अध्ययन लेख 40
गीत 111 हमारी खुशी के कई कारण
यहोवा ही सच्ची खुशी दे सकता है
‘मैं परमेश्वर के पास जाऊँगा, जो मुझे बहुत खुशी देता है।’—भज. 43:4.
क्या सीखेंगे?
हम जानेंगे कि ऐसी कौन-सी बातें हैं जो हमारी खुशी छीन सकती हैं और हम कैसे अपनी खुशी दोबारा पा सकते हैं।
1-2. (क) आज कई लोग कैसा महसूस करते हैं? (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?
आज दुनिया में लोग खुशी पाने के लिए अंधाधुंध भागे जा रहे हैं, लेकिन खुशी है कि उनके हाथ ही नहीं लगती। कई लोगों की ज़िंदगी में एक अजीब-सा खालीपन है और वे उदास रहते हैं। कभी-कभी यहोवा के सेवकों के साथ भी ऐसा हो सकता है। उन्हें शायद ऐसे हालात से गुज़रना पड़े जिस वजह से वे निराश हो जाएँ या उनकी खुशी छिन जाए। लेकिन हमें इस बात से हैरानी नहीं होती, क्योंकि हम “आखिरी दिनों” में जी रहे हैं ‘जिनका सामना करना मुश्किल’ है।—2 तीमु. 3:1.
2 इस लेख में हम जानेंगे कि ऐसी कौन-सी बातें हैं जो हमारी खुशी छीन सकती हैं और अगर हम अपनी खुशी खो दें, तो इसे दोबारा कैसे पा सकते हैं। लेकिन आइए पहले देखें कि कौन हमें सच्ची खुशी दे सकता है।
सच्ची खुशी कौन दे सकता है?
3. यहोवा की बनायी चीज़ों से हमें उसके बारे में क्या पता चलता है? (तसवीरें भी देखें।)
3 यहोवा हमेशा खुश रहता है और चाहता है कि हम भी खुश रहें। यह बात हम उसकी बनायी चीज़ों से साफ देख सकते हैं। ज़रा सोचिए उसने हमारी पृथ्वी को कितना सुंदर बनाया है, इसे तरह-तरह के रंगों से सजाया है। जानवरों की मस्ती, उनका खेलना-कूदना देखकर हमारे चेहरे खिल उठते हैं। यहोवा ने हमारे खाने के लिए भी एक-से-बढ़कर-एक चीज़ें बनायी हैं और इन चीज़ों की कोई कमी नहीं है। इनसे पता चलता है कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और चाहता है कि हम ज़िंदगी का पूरा मज़ा लें।
एक नन्हा-सा हाथी: Image © Romi Gamit/Shutterstock; नन्हे पेंगुइन: Vladimir Seliverstov/500px via Getty Images; नन्ही बकरियाँ: Rita Kochmarjova/stock.adobe.com; दो डॉल्फिन: georgeclerk/E+ via Getty Images
जानवर जिस तरह मस्ती करते हैं, खेलते-कूदते हैं, उससे पता चलता है कि यहोवा आनंदित परमेश्वर है (पैराग्राफ 3)
4. (क) यहोवा इतनी तकलीफें देखकर भी कैसे खुश रहता है? (ख) यहोवा किस तरह हमारी मदद करता है? (भजन 16:11)
4 यहोवा “आनंदित परमेश्वर” है, लेकिन वह अच्छी तरह जानता है कि दुनिया में लोग कितनी तकलीफें झेल रहे हैं और किस कदर रो रहे हैं। (1 तीमु. 1:11) यह सब देखते हुए भी वह अपनी खुशी कम नहीं होने देता। वह जानता है कि ये सारी तकलीफें कुछ वक्त के लिए हैं और उसने इन्हें मिटाने की तारीख तय कर रखी है। इतना ही नहीं, वह उस दिन का इंतज़ार कर रहा है जब वह सारे दुखों को खुशियों में बदल देगा। लेकिन तब तक उसने हमें अपने हाल पर नहीं छोड़ा है। वह हमारी तकलीफें अच्छी तरह समझता है और हमारी मदद करता है। वह कैसे? वह हमें एक अनोखी खुशी देता है। (भजन 16:11 पढ़िए।) आइए देखें कि उसने अपने बेटे यीशु को यह खुशी कैसे दी।
5-6. यीशु क्यों खुश रहता है, इसकी कुछ वजह बताइए।
5 यहोवा के बाद पूरी कायनात में सबसे ज़्यादा खुश कौन है? उसका बेटा, यीशु। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? इसकी कई वजह हैं। जैसे, “वह अदृश्य परमेश्वर की छवि है” और हर मायने में अपने पिता जैसा है। (कुलु. 1:15) उसने अपने पिता यहोवा के साथ सबसे ज़्यादा वक्त बिताया है, जो खुशी का सोता है।
6 इसके अलावा, यीशु को अपने पिता की बात मानने से खुशी मिलती है। उसका पिता उससे जो भी करने के लिए कहता है, वह उसे पूरा करता है। (नीति. 8:30, 31; यूह. 8:29) यीशु को इस बात से भी खुशी मिलती है कि उसका पिता यहोवा उससे खुश है और उस पर नाज़ करता है।—मत्ती 3:17.
7. हम सच्ची खुशी कैसे पा सकते हैं?
7 सच्ची खुशी सिर्फ यहोवा ही देता है, इसलिए उसके करीब आकर हम भी खुशी पा सकते हैं। हम जितना ज़्यादा उसे जानेंगे और उसकी तरह बनने की कोशिश करेंगे, उतना ही ज़्यादा हमें खुशी मिलेगी। हमें इस बात से भी खुशी मिलेगी कि हम यहोवा की मरज़ी पूरी कर रहे हैं और वह हमसे खुश है।a (भज. 33:12) लेकिन हो सकता है कभी-कभी हम दुखी हो जाएँ या फिर हमारी खुशी छिन जाए। क्या इसका यह मतलब है कि यहोवा हमसे खुश नहीं है? ऐसी बात नहीं है। यहोवा अच्छी तरह जानता है कि हम अपरिपूर्ण हैं और हम सब कभी-कभी निराश या दुखी हो जाते हैं। (भज. 103:14) आइए देखें कि ऐसी कौन-सी बातें हैं जो हमें दुखी कर सकती हैं, हमसे हमारी खुशी छीन सकती हैं। हम यह भी जानेंगे कि हम कैसे अपनी खुशी दोबारा पा सकते हैं।
किसी भी बात को अपनी खुशी मत छीनने दीजिए
8. मुश्किलें आने पर क्या हो सकता है?
8 पहली बात: जब मुश्किलें आएँ। क्या आप पर ज़ुल्म किए जा रहे हैं या आपका विरोध किया जा रहा है? क्या आप प्राकृतिक विपत्ति या गरीबी की मार झेल रहे हैं? क्या आप ढलती उम्र या किसी बीमारी की वजह परेशान रहते हैं? जब हम पर कोई ऐसी समस्या आती है, जिस पर हमारा कोई बस नहीं होता, तो हमारी खुशी छिन सकती है। बाइबल में लिखा है, “जब मन दुखी हो, तो यह इंसान को अंदर से तोड़ देता है।” (नीति. 15:13) ज़रा बबीस नाम के एक प्राचीन के अनुभव पर ध्यान दीजिए। चार साल के अंदर उनके माता-पिता और भाई की मौत हो गयी। भाई बताते हैं, “मैं बिलकुल अकेला हो गया था। ऐसा लगता था कि मेरा अपना कोई नहीं है। उनकी मौत से पहले मैं अपने कामों में इतना उलझा हुआ था कि मैं उनके साथ ज़्यादा वक्त नहीं बिता पाया। इस बात का मुझे बहुत अफसोस था। मैं अंदर-ही-अंदर टूट गया था।” सच में, ज़िंदगी की समस्याएँ हमें पूरी तरह पस्त कर सकती हैं और हम हिम्मत हारने लग सकते हैं।
9. हम कैसे अपनी खुशी दोबारा पा सकते हैं? (यिर्मयाह 29:4-7, 10)
9 हम अपनी खुशी दोबारा कैसे पा सकते हैं? जो बातें हमारे बस में नहीं हैं, उनके बारे में सोच-सोचकर परेशान मत होइए। इसके बजाय आप जो कर सकते हैं, वह कीजिए। और आपके पास जो भी अच्छी चीज़ें हैं, उनके लिए एहसानमंद रहिए। दुनिया में लोग सोचते हैं कि जब सबकुछ अच्छा चल रहा हो, तभी हम खुश रह सकते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। ध्यान दीजिए कि यहोवा ने उन यहूदियों से क्या कहा था जो बैबिलोन में बंदी थे। यहोवा ने उनसे कहा कि वे खुद को नए हालात के हिसाब से बदलें, उस नयी जगह को अपना घर बना लें और खुश रहें। (यिर्मयाह 29:4-7, 10 पढ़िए।) इससे हम क्या सीखते हैं? जब हमारे हालात बदल जाते हैं, तो हमें उस हिसाब से खुद को बदलना चाहिए और हम जो कर सकते हैं, वह करना चाहिए। हमारे पास जो अच्छी चीज़ें हैं, उनके लिए एहसानमंद होना चाहिए। और हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा हर कदम पर हमारे साथ है। (भज. 63:7; 146:5) बहन ऐफी पर ध्यान दीजिए जिन्हें एक ऐक्सीडेंट की वजह से लकवा मार गया। वह कहती है, “मैं बता नहीं सकती कि यहोवा ने, मेरे परिवारवालों ने और मंडली के भाई-बहनों ने मेरी कितनी मदद की। मैंने सोचा कि अगर मैं हार मान गयी, तो यह ऐसा होगा कि उन्होंने मेरे लिए जो कुछ किया है, उसके लिए मेरे दिल में ज़रा भी कदर नहीं। इसलिए मैं खुश रहने की पूरी कोशिश करती हूँ और जो कुछ मेरे बस में है, मैं वह करती हूँ।”
10. मुश्किलों का सामना करते वक्त भी हम क्यों खुश रह सकते हैं?
10 हो सकता है, हमारी ज़िंदगी में कोई मुश्किल आ जाए या हमारे या हमारे परिवारवालों के साथ कोई बुरी घटना घट जाए। ऐसे में भी हम खुश रह सकते हैं।b (भज. 126:5) वह इसलिए कि हमारी खुशी हमारे हालात पर निर्भर नहीं करती। मारिया नाम की एक पायनियर बहन कहती है, “मुश्किल आने पर भी जब आप खुश रहते हैं, तो इसका यह मतलब नहीं कि आप अपने जज़्बातों या भावनाओं को दबा रहे हैं। बल्कि इसका मतलब है कि आपको यहोवा के वादों पर पूरा भरोसा है। आपको यकीन है कि हालात चाहे जैसे भी हों, आपका पिता खुश रहने में आपकी मदद करेगा।” याद रखिए, आपकी मुश्किलें चाहे जितनी भी बड़ी हों, ये सिर्फ पल-भर की हैं, बहुत जल्द ये नहीं रहेंगी। ठीक जैसे समुंदर की लहरें आकर कदमों के निशान मिटा देती हैं, वैसे ही परमेश्वर हमारी समस्याओं का नामो-निशान मिटा देगा।
11. पौलुस के उदाहरण से आपने क्या सीखा?
11 जब हम पर एक-के-बाद-एक समस्याएँ आती हैं, तो शायद हमें लगे कि यहोवा हमसे खुश नहीं है। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? यहोवा के उन वफादार सेवकों के बारे में सोचिए जिन्होंने बड़ी-बड़ी मुश्किलों का सामना किया। जैसे पौलुस के बारे में सोचिए। उसे खुद यीशु ने चुना था “ताकि वह गैर-यहूदियों को, साथ ही राजाओं और इसराएलियों को” खुशखबरी सुनाए। (प्रेषि. 9:15) ज़रा सोचिए, पौलुस के लिए यह कितनी बड़ी बात थी! लेकिन उसकी ज़िंदगी में एक-के-बाद कई मुश्किलें आयीं। (2 कुरिं. 11:23-27) क्या इसका यह मतलब था कि यहोवा उससे खुश नहीं था? जी नहीं। उसने मुश्किलों में जिस तरह धीरज धरा, वह इस बात का सबूत था कि यहोवा की आशीष उस पर है। (रोमि. 5:3-5) अगर आप भी मुश्किलों में धीरज धर रहे हैं और वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, तो आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपसे बहुत खुश है।
12. जब उम्मीदें पूरी ना हों, तो क्या हो सकता है?
12 दूसरी बात: जब उम्मीदें पूरी ना हों। (नीति. 13:12) हम यहोवा से प्यार करते हैं और उसने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसकी कदर करते हैं। इसलिए हम उसकी और भी ज़्यादा सेवा करना चाहते हैं। लेकिन हो सकता है कि हम कुछ ऐसे लक्ष्य रख लें जिन्हें पूरा करना हमारे बस में ना हो। ऐसे में हम निराश हो सकते हैं। (नीति. 17:22) हौली नाम की एक पायनियर बहन कहती है, “मैं राज प्रचारकों के लिए स्कूल में जाना चाहती थी, विदेश जाकर सेवा करना चाहती थी और रामापो के निर्माण काम में हाथ बँटाना चाहती थी। लेकिन फिर मेरे हालात बदल गए और मैं अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पायी। तब मैं बहुत निराश हो गयी। जब आप कुछ करना चाहते हैं, पर नहीं कर पाते, तो बहुत दुख होता है।” ऐसे बहुत-से भाई-बहन हैं जिन्होंने बहन हौली की तरह महसूस किया है।
13. हमारे हालात चाहे जैसे भी हों, हम सब कौन-से लक्ष्य रख सकते हैं?
13 हम अपनी खुशी दोबारा कैसे पा सकते हैं? याद रखिए, यहोवा एक कठोर परमेश्वर नहीं है। वह हमसे कुछ ऐसा करने की उम्मीद नहीं करता, जो हम नहीं कर सकते, ना ही वह हमारे कामों से हमारी कीमत आँकता है। वह चाहता है कि हम उसके वफादार रहें और अपनी हदें पहचानें। (मीका 6:8; 1 कुरिं. 4:2) यहोवा यह नहीं देखता कि हम उसकी सेवा में क्या कुछ कर पा रहे हैं, बल्कि वह यह देखता है कि हम अंदर से कैसे इंसान हैं। ज़रा सोचिए, जब यहोवा हमसे हद-से-ज़्यादा की उम्मीद नहीं करता, तो क्या हमें खुद से ऐसी उम्मीद करनी चाहिए?c बिलकुल नहीं। तो अगर अपने हालात की वजह से आप यहोवा की सेवा में उतना नहीं कर पा रहे हैं जितना करना चाहते हैं, तो निराश मत होइए। इसके बजाय, ऐसे लक्ष्य रखिए जिन्हें आप हासिल कर सकते हैं। जैसे, क्या आप नौजवानों को ट्रेनिंग दे सकते हैं? क्या आप बुज़ुर्ग भाई-बहनों की हिम्मत बँधा सकते हैं? क्या आप किसी के पास जाकर, फोन पर या मैसेज भेजकर उसका हौसला बढ़ा सकते हैं? अगर आप ऐसा करें, तो यहोवा आपसे खुश होगा और आपको ढेरों खुशियाँ देगा। और याद रखिए, नयी दुनिया बहुत जल्द आनेवाली है। तब आपको यहोवा की सेवा करने के ऐसे हज़ारों मौके मिलेंगे जिनके बारे में आप आज सोच भी नहीं सकते। बहन हौली जिनका पहले ज़िक्र हुआ था, बताती है, “जब मैं निराश होती हूँ, तो बैठकर सोचती हूँ कि नयी दुनिया में तो मैं हमेशा तक जीऊँगी। तब मैं अपने सारे लक्ष्य पूरे कर लूँगी।”
14. और किस बात से हमारी खुशी छिन सकती है?
14 तीसरी बात:जब हम ख्वाहिशें पूरी करने में ही लगे रहें। आज सोशल मीडिया पर यही दिखाया जाता है कि अपनी ख्वाहिशें पूरी करने से ही हम खुश रह सकते हैं। लोग कहते हैं, अपने शौक पूरे करो, नयी-से-नयी चीज़ें खरीदो और घूमो-फिरो। यह सब करने में कोई बुराई नहीं है। यहोवा भी चाहता है कि हम इन चीज़ों का मज़ा लें। लेकिन बहुत-से लोगों ने देखा है कि इन चीज़ों के पीछे भागने से खुशी के बजाय उन्हें दुख ही मिला। ईवा नाम की एक पायनियर बहन कहती है, “आप अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए चाहे जो भी करें, ये कभी पूरी नहीं होतीं।” अगर एक इंसान अपनी ख्वाहिशें पूरी करने में ही लगा रहे, तो उसे दुख और निराशा के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।
15. हम राजा सुलैमान से क्या सीख सकते हैं?
15 अपनी ख्वाहिशों के पीछे भागने के क्या अंजाम होते हैं, यह हम राजा सुलैमान के अनुभव से समझ सकते हैं। खुशी पाने के लिए उसने अपनी हर ख्वाहिश पूरी की—बढ़िया-से-बढ़िया खाना खाया, सुरीले गीत सुने और दौलत से जो कुछ हासिल किया जा सकता था, वह सब उसने हासिल किया। पर इतना सब करने के बाद भी उसने कहा, ‘इन्हें देखकर आँखें नहीं भरीं, इनके बारे में सुनकर कान नहीं थके।’ (सभो. 1:8; 2:1-11) सुलैमान जिस खुशी की तलाश में था, वह उसे उन चीज़ों से नहीं मिली। आज भी लोगों को यही लगता है कि अपनी ख्वाहिशें पूरी करने से खुशी मिल सकती है। लेकिन सच तो यह है कि ख्वाहिशें नकली नोट की तरह होती हैं। जैसे नकली नोट से कुछ खरीदा नहीं जा सकता, उसी तरह ख्वाहिशें पूरी करने से खुशी नहीं पायी जा सकती।
16. दूसरों के लिए कुछ करने से हम कैसे अपनी खुशी वापस पा सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)
16 हम अपनी खुशी दोबारा कैसे पा सकते हैं? यीशु ने कहा था, “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।” (प्रेषि. 20:35) अलेकोस नाम का एक प्राचीन कहता है, “मैं अपने बारे में सोचने के बजाय, दूसरों की मदद करने के बारे में सोचता हूँ। और जितना ज़्यादा मैं उनके लिए कुछ करता हूँ, उतनी ज़्यादा मुझे खुशी मिलती है।” अब सोचिए, आप दूसरों के लिए क्या कर सकते हैं? अगर कोई दुखी या निराश है, तो उसका हौसला बढ़ाइए। शायद आप उसकी समस्या हल ना कर पाएँ, लेकिन आप ध्यान से उसकी सुन सकते हैं, हमदर्दी जता सकते हैं। आप उसे प्यार से याद दिला सकते हैं कि वह यहोवा पर अपना बोझ डाल दे। (भज. 55:22; 68:19) आप उसे यकीन दिला सकते हैं कि यहोवा उसके साथ है, वह उसे नहीं छोड़ेगा। (भज. 37:28; यशा. 59:1) आप कुछ और तरीकों से भी उसकी मदद कर सकते हैं। जैसे, उसके लिए खाना बना सकते हैं या उसके साथ कहीं टहलने जा सकते हैं। आप उसे अपने साथ प्रचार में भी ले जा सकते हैं। इससे उसे खुशी मिलेगी। ज़रा सोचिए, आपके ज़रिए यहोवा दूसरों का हौसला बढ़ा सकता है! तो खुद के बारे में सोचने के बजाय, दूसरों के बारे में सोचिए, उनकी मदद कीजिए। इससे आपको सच्ची खुशी मिलेगी।—नीति. 11:25.
अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के बजाय, दूसरों के लिए कुछ कीजिए (पैराग्राफ 16)d
17. अगर हम सच्ची खुशी पाना चाहते हैं, तो हमें क्या करना होगा? (भजन 43:4)
17 बाइबल में बताया है कि यहोवा ही हमें सच्ची खुशी दे सकता है। इसलिए जब हम उसके करीब आते रहेंगे, तो हमें “बहुत खुशी” मिलेगी। (भजन 43:4 पढ़िए।) तब हमारी ज़िंदगी में चाहे कितनी ही मुश्किलें आएँ, हमें डर नहीं लगेगा। आइए हम यहोवा के साथ अपना रिश्ता मज़बूत करते जाएँ। तब हम हमेशा खुश रह पाएँगे!—भज. 144:15.
गीत 155 हमेशा की खुशी
a “यहोवा से खुशी पाने के लिए क्या करें?” नाम का बक्स देखें।
b उदाहरण के लिए jw.org पर 2023 शासी निकाय की तरफ से रिपोर्ट #5 में भाई डेनिस और बहन इरीना क्रिस्टेंसन का इंटरव्यू देखें।
c और जानने के लिए 15 जुलाई, 2008 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख, “अपने हालात के मुताबिक लक्ष्य रखिए और खुशी पाइए” पढ़ें।
d तसवीर के बारे में: एक बहन अपने लिए बहुत-सी चीज़ें खरीदती है, लेकिन फिर वह एक बुज़ुर्ग बहन के लिए कुछ फूल लेती है जिन्हें हौसले की ज़रूरत है। इससे उसे ज़्यादा खुशी मिलती है।