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गुण नंबर 12

प्यार और हमदर्दी

आयत

1 थिस्सलुनीकियों 2:7, 8

क्या करना है: इस तरह बोलिए कि सुननेवालों को महसूस हो कि आप सच में उनकी परवाह करते हैं और उनका भला चाहते हैं।

कैसे करना है:

  • सुननेवालों के बारे में सोचिए। सोचिए कि वे किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उनकी भावनाओं को महसूस कीजिए। इस तरह अपने मन को तैयार कीजिए ताकि उनके सामने बोलते वक्‍त आप सही भावनाएँ ज़ाहिर कर सकें।

  • ध्यान रखिए कि आप कैसे शब्द बोलेंगे। ऐसी बातें कहिए जिससे लोगों को दिलासा मिले और उनमें जोश भर आए। ऐसी बातें मत बोलिए जिससे उन्हें ठेस पहुँचे। जो लोग यहोवा को नहीं मानते उनकी नुक्‍ताचीनी मत कीजिए, न ही उनकी धारणाओं का खंडन कीजिए।

  • परवाह ज़ाहिर कीजिए। प्यार से बात करके और सही हाव-भाव करके सुननेवालों को जताइए कि आपको उनकी परवाह है। अपने चेहरे के भाव से भी यही जताइए। मुस्कुराकर बात कीजिए।

    सुझाव

    बेवजह या बढ़ा-चढ़ाकर भावनाएँ मत ज़ाहिर कीजिए। कुछ पढ़कर सुनाते वक्‍त जो लिखा है उसके हिसाब से भावनाएँ ज़ाहिर कीजिए। मगर अपनी तरफ ध्यान मत खींचिए। प्यार से बात कीजिए ताकि सुननेवालों को आपकी बातें भा जाएँ।

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