मिलते-जुलते लेख g02 4/8 पेज 12-13 पढ़ाना—इससे मिलनेवाला संतोष और खुशी पढ़ाना—कीमत और खतरे सजग होइए!–2002 टीचर क्यों बनें? सजग होइए!–2002 मैं अपने शिक्षक के साथ पटरी कैसे बैठाऊँ? युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तर टीचर—हमें उनकी ज़रूरत क्यों है? सजग होइए!–2002 हमारे पाठकों से सजग होइए!–2003