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गीत 34

निभाऊँ सदा याह से वफा

(भजन 26)

  1. 1. हाज़िर हूँ याह, दरबार में आज तेरे,

    है तेज़ नज़र तेरी, झाँक तू दिल में मेरे।

    अगर दिखे थोड़ा भी मैल मुझमें,

    करना उसे तू दूर, ठहरा निर्दोष मुझे।

    (कोरस)

    ठाना मैंने, निभाऊँ मैं वफा,

    यहोवा संग तेरे चलता रहूँ सदा!

  2. 2. महफिल में ना उनकी बैठूँ कभी,

    झूठ से है प्यार जिन्हें, नीयत जिनकी बुरी।

    दुष्टों के साथ ना कर मेरी गिनती,

    याह, जान मेरी बचा, यही मेरी बिनती।

    (कोरस)

    ठाना मैंने, निभाऊँ मैं वफा,

    यहोवा संग तेरे चलता रहूँ सदा!

  3. 3. तूने दिया बेटा मेरे लिए,

    कैसे चुकाऊँ मैं सारे एहसाँ तेरे?

    हर दिन करूँ इबादत मैं तेरी

    और सबसे ये कहूँ, ‘आओ याह के करीब।’

    (कोरस)

    ठाना मैंने, निभाऊँ मैं वफा,

    यहोवा संग तेरे चलता रहूँ सदा!

(भज. 25:2 भी देखें।)

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