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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
ख1 बाइबल का संदेश

ख1

बाइबल का संदेश

छपा हुआ संस्करण

सिर्फ यहोवा परमेश्‍वर को ही राज करने का हक है। और उसका राज करने का तरीका ही सबसे बढ़िया है। धरती और इंसानों के लिए उसका मकसद ज़रूर पूरा होगा।

अदन के बाग में आदम और हव्वा, पास में एक साँप

ई.पू. 4026 के बाद

“साँप” यानी शैतान ने सवाल उठाया कि क्या यहोवा को राज करने का हक है और क्या राज करने का उसका तरीका सही है। यहोवा ने वादा किया कि एक “वंश” आएगा जो आखिरकार साँप को कुचल देगा। (उत्पत्ति 3:1-5, 15) लेकिन तब तक यहोवा ने इंसानों को समय दिया कि वे शैतान के अधीन रहकर खुद राज करें।

अब्राहम परमेश्‍वर का वादा सुनता है

ई.पू. 1943

यहोवा ने अब्राहम को बताया कि वादा किया गया “वंश” उसी से आएगा।—उत्पत्ति 22:18.

राजा दाविद

ई.पू. 1070 के बाद

यहोवा ने राजा दाविद और बाद में उसके बेटे सुलैमान को भरोसा दिलाया कि वादा किया गया “वंश” उनके खानदान में पैदा होगा।—2 शमूएल 7:12, 16; 1 राजा 9:3-5; यशायाह 9:6, 7.

यीशु अपने बपतिस्मे के समय

ई. 29

यहोवा ने खुलासा किया कि यीशु ही वादा किया गया “वंश” है और दाविद की राजगद्दी का वारिस है।—गलातियों 3:16; लूका 1:31-33; 3:21, 22.

यीशु अपनी मौत के समय

ई. 33

साँप यानी शैतान ने यीशु को मरवा डाला और इस तरह कुछ समय के लिए वादा किए गए “वंश” को घायल किया। यहोवा ने यीशु को ज़िंदा करके स्वर्ग में जीवन दिया और उसके परिपूर्ण जीवन की कीमत कबूल की। इस तरह उसने आदम की संतानों के लिए पापों की माफी और हमेशा की ज़िंदगी पाने का रास्ता खोला।—उत्पत्ति 3:15; प्रेषितों 2:32-36; 1 कुरिंथियों 15:21, 22.

जैसे प्रकाशितवाक्य में बताया गया है, साँप यानी शैतान स्वर्ग से नीचे गिराया जा रहा है

1914 या उसके तुरंत बाद

यीशु ने साँप यानी शैतान को स्वर्ग से धरती पर फेंक दिया और उस पर बंदिश लगायी कि वह थोड़े समय के लिए यहीं रहे।—प्रकाशितवाक्य 12:7-9, 12.

जैसे प्रकाशितवाक्य में बताया गया है, यीशु स्वर्ग में अपने सिंहासन पर बैठा धरती पर राज कर रहा है

भविष्य में

यीशु, शैतान को 1,000 साल के लिए कैद कर देगा। इसके बाद वह शैतान का सिर कुचल देगा यानी हमेशा के लिए उसका नाश कर देगा। धरती और इंसानों के लिए यहोवा ने शुरू में जो मकसद ठहराया था, वह पूरा होगा। यहोवा के नाम पर लगा कलंक मिटा दिया जाएगा और साबित हो जाएगा कि परमेश्‍वर का राज करने का तरीका ही सही है।—प्रकाशितवाक्य 20:1-3, 10; 21:3, 4.

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