परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
28 अक्टूबर, 2013 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. “मसीह का मन” होने का क्या मतलब है? (1 कुरिं. 2:16) [2 सितं., प्रहरीदुर्ग 08 7/15 पेज 27 पैरा. 7]
2. हमें किन तरीकों से “व्यभिचार से दूर” भागना चाहिए? (1 कुरिं. 6:18) [2 सितं., प्रहरीदुर्ग 08 7/15 पेज 27 पैरा. 9; प्रहरीदुर्ग 04 2/15 पेज 12 पैरा. 9]
3. “मरे हुओं के लिए बपतिस्मा” लेने का क्या मतलब है? (1 कुरिं. 15:29) [9 सितं., प्रहरीदुर्ग 08 7/15 पेज 27 पैरा. 4]
4. दूसरा कुरिंथियों 1:24 में दर्ज़ पौलुस के शब्दों का, आज मसीह प्राचीनों पर क्या असर होना चाहिए? [16 सितं., प्रहरीदुर्ग 13 1/15 पेज 27-28 पैरा. 2-3]
5. दूसरा कुरिंथियों 9:7 में दर्ज़ वचन से हम क्या सीख सकते हैं? [23 सितं., सजग होइए! 7/08 पेज 17, बक्स]
6. गलातियों 6:4 में दर्ज़ पौलुस की सलाह मानने से, हमें क्या फायदा हो सकता है? [30 सितं., प्रहरीदुर्ग 12 12/15 पेज 13 पैरा.18]
7. ‘पवित्र शक्ति की तरफ से मिलनेवाली एकता में रहने’ का क्या मतलब है? (इफि. 4:3) [7 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 12 7/15 पेज 28 पैरा. 7]
8. पौलुस ने उन चीज़ों के बारे में कैसा महसूस किया जो उसने पीछे छोड़ दी थीं? (फिलि. 3:8) [14 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 12 3/15 पेज 27 पैरा. 12]
9. पौलुस ने जब कहा, “आओ हम बाकियों की तरह न सोएँ,” तो उसका क्या मतलब था? (1 थिस्स. 5:6) [21 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 12 3/15 पेज 10 पैरा. 4]
10. यीशु का बलिदान कैसे “फिरौती का बराबर दाम” था? (1 तीमु. 2:6) [28 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 11 6/15 पेज 13 पैरा. 11]