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  • प्रार्थना करने से क्या फायदा होगा?
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प्रार्थना करने से क्या फायदा होगा?

पैमेला नाम की औरत को कैंसर था। उसने डॉक्टरों से इलाज करवाया, और ईश्‍वर से भी बिनती की कि वह इस बीमारी से लड़ने में उसकी मदद करे। क्या प्रार्थना करने से उसे कुछ फायदा हुआ?

पैमेला कहती है, “इलाज के दौरान मैं कई बार बहुत घबरा जाती थी, मुझे एक अजीब-सी बेचैनी होती थी। लेकिन फिर मैं परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना करती थी और तब मेरा मन शांत हो जाता था। मेरे शरीर में अब भी बहुत दर्द होता है, लेकिन प्रार्थना करने से मैं अपना ध्यान अपने दर्द से हटाकर अच्छी बातों पर लगा पाती हूँ। जब लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं कैसी हूँ, तो मैं अकसर उनसे कहती हूँ, ‘तबीयत तो कुछ खास नहीं है, पर मैं फिर भी खुश हूँ!’”

ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ उस वक्‍त प्रार्थना कर सकते हैं जब हमारी जान पर बन आती है या जब हम बहुत बीमार होते हैं। हम तब भी प्रार्थना कर सकते हैं जब हमें कोई छोटी-मोटी चिंता या परेशानी हो।

पवित्र शास्त्र में लिखा है, ‘अपना सारा बोझ परमेश्‍वर यहोवा पर डाल दे, वह तुझे सँभालेगा। वह नेक जन को कभी गिरने नहीं देगा।’ (भजन 55:22) इन शब्दों से हमें कितनी तसल्ली मिलती है! अगर हम सही तरह से प्रार्थना करें, तो ईश्‍वर मुश्‍किलें पार करने में हमारी मदद करेगा।​—“प्रार्थना करने से आपको . . . ” नाम का बक्स देखें।

प्रार्थना करने से आपको . . .

मन की शांति मिलेगी

वही बिज़नेसमैन जिसकी नौकरी छूट गयी थी, अब मुस्कुरा रहा है। उसके चलने के ढंग से पता चल रहा है कि अब वह परेशान नहीं है।

शास्त्र में लिखा है, “परमेश्‍वर से बिनतियाँ करो। तब परमेश्‍वर की वह शांति जो समझ से परे है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल की और तुम्हारे दिमाग के सोचने की ताकत की हिफाज़त करेगी।” (फिलिप्पियों 4:6, 7) ईश्‍वर को अपनी चिंताएँ बताने से आपका मन हलका हो जाएगा और आप मुश्‍किल हालात में भी सही फैसले कर पाएँगे।

ईश्‍वर से बुद्धि मिलेगी

वही औरत, जो पहले एक किताब से प्रार्थनाएँ शब्द-ब-शब्द दोहरा रही थी, अब घर पर बाइबल पढ़ रही है।

शास्त्र में लिखा है, “अगर तुममें से किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्‍वर से माँगता रहे और वह उसे दी जाएगी, क्योंकि परमेश्‍वर सबको उदारता से और बिना डाँटे-फटकारे देता है।” (याकूब 1:5) कभी-कभी जब हम परेशान होते हैं, तो सही फैसले करना मुश्‍किल होता है। ऐसे में हम ईश्‍वर से बुद्धि के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। वह हमें शास्त्र की कुछ बातें याद दिला सकता है जिन्हें ध्यान में रखकर हम सही फैसला कर पाएँगे।

हिम्मत और तसल्ली मिलेगी

जो पति-पत्नी पहले अस्पताल में थे, अब एक पार्क में टहल रहे हैं। पति प्यार से अपनी पत्नी को थामे हुए है और एक लकड़ी के सहारे चलने में उसकी मदद कर रहा है।

शास्त्र में लिखा है, “जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्‍ति मिलती है।” (फिलिप्पियों 4:13) परमेश्‍वर यहोवा सर्वशक्‍तिमान है। वह हमें मुश्‍किलों का डटकर सामना करने के लिए ताकत दे सकता है। (यशायाह 40:29) जब हम पर कोई परीक्षा आती है, तो वह हमें तसल्ली भी देता है। शास्त्र में लिखा है कि वह “हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्‍वर” है।​—2 कुरिंथियों 1:3, 4.

क्या आप ऊपरवाले को पुकारेंगे?

परमेश्‍वर यहोवा हमसे ज़बरदस्ती नहीं करता कि हम उससे प्रार्थना करें। जब हम अपनी मरज़ी से उससे बात करते हैं, तो वह हमारी प्रार्थना सुनकर खुश होता है। (यिर्मयाह 29:11, 12) क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि ईश्‍वर ने आपकी फरियाद नहीं सुनी? फिर भी हिम्मत मत हारिए। ज़रा बच्चों के बारे में सोचिए। कई बार वे अपने मम्मी-पापा से किसी चीज़ की ज़िद करते हैं और चाहते हैं कि वे तुरंत उनकी फरमाइश पूरी कर दें। लेकिन हो सकता है, उन्होंने जो माँगा है वह मम्मी-पापा उन्हें न दें या तुरंत उनकी फरमाइश पूरी न करें। शायद उन्होंने बच्चों के लिए कुछ और सोच रखा होगा जो उससे भी अच्छा है। एक बात तो तय है, मम्मी-पापा अपने बच्चों से प्यार करते हैं और उनकी भलाई चाहते हैं।

हम सब परमेश्‍वर यहोवा के बच्चे हैं। वह हमसे बहुत प्यार करता है और हमारी भलाई चाहता है। अगर आप शास्त्र की उन बातों को ध्यान में रखें जिन पर हमने चर्चा की है, तो वह ज़रूर आपकी प्रार्थनाएँ सुनेगा।​—भजन 34:15; मत्ती 7:7-11.

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