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  • मरने के बाद क्या होता है?
    बाइबल हमें क्या सिखाती है?
    • अध्याय छ:

      मरने के बाद क्या होता है?

      1-3. (क) मौत के बारे में लोग क्या सवाल पूछते हैं? (ख) अलग-अलग धर्म इन सवालों के क्या जवाब देते हैं?

      बाइबल में परमेश्‍वर का यह वादा दर्ज़ है कि एक वक्‍त आएगा जब मौत नहीं रहेगी। (प्रकाशितवाक्य 21:4) यह कैसे मुमकिन है? अध्याय 5 में हमने सीखा कि फिरौती की वजह से हम हमेशा की ज़िंदगी पा सकते हैं। फिर भी आज लोग मरते हैं। (सभोपदेशक 9:5) इसलिए एक सवाल अकसर हमारे मन में आता है कि मरने के बाद क्या होता है?

      2 इस सवाल का जवाब पाना हमारे लिए तब और भी ज़रूरी हो जाता है जब हमारे किसी अपने की मौत होती है। हम शायद सोचें, ‘वह कहाँ चला गया? क्या वह हमें देख सकता है? क्या वह हमारी मदद कर सकता है? क्या हम उससे कभी दोबारा मिल पाएँगे?’

      3 अलग-अलग धर्म इन सवालों के अलग-अलग जवाब देते हैं। कुछ कहते हैं कि अच्छे इंसान स्वर्ग जाते हैं और बुरे इंसान नरक जाते हैं। दूसरे कहते हैं कि मरने के बाद एक इंसान आत्मा बन जाता है और अपने परिवार के उन लोगों के पास चला जाता है जो मर चुके हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि मरने के बाद इंसान का पुनर्जन्म होता है, या तो एक इंसान के तौर पर या फिर किसी जानवर के तौर पर।

      4. मौत के बारे में एक आम बात क्या है जो ज़्यादातर धर्म सिखाते हैं?

      4 ऐसा लगता है कि हर धर्म मौत के बारे में कुछ अलग ही सिखाता है। लेकिन अगर आप उनकी शिक्षाओं पर गौर करें तो आप पाएँगे कि उनमें एक बात आम है। वह यह कि इंसान का शरीर मरता है, मगर उसकी आत्मा ज़िंदा रहती है। क्या यह सच है?

      मरने के बाद क्या होता है?

      5, 6. मरने के बाद क्या होता है, इस बारे में बाइबल क्या सिखाती है?

      5 यहोवा जानता है कि मरने के बाद एक इंसान का क्या होता है। उसने बाइबल के ज़रिए हमें बताया है कि जब एक इंसान मरता है तो उसका जीवन खत्म हो जाता है। उसमें कोई आत्मा नहीं होती जो भटकती है या कहीं और चली जाती है।a उसकी भावनाएँ और यादें सब मिट जाती हैं। वह न तो कुछ देख सकता है, न सुन सकता है और न ही कुछ सोच सकता है।

      6 पुराने ज़माने के एक राजा सुलैमान ने लिखा था, “मरे हुए कुछ नहीं जानते।” वे न तो किसी से प्यार कर सकते हैं न ही नफरत। “कब्र में . . . न कोई काम है, न सोच-विचार, न ज्ञान, न ही बुद्धि” है। (सभोपदेशक 9:5, 6, 10 पढ़िए।) भजन 146:4 में लिखा है कि जब कोई मर जाता है तो “उसके सारे विचार मिट जाते हैं।”

      मौत के बारे में यीशु ने क्या बताया

      एक पति-पत्नी बगीचे में बैठकर फूल निहार रहे हैं

      यहोवा ने इंसानों को धरती पर हमेशा जीने के लिए बनाया था

      7. यीशु ने मौत के बारे में क्या बताया?

      7 यीशु का एक दोस्त था लाज़र। जब लाज़र मर गया तो यीशु ने अपने चेलों से कहा, “हमारा दोस्त लाज़र सो गया है।” यह सुनकर उसके चेलों को लगा कि यीशु सचमुच की नींद की बात कर रहा है। इसलिए यीशु ने उन्हें साफ-साफ बताया, “लाज़र मर चुका है।” (यूहन्‍ना 11:11-14) इसमें हम देखते हैं कि यीशु ने मौत की तुलना नींद से की। उसने यह नहीं कहा कि लाज़र स्वर्ग चला गया है या फिर अपने परिवार के उन लोगों के पास चला गया है जो मर चुके हैं। न ही उसने यह कहा कि लाज़र नरक में तड़प रहा है या उसका पुनर्जन्म हुआ है। इसके बजाय, उसने कहा कि लाज़र मानो गहरी नींद सो गया है। दूसरी आयतों में भी मौत की तुलना गहरी नींद से की गयी है। बाइबल बताती है कि जब यीशु के एक चेले स्तिफनुस को मार डाला गया तो “वह मौत की नींद सो गया।” (प्रेषितों 7:60) पौलुस ने भी उन मसीहियों के बारे में, जो मर गए थे, लिखा कि वे “मौत की नींद सो गए हैं।”—1 कुरिंथियों 15:6.

      8. हम कैसे जानते हैं कि परमेश्‍वर ने इंसानों को मरने के लिए नहीं बनाया?

      8 क्या परमेश्‍वर ने आदम और हव्वा को बूढ़े होकर मर जाने के लिए बनाया था? नहीं! यहोवा ने उन्हें हमेशा जीने के लिए बनाया था और उसने उन्हें अच्छी सेहत दी थी। यही नहीं, उसने इंसानों के मन में हमेशा जीने की इच्छा भी डाली। (सभोपदेशक 3:11) कोई भी माँ-बाप नहीं चाहते कि उनके बच्चे बूढ़े होकर मर जाएँ। यहोवा भी नहीं चाहता कि हमारे साथ ऐसा हो। लेकिन अगर उसने हमें हमेशा जीने के लिए बनाया है तो फिर हम मरते क्यों हैं?

      हम क्यों मरते हैं?

      9. (क) यहोवा की आज्ञा मानना आदम और हव्वा के लिए क्यों मुश्‍किल नहीं था? (ख) यहोवा की आज्ञा मानकर वे क्या दिखा सकते थे?

      9 अदन के बाग में यहोवा ने आदम को आज्ञा दी, “तू बाग के हरेक पेड़ से जी-भरकर खा सकता है। मगर अच्छे-बुरे के ज्ञान का जो पेड़ है उसका फल तू हरगिज़ न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उस दिन ज़रूर मर जाएगा।” (उत्पत्ति 2:9, 16, 17) यह आज्ञा मानना आदम और हव्वा के लिए बिलकुल भी मुश्‍किल नहीं था। इसके अलावा, यह आज्ञा मानकर वे दिखा सकते थे कि उन्हें यह बात स्वीकार है कि सिर्फ यहोवा को यह तय करने का अधिकार था कि उनके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा। यही नहीं, वे यह भी दिखा सकते थे कि यहोवा ने उन्हें जो कुछ दिया है उसके लिए वे एहसानमंद हैं।

      10, 11. (क) शैतान ने आदम और हव्वा को कैसे बहकाया? (ख) क्यों आदम और हव्वा के पाप की कोई माफी नहीं थी?

      10 मगर अफसोस, आदम और हव्वा ने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। शैतान ने हव्वा से कहा, “क्या यह सच है कि परमेश्‍वर ने तुमसे कहा है कि तुम इस बाग के किसी भी पेड़ का फल मत खाना?” हव्वा ने कहा, “हम बाग के सब पेड़ों के फल खा सकते हैं। मगर जो पेड़ बाग के बीच में है उसके फल के बारे में परमेश्‍वर ने हमसे कहा है, ‘तुम उसका फल मत खाना, उसे छूना तक नहीं, वरना मर जाओगे।’”—उत्पत्ति 3:1-3.

      11 तब शैतान ने कहा, “तुम हरगिज़ नहीं मरोगे। परमेश्‍वर जानता है कि जिस दिन तुम उस पेड़ का फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, तुम परमेश्‍वर के जैसे हो जाओगे और खुद जान लोगे कि अच्छा क्या है और बुरा क्या।” (उत्पत्ति 3:4-6) शैतान चाहता था कि हव्वा यह सोचने लगे कि उसके लिए क्या अच्छा है क्या बुरा, यह तय करने का अधिकार खुद उसी को है। शैतान ने उससे झूठ भी बोला कि अगर वह परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ देगी तो वह नहीं मरेगी। इसलिए हव्वा ने वह फल खा लिया और बाद में अपने पति को भी दिया। आदम और हव्वा यहोवा की आज्ञा अच्छी तरह जानते थे और यह भी कि इसे मानना कोई मुश्‍किल काम नहीं। फिर भी उन्होंने जानबूझकर परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ दी और उस पेड़ का फल खा लिया। इस तरह उन्होंने दिखाया कि वे स्वर्ग में रहनेवाले अपने प्यारे पिता का आदर नहीं करते। इसलिए उन्होंने जो किया उसके लिए कोई माफी नहीं थी!

      12. आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ी, यह क्यों एक दुख की बात है?

      12 कितने दुख की बात है कि हमारे पहले माता-पिता ने अपने सृष्टिकर्ता का घोर अपमान किया! ज़रा सोचिए, अगर आपका बेटा या बेटी, जिसकी परवरिश में आपने कोई कसर नहीं छोड़ी, आपके खिलाफ हो जाए और आपका कहा न माने तो आपको कैसा लगेगा? क्या आप अंदर से टूट नहीं जाएँगे?

      जब आदम को बनाया गया था

      आदम को मिट्टी से रचा गया था और वह वापस मिट्टी में मिल गया

      13. जब यहोवा ने कहा, ‘तू वापस मिट्टी में मिल जाएगा’ तो इसका क्या मतलब था?

      13 आज्ञा तोड़ने की वजह से आदम और हव्वा ने हमेशा की ज़िंदगी गँवा दी। यहोवा ने आदम से कहा, “तू मिट्टी ही है और वापस मिट्टी में मिल जाएगा।” (उत्पत्ति 3:19 पढ़िए।) इसका मतलब था कि आदम को मिट्टी से रचा गया था, इसलिए मरने के बाद वह दोबारा मिट्टी में मिल जाता। (उत्पत्ति 2:7) जिस तरह उसे बनाए जाने से पहले वह कहीं नहीं था, उसी तरह उसकी मौत के बाद वह कहीं नहीं गया। वह बस खत्म हो गया!

      14. हम क्यों मरते हैं?

      14 अगर आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की आज्ञा मानी होती तो वे आज ज़िंदा होते। मगर उन्होंने आज्ञा तोड़कर पाप किया और बाद में उनकी मौत हो गयी। और जैसे बच्चों को कोई खतरनाक बीमारी अपने माँ-बाप से मिलती है, वैसे ही हमें अपने पहले माता-पिता से पाप मिला है। इसलिए हम सब पापी पैदा होते हैं और मर जाते हैं। (रोमियों 5:12) मगर यह परमेश्‍वर का मकसद नहीं था। उसने कभी नहीं चाहा कि इंसान मरे, इसलिए बाइबल मौत को “दुश्‍मन” कहती है।—1 कुरिंथियों 15:26.

      सच्चाई हमें आज़ाद करती है

      15. मौत के बारे में सच्चाई कैसे हमें आज़ाद करती है?

      15 मौत के बारे में सच्चाई जानने से हम ढेरों गलत धारणाओं से आज़ाद हो जाते हैं। बाइबल सिखाती है कि मरे हुओं को कोई दर्द या दुख नहीं होता। हम उनसे बात नहीं कर सकते और न ही वे हमसे बात कर सकते हैं। हम उनकी कोई मदद नहीं कर सकते और न वे हमारी कोई मदद कर सकते हैं। वे हमें नुकसान नहीं पहुँचा सकते, इसलिए हमें उनसे डरने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन कई धर्म सिखाते हैं कि इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा ज़िंदा रहती है और हम धर्म गुरुओं को पैसा देकर उसकी मदद कर सकते हैं। लेकिन जब हम मौत के बारे में सच्चाई जान लेते हैं तो हम ऐसी झूठी बातों में नहीं फँसते।

      16. मरे हुओं के बारे में कई धर्म क्या सिखाते हैं?

      16 शैतान झूठे धर्मों के ज़रिए हमसे झूठ बोलता है और हमें यकीन दिलाना चाहता है कि इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा ज़िंदा रहती है। क्या आपका धर्म भी यही सिखाता है? या क्या आपका धर्म वह सिखाता है जो बाइबल सिखाती है? शैतान इस तरह की झूठी बातें फैलाकर लोगों को यहोवा से दूर ले जाने की कोशिश करता है।

      17. नरक की शिक्षा से कैसे यहोवा का अपमान होता है?

      17 कई धर्म मौत के बारे में जो सिखाते हैं वह चौंका देनेवाला होता है। उदाहरण के लिए, वे सिखाते हैं कि बुरे लोगों को नरक की आग में हमेशा के लिए तड़पाया जाता है। मगर यह एक झूठी शिक्षा है और इससे यहोवा का अपमान होता है। वह कभी लोगों को इस तरह नहीं तड़पाता! (1 यूहन्‍ना 4:8 पढ़िए।) अगर कोई आदमी अपने बच्चे को सज़ा देने के लिए उसका हाथ आग में जलाए तो यह देखकर आपको कैसा लगेगा? आप सोचेंगे कि वह आदमी कितना क्रूर है! आप उससे दोस्ती करने की भी नहीं सोचेंगे। शैतान चाहता है कि हम यहोवा के बारे में ऐसा ही महसूस करें।

      18. हमें मरे हुओं से क्यों नहीं डरना चाहिए?

      18 कुछ धर्म सिखाते हैं कि मरने के बाद लोग आत्मा बन जाते हैं। वे यह भी सिखाते हैं कि हमें उन आत्माओं का आदर करना चाहिए और उनसे डरना भी चाहिए क्योंकि वे हमारी अच्छी दोस्त बन सकती हैं या फिर खतरनाक दुश्‍मन। इस झूठ पर बहुत-से लोग यकीन कर लेते हैं। वे मरे हुओं से डरते हैं, इसलिए वे यहोवा के बदले उनकी उपासना करते हैं। मगर याद रखिए मरे हुए कुछ महसूस नहीं कर सकते, इसलिए हमें उनसे डरने की ज़रूरत नहीं। यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है। वही सच्चा परमेश्‍वर है और हमें सिर्फ उसी की उपासना करनी चाहिए।—प्रकाशितवाक्य 4:11.

      19. मौत के बारे में सच्चाई जानने से हमें क्या फायदा होता है?

      19 जब हम मौत के बारे में सच्चाई जान लेते हैं तो हम धर्मों की झूठी शिक्षाओं से आज़ाद हो जाते हैं। यही नहीं, परमेश्‍वर ने हमारी ज़िंदगी और हमारे भविष्य के बारे में जो वादे किए हैं उन्हें भी हम समझ पाते हैं।

      20. हम अगले अध्याय में क्या सीखेंगे?

      20 बहुत समय पहले परमेश्‍वर के एक सेवक अय्यूब ने पूछा था, “अगर एक इंसान मर जाए, तो क्या वह फिर ज़िंदा हो सकता है?” (अय्यूब 14:14) शायद आपके मन में भी यही सवाल हो। इसका जवाब परमेश्‍वर ने हमें बाइबल में दिया है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएँगे। इस बारे में हम अगले अध्याय में सीखेंगे।

      a कुछ लोग मानते हैं कि इंसान के मरने के बाद आत्मा ज़िंदा रहती है। इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए “आत्मा” देखिए।

      आपने क्या सीखा?

      पहली बात: जब एक इंसान मरता है तो उसका जीवन खत्म हो जाता है

      “मरे हुए कुछ नहीं जानते।”—सभोपदेशक 9:5

      मरने के बाद क्या होता है?

      • भजन 146:3, 4; सभोपदेशक 9:6, 10

        जब एक इंसान मर जाता है तो वह न कुछ देख सकता है, न सुन सकता है और न ही कुछ सोच सकता है।

      • यूहन्‍ना 11:11-14

        यीशु ने मौत की तुलना नींद से की।

      दूसरी बात: यहोवा ने कभी नहीं चाहा था कि इंसान मरे

      “अच्छे-बुरे के ज्ञान का जो पेड़ है उसका फल तू हरगिज़ न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उस दिन ज़रूर मर जाएगा।”—उत्पत्ति 2:17

      हम क्यों मरते हैं?

      • उत्पत्ति 3:1-6

        शैतान ने झूठ बोला कि अगर हव्वा परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ देगी तो वह नहीं मरेगी। आदम और हव्वा ने यहोवा की आज्ञा तोड़कर पाप किया और बाद में उनकी मौत हो गयी।

      • उत्पत्ति 3:19

        जब आदम मर गया तो उसका जीवन पूरी तरह खत्म हो गया।

      • रोमियों 5:12

        जैसे बच्चों को कोई खतरनाक बीमारी अपने माँ-बाप से मिलती है, वैसे ही हमें अपने पहले माता-पिता से पाप मिला है। इसलिए हम सब पापी पैदा होते हैं और मर जाते हैं।

      • 1 कुरिंथियों 15:26

        बाइबल बताती है कि मौत एक दुश्‍मन है।

      तीसरी बात: मौत के बारे में सच्चाई हमें आज़ाद करती है

      “अगर एक इंसान मर जाए, तो क्या वह फिर ज़िंदा हो सकता है? मैं . . . इंतज़ार करूँगा, जब तक कि मुझे छुटकारा नहीं मिल जाता।”—अय्यूब 14:14

      मौत के बारे में सच्चाई जानने से कैसे हम गलत धारणाओं से आज़ाद हो जाते हैं?

      • 1 यूहन्‍ना 4:8

        नरक की शिक्षा से यहोवा का अपमान होता है। वह कभी लोगों को इस तरह नहीं तड़पाता!

      • प्रकाशितवाक्य 4:11

        कई लोग मरे हुओं से डरते हैं, इसलिए वे यहोवा के बदले उनकी उपासना करते हैं। मगर यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है और हमें सिर्फ उसी की उपासना करनी चाहिए।

  • जिनकी मौत हो गयी है उन्हें ज़िंदा किया जाएगा!
    बाइबल हमें क्या सिखाती है?
    • अध्याय सात

      जिनकी मौत हो गयी है उन्हें ज़िंदा किया जाएगा!

      1-3. (क) हम सब किसकी कैद में हैं? (ख) यहोवा हमें उस कैद से कैसे छुड़ाएगा?

      मान लीजिए आपको उम्र कैद की सज़ा मिली है और वह भी उस अपराध के लिए जो आपने किया ही नहीं। ऐसे में आप शायद खुद को बहुत बेबस महसूस करें। आपको शायद लगे कि अब आप कैद से कभी छूट नहीं पाएँगे। लेकिन तभी आपको पता चलता है कि एक व्यक्‍ति है जो आपको कैद से छुड़ा सकता है और उसने वादा किया है कि वह आपको ज़रूर छुड़ाएगा! यह जानकर आपको कैसा लगेगा?

      2 हम सबको मौत ने कैद कर रखा है। हम चाहे जो कर लें, उसकी कैद से नहीं छूट सकते। लेकिन यहोवा के पास हमें छुड़ाने की ताकत है। उसने वादा किया है, “सबसे आखिरी दुश्‍मन जो मिटा दिया जाएगा, वह है मौत।”—1 कुरिंथियों 15:26.

      3 ज़रा सोचिए, जब मौत नहीं रहेगी तो हम क्या ही राहत की साँस लेंगे! मगर यहोवा सिर्फ मौत को ही नहीं मिटाएगा बल्कि जो मर गए हैं उन्हें भी ज़िंदा करेगा। क्या आप जानते हैं कि इसका क्या मतलब है? हमारे अपने जो अब नहीं रहे हम उनसे दोबारा मिल पाएँगे! यहोवा वादा करता है कि जिन लोगों की मौत हो गयी है उन्हें ज़िंदा किया जाएगा।—यशायाह 26:19.

      जब हमारे अपनों की मौत हो जाती है

      4. (क) जब परिवार का कोई सदस्य या हमारा कोई दोस्त मर जाता है तो हमें कहाँ से दिलासा मिल सकता है? (ख) यीशु के कुछ दोस्त कौन थे?

      4 जब हमारे परिवार का कोई सदस्य या हमारा कोई प्यारा दोस्त मर जाता है तो यह दर्द सहने से बाहर होता है। हम सोचते हैं, ‘काश! मैं उसे वापस ला सकता।’ लेकिन हम कुछ भी नहीं कर सकते। ऐसे में बाइबल से हमें सच्चा दिलासा मिल सकता है। (2 कुरिंथियों 1:3, 4 पढ़िए।) आइए एक उदाहरण पर गौर करें जो दिखाता है कि यहोवा और यीशु, दोनों हमारे उन अज़ीज़ों को ज़िंदा करना चाहते हैं जिनकी मौत हो गयी है। जब यीशु धरती पर था तो वह अकसर लाज़र और उसकी बहनों, मारथा और मरियम के घर जाया करता था। वे तीनों यीशु के अच्छे दोस्त थे। बाइबल बताती है कि यीशु उनसे “बहुत प्यार करता था।” फिर एक दिन लाज़र की मौत हो गयी।—यूहन्‍ना 11:3-5.

      5, 6. (क) जब यीशु ने लाज़र की बहनों और दोस्तों को रोते हुए देखा तो उसने क्या किया? (ख) किसी के मरने पर जो दर्द होता है यीशु उसे समझता है, यह जानकर हमें क्यों दिलासा मिलता है?

      5 यीशु, मारथा और मरियम को दिलासा देने गया। जब मारथा ने सुना कि यीशु आ रहा है तो वह उससे मिलने शहर के बाहर गयी। यीशु को देखकर वह खुश हुई, मगर उसने कहा, “प्रभु, अगर तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।” मारथा को लगा कि यीशु ने आने में बहुत देर कर दी है। फिर यीशु ने मरियम और दूसरों को रोते हुए देखा। यह देखकर यीशु का दिल भर आया और वह भी रोने लगा। (यूहन्‍ना 11:21, 33, 35) यीशु वह दर्द महसूस कर पाया जो किसी अपने की मौत होने पर हमें होता है।

      6 क्या यह जानकर हमें दिलासा नहीं मिलता कि यीशु हमारा दर्द समझता है? यीशु ठीक अपने पिता जैसा है, इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि उसका पिता यहोवा भी हमारा यह दर्द समझता है। (यूहन्‍ना 14:9) यहोवा के पास मौत को हमेशा के लिए मिटाने की ताकत है और वह बहुत जल्द ऐसा करेगा भी।

      “लाज़र, बाहर आ जा!”

      7, 8. (क) मारथा क्यों नहीं चाहती थी कि गुफा से पत्थर हटाया जाए? (ख) लेकिन यीशु ने क्या किया?

      7 लाज़र की लाश एक गुफा में रखी गयी थी और गुफा का मुँह एक बड़े पत्थर से बंद था। जब यीशु उस गुफा के पास आया तो उसने लोगों से कहा, “पत्थर को हटाओ।” लेकिन मारथा नहीं चाहती थी कि वे ऐसा करें। क्यों? क्योंकि लाज़र को मरे चार दिन हो चुके थे। (यूहन्‍ना 11:39) मारथा नहीं जानती थी कि यीशु क्या करनेवाला था।

      जब यीशु ने लाज़र को ज़िंदा किया तो उसके परिवारवाले और दोस्त बहुत खुश हुए

      जब लाज़र को ज़िंदा किया गया तो सोचिए उसके परिवारवाले और दोस्त कितने खुश हुए होंगे!—यूहन्‍ना 11:38-44

      8 जब पत्थर हटाया गया तो यीशु ने कहा, “लाज़र, बाहर आ जा!” तब “वह जो मर चुका था बाहर निकल आया। उसके हाथ-पैर कफन की पट्टियों में लिपटे हुए थे।” (यूहन्‍ना 11:43, 44) लाज़र फिर से ज़िंदा हो गया! यह देखकर मारथा और मरियम की आँखें फटी-की-फटी रह गयीं। लाज़र को वापस पाकर उसका परिवार और दोस्त बहुत खुश हुए। अब वे उसे छू सकते थे, गले लगा सकते थे और उससे बातें कर सकते थे। यह एक बड़ा चमत्कार था! यीशु ने लाज़र को ज़िंदा कर दिया था।

      “बच्ची, मैं तुझसे कहता हूँ, उठ!”

      9, 10. (क) मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत यीशु को किसने दी थी? (ख) मरे हुओं को ज़िंदा करने की जो घटनाएँ हैं उन्हें पढ़ना क्यों फायदेमंद है?

      9 क्या यीशु ने अपनी ताकत से लाज़र को ज़िंदा किया था? नहीं! उसे ज़िंदा करने से पहले यीशु ने यहोवा से प्रार्थना की थी। और यहोवा ने उसे ताकत दी ताकि वह लाज़र को ज़िंदा कर सके। (यूहन्‍ना 11:41, 42 पढ़िए।) मगर यीशु ने सिर्फ लाज़र को ज़िंदा नहीं किया था। बाइबल बताती है कि उसने याइर नाम के एक आदमी की बेटी को भी ज़िंदा किया था, जो 12 साल की थी। वह बहुत बीमार थी। याइर किसी भी तरह उसे बचाना चाहता था क्योंकि वह उसकी इकलौती बेटी थी। उसने यीशु से मिन्‍नत की कि वह उसकी बेटी को ठीक कर दे। जब वह यीशु से बात कर ही रहा था कि तभी कुछ आदमियों ने आकर उससे कहा, “तेरी बेटी मर गयी! अब गुरु को और क्यों परेशान करें?” लेकिन यीशु ने याइर से कहा, “डर मत, बस विश्‍वास रख और वह बच जाएगी।” फिर वह याइर के साथ उसके घर गया। जब वे घर के पास पहुँचे तो यीशु ने देखा कि लोग रो रहे हैं। उसने उनसे कहा, “मत रोओ! लड़की मरी नहीं बल्कि सो रही है।” लड़की के माँ-बाप सोच में पड़ गए होंगे कि यीशु ने ऐसा क्यों कहा। यीशु ने सबको बाहर भेज दिया और लड़की के माँ-बाप को लेकर उस कमरे में गया जहाँ लड़की को लिटाया गया था। यीशु ने लड़की का हाथ पकड़कर उससे कहा, “बच्ची, मैं तुझसे कहता हूँ, उठ!” वह फौरन उठ गयी और चलने-फिरने लगी। यह देखकर उसके माँ-बाप बहुत खुश हुए! यीशु ने उनकी बेटी को ज़िंदा कर दिया। (मरकुस 5:22-24, 35-42; लूका 8:49-56) उस दिन के बाद से जब भी वे अपनी बेटी को देखते होंगे, वे याद करते होंगे कि यहोवा ने यीशु के ज़रिए उन पर कितना बड़ा एहसान किया है।a

      10 जिन लोगों को यीशु ने ज़िंदा किया था वे बाद में दोबारा मर गए। फिर भी इन घटनाओं के बारे में पढ़ना हमारे लिए फायदेमंद है क्योंकि इनसे हमें एक सच्ची आशा मिलती है। वह यह कि यहोवा मरे हुओं को ज़िंदा करना चाहता है और वह ऐसा करेगा भी।

      इन सच्ची घटनाओं से हम क्या सीखते हैं?

      पतरस दूसरों के देखते दोरकास को ज़िंदा करता है

      पतरस ने एक मसीही औरत यानी दोरकास को ज़िंदा किया था।—प्रेषितों 9:36-42

      एक विधवा अपने बेटे को गले लगा रही है जिसे एलियाह ने ज़िंदा किया है

      एलियाह ने एक विधवा के बेटे को ज़िंदा किया था।—1 राजा 17:17-24

      11. सभोपदेशक 9:5 के मुताबिक, कब्र में लाज़र किस हाल में था?

      11 बाइबल साफ-साफ बताती है, “मरे हुए कुछ नहीं जानते।” लाज़र के बारे में यह बात सच थी। (सभोपदेशक 9:5) वह मानो गहरी नींद सो रहा था, ठीक जैसे यीशु ने कहा था। (यूहन्‍ना 11:11) कब्र में लाज़र ‘कुछ नहीं जानता था।’

      12. क्या सबूत है कि लाज़र को सचमुच मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया था?

      12 यीशु ने लाज़र को कई लोगों के सामने ज़िंदा किया था। यहाँ तक कि यीशु के दुश्‍मन भी जानते थे कि उसने यह चमत्कार किया है। और खुद लाज़र इस बात का जीता-जागता सबूत था। (यूहन्‍ना 11:47) यही नहीं, कई लोग आकर लाज़र से मिले और वे विश्‍वास करने लगे कि यीशु को परमेश्‍वर ने भेजा है। यह देखकर यीशु के दुश्‍मन गुस्से से भड़क उठे। वे यीशु और लाज़र को मार डालने की साज़िश करने लगे।—यूहन्‍ना 11:53; 12:9-11.

      13. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा मरे हुओं को ज़िंदा करेगा?

      13 यीशु ने कहा था कि “जो स्मारक कब्रों में हैं” उन्हें ज़िंदा किया जाएगा। (यूहन्‍ना 5:28) इसका मतलब है कि यहोवा जिन्हें याद रखता है उन सबको वह ज़िंदा करेगा। लेकिन इसके लिए उसे उनकी छोटी-से-छोटी बात याद रखनी होगी। क्या वह ऐसा कर सकता है? ज़रा इस बात पर गौर कीजिए। आसमान में करोड़ों तारे हैं और बाइबल बताती है कि यहोवा उनमें से हरेक का नाम जानता है। (यशायाह 40:26 पढ़िए।) अगर वह एक-एक तारे का नाम याद रख सकता है, तो बेशक वह उन लोगों के बारे में छोटी-से-छोटी बात भी याद रख सकता है जिन्हें वह मरे हुओं में से ज़िंदा करेगा। इससे भी बड़ी बात यह है कि यहोवा ने सबकुछ बनाया है, इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि उसके पास मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत है।

      14, 15. अय्यूब ने जो कहा उससे हम यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं?

      14 परमेश्‍वर के वफादार सेवक अय्यूब को पक्का विश्‍वास था कि मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा। उसने पूछा, “अगर एक इंसान मर जाए, तो क्या वह फिर ज़िंदा हो सकता है?” फिर खुद उसी ने यहोवा से कहा, “तू मुझे पुकारेगा और मैं जवाब दूँगा। अपने हाथ की रचना को देखने के लिए तू तरस रहा है।” जी हाँ, अय्यूब जानता था कि यहोवा उस वक्‍त का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है जब वह मरे हुओं को ज़िंदा करेगा।—अय्यूब 14:13-15.

      15 मरे हुए ज़िंदा किए जाएँगे, इस आशा के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? आप शायद सोचें, ‘मेरे परिवार के लोग और दोस्त जो अब नहीं रहे, क्या उन्हें भी ज़िंदा किया जाएगा?’ हम इस बात से दिलासा पा सकते हैं कि यहोवा सचमुच मरे हुओं को ज़िंदा करना चाहता है। लेकिन वह किन लोगों को ज़िंदा करेगा और वे कहाँ रहेंगे? आइए देखें कि इस बारे में बाइबल क्या कहती है।

      वे “उसकी आवाज़ सुनेंगे और बाहर निकल आएँगे”

      16. धरती पर जिन्हें ज़िंदा किया जाएगा उन्हें कैसी ज़िंदगी मिलेगी?

      16 पुराने ज़माने में जिन लोगों को ज़िंदा किया गया था वे इसी धरती पर वापस अपने परिवारवालों और दोस्तों से मिले। भविष्य में भी यही होगा, लेकिन हालात और भी अच्छे होंगे। जिन्हें ज़िंदा किया जाएगा उनके पास धरती पर हमेशा जीने का मौका होगा, वे कभी नहीं मरेंगे। यही नहीं, उन्हें नयी दुनिया में ज़िंदा किया जाएगा, न कि इस दुनिया में जो युद्ध, अपराध और बीमारी से भरी पड़ी है।

      17. किन लोगों को ज़िंदा किया जाएगा?

      17 किन लोगों को ज़िंदा किया जाएगा? यीशु ने कहा, “वे सभी, जो स्मारक कब्रों में हैं उसकी आवाज़ सुनेंगे और बाहर निकल आएँगे।” (यूहन्‍ना 5:28, 29) प्रकाशितवाक्य 20:13 में लिखा है, “समुंदर ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे, दे दिया और मौत और कब्र ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे, दे दिया।” जी हाँ, करोड़ों लोगों को ज़िंदा किया जाएगा। पौलुस ने भी कहा, “अच्छे और बुरे, दोनों तरह के लोगों को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।” (प्रेषितों 24:15 पढ़िए।) इसका क्या मतलब है?

      नयी दुनिया में ज़िंदा किए गए लोग अपने परिवारवालों और दोस्तों से मिल रहे हैं

      जब धरती एक सुंदर बगीचा बन जाएगी तब मरे हुए ज़िंदा किए जाएँगे और वे अपने परिवारवालों और दोस्तों से दोबारा मिल पाएँगे

      18. ‘अच्छे लोगों’ में कौन शामिल हैं जिन्हें ज़िंदा किया जाएगा?

      18 ‘अच्छे लोगों’ में वे लोग शामिल हैं जो यीशु के धरती पर आने से पहले जीए थे और जिन्होंने वफादारी से यहोवा की सेवा की थी। जैसे नूह, अब्राहम, सारा, मूसा, रूत और एस्तेर। इनमें से कुछ लोगों के बारे में आप इब्रानियों की किताब के अध्याय 11 में पढ़ सकते हैं। मगर हमारे समय में यहोवा के जो वफादार सेवक मर जाते हैं, उनके बारे में क्या? वे ‘अच्छे लोग’ हैं, इसलिए उन्हें भी ज़िंदा किया जाएगा।

      19. (क) ‘बुरे लोगों’ में कौन शामिल हैं? (ख) यहोवा उन्हें क्या मौका देगा?

      19 ‘बुरे लोगों’ में ऐसे करोड़ों लोग शामिल हैं जिन्हें यहोवा को जानने का मौका नहीं मिला। हालाँकि वे अब नहीं रहे मगर यहोवा उन्हें भूला नहीं है। वह उन्हें ज़िंदा करेगा और मौका देगा कि वे उसके बारे में सीखें और उसकी सेवा करें।

      20. क्यों सबको ज़िंदा नहीं किया जाएगा?

      20 क्या इसका मतलब यह है कि जितने लोग मर गए हैं उन सबको ज़िंदा किया जाएगा? नहीं। यीशु ने कहा था कि कुछ लोगों को ज़िंदा नहीं किया जाएगा। (लूका 12:5) यह कौन तय करेगा कि एक व्यक्‍ति को ज़िंदा किया जाएगा या नहीं? यहोवा ने यीशु को “जीवितों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है,” मगर इस मामले में आखिरी फैसला यहोवा सुनाएगा। (प्रेषितों 10:42) अगर मरने से पहले एक आदमी बुरे काम करता रहा और उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया तो उसे ज़िंदा नहीं किया जाएगा।—“गेहन्‍ना” देखिए।

      कुछ लोगों को स्वर्ग में जीवन दिया जाएगा

      21, 22. (क) स्वर्ग जानेवालों को कैसा शरीर दिया जाएगा? (ख) सबसे पहला इंसान कौन था जिसे स्वर्ग में जीने के लिए ज़िंदा किया गया था?

      21 बाइबल यह भी बताती है कि कुछ लोग मरने के बाद स्वर्ग जाएँगे। उन्हें इंसानी शरीर नहीं बल्कि एक अदृश्‍य शरीर दिया जाएगा।

      22 इंसानों में से यीशु सबसे पहला था जिसे स्वर्ग में जीने के लिए ज़िंदा किया गया। (यूहन्‍ना 3:13) यीशु के मारे जाने के तीन दिन बाद यहोवा ने उसे ज़िंदा किया। (भजन 16:10; प्रेषितों 13:34, 35) लेकिन उसे इंसानी शरीर नहीं दिया गया। यीशु के एक चेले पतरस ने समझाया कि जब यीशु को “मार डाला गया तब उसका इंसानी शरीर था, मगर जब ज़िंदा किया गया तो उसे अदृश्‍य शरीर दिया गया।” (1 पतरस 3:18) यीशु को एक ताकतवर स्वर्गदूत के तौर पर ज़िंदा किया गया था। (1 कुरिंथियों 15:3-6) लेकिन बाइबल बताती है कि यीशु के अलावा दूसरों को भी स्वर्ग में जीवन दिया जाएगा।

      23, 24. (क) किन लोगों को स्वर्ग में ज़िंदा किया जाएगा? (ख) “छोटे झुंड” की गिनती कितनी है?

      23 अपनी मौत से पहले यीशु ने अपने वफादार चेलों से कहा, “मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जा रहा हूँ।” (यूहन्‍ना 14:2) इसका मतलब था कि उसके कुछ चेलों को स्वर्ग में उसके साथ रहने के लिए ज़िंदा किया जाएगा। लेकिन कितनों को? यीशु ने कहा कि एक “छोटे झुंड” को। इसका मतलब है कि स्वर्ग जानेवालों की गिनती कम होगी। (लूका 12:32) यीशु के चेले यूहन्‍ना ने बताया कि उनकी गिनती ठीक कितनी है। उसने एक दर्शन में देखा कि यीशु स्वर्ग में “सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है और उसके साथ 1,44,000 जन खड़े हैं।”—प्रकाशितवाक्य 14:1.

      24 इन 1,44,000 जनों को स्वर्ग में कब ज़िंदा किया जाएगा? बाइबल बताती है कि जब यीशु स्वर्ग में राज करना शुरू करेगा तब से उन्हें स्वर्ग में ज़िंदा किया जाएगा। (1 कुरिंथियों 15:23) आज हम उसी वक्‍त में जी रहे हैं और 1,44,000 जनों में से कइयों को स्वर्ग में ज़िंदा किया जा चुका है। और जो धरती पर बचे हुए हैं उनमें से जब किसी की मौत होती है तो उसे फौरन स्वर्ग में ज़िंदा किया जाता है। लेकिन ज़्यादातर मरे हुओं को इसी धरती पर, जो एक सुंदर बगीचा बन जाएगी, ज़िंदा किया जाएगा।

      25. अगले अध्याय में हम क्या सीखेंगे?

      25 बहुत जल्द यहोवा इंसानों को मौत की कैद से छुड़ाएगा। मौत हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी! (यशायाह 25:8 पढ़िए।) लेकिन जो स्वर्ग जाएँगे वे वहाँ क्या करेंगे? बाइबल बताती है कि वे यीशु के साथ मिलकर परमेश्‍वर के राज में शासन करेंगे। इस राज के बारे में हम अगले अध्याय में सीखेंगे।

      a बाइबल में मरे हुओं को ज़िंदा करने की और भी सच्ची घटनाएँ दर्ज़ हैं। इनमें बताया गया है कि कैसे बूढ़े-जवान, आदमी-औरत, इसराएली और परदेसी को मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया था। आप ये घटनाएँ इन आयतों में पढ़ सकते हैं: 1 राजा 17:17-24; 2 राजा 4:32-37; 13:20, 21; मत्ती 28:5-7; लूका 7:11-17; 8:40-56; प्रेषितों 9:36-42; 20:7-12.

      आपने क्या सीखा?

      पहली बात: यहोवा मौत को मिटा देगा

      “सबसे आखिरी दुश्‍मन जो मिटा दिया जाएगा, वह है मौत।”—1 कुरिंथियों 15:26

      जब हमारे किसी अपने की मौत होती है तो बाइबल से हमें कैसे सच्चा दिलासा मिलता है?

      • 2 कुरिंथियों 1:3, 4

        जब हमारे परिवार का कोई सदस्य या हमारा कोई करीबी दोस्त मर जाता है तो हम बेबस महसूस करते हैं। ऐसे में बाइबल से हमें सच्चा दिलासा मिलता है।

      • यशायाह 25:8; 26:19

        यहोवा के पास मौत को मिटाने की ताकत है। यही नहीं, वह उन्हें भी ज़िंदा करेगा जिनकी मौत हो चुकी है।

      दूसरी बात: हम विश्‍वास रख सकते हैं कि मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा

      “बच्ची, मैं तुझसे कहता हूँ, उठ!”—मरकुस 5:41

      हम क्यों विश्‍वास रख सकते हैं कि मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा?

      • यूहन्‍ना 11:1-44

        यीशु ने लाज़र को ज़िंदा किया।

      • मरकुस 5:22-24, 35-42

        यीशु ने एक छोटी लड़की को ज़िंदा किया।

      • यूहन्‍ना 11:41, 42

        यीशु ने यहोवा से मिली ताकत से मरे हुओं को ज़िंदा किया।

      • यूहन्‍ना 12:9-11

        यीशु ने कई लोगों के सामने मरे हुओं को ज़िंदा किया। यहाँ तक कि उसके दुश्‍मन भी जानते थे कि उसने यह चमत्कार किया है।

      तीसरी बात: यहोवा करोड़ों मरे हुओं को ज़िंदा करेगा

      “तू मुझे पुकारेगा और मैं जवाब दूँगा। अपने हाथ की रचना को देखने के लिए तू तरस रहा है!”—अय्यूब 14:13-15

      किन्हें ज़िंदा किया जाएगा?

      • यूहन्‍ना 5:28, 29

        यहोवा जिन्हें याद रखता है उन सबको वह ज़िंदा करेगा।

      • प्रेषितों 24:15

        अच्छे और बुरे, दोनों तरह के लोगों को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।

      • यशायाह 40:26

        अगर यहोवा एक-एक तारे का नाम याद रख सकता है, तो बेशक वह उन लोगों के बारे में छोटी-से-छोटी बात भी याद रख सकता है जिन्हें वह ज़िंदा करेगा।

      चौथी बात: कुछ लोगों को स्वर्ग में जीवन दिया जाएगा

      “मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जा रहा हूँ।”—यूहन्‍ना 14:2

      किन्हें स्वर्ग में ज़िंदा किया जाएगा?

      • 1 पतरस 3:18

        इंसानों में से यीशु सबसे पहला था जिसे स्वर्ग में जीने के लिए ज़िंदा किया गया।

      • लूका 12:32

        यीशु ने कहा था कि उसके चेलों में से जिन लोगों को स्वर्ग में ज़िंदा किया जाएगा उनकी गिनती कम होगी।

      • प्रकाशितवाक्य 14:1

        यहोवा ने 1,44,000 जनों को स्वर्ग में जीने के लिए चुना है।

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