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  • जब अचानक कोई हादसा हो जाता है
  • आपका परिवार खुश रह सकता है
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भाग 8

जब अचानक कोई हादसा हो जाता है

“तुम बहुत खुशी पाते हो, हालाँकि अभी कुछ वक्‍त के लिए जैसा ज़रूरी है, तुम तरह-तरह की परीक्षाओं की वजह से दुःख झेल रहे हो।”—1 पतरस 1:6

आप अपनी शादीशुदा ज़िंदगी और अपने परिवार को कितना भी खुशहाल बनाने की कोशिश क्यों न करें, अचानक ही आपके परिवार में कोई ऐसी घटना घट सकती है, जिससे आपकी खुशी छिन सकती है। (सभोपदेशक 9:11) ऐसी मुश्‍किलों का सामना करने के लिए परमेश्‍वर प्यार से हमारी मदद करता है। अगर आप आगे बताए बाइबल के सिद्धांतों को लागू करें, तो आप अपने परिवार के साथ मिलकर बदतर-से-बदतर हालात का भी सामना कर पाएँगे।

1 यहोवा पर निर्भर रहिए

बाइबल क्या कहती है: “तुम अपनी सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दो, क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है।” (1 पतरस 5:7) हमेशा याद रखिए कि आपकी मुसीबतों के लिए परमेश्‍वर ज़िम्मेदार नहीं है। (याकूब 1:13) जैसे-जैसे आप उसके करीब जाएँगे, वह आपकी बढ़िया-से-बढ़िया तरीके से मदद करेगा। (यशायाह 41:10) “अपने दिल का हाल उस के सामने खोल दो।”—भजन 62:8, उर्दू—ओ.वी.

आपको तब भी दिलासा मिलेगा जब आप हर दिन अपनी बाइबल पढ़ेंगे और उसका अध्ययन करेंगे। नतीजा, आप अनुभव करेंगे कि यहोवा कैसे “हमारी सब दुःख-तकलीफों में हमें दिलासा देता है।” (2 कुरिंथियों 1:3, 4; रोमियों 15:4) वह वादा करता है कि वह आपको “परमेश्‍वर की वह शांति” देगा, “जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है।”—फिलिप्पियों 4:6, 7, 13.

एक आदमी अस्पताल में अपने परिवार के साथ मिलकर प्रार्थना कर रहा है

आप क्या कर सकते हैं:

  • यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना कीजिए, ताकि आप शांत बने रह सकें और ठीक से सोच सकें

  • देखिए कि आपके पास क्या-क्या रास्ते मौजूद हैं, और फिर उनमें से सबसे बढ़िया रास्ता चुनिए

2 अपना और अपने परिवार का खयाल रखिए

बाइबल क्या कहती है: “समझवाले का मन ज्ञान प्राप्त करता है; और बुद्धिमान ज्ञान की बात की खोज में रहते हैं।” (नीतिवचन 18:15) ऐसी जानकारी इकट्ठी कीजिए जिससे परिवार के सदस्यों को हालात से जूझने में मदद मिले। पता लगाइए कि हरेक सदस्य की क्या ज़रूरतें हैं। उनसे बात कीजिए और उनकी सुनिए।—नीतिवचन 20:5.

लेकिन तब क्या अगर आपके किसी अज़ीज़ की मौत हो जाए? अपनी भावनाएँ ज़ाहिर करने से झिझकिए मत। याद रखिए कि एक वक्‍त पर खुद यीशु के भी “आंसू बहने लगे” थे। (यूहन्‍ना 11:35; सभोपदेशक 3:4) ऐसे वक्‍त पर शरीर को थोड़े आराम और नींद की भी बहुत ज़रूरत होती है। (मरकुस 6:31) इससे आपको मुश्‍किल हालात से उबरने में मदद मिल सकती है।

आप क्या कर सकते हैं:

  • मुसीबत आने तक का इंतज़ार मत कीजिए, पहले से ही अपने परिवार के साथ बातचीत करने की आदत बनाइए। फिर जब मुसीबतें आएँगी, तो वे आपसे बात करने से हिचकिचाएँगे नहीं

  • उन लोगों से बात कीजिए जिन्होंने शायद आपके जैसे हालात का सामना किया हो

3 ज़रूरी मदद लीजिए

बाइबल क्या कहती है: “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।” (नीतिवचन 17:17) आपके दोस्त आपकी मदद करना चाहते हैं, लेकिन शायद उन्हें पता न हो कि वे ऐसा कैसे कर सकते हैं। उन्हें खुलकर बताइए कि आपको किस तरह की मदद चाहिए। (नीतिवचन 12:25) साथ ही, ऐसे हालात में आप बाइबल के सिद्धांत कैसे लागू कर सकते हैं, यह जानने के लिए उन लोगों से मदद लीजिए जो बाइबल की अच्छी समझ रखते हैं। वे आपको बाइबल से जो मार्गदर्शन देंगे, उससे आपको मदद मिलेगी।—याकूब 5:14.

जब आप उन लोगों के साथ लगातार मेल-जोल रखेंगे, जिन्हें सचमुच परमेश्‍वर पर विश्‍वास है और जो उसके वादों पर यकीन करते हैं, तो आपको वह सहारा मिलेगा, जिसकी आपको ज़रूरत है। आपको तब भी बहुत दिलासा मिलेगा जब आप उन लोगों की मदद करेंगे, जिन्हें हौसले की ज़रूरत है। उन्हें यहोवा और उसके वादों के बारे में बताइए। ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने में खुद को व्यस्त रखिए। साथ ही, जो आपसे प्यार करते हैं और आपकी परवाह करते हैं, उनसे खुद को अलग मत कीजिए।—नीतिवचन 18:1; 1 कुरिंथियों 15:58.

आप क्या कर सकते हैं:

  • एक करीबी दोस्त से बात कीजिए और उसे आपकी मदद करने दीजिए

  • अपनी ज़रूरतों के बारे में साफ-साफ और खुलकर बताइए

सिर्फ अपने बारे में नहीं, यहोवा के बारे में भी सोचिए

भले ही आप निराश महसूस कर रहे हों, फिर भी अपना पूरा ध्यान परमेश्‍वर पर लगाए रखिए। जब अय्यूब परीक्षाओं से गुज़र रहा था, तब उसने कहा: “यहोवा का नाम धन्य है।” (अय्यूब 1:21, 22) अय्यूब की तरह, यहोवा के नाम और उसकी मरज़ी को अपनी चिंताओं से ज़्यादा अहमियत दीजिए। जब सबकुछ वैसा नहीं होता, जैसा आपने उम्मीद की थी, तो हिम्मत मत हारिए। परमेश्‍वर पर पूरा भरोसा रखिए। “‘मैं उन अपनी योजनाओं को जानता हूँ जो तुम्हारे लिये हैं।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘तुम्हारे लिये मेरी अच्छी योजनाए हैं। मैं तुम्हें चोट पहुँचाने की योजना नहीं बना रहा हूँ। मैं तुम्हें आशा और उज्जवल भविष्य देने की योजना बना रहा हूँ।’”—यिर्मयाह 29:11, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

खुद से पूछिए . . .

  • क्या मैं छोटी-से-छोटी बातों में भी यहोवा पर पूरा भरोसा रखता हूँ?

  • यहोवा की भलाई के लिए हर दिन उसे शुक्रिया कहने की मेरे पास क्या-क्या वजह हैं?

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