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न्यायियों का सारांश

      • शिमशोन पलिश्‍तियों से बदला लेता है (1-20)

न्यायियों 15:1

फुटनोट

  • *

    या “अंदरवाले कमरे।”

न्यायियों 15:2

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    या “दरार।”

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    या “दरार।”

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फुटनोट

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    या “बाँधकर।”

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फुटनोट

  • *

    मतलब “जबड़े की हड्डी की ऊँची जगह।”

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फुटनोट

  • *

    मतलब “पुकारनेवाले का सोता।”

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इंडैक्स

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    9/2023, पेज 4

न्यायियों 15:20

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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 15:1-20

न्यायियों

15 कुछ समय बाद, गेहूँ की कटाई का वक्‍त आया और शिमशोन अपनी पत्नी से मिलने गया। वह अपने साथ बकरी का एक बच्चा ले गया। उसने कहा, “मैं अपनी पत्नी के कमरे* में जाना चाहता हूँ।” लेकिन लड़की के पिता ने उसे अंदर नहीं जाने दिया। 2 उसने शिमशोन से कहा, “मैंने सोचा कि तू मेरी लड़की से नफरत करने लगा है,+ इसलिए मैंने उसकी शादी उस आदमी से करवा दी जो दावत में तेरा साथी था।+ मेरी मान, तू उसकी छोटी बहन से शादी कर ले, वह उससे ज़्यादा खूबसूरत है।” 3 शिमशोन ने कहा, “अब पलिश्‍तियों की खैर नहीं! इस बार वे अपनी बरबादी के लिए खुद ज़िम्मेदार होंगे।”

4 शिमशोन ने जाकर 300 लोमड़ियाँ पकड़ीं और मशालें लीं। फिर उसने दो-दो लोमड़ियों की पूँछ बाँधी और उसमें एक-एक मशाल खोंस दी। 5 उसने मशाल जलाकर उन लोमड़ियों को पलिश्‍तियों की खड़ी फसल में छोड़ दिया। इस तरह शिमशोन ने उनकी खड़ी फसल, अनाज के गट्ठर, साथ ही अंगूरों और जैतून के बाग में आग लगा दी।

6 पलिश्‍तियों ने जब पूछा, “यह किसने किया?” तो जवाब मिला, “तिमना में रहनेवाले उस आदमी के दामाद शिमशोन ने। क्योंकि उसके ससुर ने उसकी पत्नी की शादी उसी के एक साथी से करवा दी।”+ तब पलिश्‍तियों ने उस लड़की और उसके पिता को जला दिया।+ 7 शिमशोन ने उनसे कहा, “जब तुमने ऐसा किया है, तो मैं तुमसे बदला लेकर ही दम लूँगा।”+ 8 इसके बाद शिमशोन ने एक-के-बाद-एक सबको मार डाला और लाशों का ढेर लगा दिया। फिर वह एताम चट्टान की गुफा* में जाकर रहने लगा।

9 कुछ समय बाद पलिश्‍तियों ने आकर यहूदा में छावनी डाली। उन्होंने लही+ में हर जगह लूटपाट मचा दी। 10 यह देखकर यहूदा के आदमियों ने कहा, “हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है जो तुम हमारे खिलाफ आए हो?” पलिश्‍तियों ने कहा, “हम शिमशोन को पकड़ने आए हैं। हम उसका वही हाल करेंगे जो उसने हमारा किया है।” 11 तब यहूदा के 3,000 आदमी नीचे एताम चट्टान की गुफा* में गए। उन्होंने शिमशोन से कहा, “क्या तुझे पता नहीं कि पलिश्‍ती हम पर राज कर रहे हैं?+ फिर तूने क्यों ऐसा काम किया और हमें मुसीबत में डाल दिया?” शिमशोन ने कहा, “मैंने उनके साथ वही किया जो उन्होंने मेरे साथ किया।” 12 यहूदा के आदमी कहने लगे, “हम तुझे पकड़कर* पलिश्‍तियों के हवाले करने आए हैं।” तब शिमशोन ने कहा, “पहले शपथ खाओ कि तुम मुझे जान से मारने की कोशिश नहीं करोगे।” 13 उन्होंने कहा, “हम तुझे नहीं मारेंगे, सिर्फ तुझे बाँधकर पलिश्‍तियों को दे देंगे।”

उन्होंने दो नयी रस्सियाँ लीं और शिमशोन को बाँधकर चट्टान की गुफा से बाहर लाए। 14 जब उसे लही लाया गया तब पलिश्‍ती उसे देखकर अपनी जीत की खुशी में ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे। तभी यहोवा की पवित्र शक्‍ति शिमशोन पर काम करने लगी+ और उसके हाथ की रस्सियाँ ऐसे टूट गयीं जैसे सन का धागा जलने पर टूट जाता है और उसके बंधन खुल गए।+ 15 उसे गधे के जबड़े की ताज़ी हड्डी मिली और उसने उससे 1,000 पलिश्‍ती आदमियों को मार गिराया।+ 16 शिमशोन ने कहा,

“गधे के जबड़े की हड्डी से मैंने दुश्‍मनों का ढेर लगाया,

सिर्फ एक हड्डी से मैंने 1,000 आदमियों को मार गिराया।”+

17 फिर उसने वह हड्डी फेंक दी और उस जगह का नाम रामत-लही* रखा।+ 18 तब शिमशोन को बड़ी प्यास लगी और उसने यहोवा को पुकारा, “हे परमेश्‍वर, तूने ही अपने इस दास को इतनी बड़ी जीत दिलायी है। लेकिन क्या अब तू चाहता है कि मैं प्यासा मर जाऊँ और इन खतनारहित लोगों के हाथों में पड़ जाऊँ?” 19 तब परमेश्‍वर ने लही की ज़मीन में एक गड्‌ढा बना दिया और उसमें से पानी फूट निकला।+ पानी पीकर शिमशोन की जान में जान आयी और वह फिर ताज़ादम हो गया। इसलिए उसने उस जगह का नाम एन-हक्कोरे* रखा, जो आज तक लही में है।

20 पलिश्‍तियों के दिनों में शिमशोन 20 साल तक इसराएल का न्यायी रहा।+

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