अध्ययन लेख 9
गीत 51 हम यहोवा को समर्पित हुए!
बिना देर किए बपतिस्मा लीजिए!
“तू देर क्यों करता है? उठ, बपतिस्मा ले।”—प्रेषि. 22:16.
क्या सीखेंगे?
हम सामरी लोगों, तरसुस के रहनेवाले शाऊल, कुरनेलियुस और कुरिंथ के लोगों के उदाहरण पर गौर करेंगे। ऐसा करने से आपको बपतिस्मे का कदम उठाने की हिम्मत मिलेगी।
1. बपतिस्मा लेने की कुछ वजह क्या हैं?
क्या आप यहोवा से प्यार करते हैं जिसने आपको हरेक अच्छा तोहफा और जीवन दिया है? क्या आप उसे दिखाना चाहते हैं कि आप उससे कितना प्यार करते हैं? ऐसा करने का सबसे बढ़िया तरीका है कि आप उसे अपना जीवन समर्पित करें और बपतिस्मा लें। ये कदम उठाने से आप यहोवा के परिवार का हिस्सा बन जाएँगे और वह आपका पिता और दोस्त बन जाएगा। वह आपको सही राह दिखाएगा और आपका खयाल रखेगा, क्योंकि आप उसके अपने बन जाएँगे। (भज. 73:24; यशा. 43:1, 2) समर्पण करने और बपतिस्मा लेने से आपको हमेशा जीने की आशा भी मिलेगी।—1 पत. 3:21.
2. हम इस लेख में क्या जानेंगे?
2 लेकिन क्या आप किसी वजह से बपतिस्मा लेने से पीछे हट रहे हैं? अगर हाँ, तो आप अकेले ऐसे इंसान नहीं हैं। ऐसे लाखों लोग हैं जिन्हें ऐसा ही लगता था। पर फिर उन्होंने अपना चालचलन और अपनी सोच बदली ताकि वे बपतिस्मा ले सकें। और आज वे खुशी-खुशी और पूरे जोश के साथ यहोवा की सेवा कर रहे हैं। आइए ऐसे कुछ लोगों के उदाहरण पर ध्यान दें जिन्होंने पहली सदी में बपतिस्मा लिया था। हम जानेंगे कि बपतिस्मा लेने के लिए उन्होंने किन रुकावटों को पार किया और हम उनसे क्या सीख सकते हैं।
सामरी लोगों ने बपतिस्मा लिया
3. कुछ सामरी लोगों को कौन-सी रुकावट पार करनी थी?
3 यीशु के दिनों में सामरी लोग एक धार्मिक गुट के सदस्य थे। उस गुट के लोग यहूदिया के उत्तर में शेकेम और सामरिया के आस-पास के इलाकों में रहते थे। सामरी लोगों को बपतिस्मा लेने से पहले परमेश्वर के वचन का पूरा ज्ञान हासिल करना था। वह क्यों? क्योंकि सामरी मानते थे कि बाइबल की सिर्फ पहली पाँच किताबें (पंचग्रंथ) ही परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी हैं, यानी उत्पत्ति से लेकर व्यवस्थाविवरण तक। और वे शायद यहोशू की किताब के बारे में भी यही मानते थे। सामरी लोग परमेश्वर के वादे के मुताबिक एक मसीहा के आने का इंतज़ार कर रहे थे, जैसा व्यवस्थाविवरण 18:18, 19 में लिखा है। (यूह. 4:25) लेकिन बपतिस्मा लेने के लिए यह ज़रूरी था कि वे कबूल करें कि यीशु ही वादा किया गया मसीहा है। और “बहुत-से सामरियों” ने उसे कबूल किया। (यूह. 4:39) लेकिन कुछ सामरियों के लिए ऐसा करना मुश्किल रहा होगा, क्योंकि वे यहूदियों से कोई मेल-जोल नहीं रखते थे और उनके साथ भेदभाव करते थे।—लूका 9:52-54.
4. जब फिलिप्पुस ने सामरी लोगों को प्रचार किया, तो उनमें से कुछ लोगों ने क्या किया? (प्रेषितों 8:5, 6, 14)
4 बपतिस्मा लेने के लिए सामरी लोगों को किस बात से मदद मिली? जब प्रचारक फिलिप्पुस उन्हें “मसीह के बारे में प्रचार करने लगा,” तो कुछ सामरी लोगों ने “परमेश्वर का वचन स्वीकार किया।” (प्रेषितों 8:5, 6, 14 पढ़िए।) फिलिप्पुस एक यहूदी था, फिर भी उन्होंने उसकी बात सुनी। शायद उन्हें पंचग्रंथ में लिखी वह आयत याद आयी होगी, जहाँ लिखा है कि परमेश्वर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। (व्यव. 10:17-19) जो भी हो, जब फिलिप्पुस ने उन्हें मसीह के बारे में बताया, तो उन्होंने उसकी “बातों पर ध्यान दिया।” फिलिप्पुस ने कई चमत्कार भी किए थे, जैसे उसने बीमारों को ठीक किया था और लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाला था। (प्रेषि. 8:7) उसकी बातों और कामों से वे समझ गए कि परमेश्वर ने ही उसे भेजा है।
5. आपने सामरी लोगों से क्या सीखा?
5 सामरी लोग चाहते तो फिलिप्पुस की बातों को अनसुना कर सकते थे, क्योंकि वह एक यहूदी था। या फिर वे सोच सकते थे कि फिलिप्पुस तो उन्हें कुछ और ही बातें सिखा रहा है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जब उन्हें यकीन हो गया कि फिलिप्पुस जो सिखा रहा है वह सच्चाई है, तो उन्होंने बिना देर किए कदम उठाया। बाइबल में लिखा है, “जब उन्होंने फिलिप्पुस का यकीन किया, जो उन्हें परमेश्वर के राज की और यीशु मसीह के नाम की खुशखबरी सुना रहा था, तो आदमी-औरत सबने बपतिस्मा लिया।” (प्रेषि. 8:12) क्या आपको भी यकीन है कि परमेश्वर के वचन में दी बातें सच्ची हैं? क्या आप मानते हैं कि यहोवा के साक्षियों के बीच वह प्यार है जो यीशु के सच्चे चेलों की पहचान है और वे किसी के साथ भेदभाव नहीं करते? (यूह. 13:35) अगर हाँ, तो फिर बपतिस्मा लेने में देर कैसी! यकीन रखिए, यहोवा इसके लिए आपको ढेरों आशीषें देगा।
6. रूबेन के अनुभव पर ध्यान देने से आपको क्या फायदा हुआ?
6 जर्मनी में रहनेवाले रूबेन के अनुभव पर ध्यान दीजिए। उसकी परवरिश एक साक्षी परिवार में हुई थी। पर जब उसने जवानी में कदम रखा, तो उसे शक होने लगा कि क्या यहोवा सच में है। अपना शक दूर करने के लिए उसने क्या किया? उसने हमारे प्रकाशनों में खोजबीन की और इस बारे में और जानकारी ली। वह कहता है, “निजी अध्ययन करते वक्त मैंने यह जानने की कोशिश की कि सच क्या है। इसलिए मैंने कई बार प्रकाशनों में विकासवाद के बारे में पढ़ा।” रूबेन ने हमारी एक किताब पढ़ी जिसमें बताया गया था कि एक सृष्टिकर्ता है जो हमारी परवाह करता है।a इस किताब का उस पर ज़बरदस्त असर हुआ। उसने मन-ही-मन सोचा, ‘अरे वाह! यहोवा तो सच में है।’ फिर वह हमारा विश्व मुख्यालय घूमने गया। वहाँ उसने देखा कि अलग-अलग देशों के भाई-बहन एक परिवार की तरह मिलकर यहोवा की सेवा कर रहे हैं। यह बात उसके दिल को छू गयी! फिर जब वह जर्मनी लौटा, तो 17 साल की उम्र में उसने बपतिस्मा ले लिया। अगर आपके मन में भी किसी बात को लेकर शक है, तो हमारे प्रकाशनों में खोजबीन कीजिए। आप “सही ज्ञान” लेकर अपना शक दूर कर सकते हैं। (इफि. 4:13, 14) जब आप अलग-अलग देशों के भाई-बहनों के अनुभव सुनेंगे और जानेंगे कि उनमें प्यार और एकता है और अपनी मंडली में भी इसे महसूस करेंगे, तो यहोवा के परिवार के लिए आपका प्यार और बढ़ जाएगा।
तरसुस के रहनेवाले शाऊल ने बपतिस्मा लिया
7. पौलुस को अपनी सोच क्यों बदलनी थी?
7 अब आइए तरसुस के रहनेवाले शाऊल के उदाहरण पर ध्यान देते हैं। उसे यहूदी कानून का बहुत अच्छा ज्ञान था और अपने लोगों में उसका एक अच्छा नाम था। (गला. 1:13, 14; फिलि. 3:5) जब कई यहूदी लोग मसीहियों को धर्मत्यागी समझ रहे थे, तब शाऊल गुस्से से पागल होकर उन पर ज़ुल्म करने लगा। वह यह मान बैठा था कि ऐसा करके वह परमेश्वर को खुश कर रहा है। (प्रेषि. 8:3; 9:1, 2; 26:9-11) लेकिन उसे अपनी सोच बदलनी थी। यीशु पर विश्वास करने के लिए और बपतिस्मा लेकर एक मसीही बनने के लिए उसे अब खुद ज़ुल्म सहने के लिए तैयार रहना था।
8. (क) बपतिस्मा लेने के लिए शाऊल को किस बात से मदद मिली? (ख) प्रेषितों 22:12-16 के मुताबिक हनन्याह ने किस तरह शाऊल की मदद की? (तसवीर भी देखें।)
8 बपतिस्मा लेने के लिए तरसुस के रहनेवाले शाऊल को किस बात से मदद मिली? जब यीशु शाऊल के सामने प्रकट हुआ, तो तेज़ रौशनी की वजह से वह अंधा हो गया। (प्रेषि. 9:3-9) इसके बाद तीन दिन तक शाऊल ने कुछ नहीं खाया। उस दौरान उसने ज़रूर इस घटना के बारे में गहराई से सोचा होगा। इस वजह से उसे यकीन हो गया कि यीशु ही मसीहा है और उसके चेले ही सही तरीके से यहोवा की उपासना कर रहे हैं। शाऊल को इस बात का भी दुख हुआ होगा कि स्तिफनुस की मौत में उसका भी हाथ था। (प्रेषि. 22:20) फिर तीन दिन बाद हनन्याह नाम का एक चेला शाऊल से मिलने आया। उसने शाऊल की आँखें ठीक कर दीं और उससे कहा कि वह बिना देर किए बपतिस्मा ले। (प्रेषितों 22:12-16 पढ़िए।) शाऊल ने नम्र होकर हनन्याह की बात सुनी और बपतिस्मा लेकर एक नयी ज़िंदगी जीने लगा।—प्रेषि. 9:17, 18.
बपतिस्मा लेने का बढ़ावा मिलने पर शाऊल ने बपतिस्मा लिया। क्या आप भी ऐसा करेंगे? (पैराग्राफ 8)
9. आप शाऊल से क्या सीख सकते हैं?
9 हम शाऊल से बहुत कुछ सीख सकते हैं। अपने घमंड और इंसान के डर की वजह से वह बपतिस्मा लेने से पीछे हट सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जब उसने मसीह के बारे में सच्चाई जानी, तो उसने नम्र होकर उसे माना और खुद को पूरी तरह बदल दिया। (प्रेषि. 26:14, 19) शाऊल जानता था कि मसीही बनने की वजह से उस पर ज़ुल्म होंगे, फिर भी उसने बपतिस्मा लिया। (प्रेषि. 9:15, 16; 20:22, 23) और बपतिस्मे के बाद भी उसने यहोवा पर भरोसा रखना नहीं छोड़ा। इस वजह से वह तरह-तरह की मुश्किलें सह पाया। (2 कुरिं. 4:7-10) जब आप बपतिस्मा लेकर यहोवा के साक्षी बनेंगे, तो हो सकता है आपके विश्वास की परख हो या आप पर मुश्किलें आएँ। लेकिन आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा और यीशु हमेशा आपकी मदद करेंगे।—फिलि. 4:13.
10. ऐना के अनुभव पर ध्यान देने से आपको क्या फायदा हुआ?
10 ज़रा पूर्वी यूरोप में रहनेवाली ऐना के अनुभव पर ध्यान दीजिए। उसकी मम्मी के बपतिस्मा लेने के बाद, उसने भी अपने पापा से पूछकर बाइबल अध्ययन करना शुरू कर दिया। उस वक्त वह सिर्फ नौ साल की थी। लेकिन उनके रिश्तेदारों को यह बात अच्छी नहीं लगी जो उन्हीं के साथ रहते थे। उनकी नज़र में यह बहुत शर्म की बात थी कि परिवार का एक सदस्य अपने बाप-दादों का धर्म छोड़कर कोई दूसरा धर्म अपनाए। फिर भी जब ऐना 12 साल की हुई, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह बपतिस्मा लेना चाहती है। उसके पापा जानना चाहते थे कि यह उसका अपना फैसला है या कोई उस पर ऐसा करने का दबाव डाल रहा है। तब ऐना ने उन्हें बताया कि वह यहोवा से प्यार करती है, इसलिए बपतिस्मा लेना चाहती है। उसके पापा राज़ी हो गए। बपतिस्मा लेने के बाद ऐना के रिश्तेदार उसका और भी मज़ाक उड़ाने लगे और उसे बुरा-भला कहने लगे। उसके एक रिश्तेदार ने तो यह तक कहा, “यहोवा का साक्षी बनने से तो अच्छा होता कि तू एक बदचलन ज़िंदगी जीती और सिगरेट पीती।” ऐना कैसे यह सब सह पायी? वह कहती है, “यहोवा ने मुझे हिम्मत दी और मेरे मम्मी-पापा ने हमेशा मेरा साथ दिया।” ऐना को एक और बात से मदद मिली। वह लिखकर रखती है कि यहोवा ने कब-कब उसकी मदद की। और वह समय-समय पर उन बातों को पढ़ती है ताकि याद रख सके कि यहोवा ने अब तक कैसे उसे सँभाला है। अगर आपको भी यह सोचकर डर लग रहा है कि आपको सताया जाएगा या आपका विरोध किया जाएगा, तो याद रखिए कि यहोवा आपकी भी मदद करेगा।—इब्रा. 13:6.
कुरनेलियुस ने बपतिस्मा लिया
11. कुरनेलियुस को बपतिस्मा लेने से क्या बात रोक सकती थी?
11 अब आइए कुरनेलियुस के उदाहरण पर ध्यान देते हैं। बाइबल में बताया है कि वह एक “शतपति” था, यानी उसकी कमान के नीचे 100 रोमी सैनिक थे। (प्रेषि. 10:1, फु.) ऐसा मालूम होता है कि समाज में उसका बड़ा रुतबा था और फौज में भी उसका अच्छा नाम था। और कुरनेलियुस “लोगों को बहुत-से दान देता था।” (प्रेषि. 10:2) फिर यहोवा ने प्रेषित पतरस को उसके पास खुशखबरी सुनाने भेजा। लेकिन क्या अपने बड़े रुतबे की वजह से कुरनेलियुस बपतिस्मा लेने से पीछे हट गया?
12. बपतिस्मा लेने के लिए किस बात ने कुरनेलियुस को उभारा?
12 बपतिस्मा लेने के लिए कुरनेलियुस को किस बात से मदद मिली? बाइबल में लिखा है कि “वह और उसका पूरा घराना परमेश्वर का डर मानता था।” यही नहीं, कुरनेलियुस परमेश्वर के सामने गिड़गिड़ाकर बिनती किया करता था। (प्रेषि. 10:2) जब पतरस ने कुरनेलियुस को खुशखबरी सुनायी, तो उसने और उसके पूरे परिवार ने मसीह पर विश्वास किया और तुरंत बपतिस्मा लिया। (प्रेषि. 10:47, 48) इससे पता चलता है कि कुरनेलियुस हर ज़रूरी बदलाव करने को तैयार था ताकि अपने परिवार के साथ मिलकर यहोवा की उपासना कर सके।—यहो. 24:15; प्रेषि. 10:24, 33.
13. आप कुरनेलियुस से क्या सीख सकते हैं?
13 शाऊल की तरह कुरनेलियुस का भी अच्छा नाम था, बड़ा रुतबा था और वह चाहता तो बपतिस्मा लेने से पीछे हट सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। क्या आपको भी बपतिस्मा लेने के लिए अपने अंदर कुछ बड़े बदलाव करने की ज़रूरत है? अगर हाँ, तो यहोवा आपका साथ देगा। अगर आप बाइबल सिद्धांतों के हिसाब से जीएँ और उसकी सेवा करने की ठान लें, तो वह ज़रूर आपकी मदद करेगा।
14. सूयोशी के अनुभव पर ध्यान देने से आपको क्या फायदा हुआ?
14 ज़रा जापान में रहनेवाले सूयोशी के अनुभव पर ध्यान दीजिए। उसे बपतिस्मा लेने के लिए अपनी नौकरी में कुछ फेरबदल करने पड़े। वह एक जाने-माने स्कूल में नौकरी करता था, जहाँ फूलों को सजाने की कला सिखायी जाती है। सूयोशी वहाँ के हेडमास्टर के साथ काम करता था जो बौद्ध धर्म के लोगों के लिए अंत्येष्टि कार्यक्रमों का इंतज़ाम करते थे। और जब कभी हेडमास्टर उन कार्यक्रमों में नहीं जा पाते थे, तो सूयोशी उनकी जगह जाता था और वहाँ धार्मिक रीति-रिवाज़ों में भी हिस्सा लेता था। लेकिन जब सूयोशी ने मौत के बारे में सच्चाई जानी, तो वह समझ गया कि बपतिस्मा लेने के लिए उसे यह सब छोड़ना होगा। उसने फैसला किया कि वह उन रीति-रिवाज़ों में हिस्सा नहीं लेगा। (2 कुरिं. 6:15, 16) और इस बारे में उसने हेडमास्टर से भी बात की। इसका क्या नतीजा हुआ? हेडमास्टर ने उसे नौकरी से नहीं निकाला और उससे यह भी कहा कि उसे इन रीति-रिवाज़ों में हिस्सा लेने की ज़रूरत नहीं है। बाइबल अध्ययन शुरू करने के ठीक एक साल बाद सूयोशी ने बपतिस्मा ले लिया।b अगर यहोवा को खुश करने के लिए आपको भी अपनी नौकरी में कुछ फेरबदल करने पड़ें, तो यकीन रखिए कि वह आपकी और आपके परिवार की ज़रूरतें पूरी करेगा।—भज. 127:2; मत्ती 6:33.
कुरिंथ के लोगों ने बपतिस्मा लिया
15. कुरिंथ के लोगों को बपतिस्मा लेने से क्या बात रोक सकती थी?
15 पुराने ज़माने में कुरिंथ एक जाना-माना शहर था। वहाँ के लोग पैसों के पीछे भाग रहे थे और बदचलन ज़िंदगी जी रहे थे। वे ऐसे कामों में लगे हुए थे जिनसे परमेश्वर नफरत करता है। ऐसे बुरे माहौल में जीनेवाले लोगों के लिए खुशखबरी कबूल करना बहुत मुश्किल रहा होगा। फिर भी जब प्रेषित पौलुस उस शहर में आया और मसीह के बारे में खुशखबरी सुनाने लगा, तो ‘कुरिंथ के बहुत-से लोगों ने यह संदेश सुनकर विश्वास किया और बपतिस्मा लिया।’ (प्रेषि. 18:7-11) फिर एक दिन यीशु मसीह ने पौलुस को दर्शन दिया और उससे कहा, “इस शहर में मेरे बहुत-से लोग हैं।” इसलिए पौलुस डेढ़ साल तक उस शहर में प्रचार करता रहा।
16. बपतिस्मा लेने के लिए कुरिंथ के कुछ लोगों के सामने जो रुकावटें थीं, वे उन्होंने कैसे पार कीं? (2 कुरिंथियों 10:4, 5)
16 बपतिस्मा लेने के लिए कुरिंथ के लोगों को किस बात से मदद मिली? (2 कुरिंथियों 10:4, 5 पढ़िए।) परमेश्वर के वचन और पवित्र शक्ति की ज़बरदस्त ताकत से वे अपने अंदर बड़े-बड़े बदलाव कर पाए। (इब्रा. 4:12) कुरिंथ के जिन लोगों ने मसीह के बारे में खुशखबरी स्वीकार की, वे अपनी बुरी आदतें और अपने तौर-तरीके छोड़ पाए, जैसे खूब शराब पीना, चोरी करना और समलैंगिक संबंध रखना।—1 कुरिं. 6:9-11.c
17. आपने कुरिंथ के लोगों से क्या सीखा?
17 ध्यान दीजिए कि कुरिंथ के कुछ लोगों को गहराई तक समायी बुरी आदतें छोड़नी थीं। लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा कि मसीही बनना उनके बस के बाहर है। इसके बजाय, उन्होंने खूब मेहनत की ताकि वे सँकरे रास्ते पर चल सकें जो हमेशा की ज़िंदगी की तरफ ले जाता है। (मत्ती 7:13, 14) क्या आप भी बपतिस्मा लेना चाहते हैं, पर अपनी किसी बुरी आदत से लड़ रहे हैं? तो हार मत मानिए! बुरी इच्छाओं पर काबू पाने के लिए यहोवा के आगे गिड़गिड़ाइए, उससे पवित्र शक्ति माँगिए।
18. मोनिका के अनुभव पर ध्यान देने से आपको क्या फायदा हुआ?
18 ज़रा जॉर्जिया में रहनेवाली मोनिका के अनुभव पर ध्यान दीजिए। वह बपतिस्मा लेना चाहती थी। पर इसके लिए उसे गंदी बोली और गलत किस्म का मनोरंजन छोड़ने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ी। वह कहती है, “जब मैं नौजवान थी, तो प्रार्थना करने से मुझे बहुत ताकत मिली। यहोवा जानता था कि मैं सही काम करना चाहती हूँ, इसलिए उसने हमेशा मेरी मदद की और मुझे राह दिखायी।” फिर मोनिका ने 16 साल की उम्र में बपतिस्मा ले लिया। क्या यहोवा की सेवा करने के लिए आपको भी कोई बुरी आदत छोड़नी है? अगर हाँ, तो यहोवा से ताकत माँगते रहिए कि आप खुद को बदल सकें। बाइबल में बताया है कि यहोवा अपने सेवकों को दिल खोलकर पवित्र शक्ति देता है।—यूह. 3:34.
विश्वास से हम पहाड़ भी हटा सकते हैं
19. आप पहाड़ जैसी मुश्किलें कैसे पार कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)
19 हो सकता है, बपतिस्मा लेने के लिए आपको बड़ी-बड़ी मुश्किलें पार करनी पड़ें। पर यकीन रखिए कि यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है और आपको अपने परिवार का हिस्सा बनाना चाहता है। पहली सदी में यीशु ने अपने कुछ चेलों से कहा था, “अगर तुम्हारे अंदर राई के दाने के बराबर भी विश्वास है, तो तुम इस पहाड़ से कहोगे, ‘यहाँ से हटकर वहाँ चला जा’ और वह चला जाएगा और तुम्हारे लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होगा।” (मत्ती 17:20) जो लोग यीशु की यह बात सुन रहे थे, वे कुछ सालों पहले ही उसके चेले बने थे और उन्हें अपना विश्वास बढ़ाने की ज़रूरत थी। यह बात कहकर यीशु उन्हें यकीन दिला रहा था कि अगर वे अपना विश्वास बढ़ाएँ, तो पहाड़ जैसी मुश्किलें पार करने में यहोवा उनकी मदद करेगा। भरोसा रखिए कि यहोवा मुश्किलें पार करने में आपकी भी मदद करेगा।
यकीन रखिए, यहोवा आपसे प्यार करता है और आपको अपने परिवार का हिस्सा बनाना चाहता है (पैराग्राफ 19)d
20. इस लेख में पहली सदी के और आज के मसीहियों के जो उदाहरण हैं, उनसे आपको क्या करने का बढ़ावा मिला है?
20 जब आपको पता चलता है कि कौन-सी बात आपको बपतिस्मा लेने से रोक रही है, तो उसे पार करने के लिए फौरन कदम उठाइए। पहली सदी के और आज के मसीहियों के उदाहरण पर गौर करने से आपको दिलासा और हिम्मत मिल सकती है। हमारी दुआ है कि उनके उदाहरण से आपको बढ़ावा मिले और आप यहोवा को अपना जीवन समर्पित करें और बपतिस्मा लें। यह फैसला आपकी ज़िंदगी का सबसे बढ़िया फैसला होगा!
गीत 38 वह तुम्हें मज़बूत करेगा
a रूबेन ने Is There a Creator Who Cares About You? किताब पढ़ी थी।
b सूयोशी फुजी की जीवन कहानी पढ़ने के लिए 8 अगस्त, 2005 की अँग्रेज़ी की सजग होइए! के पेज 20-23 देखें।
c jw.org पर दिया वीडियो ‘आप बपतिस्मा लेने का फैसला क्यों टाल रहे हैं?’ देखें।
d तसवीर के बारे में: कुछ भाई-बहन खुशी-खुशी उन लोगों का स्वागत कर रहे हैं जिनका बपतिस्मा हुआ है।