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गुण नंबर 11

जोश

आयत

प्रेषितों 18:24, 25

क्या करना है: जोश से बात करके सुननेवालों को कदम उठाने के लिए उभारिए।

कैसे करना है:

  • जानकारी पर मनन कीजिए। आप जो जानकारी देना चाहते हैं, उसकी तैयारी करते वक्‍त गहराई से सोचिए कि वह कितनी ज़रूरी है। उससे अच्छी तरह वाकिफ होइए, ताकि उसे पेश करते वक्‍त आप दिल से बात कर सकें।

  • सुननेवालों के बारे में सोचिए। सोचिए कि आप जो बातें पढ़ेंगे या सिखाएँगे, उससे दूसरों को क्या फायदा होगा। सोचिए कि आप किन-किन तरीकों से वह जानकारी पेश कर सकते हैं ताकि सुननेवाले समझ सकें कि उन्हें कैसे फायदा होगा।

  • अपनी बातों में जान फूँकिए। जोश से बात कीजिए। अपनी भावनाएँ ज़ाहिर करने के लिए हाथों और चेहरे से हाव-भाव कीजिए। मगर ये हाव-भाव बनावटी नहीं होने चाहिए।

    सुझाव

    बार-बार एक ही तरह के हाव-भाव मत कीजिए वरना सुननेवालों का ध्यान भटक सकता है। आप जो बोल रहे हैं, उससे आपके हाव-भाव मेल खाने चाहिए। खासकर मुख्य मुद्दे समझाते वक्‍त और लोगों को कदम उठाने के लिए उभारते वक्‍त जोश से बात कीजिए। लेकिन शुरू से आखिर तक बहुत ज़्यादा जोश से मत बोलिए वरना लोग सुनते-सुनते थक जाएँगे।

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