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बहस करना कैसे करें बंद

चुनौती

क्या अकसर ऐसा होता है कि आप अपने साथी के साथ शांति से बात नहीं कर पाते? क्या बात-बात पर आप दोनों के बीच बहस शुरू हो जाती है, मानो आप एक ऐसे मैदान में चल रहे हैं जहाँ कदम-कदम पर बारूदी-सुरंगें बिछी हैं और एक भी कदम आगे बढ़ाने से यह सुरंग फट सकती है?

अगर हाँ, तो यकीन मानिए, हालात बेहतर हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि आप पहले यह पता लगाएँ कि आप दोनों के बीच इतनी बहस क्यों होती है।

ऐसा क्यों होता है

गलतफहमी।

सारिकाa नाम की एक पत्नी कबूल करती है: “कभी-कभी मैं अपने पति से कुछ बात कह देती हूँ, लेकिन मेरे कहने का वह मतलब नहीं होता। और कभी-कभी ऐसा भी हुआ है कि मुझे पूरा यकीन होता है कि मैंने उन्हें कुछ बात बतायी है, मगर असल में मैंने उन्हें वह बात बतायी नहीं होती, मैंने बस सपने में ऐसा देखा होता है कि मैं उन्हें बता चुकी हूँ। मेरे साथ ऐसा वाकई हो चुका है।”

अलग-अलग राय।

भले ही ज़्यादातर मामलों में आप दोनों की पसंद-नापसंद एक जैसी हो, मगर कुछ मामलों में आप दोनों की राय अलग-अलग ज़रूर होगी। क्यों? क्योंकि दो इंसान कभी एक-जैसे नहीं होते। और यह सच्चाई शादी-शुदा ज़िंदगी में या तो रंग भर सकती है या तनाव पैदा कर सकती है। ज़्यादातर मामलों में यह तनाव का कारण रही है।

माता-पिता की रखी बुरी मिसाल।

रेचल नाम की एक पत्नी कहती है: “मेरे माता-पिता बात-बात पर झगड़ते थे और एक-दूसरे को ताने कसते थे। इसलिए जब मेरी शादी हुई, तो मैं भी अपने पति से वैसे ही बात करने लगी, जैसे माँ पिताजी से करती थी। इज़्ज़त से बात करना तो मैंने कभी सीखा ही नहीं था।”

असल वजह।

अकसर झगड़े के पीछे वजह कुछ और होती है। मिसाल के लिए, हो सकता है पत्नी इस तरह बहस शुरू करे कि “आप हमेशा देर से आते हो,” मगर असल में इसकी वजह शायद वक्‍त न हो, बल्कि उसे लगा हो कि पति ने उसकी भावनाओं को नहीं समझा।

वजह चाहे जो भी हो, मगर बात-बात पर बहस करने से आपकी सेहत खराब हो सकती है, यहाँ तक कि तलाक की नौबत भी आ सकती है। तो फिर आप बहस करना बंद कैसे कर सकते हैं?

आप क्या कर सकते हैं

बहस से बचने का एक अच्छा तरीका है यह पता लगाना कि असल में किस वजह से ऐसा होता है। जब माहौल शांत हो, तो क्यों न अपने साथी के साथ कुछ ऐसा करके देखें।

1. दोनों एक-एक कागज़ लीजिए और उस पर लिखिए कि हाल ही में आप दोनों के बीच किस बात पर बहस हुई। मिसाल के लिए, पति शायद लिख सकता है, “तुमने अपना सारा दिन अपने दोस्तों के साथ बिता दिया, और मुझे एक फोन तक नहीं किया।” पत्नी शायद लिख सकती है, “मैंने अपने दोस्तों के साथ वक्‍त बिताया, तो आपको गुस्सा आ गया।”

2. खुले दिमाग से सोचिए और फिर इस बात पर चर्चा कीजिए: क्या मामला वाकई इतना गंभीर था? क्या हम इसे नज़रअंदाज़ कर सकते थे? कुछ मामलों में, शांति बनाए रखने के लिए शायद सिर्फ इतना कबूल करना काफी हो कि उस मामले में दोनों की राय अलग-अलग है और फिर प्यार से उस मामले को वहीं खत्म कर दीजिए। —बाइबल सिद्धांत: नीतिवचन 17:9.

अगर आप दोनों इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि मामला इतना गंभीर नहीं था, तो एक-दूसरे से माफी माँगिए और फिर उस बारे में दोबारा मत सोचिए और ना ही उस पर चर्चा कीजिए।—बाइबल सिद्धांत: कुलुस्सियों 3:13, 14.

अगर आप दोनों को या आपमें से किसी एक को भी लगता है कि मामला गंभीर था, तो अगला कदम उठाइए।

3. अपने-अपने कागज़ पर लिखिए कि बहस करते वक्‍त आप कैसा महसूस कर रहे थे। मिसाल के लिए, पति लिख सकता है, “मुझे लगा जैसे तुम्हें अपने दोस्तों के साथ वक्‍त बिताना ज़्यादा पसंद है, न कि मेरे साथ।” एक पत्नी लिख सकती है, “मुझे लगा जैसे तुम मेरे साथ ऐसे पेश आ रहे थे जैसे मैं कोई बच्ची हूँ जिसे हर बात अपने पापा से पूछकर करनी चाहिए।”

4. अब अपना-अपना कागज़ एक-दूसरे को दीजिए और आपके साथी ने आपके बारे में जो लिखा है उसे पढ़िए। बहस करते वक्‍त आपके साथी के परेशान होने की असल वजह क्या थी? चर्चा कीजिए कि बिना बहस किए आप दोनों उस असल समस्या को किस तरह सुलझा सकते थे।—बाइबल सिद्धांत: नीतिवचन 29:11.

5. चर्चा कीजिए कि इस अभ्यास से आपने क्या सीखा। जो सबक आपने सीखा, उसकी मदद से आप आगे चलकर बहस करने से कैसे बच सकते हैं या अगर बहस हो भी जाए, तो उसे कैसे रोक सकते हैं? ◼ (g13-E 02)

a इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

खास आयतें

  • “जो दूसरे के अपराध को ढांप देता, वह प्रेम का खोजी ठहरता है।”—नीतिवचन 17:9.

  • “एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करो।”—कुलुस्सियों 3:13.

  • “मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है।” —नीतिवचन 29:11.

अगर आपमें बहस हुई है, तो . . .

गहराई से जाँच कीजिए: जब आप बहस कर रहे थे, तब आप अपने साथी से असल में क्या चाह रहे थे? असल वजह जानने की कोशिश कीजिए।

सोचिए कि बहस करते वक्‍त असल में क्या हुआ: बहस करने के बजाय, आप दोनों बिना बहस किए उस असल समस्या को किस तरह सुलझा सकते थे?

अगर मामला इतना गंभीर नहीं था, तो एक-दूसरे से माफी माँगिए और फिर उस बारे में दोबारा मत सोचिए और ना ही उस पर चर्चा कीजिए

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