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लैव्यव्यवस्था का सारांश

      • याजक पवित्र बने रहें, दूषित न हों (1-9)

      • महायाजक खुद को दूषित न करे (10-15)

      • याजक के शरीर में कोई दोष न हो (16-24)

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    शा., “उसका हाथ भरा गया है।”

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फुटनोट

  • *

    शा., “या उसकी नाक में दरार है।”

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फुटनोट

  • *

    या शायद, “वह सूखकर काँटा हो गया है।”

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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
लैव्यव्यवस्था 21:1-24

लैव्यव्यवस्था

21 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, “तू याजकों से यानी हारून के बेटों से कहना, ‘एक याजक को अपने लोगों में से किसी की मौत पर खुद को दूषित नहीं करना चाहिए।+ 2 लेकिन वह अपने नज़दीकी रिश्‍तेदारों की मौत पर खुद को दूषित कर सकता है, अपनी माँ, अपने पिता, बेटे, बेटी या भाई की मौत पर। 3 उसी तरह, वह अपने पास रहनेवाली कुँवारी बहन की मौत पर, जिसकी शादी नहीं हुई थी, खुद को दूषित कर सकता है। 4 मगर वह किसी ऐसी औरत के लिए खुद को दूषित और अपवित्र नहीं कर सकता, जो उसके लोगों में से किसी आदमी की पत्नी थी। 5 याजकों को किसी की मौत पर अपना सिर नहीं मुँड़वाना चाहिए+ और न ही अपनी कलमें कटवानी चाहिए या अपने तन पर घाव करना चाहिए।+ 6 उन्हें अपने परमेश्‍वर के लिए पवित्र बने रहना चाहिए+ और अपने परमेश्‍वर के नाम का अपमान नहीं करना चाहिए,+ क्योंकि वे यहोवा के लिए आग में बलियाँ यानी अपने परमेश्‍वर के लिए भोजन अर्पित करने का काम करते हैं। इसलिए उन्हें पवित्र बने रहना है।+ 7 एक याजक को किसी वेश्‍या+ से या ऐसी औरत से शादी नहीं करनी चाहिए जो किसी और से भ्रष्ट हो गयी है या जिसके पति ने उसे तलाक दे दिया है,+ क्योंकि याजक अपने परमेश्‍वर के लिए पवित्र होता है। 8 तुम लोग एक याजक को पवित्र मानना,+ क्योंकि वही तुम्हारे परमेश्‍वर के लिए भोजन अर्पित करने का काम करता है। तुम्हें एक याजक को इसलिए पवित्र मानना चाहिए क्योंकि मैं यहोवा पवित्र हूँ और मैं ही तुम लोगों को पवित्र ठहरा रहा हूँ।+

9 अगर किसी याजक की बेटी वेश्‍या बनकर भ्रष्ट हो जाती है, तो वह अपने पिता का अपमान करती है, इसलिए उसे मौत की सज़ा दी जानी चाहिए और फिर आग में जला देना चाहिए।+

10 जो याजक अपने भाइयों में से महायाजक चुना जाता है, उसे किसी की भी मौत पर अपने बाल बिखरे हुए नहीं रखने चाहिए और न ही अपनी पोशाक फाड़नी चाहिए,+ क्योंकि उसके सिर पर अभिषेक का तेल उँडेला गया है+ और उसे याजकपद सौंपा गया है* ताकि वह याजक की पोशाक+ पहने। 11 महायाजक को किसी भी इंसान की लाश के पास नहीं जाना चाहिए,+ यहाँ तक कि अपने पिता या अपनी माँ की मौत पर भी उसे खुद को दूषित नहीं करना चाहिए। 12 उसे पवित्र-स्थान से बाहर कदम नहीं रखना चाहिए और अपने परमेश्‍वर के पवित्र-स्थान को दूषित नहीं करना चाहिए,+ क्योंकि परमेश्‍वर के पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया गया है जो उसके समर्पण की निशानी है।+ मैं यहोवा हूँ।

13 उसे सिर्फ ऐसी औरत से शादी करनी चाहिए जो कुँवारी है।+ 14 उसे किसी विधवा या तलाकशुदा औरत या वेश्‍या या ऐसी औरत से शादी नहीं करनी चाहिए जो भ्रष्ट हो चुकी है। इसके बजाय, उसे अपने लोगों में से किसी कुँवारी से ही शादी करनी चाहिए। 15 उसे अपने लोगों के बीच अपनी संतान का अपमान नहीं करना चाहिए,+ क्योंकि मैं यहोवा हूँ, मैं उसे पवित्र ठहरा रहा हूँ।’”

16 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 17 “हारून से कहना, ‘तेरे वंशजों में से ऐसा कोई भी आदमी, जिसके शरीर में कोई दोष है, अपने परमेश्‍वर को भोजन अर्पित करने के लिए पवित्र-स्थान के पास नहीं जा सकता। यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी लागू रहेगा। 18 तुम्हारे वंशजों में से ऐसा कोई भी आदमी पवित्र-स्थान के पास नहीं जा सकता जिसके शरीर में इनमें से एक भी दोष है: वह अंधा या लँगड़ा है या उसके चेहरे का रूप बिगड़ा है* या उसका एक हाथ या पैर ज़्यादा लंबा है 19 या उसके हाथ या पैर की हड्डी टूटी है 20 या उसकी पीठ पर कूबड़ है या वह बौना है* या उसकी आँखों में कोई दोष है या उसे दाद या खाज है या उसके अंड कुचले हुए हैं।+ 21 हारून याजक के वंशजों में से किसी आदमी के शरीर में अगर ऐसा एक भी दोष है, तो वह यहोवा के लिए आग में बलि जलाकर अर्पित नहीं कर सकता। उसके शरीर में दोष है, इसलिए वह अपने परमेश्‍वर को भोजन अर्पित करने वेदी के पास न जाए। 22 उसे अपने परमेश्‍वर के भोजन में से वे चीज़ें खाने की इजाज़त है जो पवित्र हैं+ और वे भी जो बहुत पवित्र हैं।+ 23 मगर वह न परदे के पास+ और न ही वेदी के पास जा सकता है,+ क्योंकि उसके शरीर में दोष है। उसे मेरा पवित्र-स्थान दूषित नहीं करना चाहिए+ क्योंकि मैं यहोवा हूँ, मैं उन्हें पवित्र ठहरा रहा हूँ।’”+

24 मूसा ने हारून और उसके बेटों को और सभी इसराएलियों को ये सारी बातें बतायीं।

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