2008 प्रहरीदुर्ग की विषय सूची
जिस अंक में लेख आया है, उसकी तारीख दी गयी है
अध्ययन लेख
अंत के इस समय में शादी और माँ-बाप होने की ज़िम्मेदारी, 4/15
अच्छी तरह गवाही देने की ठान लीजिए, 12/15
“अपना पहला सा प्रेम” बनाए रखिए, 6/15
अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में खुशी पाइए, 3/15
अपने ‘सिखाने की कला’ पर ध्यान दीजिए, 1/15
इस दुनिया का सबसे महान मिशनरी—यीशु मसीह, 2/15
एक चित्त होकर यहोवा के वफादार बने रहिए, 8/15
क्या आप अपनी खराई बनाए रखेंगे? 12/15
क्या आप आदर दिखाने में अच्छी मिसाल रखते हैं? 10/15
क्या आप दूसरों के बारे में यहोवा के जैसा नज़रिया रखते हैं? 3/15
क्या आप “शुद्ध भाषा” अच्छी तरह बोलते हैं? 8/15
क्या बात ज़िंदगी को सच्चा मकसद देती है? 4/15
खराई बनाए रखना क्यों ज़रूरी है? 12/15
गरिमा दिखाकर यहोवा का आदर कीजिए, 8/15
घर-घर के प्रचार में आनेवाली चुनौतियों का सामना करना, 7/15
घर-घर जाकर प्रचार करना—आज क्यों ज़रूरी है? 7/15
जल्द-से-जल्द झुंड में लौट आने में उनकी मदद कीजिए! 11/15
जवानो, अभी अपने सिरजनहार को स्मरण रखिए, 4/15
जवानो, यहोवा की सेवा करने का फैसला कीजिए, 5/15
ज़िंदगी के हर दायरे में परमेश्वर से मार्गदर्शन माँगिए, 4/15
जीवन जल के सोतों के पास ले जाए जाने के योग्य ठहराए गए, 1/15
झुंड से भटके हुओं की मदद कीजिए, 11/15
तुम नहीं जानते कि वह कहाँ सुफल होगा! 7/15
“तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है?” 3/15
‘दुनिया की फितरत’ का डटकर मुकाबला कीजिए, 9/15
“निरर्थक बातों” को ठुकराइए, 4/15
परमेश्वर के मकसद में यीशु की अनोखी भूमिका को समझिए और उसकी कदर कीजिए, 12/15
परमेश्वर के राज्य के ज़रिए छुटकारा निकट है! 5/15
पुराने ज़माने में यहोवा अपने लोगों का “छुड़ानेवाला” था, 9/15
पौलुस की मिसाल पर चलकर सच्चाई में तरक्की कीजिए, 5/15
‘प्रभु में आपको जो सेवा सौंपी गयी है, उसका ध्यान रखो,’ 1/15
भलाई करते रहिए, 5/15
मसीह की उपस्थिति आपके लिए क्या मायने रखती है? 2/15
यहोवा अपने बुज़ुर्ग सेवकों की गहरी परवाह करता है, 8/15
यहोवा अपने वफादार जनों को कभी नहीं छोड़ेगा, 8/15
यहोवा की “आंखें” सबको जाँचती हैं, 10/15
यहोवा के अधिकार को कबूल कीजिए, 6/15
यहोवा के मार्गों पर चलिए, 2/15
यहोवा को हमेशा अपने सामने रखिए, 2/15
यहोवा से की गयी दिली प्रार्थना का जवाब, 10/15
यहोवा हमारा “छुड़ानेवाला है,” 9/15
यहोवा हमारी दुहाई सुनता है, 3/15
यहोवा हमारी भलाई के लिए हम पर नज़र रखता है, 10/15
राज्य पाने के योग्य ठहराए गए, 1/15
वह ‘परमेश्वर ही है, जो बढ़ाता है’! 7/15
शादी में ‘तीन तागे की डोरी’ को बरकरार रखिए, 9/15
“शैतान का साम्हना करो,” ठीक जैसे यीशु ने किया था, 11/15
सबसे महान मिशनरी की मिसाल पर चलिए, 2/15
“सही मन” रखनेवाले सुसमाचार को कबूल कर रहे हैं, 1/15
सही हद तक अधीनता दिखाइए और दूसरों का लिहाज़ कीजिए, 3/15
सेहत का खयाल रखने में बाइबल का नज़ारिया अपनाइए, 11/15
हमें किन गुणों का पीछा करना चाहिए? 6/15
हमें किन चीज़ों से भागना चाहिए? 6/15
हमें दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए? 5/15
हमेशा तक जीने के लिए आप क्या कुरबानी देंगे? 10/15
जीवन कहानियाँ
जवानी की निराशा से राहत पाना (एयुसेबियो मोर्सीयो), 1/1
मैंने कोरिया में परमेश्वर के झुंड को बढ़ते देखा (मिलटन हैमिलटन), 12/15
‘यहोवा मेरा बल है’ (जोन कॉविल), 10/15
हम नहीं डरे, आखिर यहोवा हमारे साथ था (एयीप्टीया पेट्रीडीस), 7/15
बाइबल
कुरिन्थियों की झलकियाँ, 7/15
गलतियों, इफिसियों, फिलिप्पियों और कुलुस्सियों की झलकियाँ, 8/15
तीतुस, फिलेमोन और इब्रानियों की झलकियाँ, 10/15
थिस्सलुनीकियों और तीमुथियुस की झलकियाँ, 9/15
प्रेरितों की झलकियाँ, 5/15
मत्ती की झलकियाँ, 1/15
मरकुस की झलकियाँ, 2/15
मिट्टी की तख्तियाँ जो बाइबल को सच साबित करती हैं, 12/15
याकूब और पतरस की पत्रियों की झलकियाँ, 11/15
यूहन्ना और यहूदा की पत्रियों की झलकियाँ, 12/15
यूहन्ना की झलकियाँ, 4/15
रोमियों की झलकियाँ, 6/15
लूका की झलकियाँ, 3/15
“सागर का गीत” हस्तलिपि, 11/15
मसीही जीवन और गुण
“अन्त” के बारे में पहले से सोचिए, 10/1
अपनी ज़िंदगी खुशियों के रंग से भर दी, 1/15
आप कैसे इंसान बनना चाहते हैं? 11/15
इस्राएलियों की गलतियों से सीखिए, 2/15
‘उन बातों की कोशिश कीजिए जिनसे मेल मिलाप हो,’ 11/15
ऐसे संसार में अपने बच्चों की परवरिश करना जिसमें लोगों को हर मामले में खुली छूट दी जाती है, 7/1
कदरदानी क्यों ज़ाहिर करें? 10/1
कमज़ोर पर हिम्मत नहीं हारते, 6/15
किशोरों के साथ बातचीत, 10/1
गेहूँ की तरह छाना जाता है, 1/15
जानलेवा बीमारी से जूझनेवाले को दिलासा, 7/1
तनहा पर भुलाए नहीं गए (वृद्धाश्रम या नर्सिंग होम), 4/15
निराशा के बावजूद खुश, 4/1
“परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता” बनाए रखिए, 5/15
“मनभावने शब्दों” से अपने परिवार का हौसला बढाइए, 1/1
माँ की ज़िम्मेदारी निभाकर बनाइए अपनी पहचान, 4/1
यीशु की मिसाल पर चलिए—परमेश्वर की वैसे उपासना कीजिए जैसे वह चाहता है, 9/15
योजनाएँ जो परमेश्वर के मकसद से मेल खाती हैं? 10/1
वह मदद करना चाहती थी, 7/1
समस्याओं को सुलझाना, 7/1
सही ज्ञान में बढ़ते जाइए, 9/15
साथ मिलकर झगड़े सुलझाएँ (शादी में), 4/1
हालात के मुताबिक लक्ष्य रखिए, 7/15
यहोवा
कुदरत क्या ज़ाहिर करती है, 7/1
क्या कोई चीज़, ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग’ कर सकती है? 10/1
क्या परमेश्वर सज़ा देने के लिए कुदरती आफतें लाता है? 7/1
चरवाहा, जिसे आपकी परवाह है, 4/1
नाम का सही उच्चारण ना मालूम होने पर भी उसका इस्तेमाल? 10/1
“परमेश्वर का सबसे पवित्र और महान नाम,” 10/15
परमेश्वर की संतान कैसे बनें? 4/1
परमेश्वर के नाम का इस्तेमाल करना क्या गलत है? 10/1
परमेश्वर ने दुःख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं? 4/1
परमेश्वर हमें अनमोल समझता है, 7/1
पिता, जिसकी कोई बराबरी नहीं, 1/1
मरे हुओं की ज़िंदगी लौटा सकता है, 4/1
माफ करने को तैयार रहता है, 7/1
यहोवा का वचन—पत्थर की लकीर है, 1/1
“वह हम में से किसी से दूर नहीं!” 10/1
“सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर,” 10/1
हम यीशु से क्या सीखते हैं? 4/1
हमारा दर्द समझता है, 7/1
यहोवा के साक्षी
अध्ययन के लिए प्रहरीदुर्ग पत्रिका, 1/15
अपने विश्वास के पक्ष में बोलने के लिए तैयार (स्कूल में पढ़नेवाली लड़की), 6/15
“एक चित्त और एक मन” होकर परमेश्वर की सेवा कीजिए (दान), 11/15
एक ज़रूरी वादा, 3/15
ऐंडीज़ में खुशखबरी सुनाना, 3/15
गिलियड ग्रेजुएशन, 2/15, 8/15
प्रहरीदुर्ग पढ़नेवालों को (प्रहरीदुर्ग में नए पहलू), 1/1
बाज़ारों में खुशखबरी का ऐलान, 9/15
मुश्किल को किया पार (अधिवेशन के लिए), 6/15
युद्ध में हिस्सा क्यों नहीं लेते? 10/1
शासी निकाय कैसे संगठित, 5/15
हिंसा के शिकार लोगों की पुकार सुनी गयी (रिपब्लिक ऑफ जॉर्जिया), 4/1
यीशु मसीह
क्या यीशु के कहने का यह मतलब था कि नरक है? (मर. 9:48), 6/15
चमत्कार करके लोगों को चंगा, 7/1
ज्योतिषी कब आए? 1/1
दूसरों के साथ कैसे बर्ताव करें, 10/1
पतरस का इनकार करना, 1/1
यीशु की मौत से आपको छुटकारा कैसे मिल सकता है, 4/1
यीशु को लाजर की कब्र पर पहुँचने में चार दिन क्यों लगे? 1/1
विविध
इंसान की शुरूआत विकासवाद से हुई है, क्या बाइबल भी यही सिखाती है? 1/1
क्या अच्छा वक्त बहुत करीब है? 10/1
क्या सारे यहूदी मसीही बन जाएँगे? (रोमि. 11:26), 6/15
ज़िंदगी का मकसद, 4/1
तीमुथियुस, 7/1
“देख, मैं प्रभु की दासी हूं” (मरियम), 10/1
नूह और जलप्रलय, 7/1
परमेश्वर का राज, 1/1, 7/1
विश्वासयोग्य दास “बुद्धिमान”? (मत्ती 24:45), 12/15
सच्ची उपासना के पक्ष में खड़ा हुआ (एलिय्याह), 1/1
“हाथ रखने” का मतलब (इब्रा. 6:2), 9/15