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  • आपके पास खुश होने की वजह है
    प्रहरीदुर्ग—2011 | मार्च 15
    • सदस्यों को बताए। आपकी मंडली में शायद कुछ ऐसे मसीही हों जो बरसों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, आप उन्हें अपनी पारिवारिक उपासना में आने का बुलावा दे सकते हैं। आप चाहें तो अपनी बेटी से उनसे सवाल पूछने को कह सकते हैं ताकि वे अपने अनुभव बता सकें। या फिर आप अपने बच्चों से कह सकते हैं कि वे शाखा दफ्तर के निर्माण काम की, अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन या पुराने ज़माने में घर-घर की सेवा में इस्तेमाल होनेवाले फोनोग्राफ जैसी चीज़ों की तसवीरें बनाएँ, जिनका परमेश्‍वर के काम में बड़ा योगदान रहा है।

      जानिए कि सब कैसे “अपना-अपना काम पूरा करते हैं”

      प्रेषित पतरस ने मसीही मंडली की तुलना शरीर से की। उसने कहा: “शरीर के सारे अंग, ज़रूरी काम करनेवाले हरेक जोड़ के ज़रिए आपस में पूरे तालमेल से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे को सहयोग देते हैं और शरीर के ये अलग-अलग अंग अपना-अपना काम पूरा करते हैं। इसीलिए सारा शरीर बढ़ता जाता है और प्यार में अपना निर्माण करता है।” (इफि. 4:16) जब हम सीखते हैं कि इंसानी शरीर कैसे काम करता है, तो अपने सृष्टिकर्ता के लिए हमारी कदर बढ़ जाती है और हम उसे और भी आदर देने लगते हैं। उसी तरह जब हम जाँच करते हैं कि दुनिया भर में हमारी मंडलियाँ कैसे काम करती हैं तो हम “परमेश्‍वर की बुद्धि के अलग-अलग अनगिनत पहलू” जानकर हैरत में पड़ जाते हैं।—इफि. 3:10.

      यहोवा बताता है कि उसका संगठन कैसे काम करता है, जिसमें स्वर्ग में हो रहे काम भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए वह कहता है कि उसने सबसे पहले यीशु मसीह को ज्ञान दिया, फिर “यीशु ने अपना स्वर्गदूत भेजकर ये बातें परमेश्‍वर के दास यूहन्‍ना को निशानियों के ज़रिए बतायीं,” जिसने उसकी “गवाही दी।” (प्रका. 1:1, 2) अगर परमेश्‍वर ने खुलासा किया है कि उसके संगठन का अदृश्‍य भाग कैसे काम करता है, तो क्या वह नहीं चाहेगा कि हम धरती पर उसके संगठन के बारे में भी जानें कि उसका हर भाग कैसे “अपना-अपना काम पूरा” करता है?

      उदाहरण के लिए अगर आपकी मंडली में सर्किट निगरान दौरा करने के लिए आनेवाला है तो क्यों न परिवार के तौर पर आप उनके कामों और उन्हें मिलनेवाली आशीषों के बारे में चर्चा करें? वे कैसे हममें से हरेक की मदद करते हैं? दूसरे जिन सवालों पर गौर किया जा सकता है, वे हैं: हमें अपनी प्रचार सेवा की रिपोर्ट देना क्यों ज़रूरी है? परमेश्‍वर के संगठन को पैसा कहाँ से मिलता है? शासी निकाय को कैसे संगठित किया गया है और वह हमें आध्यात्मिक भोजन कैसे मुहैया कराता है?

      जब हम यह समझ जाते हैं कि यहोवा के लोग कैसे संगठित हैं तो हमें कम-से-कम तीन तरीकों से फायदा होता है। हमारी कदर उन लोगों के लिए बढ़ती है, जो हमारे लिए कड़ी मेहनत करते हैं। (1 थिस्स. 5:12, 13) हमें बढ़ावा मिलता है कि हम परमेश्‍वर के सारे इंतज़ामों को सहयोग दें। (प्रेषि. 16:4, 5) और आखिर में जब हम देखते हैं कि मंडली में अगुवाई लेनेवाले कैसे बाइबल के आधार पर फैसले और इंतज़ाम करते हैं तो हमारा भरोसा उन पर और बढ़ जाता है।—इब्रा. 13:7.

      “उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ”

      “सिय्योन के चारों ओर चलो, और उसकी परिक्रमा करो, उसके गुम्मटों को गिन लो, उसकी शहरपनाह पर दृष्टि लगाओ, उसके महलों को ध्यान से देखो; जिस से कि तुम आनेवाली पीढ़ी के लोगों से इस बात का वर्णन कर सको।” (भज. 48:12, 13) यहाँ भजनहार इसराएलियों से आग्रह कर रहा है कि वे यरूशलेम को करीब से देखें। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जो इसराएली परिवार हर साल इस पवित्र शहर में त्योहार मनाने जाते थे और यहोवा के शानदार मंदिर को देखते थे, उनके दिलों में उस शहर की कितनी सुनहरी यादें बसी होंगी? उन्होंने ज़रूर “आनेवाली पीढ़ी” से उन ‘बातों का वर्णन’ किया होगा।

      ज़रा शीबा की रानी के बारे में सोचिए। उसने सुलैमान के शानदार राज और उसकी महान बुद्धि का ऐसा बखान सुना कि उसे विश्‍वास नहीं हुआ। किस बात ने उसे यकीन दिलाया कि उसने जो सुना वह बिलकुल सही था? उसने कहा: “जब तक मैं ने आप ही आकर अपनी आंखों से यह न देखा, तब तक मैं ने उनकी प्रतीति न की।” (2 इति. 9:6) जी हाँ, “आंखों” देखी बात का हम पर ज़्यादा असर होता है।

      आप अपने बच्चों के लिए ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि वे यहोवा के संगठन के हैरतअंगेज़ कामों को “अपनी आंखों” से देख सकें? अगर आपके शहर में यहोवा के साक्षियों का शाखा दफ्तर है तो क्यों न आप उसे देखने जाएँ। उदाहरण के लिए मैंडी और बैथनी अपने देश के बेथेल से करीब 1,500 किलोमीटर दूर रहती थीं। फिर भी उनके माता-पिता उन्हें कई बार बेथेल दिखाने ले जाते थे, खासकर जब वे बड़ी हो रही थीं। वे कहती हैं: “बेथेल का दौरा करने से पहले हम सोचते थे कि वहाँ का माहौल बहुत गंभीर होगा और सिर्फ बुज़ुर्ग लोग ही रहते होंगे। लेकिन वहाँ हमने कई जवानों को खुशी-खुशी यहोवा के लिए मेहनत से काम करते देखा। हमने पाया कि यहोवा का संगठन सिर्फ हमारे छोटे-से शहर तक ही सीमित नहीं था। हर बार बेथेल का दौरा करने से हम आध्यात्मिक रूप से तरो-ताज़ा हो जाते।” परमेश्‍वर के संगठन को इतने करीब से देखने से मैंडी और बैथनी को पायनियर सेवा शुरू करने का बढ़ावा मिला और उन्हें बेथेल में कुछ समय के लिए सेवा करने का बुलावा भी मिला।

      आज यहोवा का संगठन ‘देखने’ का एक और तरीका है, जो प्राचीन इसराएलियों के लिए मुमकिन नहीं था। हाल के सालों में परमेश्‍वर के लोगों को ऐसे वीडियो और डीवीडी मिली हैं, जिनमें परमेश्‍वर के संगठन के कई पहलुओं को उजागर किया गया है। वे हैं: यहोवा के साक्षी—खुशखबरी सुनाने के लिए संगठित, हमारे भाइयों की पूरी बिरादरी, पृथ्वी के दूर-दूर देशों तक और ईश्‍वरीय शिक्षा के लिए एक किए गए (अँग्रेज़ी)। इसमें शक नहीं कि जब आप और आपका परिवार यह देखेगा कि कैसे बेथेल परिवार के सदस्य, राहत-कर्मी, मिशनरी कड़ी मेहनत करते हैं और दूसरे भाई अधिवेशनों की तैयारी के लिए किस तरह अच्छे इंतज़ाम करते हैं, तो दुनिया भर में अपने भाइयों के लिए आपकी कदरदानी ज़रूर बढ़ेगी।

      परमेश्‍वर के लोगों की हर मंडली खुशखबरी का प्रचार करने और अपने इलाके के मसीहियों की मदद करने में अहम भूमिका निभाती है। फिर भी आप समय निकालकर ‘सारी दुनिया में अपने भाइयों की पूरी बिरादरी’ को याद कीजिए। इससे आपको और आपके बच्चों को “विश्‍वास में मज़बूत” बने रहने में मदद मिलेगी और आपको एहसास होगा कि आपके पास खुश होने की वजह है।—1 पत. 5:9.

  • अपने संगी भाइयों को कभी मत छोड़िए
    प्रहरीदुर्ग—2011 | मार्च 15
    • अपने संगी भाइयों को कभी मत छोड़िए

      जॉन और उसकी पत्नी टीनाa बताते हैं कि “दस साल हम व्यापार जगत की चकाचौंध में खोए रहे और हमारे पास रुपए-पैसे की कोई कमी नहीं थी। हालाँकि हमारी परवरिश साक्षी परिवार में हुई, मगर हम सच्चाई से काफी दूर चले गए और हमारे अंदर वापस आने की ताकत नहीं थी।”

      मारेक नाम का एक भाई बताता है: “पोलैंड में सामाजिक और राजनैतिक बदलाव की वजह से मुझे जो भी नौकरी मिलती वह चली जाती। मैं बहुत निराश हो गया था। मैं खुद का कारोबार शुरू करने से भी डरता था क्योंकि मुझे लगता था कि यह मेरे बस की बात नहीं। लेकिन फिर यह सोचकर मैंने अपना कारोबार शुरू कर लिया कि इससे मैं अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकूँगा और आध्यात्मिक तौर पर भी मुझे कोई नुकसान नहीं होगा। कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं कितना गलत था।”

      आज महँगाई आसमान छू रही है और बेरोज़गारी भी बढ़ती जा रही है। इस हालात के चलते कुछ लोगों ने जल्दबाज़ी में गलत फैसले किए हैं। कुछ भाई ज़्यादा पैसे के लिए ओवर टाइम करते हैं तो कुछ एक-से-ज़्यादा नौकरी करते हैं या फिर बिना किसी अनुभव के नया कारोबार शुरू करते हैं। उन्होंने सोचा कि ज़्यादा पैसा कमाकर वे अपने परिवार की अच्छी देखभाल कर सकेंगे और उन्हें कोई आध्यात्मिक नुकसान भी नहीं होगा। लेकिन हम सब समय

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