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सजग होइए!–2012
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गुस्सा करने के बुरे अंजाम

एक आदमी होटल में गया और उसने खाने का ऑर्डर दिया। जब उसे लगा कि खाना आने में देर हो रही है, तो वह गुस्से से भड़क उठा। उसने होटल के अंदर जाकर वेटर को धमकाया। फिर उसने उसे टेबल पर धकेल दिया और उसके गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा जड़ दिया। इसके बाद उसने अपना खाना उठाया और बाहर निकल गया।

हम सभी को कभी-न-कभी गुस्सा आता है। जिस तरह हमारे अंदर प्यार, उम्मीद, चिंता, मायूसी और डर जैसी भावनाएँ होती हैं, उसी तरह गुस्से की भावना भी होती है। अगर गुस्से पर हमारा काबू हो तो हम इसे सही ढंग से ज़ाहिर कर पाएँगे, जिसके नतीजे अच्छे निकलेंगे। मिसाल के लिए, कई बार एक इंसान गुस्से में आकर ठान लेता है कि वह हर रुकावट या मुश्‍किल का सामना करेगा। इस तरह का गुस्सा अच्छा होता है क्योंकि यह हममें कुछ कर दिखाने का जज़्बा पैदा करता है।

लेकिन जैसा हमने लेख के शुरू में देखा, गुस्सा करने के बुरे अंजाम भी होते हैं। कुछ लोगों की तो नाक पर गुस्सा रहता है। और कई ऐसे हैं जो गुस्से से पागल हो जाते हैं। चिंगारी लगने की देर नहीं होती कि वे भड़क उठते हैं और गाली-गलौज पर उतर आते हैं या फिर हाथ-पाँव चलाने लगते हैं। ऐसे लोग गुस्से पर काबू पाने के बजाय, खुद गुस्से के काबू में आ जाते हैं। इस तरह का मिज़ाज बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। इससे एक इंसान की ज़िंदगी में कई मुश्‍किलें खड़ी हो सकती हैं। वह न तो ठीक से सोच पाता है न ही अपनी भावनाएँ ज़ाहिर कर पाता है, हर किसी से बुरा व्यवहार करता है और दूसरों के साथ उसके रिश्‍ते में खटास पड़ जाती है।

जो लोग गुस्से पर काबू नहीं रख पाते वे खुद तो दुखी होते ही हैं, दूसरों को भी दुख पहुँचाते हैं। ज़रा-सी बात पर वे आग-बबूला हो उठते हैं और कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिसके बुरे नतीजे निकलते हैं। आगे बताए कुछ उदाहरणों पर ध्यान दीजिए:

एक आदमी अपने कुछ दोस्तों के साथ भीड़-भाड़वाली सड़क से जा रहा था कि अचानक उसके एक दोस्त का बैग किसी शख्स को लग गया। उस शख्स ने न आव देखा न ताव, अपनी बंदूक निकालकर उस आदमी को गोली मार दी।

एक 19 साल का लड़का खून-खराबेवाला विडियो गेम खेल रहा था। तभी अचानक उसकी मंगेतर के 11 महीने के बच्चे ने कोई बटन दबा दिया और वह लड़का गेम हार गया। इससे उस लड़के का खून-खौल उठा और उसने बच्चे को पीटकर-पीटकर उसकी जान ले ली।

इस तरह की खबरें हमें दुनिया के कोने-कोने से सुनने को मिल रही हैं। यह दिखाता है कि ऐसे लोगों की गिनती बढ़ती जा रही है जो गुस्से से बेकाबू हो उठते हैं। आखिर लोगों में इतना गुस्सा क्यों भरा पड़ा है? (g12-E 03)

[पेज 3 पर बक्स]

गुस्सा करना इंसानी फितरत है। इसलिए कभी-कभी अपना गुस्सा सही तरीके से ज़ाहिर करना जायज़ हो सकता है। लेकिन हम इन लेखों में गुस्से से बेकाबू होने के बारे में देखेंगे, क्योंकि इस तरह गुस्सा करने से परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते में दरार आ सकती है, साथ ही हमें और दूसरों को जज़्बाती और शारीरिक तौर पर नुकसान पहुँच सकता है।

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