वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • bsi08-2 पेज 25-26
  • बाइबल की किताब नंबर 64—3 यूहन्‍ना

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • बाइबल की किताब नंबर 64—3 यूहन्‍ना
  • “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (1 थिस्सलुनीकियों-प्रकाशितवाक्य)
  • उपशीर्षक
  • क्यों फायदेमंद है
“सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” सच्चा और फायदेमंद (1 थिस्सलुनीकियों-प्रकाशितवाक्य)
bsi08-2 पेज 25-26

बाइबल की किताब नंबर 64—3 यूहन्‍ना

लेखक: प्रेरित यूहन्‍ना

लिखने की जगह: इफिसुस या उसके आस-पास

लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु. 98

यह पत्री गयुस नाम के एक वफादार मसीही को लिखी गयी थी, जिससे यूहन्‍ना सच्चा प्यार करता था। पहली सदी में गयुस नाम बहुत आम था, कई लोग इस नाम से जाने जाते थे। मसीही यूनानी शास्त्र की दूसरी किताबों में यह नाम चार बार आता है। और इसे तीन या शायद चार अलग-अलग लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया है। (प्रेरि. 19:29; 20:4; रोमि. 16:23; 1 कुरि. 1:14) इस बात की कोई पक्की जानकारी नहीं है कि यूहन्‍ना ने इन्हीं चारों में से किसी एक को यह पत्री लिखी थी। हम गयुस के बारे में बस इतना जानते हैं कि वह मसीही कलीसिया का एक सदस्य और यूहन्‍ना का खास दोस्त था। यही नहीं, यह पत्री उसी के नाम लिखी गयी थी, क्योंकि इसमें शब्द, “तू” और “तेरा” इस्तेमाल किए गए हैं।

2 तीसरा यूहन्‍ना की शुरूआत और समाप्ति दूसरा यूहन्‍ना से मिलती-जुलती है। इसके अलावा, इसमें भी लिखनेवाला खुद को “प्राचीन” कहता है। इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि यह पत्री भी प्रेरित यूहन्‍ना की लिखी हुई है। (2 यूह. 1) इसमें दी जानकारी और इसकी भाषा पहला और दूसरा यूहन्‍ना जैसी है। इससे पता चलता है कि तीसरा यूहन्‍ना भी लगभग सा.यु. 98 में इफिसुस या उसके आस-पास के इलाके में लिखा गया था। पत्री छोटी होने की वजह से शुरू के लेखकों ने इससे बहुत कम हवाले दिए। लेकिन जिन प्राचीन सूचियों में ईश्‍वर-प्रेरित किताबों के नाम दिए गए हैं, उनमें दूसरा यूहन्‍ना के साथ-साथ इस पत्री का नाम भी पाया जाता है।

3 पत्री में यूहन्‍ना ने गयुस की तारीफ की, क्योंकि वह सफरी भाइयों को मेहमाननवाज़ी दिखाता था। साथ ही, उसने दियुत्रिफेस के बारे में लिखा, जो बड़ा बनने की चाहत रखता था और कलीसिया में गड़बड़ी पैदा कर रहा था। ऐसा मालूम होता है कि गयुस को यह पत्री देमेत्रियुस नाम के किसी भाई ने पहुँचायी थी, जिसका ज़िक्र इस पत्री में हमें मिलता है। तो यह मुमकिन है कि यूहन्‍ना ने देमेत्रियुस की सिफारिश इसलिए की, ताकि गयुस उसकी खातिरदारी कर सके। जिस तरह हमें गयुस के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, उसी तरह दियुत्रिफेस और देमेत्रियुस के बारे में भी हमें उतनी ही मालूमात है जितनी इस पत्री में दी गयी है। मगर हाँ, इस पत्री में हमें पहली सदी के अंतर्राष्ट्रीय भाईचारे के आपसी प्यार और अपनेपन की बढ़िया झलक मिलती है। यह प्यार और अपनापन कई तरीकों से दिखाया जाता था। एक तरीका था, “[परमेश्‍वर के] नाम के लिये” जगह-जगह सफर करनेवाले भाइयों की खातिरदारी करना, फिर चाहे वे मेज़बान भाइयों के लिए अजनबी क्यों न हों।—आयत 7.

क्यों फायदेमंद है

5 प्रेरित यूहन्‍ना ने कलीसिया को दूषित करनेवाले प्रभावों से सुरक्षित रखने में गज़ब का जोश दिखाया। इस तरह उसने मसीही अध्यक्षों के लिए एक बेहतरीन मिसाल रखी। कलीसिया के भाइयों के आपस का प्यार और मेहमाननवाज़ी की भावना वाकई काबिले-तारीफ थी। बेशक, ऐसा खुशनुमा माहौल बनाए रखना कलीसिया के सभी मसीहियों का फर्ज़ था, ताकि उनसे मिलने आए “परदेशी” भाई भी “सत्य के पक्ष में . . . सहकर्मी” होकर उनके साथ परमेश्‍वर की सेवा कर सकें। (आयत 5, 8) लेकिन दियुत्रिफेस ऐसे माहौल के लिए एक खतरा बना हुआ था। वह बहुत घमंडी था और हम जानते हैं कि यहोवा को घमंड से सख्त नफरत है। (नीति. 6:16, 17) दियुत्रिफेस परमेश्‍वर के ठहराए अधिकार का अनादर करता था, यहाँ तक कि प्रेरित यूहन्‍ना के बारे में भी बुरी-बुरी बातें बकता था। इसके अलावा, वह दूसरों को मेहमाननवाज़ी नहीं दिखाता था और जो भाई दिखा रहे थे उन्हें भी रोकता था। इसलिए यूहन्‍ना ने इस बुराई का साफ खंडन किया और कलीसिया को सच्चा प्यार दिखाने का बढ़ावा दिया। आज हममें भी नम्र बने रहने, सच्चाई पर चलने, साथ ही परमेश्‍वर जैसा प्यार और दरियादिली दिखाने का जोश होना चाहिए। ऐसा करने से हम यूहन्‍ना के बताए इस सिद्धांत पर चल रहे होंगे: “जो भलाई करता है, वह परमेश्‍वर की ओर से है; पर जो बुराई करता है, उसने परमेश्‍वर को नहीं देखा।”—3 यूह. 11.

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें