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  • “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (यिर्मयाह–मलाकी)
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“सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (यिर्मयाह–मलाकी)
bsi07 पेज 17-19

बाइबल की किताब नंबर 32—योना

लेखक: योना

लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु.पू. 844

योना, सा.यु.पू. नौवीं सदी का एक मिशनरी था जिसे यहोवा ने एक पराए देश में अपना संदेश सुनाने के लिए भेजा था। यहोवा से मिले इस काम को उसने किस नज़र से देखा? इस काम में उसे क्या-क्या नए अनुभव हासिल हुए? यहोवा ने उसे जिन लोगों के पास भेजा, क्या उन्होंने उसका संदेश कबूल किया? वह अपने प्रचार में किस हद तक कामयाब रहा? योना की रोमांचक किताब में इन सवालों के जवाब दिए गए हैं। यह किताब उस समय लिखी गयी थी जब यहोवा की चुनी हुई जाति ने उसके साथ अपनी वाचा तोड़ दी थी और झूठे देवताओं की उपासना करने लगी थी। भविष्यवाणी की यह किताब बताती है कि परमेश्‍वर सिर्फ इस्राएल जाति पर नहीं, बल्कि सभी जातियों पर दया दिखाता है। इसके अलावा, इसमें यहोवा की बड़ी दया और निरंतर प्रेम-कृपा का भी गुणगान किया गया है, जबकि इसके बिलकुल उलट असिद्ध इंसानों में अकसर दया, सब्र और विश्‍वास की कमी पायी जाती है।

2 योना (इब्रानी में, योहनाह) नाम का मतलब है, “फाख्ता।” वह भविष्यवक्‍ता अमित्तै का पुत्र था, जो जबूलून के इलाके में गलील के गथेपेर नगर का रहनेवाला था। दूसरा राजा 14:23-25 कहता है कि इस्राएल के राजा यारोबाम ने अपने देश की सरहद बढ़ा दी थी, ठीक जैसे यहोवा ने योना के ज़रिए कहा था। इसका मतलब है कि सा.यु.पू. 844 में जब यारोबाम द्वितीय इस्राएल का राजा बना, तब उसी साल के आस-पास योना ने भविष्यवाणी की होगी। उस वक्‍त तक अश्‍शूर और उसकी राजधानी नीनवे ने इस्राएल पर कब्ज़ा करना शुरू नहीं किया था।

3 इसमें कोई शक नहीं कि योना का पूरा ब्यौरा सच्चा है। ‘हमारे विश्‍वास को सिद्ध करनेवाले यीशु’ ने योना को एक असल शख्स बताया और उसकी किताब में भविष्यवाणी के तौर पर बतायी दो घटनाओं को ईश्‍वर-प्रेरणा से समझाया भी। यह दिखाता है कि योना की किताब में दर्ज़ भविष्यवाणियाँ एकदम सच्ची हैं। (इब्रा. 12:2; मत्ती 12:39-41; 16:4; लूका 11:29-32) यहूदी हमेशा से योना को ईश्‍वर-प्रेरित किताबों की अपनी सूची में शामिल करते आए हैं और उनका मानना है कि वह सचमुच इतिहास में जीया था। योना ने अपनी गलतियों और कमज़ोरियों को छिपाने की कोशिश नहीं की, बल्कि उनके बारे में खुलकर बताया। इससे भी साबित होता है कि उसकी किताब सच्ची है।

4 वह कौन-सी “बड़ी मछली” थी जिसने योना को निगल लिया था? इस बारे में बहुत-सी अटकलें लगायी जाती हैं। कहा जाता है कि स्पर्म व्हेल और बड़ी सफेद शार्क मछली एक पूरे आदमी को निगल सकती है। मगर बाइबल यह नहीं बताती कि वह कौन-सी मछली थी। वह बस इतना कहती है: “यहोवा ने योना को निगल जाने के लिए एक बहुत बड़ी मछली भेजी।” (योना 1:17, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) इसलिए यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि योना को एक स्पर्म व्हेल ने निगल लिया था, या बड़ी सफेद शार्क मछली ने, या फिर किसी और अनजान समुद्री जंतु ने।a हमारे लिए इतना जानना काफी है कि वह एक “बड़ी मछली” थी।

क्यों फायदेमंद है

9 योना ने जो कदम उठाया और उसका जो अंजाम हुआ, वह हमारे लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। परमेश्‍वर ने उसे जो काम सौंपा था, उसमें उसे जुट जाना चाहिए था और यहोवा की मदद पर भरोसा करना चाहिए था। मगर ऐसा करने के बजाय वह उस काम से भाग गया। (योना 1:3; लूका 9:62; नीति. 14:26; यशा. 6:8) जब वह नीनवे से उलटी दिशा में जा रहा था, तब उसने गलत रवैया दिखाया। उसने मल्लाहों को नहीं बताया कि वह ‘स्वर्ग के परमेश्‍वर यहोवा’ का उपासक है। वह अपना हियाव खो बैठा था। (योना 1:7-9; इफि. 6:19, 20) योना को सिर्फ अपनी और अपनी इज़्ज़त की पड़ी थी, इसलिए जब यहोवा ने नीनवे के लोगों पर दया दिखायी, तो उसने यहोवा के इस फैसले को अपना अपमान समझा। अपनी इज़्ज़त बचाने की कोशिश में उसने यहोवा से कहा कि उसे पहले से मालूम था कि यहोवा ऐसा ही करेगा, तो फिर उसे नीनवे भेजने की क्या ज़रूरत थी? यहोवा का अनादर करने और शिकायती रवैया दिखाने की वजह से उसे ताड़ना दी गयी। हमें योना से सबक सीखना चाहिए और यहोवा के दया दिखाने में या उसके काम करने के तरीके में कभी नुक्स नहीं निकालना चाहिए।—योना 4:1-4, 7-9; फिलि. 2:13, 14; 1 कुरि. 10:10.

10 योना की किताब में सबसे बढ़कर यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा और दया जैसे बेमिसाल गुणों के बारे में ज़ोर देकर बताया गया है। यहोवा ने नीनवे को आनेवाले विनाश से खबरदार करने के लिए अपने नबी को भेजा और इस तरह उनके लिए निरंतर प्रेम-कृपा दिखायी। और जब नगर के लोगों ने पश्‍चाताप किया, तो उसने उन पर दया दिखायी। इसी दया की बदौलत नीनवे का नाश नहीं हुआ बल्कि वह 200 साल से भी ज़्यादा समय तक वजूद में रहा, जब तक कि लगभग सा.यु.पू. 632 में मादियों और बाबुलियों ने उसे तबाह न कर दिया। यहोवा ने योना पर भी दया दिखायी। उसने उसे तूफानी समुद्र से बचाया और उसके लिए लौकी का एक पौधा उगाया ताकि “उसका दुःख दूर हो।” यहोवा ने छाया देनेवाले उस पौधे को उगाकर और फिर उसे मारकर योना को जता दिया कि वह जिसे चाहे उसे दया और निरंतर प्रेम-कृपा दिखाएगा।—योना 1:2; 3:2-4, 10; 2:10; 4:6, 10, 11.

11 मत्ती 12:38-41 में यीशु ने धर्मगुरुओं से कहा था कि उन्हें सिर्फ ‘योना का चिन्ह’ दिया जाएगा। योना ने “अधोलोक के उदर” में तीन दिन और तीन रात बिताने के बाद, नीनवे के लोगों को जाकर प्रचार किया और इस तरह वह उनके लिए एक “चिन्ह” ठहरा। (योना 1:17; 2:2; 3:1-4) उसी तरह, यीशु ने भी मरने पर तीन दिन के कुछ हिस्से कब्र में बिताए थे और फिर उसका पुनरुत्थान किया गया था। जब उसके चेलों ने ऐलान किया कि यीशु जी उठा है, तो वह उस पीढ़ी के लिए एक चिन्ह ठहरा। यहूदियों के ज़माने में जिस तरीके से समय को मापा जाता था और यीशु के मामले में जो-जो घटनाएँ घटी थीं, उनसे ज़ाहिर होता है कि “तीन दिन और तीन रात” पूरे चौबीस-घंटेवाले तीन दिन नहीं थे।b

12 इसी घटना की चर्चा करते वक्‍त यीशु ने फर्क बताया कि जहाँ एक तरफ नीनवे के लोगों ने पश्‍चाताप किया था, वहीं दूसरी तरफ उसके ज़माने के यहूदियों ने अपने हृदय को कठोर कर लिया था और उसे साफ-साफ ठुकरा दिया था। यीशु ने कहा: “नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएंगे, क्योंकि उन्हों ने यूनुस का प्रचार सुनकर, मन फिराया और देखो, यहां वह है, जो यूनुस से भी बड़ा है।” (मत्ती 16:4 और लूका 11:30, 32 भी देखिए।) यीशु के इन शब्दों का क्या मतलब था कि “यहां वह है, जो यूनुस से भी बड़ा है”? वह अपने बारे में बात कर रहा था क्योंकि वह सबसे बड़ा भविष्यवक्‍ता था जिसे यहोवा ने यह प्रचार करने के लिए भेजा: “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।” (मत्ती 4:17) इसके बावजूद, उस पीढ़ी के ज़्यादातर यहूदियों ने ‘योना के चिन्ह’ को ठुकरा दिया। आज के बारे में क्या कहा जा सकता है? यह सच है कि ज़्यादातर लोग यहोवा की चेतावनी के संदेश पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। फिर भी दुनिया-भर में हज़ारों लोगों को परमेश्‍वर के उस राज्य की खुशखबरी सुनने का मौका दिया जा रहा है, जिसके बारे में “मनुष्य के पुत्र” यीशु ने सबसे पहले प्रचार किया था। जिस तरह पश्‍चाताप करनेवाले नीनवे के लोगों को योना के प्रचार से फायदा हुआ था, उसी तरह इन लोगों को भी दयालु परमेश्‍वर यहोवा के बेशुमार इंतज़ामों से फायदा हो सकता है। इन इंतज़ामों से उन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है क्योंकि “उद्धार यहोवा ही से होता है!”—योना 2:9.

[फुटनोट]

a इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌, भाग 2, पेज 99-100.

b इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌, भाग 1, पेज 593.

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