआब के राजा बालाक से कहा, “जाने से पहले तुझे बता दूँ कि ये लोग [इसराएली] भविष्य में तेरे लोगों के साथ क्या-क्या करेंगे। . . . याकूब में से एक तारा निकलेगा और इसराएल में से एक राजदंड निकलेगा। वह ज़रूर मोआब के माथे के दो टुकड़े कर देगा और हुल्लड़ मचानेवालों की खोपड़ी चूर-चूर कर देगा।” (गि 24:14-17) जब यह भविष्यवाणी पहली बार पूरी हुई तब राजा दाविद वह “तारा” था जिसने मोआबीयों को हराया और उन्हें अपना सेवक बना लिया।—2शम 8:2.
6-12 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 शमूएल 9-10
“दाविद ने दूसरों पर कृपा की”
जी हाँ, आप भी खुशी पा सकते हैं
दाऊद ने लिखा: “क्या ही धन्य है वह जो कंगाल की सुधि लेता है।” वह आगे कहता है: “संकट के दिन यहोवा उसे छुड़ाएगा। यहोवा उसकी रक्षा कर के उसे जीवित रखेगा, और वह . . . धन्य कहलाएगा।” (भजन 41:1, 2, NHT) दाऊद ने अपने जिगरी दोस्त योनातन के लँगड़े बेटे, मपीबोशेत के लिए जो प्यार और परवाह दिखायी, उससे हम सीखते हैं कि कंगालों या दीनों के साथ हमें कैसे पेश आना चाहिए।—2 शमूएल 9:1-13.
दूसरा शमूएल किताब की झलकियाँ
9:1, 6, 7. दाऊद ने अपना वादा निभाया। उसी तरह जब हम कोई वादा करते हैं, तो उसे हर हाल में पूरा भी करना चाहिए।
उन्होंने शरीर में काँटों का सामना किया
10 कुछ सालों बाद, राजा दाऊद ने योनातान के लिए अपने गहरे प्यार की वजह से मपीबोशेत पर दया दिखायी। दाऊद ने शाऊल की पूरी जायदाद मपीबोशेत को दे दी और शाऊल के सेवक, सीबा को उसकी ज़मीन का रखवाला ठहराया। दाऊद ने मपीबोशेत से यह भी कहा: ‘तू मेरी मेज पर नित्य भोजन किया करेगा।’ (2 शमूएल 9:6-10) दाऊद की इस दया से मपीबोशेत ने बेशक सांत्वना पायी होगी और उसे अपनी अपंगता का दर्द सहने में मदद मिली होगी। इस किस्से से हम कितना कुछ सीख सकते हैं! हमें भी ऐसे लोगों पर दया करनी चाहिए जो शरीर के किसी काँटे से जूझ रहे हैं।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 266
दाढ़ी
पुराने ज़माने में इसराएलियों का और दूसरे पूर्वी देशों के लोगों का मानना था कि दाढ़ी एक आदमी की शान है। परमेश्वर के कानून में इसराएलियों से साफ कहा गया था कि वे अपनी “कलमें” न मुँड़वाएँ, न ही अपनी दाढ़ी के किनारे कटवाएँ। (लैव 19:27; 21:5) यह कानून शायद इसलिए दिया गया था क्योंकि दूसरे धर्मों के लोग अपने किसी धार्मिक विश्वास की वजह से दाढ़ी कटवा लेते थे।
13-19 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 शमूएल 11-12
“गलत इच्छाओं को काबू में कीजिए”
हम शैतान के फंदों से छूट सकते हैं!
10 यहोवा की आशीष से राजा दाविद के पास बहुत दौलत थी, नाम था और उसने बहुत सारे युद्ध भी जीते थे। उसने कहा कि यहोवा ने उसे इतनी आशीषें दी हैं कि “उनका बखान करना नामुमकिन” है। (भज. 40:5) पर एक वक्त आया जब दाविद यहोवा के उपकारों को भूल गया और लालच करने लगा। उसकी कई सारी पत्नियाँ थीं, फिर भी उसने एक शादीशुदा औरत बतशेबा पर नज़र डाली। दाविद ने बतशेबा के साथ नाजायज़ यौन-संबंध रखा और वह गर्भवती हो गयी। उसने व्यभिचार करके पाप तो किया ही, लेकिन बतशेबा के पति उरियाह को मरवाकर और भी बड़ा पाप किया। (2 शमू. 11:2-15) दाविद सालों से यहोवा का वफादार था, लेकिन लालच में आकर वह कितनी बड़ी गलती कर बैठा! उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। बाद में दाविद ने अपनी गलती मान ली और पश्चाताप किया। वह खुश था कि यहोवा ने उसे माफ कर दिया।—2 शमू. 12:7-13.
यहोवा के अधीन क्यों और कैसे रहें?
15 यहोवा ने दाविद को परिवार का मुखिया तो ठहराया ही था, इसके साथ उसे पूरे इसराएल राष्ट्र का भी मुखिया ठहराया था। राजा होने के नाते दाविद के पास बहुत अधिकार था। कुछ मौकों पर उसने इस अधिकार का गलत इस्तेमाल किया और बड़ी-बड़ी गलतियाँ कीं। (2 शमू. 11:14, 15) लेकिन जब उसे सुधारा गया, तो उसने अपनी गलती मान ली। उसने यहोवा से प्रार्थना की और उसे अपने दिल की सारी बात बतायी। इसके अलावा दाविद ने यहोवा की सलाह पर चलने की पूरी कोशिश की। इस तरह वह यहोवा के अधीन रहा। (भज. 51:1-4) दाविद ने न सिर्फ आदमियों की बल्कि कुछ मौकों पर औरतों की भी सलाह कबूल की। वह ऐसा इसलिए कर पाया क्योंकि वह नम्र था। (1 शमू. 19:11, 12; 25:32, 33) दाविद ने अपनी गलतियों से सबक सीखा और अपना पूरा ध्यान यहोवा की सेवा पर लगाए रखा।
परमेश्वर के नियमों और सिद्धांतों से ज़मीर का प्रशिक्षण कीजिए
7 सही-गलत के बारे में जानने के लिए हमें परमेश्वर के नियम तोड़कर उसके बुरे अंजाम भुगतने की ज़रूरत नहीं है। पुराने ज़माने में लोगों ने जो गलतियाँ कीं, उनसे हम सबक सीख सकते हैं। उनके बारे में बाइबल में बताया गया है। नीतिवचन 1:5 में लिखा है, “बुद्धिमान सुनकर और ज़्यादा सीखेगा, समझ रखनेवाला, सही मार्गदर्शन पाएगा।” यह मार्गदर्शन हमें परमेश्वर की तरफ से मिलता है, जो सबसे बढ़िया है। ज़रा सोचिए, जब दाविद ने परमेश्वर की आज्ञा तोड़कर बतशेबा के साथ नाजायज़ यौन-संबंध रखे, तो उसे कितने दुख झेलने पड़े। (2 शमू. 12:7-14) जब हम यह घटना पढ़ते हैं और इस पर मनन करते हैं, तो हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘दाविद इस मुसीबत में पड़ने से कैसे बच सकता था? अगर मैं ऐसे हालात में पड़ जाऊँ, तो मैं क्या करूँगा? क्या मैं दाविद की तरह अपने कदम बहकने दूँगा या यूसुफ की तरह वहाँ से भाग जाऊँगा?’ (उत्प. 39:11-15) अगर हम सोचें कि पाप के कितने बुरे अंजाम होते हैं, तो हम और भी ज़्यादा “बुराई से नफरत” करेंगे।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 590 पै 1
दाविद
यहोवा ने दाविद और बतशेबा का पाप नहीं छिपाया। वह सबकुछ देख रहा था और उसने सच का खुलासा किया। अगर यहोवा न्यायियों को उनका मामला सौंप देता, तो मूसा के कानून के मुताबिक उन दोनों को मौत की सज़ा दी जाती। और बतशेबा के साथ-साथ उसके पेट में पल रहा बच्चा भी मर जाता। (व्य 5:18; 22:22) मगर यहोवा ने इस मामले को खुद निपटाने का फैसला किया। उसने दाविद के साथ जो करार किया था उसकी खातिर उसने उस पर दया की। (2शम 7:11-16) दाविद दूसरों पर दया करता था, इसलिए यहोवा ने भी उस पर दया की। (1शम 24:4-7; कृपया याकू 2:13 से तुलना करें) यहोवा देख सकता था कि दाविद और बतशेबा ने सच्चा पश्चाताप किया है, इसलिए भी उसने उन्हें माफ कर दिया। (भज 51:1-4) लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहोवा ने उन्हें कोई सज़ा नहीं दी। उसने नातान के ज़रिए भविष्यवाणी की: “अब मैं तेरे ही परिवार से तुझ पर मुसीबतें ले आऊँगा।”—2शम 12:1-12.
20-26 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 शमूएल 13-14
“अम्नोम के स्वार्थ का बुरा अंजाम”
इंसाइट-1 पेज 32
अबशालोम
अम्नोन की हत्या। अबशालोम की बहन तामार बहुत सुंदर थी। इसलिए उसका सौतेला भाई अम्नोन जो उम्र में उससे बड़ा था, उसके रंग-रूप पर फिदा हो गया। अम्नोन ने बीमार होने का बहाना बनाया और तामार को अपने पास बुलवा लिया। वह आयी और उसने उसके लिए खाना बनाया। तब अम्नोन ने उसके साथ ज़बरदस्ती की और उसका बलात्कार किया। इसके बाद अम्नोन की दीवानगी नफरत में बदल गयी। उसने तामार को अपने घर से निकाल दिया और उसे अपने हाल पर छोड़ दिया।—2शम 13:1-20.
संयम का गुण बढ़ाइए
11 बाइबल में ऐसे लोगों की मिसाल भी दी गयी है जिन्होंने सेक्स के मामले में संयम नहीं रखा और इस वजह से उन्हें बुरे अंजाम भुगतने पड़े। अगर एक मसीही के सामने किम के जैसे हालात आते हैं, तो उसे नीतिवचन अध्याय 7 पढ़ना चाहिए और उसमें बताए नादान नौजवान से सबक सीखना चाहिए। उसे इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि अम्नोन ने क्या किया और उसकी करतूत के क्या भयानक अंजाम हुए। (2 शमू. 13:1, 2, 10-15, 28-32) माँ-बाप पारिवारिक उपासना के दौरान इन मिसालों पर बच्चों के साथ चर्चा कर सकते हैं। इस तरह उनके बच्चे समझ पाएँगे कि संयम रखना और समझ से काम लेना कितना ज़रूरी है।
इंसाइट-1 पेज 33 पै 1
अबशालोम
तामार के बलात्कार को दो साल हो चुके थे। अबशालोम ने अपनी भेड़ों के ऊन कतरने के मौके पर एक दावत रखी। उसने यह दावत बाल-हासोर में रखी जो यरूशलेम से 22 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्वी इलाके में था। उसने दाविद को और अपने सभी भाइयों को बुलाया। मगर दाविद ने कहा कि वह नहीं आ सकता। तब अबशालोम ने उससे कहा कि अगर वह नहीं आ सकता, तो वह अपने पहलौठे अम्नोन को भेज दे। (नीत 10:18) दावत में जब अम्नोन “दाख-मदिरा पीकर मगन” हो गया, तो अबशालोम ने अपने सेवकों को हुक्म दिया कि वे उसे मार डालें।—2शम 13:23-38.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
सज04 12/22 पेज 8-9, अँग्रेज़ी
क्या बात एक इंसान को सच में सुंदर बनाती है?
अबशालोम दिखने में बहुत सुंदर था। बाइबल में उसके बारे में लिखा है, “सिर से पाँव तक उसमें कोई ऐब नहीं था और पूरे देश में उसके जैसा खूबसूरत आदमी कोई न था। हर कहीं उसके रंग-रूप के चर्चे होते थे।” (2शम 14:25) मगर वह अंदर से अच्छा इंसान नहीं था, उसमें कई बुराइयाँ थीं। उस पर राजा बनने का जुनून सवार था, इसलिए उसने अपने पिता से बगावत की और राजगद्दी हथियाने की कोशिश की। यहाँ तक कि उसने अपने पिता की उप-पत्नियों के साथ संबंध भी रखे। इसलिए परमेश्वर का क्रोध उस पर भड़क उठा और वह एक दर्दनाक मौत मरा।—2शम 15:10-14; 16:13-22; 17:14; 18:9, 15.
क्या इस तरह के इंसान को आप पसंद करेंगे? बिल्कुल नहीं। ऐसे इंसान से तो हम कोसों दूर रहेंगे। हालाँकि अबशालोम बहुत सुंदर था, लेकिन वह दूसरों से बड़ा बनना चाहता था। उसने गद्दारी भी की और इस वजह से मारा गया। उसकी खूबसूरती उसके किसी काम नहीं आयी। वहीं बाइबल में कई नेक लोगों के बारे में बताया गया है जिनके गुणों की वजह से हम उन्हें पसंद करते हैं। मगर उनके रंग-रूप का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है। वह इसलिए क्योंकि यह मायने नहीं रखता कि वे दिखने में कैसे थे, बल्कि यह कि वे अंदर से कैसे इंसान थे। यही बात एक इंसान को सच में सुंदर बनाती है।
27 जून–3 जूलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 शमूएल 15-17
“घमंड में आकर अबशालोम ने बगावत की”
इंसाइट-1 पेज 860
आगे दौड़नेवाले
पुराने ज़माने में पूरब के देशों में यह रिवाज़ था कि जब राजा अपने रथ पर सवार होकर कहीं जा रहा होता, तो उसके रथ के आगे कुछ आदमी दौड़ते थे। वे ऐलान करते थे कि राजा आ रहा है ताकि लोग उसका स्वागत करने के लिए तैयार रहें। और अगर राजा को कुछ मदद चाहिए हो, तो वे करते थे। (1शम 8:11) अबशालोम और अदोनियाह यह बात जानते थे कि एक राजा के रथ के आगे ही लोग दौड़ा करते हैं। वे दोनों इसराएल के राजा के खिलाफ हो गए थे और खुद राजा बनना चाहते थे। उन्होंने अपने-अपने रथ के आगे 50 आदमियों को दौड़ने के काम पर लगा दिया ताकि जब लोग उन आदमियों को रथ के आगे दौड़ते हुए देखें, तो अबशालोम और अदोनियाह का और भी मान-सम्मान करें और सोचें कि इन्हीं को राजा बनना चाहिए।—2शम 15:1; 1रा 1:5.
आज़ादी दिलानेवाले परमेश्वर की सेवा कीजिए
5 बाइबल में ऐसे कई लोगों की मिसाल दी गयी है, जिनका दूसरों पर बुरा असर हुआ। एक मिसाल राजा दाविद के बेटे, अबशालोम की है। वह सुंदर और सजीला था। लेकिन आगे चलकर, शैतान की तरह, उस पर भी बड़ा बनने का जुनून सवार हो गया। उसने अपने पिता की राजगद्दी हथियानी चाही, जिस पर उसका कोई हक नहीं था। राजपाट हड़पने के लिए उसने नेकी का मुखौटा पहना और यह दिखावा किया कि उसे लोगों की बहुत फिक्र है, जबकि राजा दाविद उनकी कोई परवाह नहीं करता। ठीक जिस तरह शैतान ने अदन के बाग में आदम और हव्वा के बारे में फिक्रमंद होने का दिखावा किया था, उसी तरह अबशालोम ने जताया कि वह लोगों का सच्चा हमदर्द है। उसने भी झूठ बोलकर अपने पिता को बदनाम किया।—2 शमू. 15:1-5.
इंसाइट-1 पेज 1083-1084
हेब्रोन
जब दाविद राजा बना, तो उसके कुछ साल बाद उसका बेटा अबशालोम हेब्रोन गया और उसने अपने पिता की राजगद्दी हथियाने की साज़िश रची। मगर वह ऐसा नहीं कर सका। (2शम 15:7-10) पर वह हेब्रोन क्यों गया था? इसकी कई वजह हो सकती हैं। एक तो यह कि पहले हेब्रोन यहूदा की राजधानी था और वहाँ बहुत-सी अहम घटनाएँ हुई थीं। और हेब्रोन में ही अबशालोम का जन्म हुआ था।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
क्या आपके पास सही-सही जानकारी है?
11 हो सकता है कि हमारे बारे में ऐसी बातें फैलायी जाएँ, जो आधी सच हों या जिनके बारे में पूरी जानकारी न दी गयी हो। इस वजह से हम पर अन्याय किया जा सकता है। ज़रा राजा दाविद और मपीबोशेत के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। दाविद ने मपीबोशेत पर बहुत कृपा की और उसे उसके दादा शाऊल की सारी ज़मीन लौटा दी। (2 शमू. 9:6, 7) एक दिन दाविद को मपीबोशेत के बारे में झूठी खबर दी गयी। मगर दाविद ने यह पता नहीं किया कि यह खबर सच है या नहीं और तुरंत फैसला सुना दिया कि मपीबोशेत की पूरी ज़मीन ले ली जाए। (2 शमू. 16:1-4) बाद में जब उसकी मपीबोशेत से बात हुई, तब उसे पता चला कि उससे गलती हो गयी है। उसने मपीबोशेत को उसकी आधी ज़मीन लौटा दी। (2 शमू. 19:24-29) अगर दाविद ने जल्दबाज़ी में फैसला करने के बजाय वक्त निकालकर पूरी जानकारी हासिल की होती, तो उससे यह नाइंसाफी नहीं होती।