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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
w25 नवंबर पेज 2-7

अध्ययन लेख 44

गीत 138 पके बालों की खूबसूरती

ढलती उम्र में भी खुशी बनाए रखिए

“ढलती उम्र में भी वे फलेंगे-फूलेंगे।”—भज. 92:14.

क्या सीखेंगे?

बुज़ुर्ग भाई-बहनों के लिए अपनी खुशी बनाए रखना क्यों ज़रूरी है और वे अपनी खुशी कैसे बनाए रख सकते हैं?

1-2. यहोवा अपने उन सेवकों को किस नज़र से देखता है जिनकी उम्र ढलती जा रही है? (भजन 92:12-14; तसवीर भी देखें।)

जब उम्र ढलने लगती है, तो कुछ लोग अपने सफेद बाल देखकर बहुत खुश हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग बहुत परेशान हो जाते हैं। ज़रा याद कीजिए कि जब आपने पहली बार अपना सफेद बाल देखा था, तो आपने क्या किया था? आपने शायद उसे उखाड़ने की कोशिश की होगी, इससे पहले कि दूसरों की नज़र उस पर पड़े। पर सच तो यह है कि हम अपने सफेद बाल छिपाने की चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, हम अपनी उम्र को ढलने से नहीं रोक सकते।

2 लेकिन यहोवा अपने उन सेवकों को किस नज़र से देखता है जिनकी उम्र ढलती जा रही है? (नीति. 16:31) बाइबल में उसने उनकी तुलना फलते-फूलते पेड़ों से की है। (भजन 92:12-14 पढ़िए।) यह तुलना करना क्यों सही है? जो पेड़ बहुत पुराने होते हैं, अकसर वे पत्तियों और फूलों से लदे हुए होते हैं और बहुत सुंदर दिखते हैं। ऐसा ही एक पेड़ है, जापान का चेरी ब्लॉसम। इनमें से कुछ पेड़ 1,000 से भी ज़्यादा सालों से खड़े हुए हैं और उनकी खूबसूरती देखने लायक है। इन पेड़ों की तरह परमेश्‍वर के जिन वफादार सेवकों की उम्र ढल गयी है, वे भी यहोवा की नज़र में बहुत ही खूबसूरत हैं। यहोवा इन सेवकों के पके बाल नहीं, बल्कि उनका दिल देखता है। वह देखता है कि वे कितना धीरज धरे हुए हैं और सालों से उसकी सेवा कर रहे हैं। और इस वजह से वह उन्हें बहुत अनमोल समझता है।

एक बुज़ुर्ग पति-पत्नी एक बेंच पर बैठे हैं और उनके आस-पास चेरी ब्लॉसम पेड़ हैं जिनमें फूल खिले हुए हैं।

जैसे पुराने पेड़ पत्तियों और फूलों से लदे होते हैं और बहुत सुंदर दिखते हैं, उसी तरह वफादार बुज़ुर्ग सेवक भी बहुत खूबसूरत होते हैं और वे हमेशा फलते-फूलते हैं (पैराग्राफ 2)


3. उदाहरण देकर बताइए कि यहोवा ने किस तरह अपने बुज़ुर्ग सेवकों के ज़रिए अपना मकसद पूरा किया।

3 एक व्यक्‍ति की उम्र चाहे जितनी भी हो जाए, यहोवा की नज़र में उसका मोल कभी कम नहीं होता।a सच तो यह है कि कई बार यहोवा ने अपने बुज़ुर्ग सेवकों के ज़रिए अपने मकसद को पूरा किया है। जैसे, जब सारा बहुत बूढ़ी हो गयी थी, तब परमेश्‍वर ने कहा कि वह एक बेटे को जन्म देगी जिसके ज़रिए एक बड़ा राष्ट्र बनेगा और यह भी कि वह मसीहा की पुरखिन बनेगी। (उत्प. 17:15-19) मूसा की भी उम्र हो गयी थी जब परमेश्‍वर ने उससे कहा कि वह इसराएल को मिस्र से छुड़ाए। (निर्ग. 7:6, 7) और प्रेषित यूहन्‍ना भी बहुत बूढ़ा हो गया था जब परमेश्‍वर यहोवा ने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उससे बाइबल की पाँच किताबें लिखवायीं।

4. नीतिवचन 15:15 के मुताबिक क्या बात बुज़ुर्गों की मुश्‍किलों का सामना करने में मदद कर सकती है? (तसवीर भी देखें।)

4 जैसे-जैसे उम्र ढलती है, बुज़ुर्गों को और भी मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है। एक बहन ने मज़ाक-मज़ाक में कहा, “बुढ़ापे की मार झेलना, बुज़दिलों के बस की बात नहीं!” लेकिन अगर बुज़ुर्ग लोग अपनी खुशीb बनाए रखें, तो मुश्‍किलों का सामना करना उनके लिए आसान हो सकता है। (नीतिवचन 15:15 पढ़िए।) इस लेख में हम कुछ सुझावों पर चर्चा करेंगे जिन्हें अपनाने से बुज़ुर्ग भाई-बहन अपनी खुशी बनाए रख सकते हैं। हम यह भी जानेंगे कि मंडली के दूसरे भाई-बहन इन बुज़ुर्गों के लिए क्या कर सकते हैं। आइए पहले देखें कि उम्र ढल जाने पर अपनी खुशी बनाए रखना क्यों मुश्‍किल होता है।

पिछली तसवीर में जो पति-पत्नी दिखाए गए थे, वे चेरी ब्लॉसम पेड़ के नीचे खड़े हैं जिस पर फूल खिले हुए हैं। उन दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा हुआ है और उनके चेहरे पर मुस्कान है।

खुश रहने से बुज़ुर्ग लोग ढलती उम्र में आनेवाली मुश्‍किलों का सामना कर सकते हैं (पैराग्राफ 4)


ढलती उम्र में खुशी बनाए रखना क्यों मुश्‍किल हो सकता है?

5. बुज़ुर्ग भाई-बहन शायद किस वजह से निराश हो जाएँ?

5 अगर आप एक बुज़ुर्ग हैं, तो शायद आप यह सोचकर निराश हो जाएँ कि पहले आप कितना कुछ कर पाते थे, लेकिन अब नहीं कर पाते। आप शायद सोचें, ‘काश! जवानी के वे दिन लौट आएँ जब मेरी सेहत अच्छी थी!’ (सभो. 7:10) रूबी नाम की एक बहन कहती हैं, “कभी-कभी तो मेरे हाथ-पैर ही काम नहीं करते। पूरे शरीर में इतना दर्द रहता है कि मेरे लिए कपड़े पहनना भी मुश्‍किल होता है। मोजे पहनने के लिए पैर उठाने में भी तकलीफ होती है। मेरे हाथ बिलकुल सुन्‍न पड़ जाते हैं। और जोड़ों के दर्द की वजह से छोटे-छोटे काम करना भी भारी पड़ता है।” भाई हैरल्ड जो बेथेल में सेवा करते थे, कहते हैं, “अपनी हालत देखकर कभी-कभी मुझे बहुत गुस्सा आता है। जब मैं जवान था, तो मुझे खेलने-कूदने का बहुत शौक था। बेसबॉल खेलते वक्‍त लोग कहते थे, ‘हैरल्ड को बॉल दे दो, वह हमें जिता देगा।’ पर अब तो मुझमें इतनी भी ताकत नहीं कि मैं बॉल फेंक सकूँ।”

6. (क) बुज़ुर्ग भाई-बहन और किन वजहों से निराश हो सकते हैं? (ख) बुज़ुर्ग भाई-बहन कैसे तय कर सकते हैं कि उन्हें गाड़ी चलाना बंद कर देना चाहिए या नहीं? (इस अंक में दिया लेख, “क्या अब मुझे गाड़ी चलाना बंद कर देना चाहिए?” देखें।)

6 हो सकता है, आप अपनी थोड़ी-बहुत आज़ादी खो दें और इस वजह से निराश हो जाएँ। ऐसा खासकर तब हो सकता है जब आपकी देखरेख के लिए किसी को रखा जाता है या जब आपको अपना घर छोड़कर अपने बच्चों के साथ रहना पड़ता है। यह भी हो सकता है कि सेहत बिगड़ने की वजह से या नज़र कमज़ोर होने की वजह से अब आप अकेले कहीं आ-जा नहीं सकते या फिर गाड़ी नहीं चला सकते। ऐसे में शायद आप बहुत दुखी हो जाएँ। लेकिन याद रखिए, इन वजहों से यहोवा और दूसरों की नज़रों में आपका मोल कम नहीं हो जाता। यहोवा जानता है कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। उसके लिए यह ज़्यादा मायने रखता है कि हम अंदर से कैसे हैं। वह यह देखता है कि हमारे दिल में उसके लिए और भाई-बहनों के लिए कितना प्यार और कितनी कदर है। और इस वजह से वह हमें अनमोल समझता है।—1 शमू. 16:7.

7. अगर आप यह सोचकर निराश हैं कि आपके जीते-जी अंत नहीं आएगा, तो आप क्या याद रख सकते हैं?

7 यह भी हो सकता है कि आप यह सोचकर निराश हो जाएँ कि आपके जीते-जी अंत नहीं आएगा। अगर आपको ऐसा लगता है, तो याद रखिए कि यहोवा भी इस दुष्ट दुनिया का अंत करना चाहता है, लेकिन वह सब्र रखे हुए है। (यशा. 30:18) और उसके सब्र रखने की एक वजह है। वह लाखों लोगों को मौका दे रहा है ताकि वे उसे जानें और उसकी सेवा करें। (2 पत. 3:9) इसलिए जब आप दुखी होते हैं, तो सोचिए कि यहोवा के सब्र रखने की वजह से अंत आने से पहले कितने लोगों को फायदा होगा। क्या पता, उनमें से कुछ लोग आपके परिवार से भी हों!

8. ढलती उम्र की वजह से बुज़ुर्ग लोग शायद क्या करें?

8 चाहे हम जवान हों या बुज़ुर्ग, जब हमारी तबियत ठीक नहीं होती, तो कई बार हम कुछ ऐसा कह देते हैं या कर देते हैं जिसका बाद में हमें अफसोस होता है। (सभो. 7:7; याकू. 3:2) बाइबल में बताया है कि जब अय्यूब तकलीफ में था, तो उसने भी “बेसिर-पैर की बातें” कहीं। (अय्यू. 6:1-3) कभी-कभी बुज़ुर्ग लोग किसी बीमारी या दवाइयों की वजह से कुछ ऐसा कह देते हैं या कर देते हैं जो आम तौर पर वे कभी नहीं करते। पर याद रखिए, हम कभी-भी अपनी सेहत या ढलती उम्र का बहाना बनाकर दूसरों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेंगे, ना ही उनसे हद-से-ज़्यादा की उम्मीद करेंगे। और अगर हमें एहसास हो कि हमने अनजाने में किसी को दुख पहुँचाया है, तो हम जल्द-से-जल्द उससे माफी माँगेंगे।—मत्ती 5:23, 24.

अपनी खुशी कैसे बनाए रखें?

चेरी ब्लॉसम पेड़ की डाल जिस पर फूल खिले हुए हैं; छोटी तसवीरों में दिखाया गया है कि बुज़ुर्ग भाई-बहन किन तरीकों से अपनी खुशी बनाए रख सकते हैं। पैराग्राफ 9-13 में इस बारे में बताया गया है।

ढलती उम्र में आनेवाली मुश्‍किलों के बावजूद आप अपनी खुशी कैसे बनाए रख सकते हैं? (पैराग्राफ 9-13)


9. आपको दूसरों से क्यों मदद लेनी चाहिए? (तसवीरें भी देखें।)

9 दूसरों की मदद कबूल कीजिए। (गला. 6:2) शुरू-शुरू में शायद आपको ऐसा करना मुश्‍किल लगे। ग्रेटल नाम की बहन कहती हैं, “कभी-कभी मुझे दूसरों से मदद लेना बहुत मुश्‍किल लगता है। ऐसा लगता है कि मैं उन पर बोझ बन जाऊँगी। मुझे अपनी सोच बदलने में और यह कबूल करने में वक्‍त लगा कि मुझे मदद चाहिए।” जब आप दूसरों से मदद लेते हैं, तो आप उन्हें वह खुशी दे रहे होते हैं जो देने से मिलती है। (प्रेषि. 20:35) और आपको भी यह देखकर खुशी मिलती है कि दूसरे आपसे कितना प्यार करते हैं और उन्हें आपकी कितनी परवाह है।

एक बुज़ुर्ग बहन ने एक जवान बहन का हाथ पकड़ा हुआ है और वे साथ मिलकर फल-सब्ज़ी खरीद रही हैं।

(पैराग्राफ 9)


10. आपको क्यों यह दिखाना चाहिए कि आप एहसानमंद हैं? (तसवीर भी देखें।)

10 दिखाइए कि आप एहसानमंद हैं। (कुलु. 3:15; 1 थिस्स. 5:18) जब दूसरे हमारे लिए कुछ करते हैं, तो हमें बहुत अच्छा लगता है। लेकिन हो सकता है कि हम यह दिखाने से चूक जाएँ कि हम उनके कितने एहसानमंद हैं। पर अगर हम उन्हें देखकर मुस्कुराएँ और उन्हें थैंक्यू कहें, तो हम उन्हें एहसास दिला सकते हैं कि हम उनकी मदद की बहुत कदर करते हैं। ज़रा लीआ के अनुभव पर ध्यान दीजिए जो बेथेल में बुज़ुर्गों की देखभाल करती है। वह कहती है, “मैं जिन बहनों की देखभाल करती हूँ, उनमें से एक हमेशा मुझे थैंक्यू कार्ड देती हैं। वे ज़्यादा कुछ नहीं लिखतीं, पर जो भी लिखती हैं, वह दिल छू जाता है। जब भी मुझे कार्ड मिलता है, तो मैं बता नहीं सकती मुझे कितना अच्छा लगता है। मुझे खुशी है कि वे मेरी मेहनत की कदर करती हैं।”

एक बुज़ुर्ग बहन थैंक्यू कार्ड लिख रही हैं।

(पैराग्राफ 10)


11. आप किस तरह दूसरों की मदद कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

11 दूसरों की मदद कीजिए। जब आप दूसरों के बारे में सोचेंगे और उनकी मदद करने की कोशिश करेंगे, तो आपका ध्यान अपनी चिंताओं पर नहीं जाएगा। एक अफ्रीकी कहावत है कि बड़े-बुज़ुर्ग किताबों से भरी लाइब्रेरी की तरह हैं जिनमें ज्ञान और बुद्धि का खज़ाना है। लेकिन अगर किताबें ताक पर ही पड़ी रहें, तो उनसे किसी को फायदा नहीं होगा। इसलिए आगे बढ़कर जवानों से बात कीजिए। आपको जो बातें पता हैं और आपने जो सीखा है, उन्हें बताइए। उनसे सवाल कीजिए और फिर उनकी ध्यान से सुनिए। उन्हें बताइए कि यहोवा की बात मानने से आपको क्या-क्या फायदे हुए हैं और यह भी बताइए कि अगर वे भी ऐसा करेंगे, तो उन्हें कितनी खुशियाँ मिलेंगी। जब आप इस तरह अपने नौजवान दोस्तों का हौसला बढ़ाएँगे और उन्हें दिलासा देंगे, तो आपको बहुत खुशी मिलेगी।—भज. 71:18.

एक जवान भाई एक बुज़ुर्ग भाई को खुलकर अपनी बात बता रहा है और वे ध्यान से उसकी सुन रहे हैं।

(पैराग्राफ 11)


12. यहोवा ने अपने बुज़ुर्ग सेवकों से क्या वादा किया है? (यशायाह 46:4) (तसवीर भी देखें।)

12 ताकत के लिए यहोवा से प्रार्थना कीजिए। हो सकता है, कभी-कभी आप बहुत थक जाएँ या हार मानने लगें। लेकिन याद रखिए, यहोवा “न कभी थकता है न पस्त होता है।” (यशा. 40:28) उसके पास बेशुमार ताकत है। पर क्या वह अपनी ताकत सिर्फ अपने तक रखता है? जी नहीं, वह अपने बुज़ुर्ग सेवकों में दम भर देता है, उन्हें ताकत देता है। (यशा. 40:29-31) उसने बुज़ुर्गों से वादा किया है कि वह उन्हें हमेशा सँभालेगा। (यशायाह 46:4 पढ़िए।) और यहोवा हर हाल में अपना वादा निभाता है। (यहो. 23:14; यशा. 55:10, 11) जब आप यहोवा से प्रार्थना करेंगे, तो वह आपकी भी मदद करेगा। तब आप महसूस करेंगे कि वह आपसे कितना प्यार करता है और इससे आपको बहुत खुशी मिलेगी।

एक बुज़ुर्ग भाई प्रार्थना कर रहे हैं।

(पैराग्राफ 12)


13. 2 कुरिंथियों 4:16-18 के मुताबिक हमें क्या बात याद रखनी चाहिए? (तसवीर भी देखें।)

13 याद रखिए कि आप हमेशा बूढ़े नहीं रहेंगे। जब आप यह बात याद रखेंगे, तो आपके लिए अपनी परेशानियों का सामना करना आसान हो जाएगा। बाइबल में हमें यकीन दिलाया गया है कि बुढ़ापा और खराब सेहत बस कुछ वक्‍त के लिए हैं। (अय्यू. 33:25; यशा. 33:24) इसलिए इस बात की खुशी मनाइए कि आपकी ज़िंदगी के सबसे सुनहरे पल चले नहीं गए हैं, बल्कि आगे आनेवाले हैं! (2 कुरिंथियों 4:16-18 पढ़िए।) अब सवाल है, मंडली के भाई-बहन किस तरह आपकी मदद कर सकते हैं?

एक बुज़ुर्ग बहन व्हीलचेयर पर बैठी हैं और बाइबल पढ़ रही हैं। वे फिरदौस के बारे में सोच रही हैं—वे जवान हो गयी हैं और चलने लगी हैं।

(पैराग्राफ 13)


मंडली के भाई-बहन बुज़ुर्गों की कैसे मदद कर सकते हैं?

14. बुज़ुर्ग भाई-बहनों को फोन करना और उनसे मिलना क्यों ज़रूरी है?

14 समय-समय पर बुज़ुर्ग भाई-बहनों को फोन कीजिए और उनसे मिलने जाइए। (इब्रा. 13:16) बुज़ुर्ग लोग अकसर अकेला महसूस करते हैं। भाई कैमी जो घर की चार दीवारी में कैद हैं, कहते हैं, “सुबह से शाम तक मैं घर पर ही रहता हूँ, इसलिए बहुत बोर हो जाता हूँ। कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं एक बूढ़ा शेर हूँ जिसे पिंजरे में बंद कर रखा है। मैं बहुत बेचैन हो जाता हूँ और कभी-कभी तो मुझे बहुत गुस्सा आता है।” जब हम बुज़ुर्ग भाई-बहनों से मिलने जाते हैं, तो हम उन्हें बता सकते हैं कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं और वे हमारे लिए अनमोल हैं। पर कभी-कभी हम सोचते तो हैं कि हम किसी बुज़ुर्ग भाई या बहन को फोन करेंगे या उनसे मिलने जाएँगे, लेकिन हम ऐसा करना भूल जाते हैं। आपके साथ भी शायद ऐसा हुआ होगा। हम सबके पास दिन-भर में बहुत-से काम होते हैं। लेकिन बुज़ुर्गों से मिलना भी एक बहुत ज़रूरी काम है। यह ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों’ में से एक है। (फिलि. 1:10) तो हम क्या कर सकते हैं ताकि हम अपने प्यारे बुज़ुर्गों को ना भूलें? कभी-भी ऐसा मत सोचिए कि जब मौका मिलेगा, तब हम मंडली के बुज़ुर्ग भाई-बहनों से मिलने जाएँगे। इसके बजाय, अपने कैलेंडर में लिखिए कि आप कब उन्हें फोन करेंगे या मैसेज भेजेंगे। यही नहीं, एक दिन और समय भी तय कीजिए कि आप कब उनसे मिलने जाएँगे।

15. जवान और बुज़ुर्ग साथ मिलकर क्या कर सकते हैं?

15 अगर आप जवान हैं, तो शायद आप सोचें, ‘मैं बुज़ुर्ग लोगों से किस बारे में बात कर सकता हूँ या उनके साथ मिलकर क्या कर सकता हूँ?’ लेकिन इस बारे में ज़्यादा फिक्र मत कीजिए, बस उनके अच्छे दोस्त बनिए। (नीति. 17:17) सभाओं से पहले और बाद में उनसे बात कीजिए। आप चाहें तो उनसे पूछ सकते हैं कि उनकी मनपसंद आयत कौन-सी है या उनसे कह सकते हैं कि वे अपने बचपन का कोई मज़ेदार किस्सा बताएँ। या फिर आप उनके साथ मिलकर JW ब्रॉडकास्टिंग कार्यक्रम देख सकते हैं। आप दूसरे तरीकों से भी उनकी मदद कर सकते हैं। जैसे, आप उनका फोन अपडेट कर सकते हैं या जो नए प्रकाशन आए हैं, उन्हें डाउनलोड कर सकते हैं। कैरल नाम की बहन कहती हैं, “आप हमारे साथ वही चीज़ें कीजिए जो आपको अच्छी लगती हैं। वैसे तो मेरी उम्र हो गयी है, लेकिन मुझे मज़े करना बहुत पसंद है। मुझे शॉपिंग करना, बाहर खाना खाना और घूमना-फिरना बहुत अच्छा लगता है।” माइरा नाम की बहन कहती है, “मेरी एक दोस्त 90 साल की हैं। हमारे बीच करीब 57 साल का फर्क है। लेकिन जब मैं उनसे मिलती हूँ, तो भूल ही जाती हूँ कि वे मुझसे इतनी बड़ी हैं। हम खूब बातें करते हैं, हँसते हैं और फिल्में देखते हैं। और जब भी हम किसी मुश्‍किल में होते हैं, तो एक-दूसरे से पूछते हैं कि हम क्या कर सकते हैं।”

16. जब बुज़ुर्गों को डॉक्टर को दिखाना हो, तो उनके साथ जाना क्यों अच्छा होता है?

16 जब उन्हें डॉक्टर को दिखाना हो, तो उनके साथ जाइए। आप उन्हें अपनी गाड़ी में डॉक्टर के पास ले जा सकते हैं। इसके अलावा, आप इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि डॉक्टर और नर्स उनके साथ अच्छे-से पेश आएँ और उनका अच्छा खयाल रखें। (यशा. 1:17) और जब डॉक्टर कुछ बताता है या कुछ करने के लिए कहता है, तो आप उनके लिए वे बातें लिख सकते हैं। रूथ नाम की बहन कहती हैं, “अकसर ऐसा होता है कि जब मैं अकेले डॉक्टर को दिखाने जाती हूँ, तो वह मेरी बात पर इतना ध्यान नहीं देता। कभी-कभी तो डॉक्टर कहते हैं, ‘नहीं, नहीं, आपको कुछ नहीं हुआ है, आप बिलकुल ठीक हैं। यह बस आपका वहम है।’ लेकिन जब मैं किसी को साथ ले जाती हूँ, तो डॉक्टर मेरी बात ध्यान से सुनता है और मेरे साथ अच्छे-से पेश आता है। उन भाई-बहनों का बहुत शुक्रिया जो वक्‍त निकालकर मेरे साथ डॉक्टर के पास जाते हैं!”

17. बुज़ुर्ग भाई-बहनों के साथ प्रचार करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

17 उनके साथ प्रचार कीजिए। कुछ बुज़ुर्ग भाई-बहनों में इतनी ताकत नहीं होती कि वे घर-घर का प्रचार कर सकें। ऐसे में क्या आप उन्हें अपने साथ कार्ट गवाही के लिए ले जा सकते हैं? आप उनके बैठने के लिए एक कुर्सी भी ले सकते हैं ताकि वे कार्ट के पास आराम से बैठ सकें। या आप उन्हें आपने साथ बाइबल अध्ययन के लिए ले जा सकते हैं या फिर उनके घर पर ही अध्ययन चला सकते हैं। प्राचीन भी बुज़ुर्ग भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं। वे उनकी सहूलियत के लिए उनके घर पर प्रचार की सभा रख सकते हैं। हम बुज़ुर्ग भाई-बहनों की मदद करने के लिए जो भी मेहनत करते हैं, उसे देखकर यहोवा बहुत खुश होता है।—नीति. 3:27; रोमि. 12:10.

18. अगले लेख में हम क्या जानेंगे?

18 इस लेख में हमें याद दिलाया गया कि यहोवा बुज़ुर्ग लोगों से बहुत प्यार करता है और उन्हें अनमोल समझता है। मंडली के सभी भाई-बहन भी ऐसा ही महसूस करते हैं। ढलती उम्र के साथ कई मुश्‍किलें आती हैं और उन्हें झेलना आसान नहीं होता। लेकिन यहोवा की मदद से हम इनका सामना कर सकते हैं और अपनी खुशी बनाए रख सकते हैं। (भज. 37:25) याद रखिए, आपकी ज़िंदगी के सबसे सुनहरे पल चले नहीं गए हैं, बल्कि आगे आनेवाले हैं! लेकिन कुछ भाई-बहन ऐसे भी हैं जो अपने परिवार में बुज़ुर्गों की, बच्चों की या किसी बीमार दोस्त की देखभाल करते हैं। ये भाई-बहन अपनी खुशी कैसे बनाए रख सकते हैं? इस बारे में हम अगले लेख में जानेंगे।

आपका जवाब क्या होगा?

  • बुज़ुर्ग भाई-बहन किन वजहों से अपनी खुशी खो सकते हैं?

  • बुज़ुर्ग भाई-बहन अपनी खुशी कैसे बनाए रख सकते हैं?

  • मंडली के भाई-बहन बुज़ुर्गों की कैसे मदद कर सकते हैं?

गीत 30 यहोवा, मेरा परमेश्‍वर, पिता और दोस्त

a jw.org और JW लाइब्रेरी पर बुज़ुर्ग भाई-बहनो, आप दूसरों का हौसला बढ़ा सकते हैं नाम का वीडियो देखें।

b इसका क्या मतलब है? खुशी परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का फल है। (गला. 5:22) सच्ची खुशी यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्‍ता होने से ही मिल सकती है।

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