वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • 2 कुरिंथियों 11
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

2 कुरिंथियों 11:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 220

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2002, पेज 8

    2/1/1987, पेज 19-20

2 कुरिंथियों 11:4

फुटनोट

  • *

    2कुरिं 11:4 या, “परमेश्‍वर की शक्‍ति।”

2 कुरिंथियों 11:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 148-150

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2019, पेज 4

2 कुरिंथियों 11:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 151

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 28-29

2 कुरिंथियों 11:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2004, पेज 4-5

    3/1/2002, पेज 11

    2/1/1987, पेज 19

2 कुरिंथियों 11:23

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2021, पेज 26

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

2 कुरिंथियों 11:24

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

2 कुरिंथियों 11:25

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

    1/1/1991, पेज 22, 26

2 कुरिंथियों 11:26

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

    12/1/1992, पेज 5

    प्रहरीदुर्ग

2 कुरिंथियों 11:27

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

2 कुरिंथियों 11:28

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!, 11/8/1998, पेज 26

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • 11
  • 12
  • 13
  • 14
  • 15
  • 16
  • 17
  • 18
  • 19
  • 20
  • 21
  • 22
  • 23
  • 24
  • 25
  • 26
  • 27
  • 28
  • 29
  • 30
  • 31
  • 32
  • 33
नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
2 कुरिंथियों 11:1-33

2 कुरिंथियों

11 काश कि तुम मेरी इस थोड़ी-सी ज़्यादती को बरदाश्‍त कर लेते। असल में तुम मुझे बरदाश्‍त कर भी रहे हो! 2 मुझे तुम्हारे लिए वैसी ही जलन है, जैसी जलन परमेश्‍वर रखता है, क्योंकि मैं खुद, तुम्हारी शादी करवाने के लिए एक पुरुष यानी मसीह से तुम्हारी सगाई करवा चुका हूँ ताकि मैं तुम्हें एक पवित्र कुँवारी की तरह मसीह को सौंप सकूँ। 3 मगर मुझे डर है कि जैसे साँप ने अपनी चालाकी से हव्वा को बहका लिया था, वैसे ही तुम्हें किसी तरह तुम्हारे सोचने के तरीके में भ्रष्ट कर, उस सीधाई और पवित्रता से भटका न दिया जाए, जिसे पाने का हकदार मसीह है। 4 अगर कोई आकर किसी और यीशु का प्रचार करता है, जिसका प्रचार हमने नहीं किया या जो शक्‍ति* तुम्हारे मन पर पहले काम कर रही थी, उसके बजाय कोई तुम्हें किसी और तरह का मन का रुझान देता है, या जो खुशखबरी तुमने स्वीकार की थी उसे छोड़ कोई और ही खुशखबरी सुनाता है, तो तुम बड़ी आसानी से उसकी बात मान लेते हो। 5 मैं समझता हूँ कि मैं तुम्हारे महा-प्रेषितों से किसी भी बात में कम नहीं हूँ। 6 चाहे मैं बोलने में अनाड़ी सही, मगर ज्ञान में हरगिज़ नहीं हूँ और हमने यह ज्ञान सब बातों में हर तरह से तुम पर ज़ाहिर किया है।

7 या जब मैंने खुद को इसलिए छोटा किया ताकि तुम बड़े हो जाओ और बिना कोई दाम लिए तुम्हें खुशी-खुशी परमेश्‍वर की खुशखबरी सुनायी, तो क्या कोई पाप किया? 8 मैंने दूसरी मंडलियों को लूटा यानी उनसे मदद ली ताकि तुम्हारी सेवा करूँ। 9 फिर भी जब मैं तुम्हारे बीच मौजूद था और मुझ पर भारी तंगी आ पड़ी, तब मैं किसी पर भी बोझ न बना, क्योंकि मकिदुनिया से आए भाइयों ने ज़रूरत से बढ़कर मेरी मदद की। हाँ, मैंने हर तरह से कोशिश की कि तुम पर बोझ न बनूँ और ऐसा ही करता रहूँगा। 10 अगर मसीह की सच्चाई मुझ में है, तो अखया के इलाकों में मेरा यह शेखी मारना बंद नहीं किया जा सकता। 11 क्या वजह है कि मैं तुम पर बोझ न बना? क्या इसलिए कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता? परमेश्‍वर जानता है कि मैं करता हूँ।

12 लेकिन मैं जो कर रहा हूँ उसे करता ही रहूँगा ताकि उन लोगों को कोई मौका न दूँ जो हमारे बराबर दर्जा रखने की शेखी मारते हैं और हमारी बराबरी करने के लिए किसी मौके की तलाश में रहते हैं। 13 ऐसे आदमी झूठे प्रेषित, छल से काम करनेवाले हैं और मसीह के प्रेषित होने का रूप धारण करते हैं। 14 इसमें कोई ताज्जुब नहीं क्योंकि शैतान खुद भी रौशनी देनेवाले स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। 15 इसलिए अगर उसके सेवक भी नेकी के सेवक होने का ढोंग करते हैं, तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। मगर उनका अंत उनके कामों के हिसाब से होगा।

16 मैं फिर कहता हूँ कि कोई आदमी यह न सोचे कि मैं ज़्यादती कर रहा हूँ। अगर तुम ऐसा समझते भी हो, तब भी मुझे ज़्यादती करनेवाला समझकर ही बरदाश्‍त कर लो, ताकि मैं थोड़ी-सी और शेखी मार सकूँ। 17 मैं जो कहता हूँ, वह प्रभु की मिसाल पर नहीं कहता, बल्कि ज़्यादती करनेवाले की तरह कहता हूँ, जैसे शेखी मारनेवाला अकसर हद-से-ज़्यादा यकीन के साथ कहता है। 18 बहुत-से लोग दुनियावी बातों पर शेखी मार रहे हैं, इसलिए मैं भी शेखी मारूँगा। 19 क्योंकि तुम तो इतने लिहाज़दार हो कि ज़्यादती करनेवालों की खुशी-खुशी सह लेते हो। 20 दरअसल, तुम ऐसे हर किसी को, जो तुम्हें अपना गुलाम बना लेता है, जो कुछ तुम्हारा है उसे हड़प लेता है, जो तुम्हारे पास है उसे छीन लेता है, तुम्हारे सिर पर सवार हो जाता है और तुम्हारे मुँह पर थप्पड़ मारता है उसे बरदाश्‍त कर लेते हो।

21 मेरे लिए यह कहना शर्म की बात है, क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि हम अपना अधिकार सही तरह से नहीं चला रहे हैं।

अगर कोई किसी बात में ढिठाई दिखाता है, तो मैं भी ढिठाई दिखाता हूँ, फिर चाहे कोई मेरी बात को ज़्यादती समझे। 22 क्या वे इब्रानी हैं? मैं भी हूँ। क्या वे इस्राएली हैं? मैं भी हूँ। क्या वे अब्राहम के वंशज हैं? मैं भी हूँ। 23 क्या वे मसीह के सेवक हैं? मैं पागलों की तरह चिल्ला-चिल्लाकर कहता हूँ, मैं उनसे कहीं बढ़कर हूँ: बहुत ज़्यादा कड़ी मेहनत करने में, बार-बार कैद होने में, हद-से-ज़्यादा पिटाई खाने में, अकसर मौत के खतरे में। 24 मैंने पाँच बार यहूदियों से उनतालिस-उनतालिस कोड़े खाए 25 तीन बार मुझे डंडों से पीटा गया, एक बार मुझ पर पत्थरवाह हुआ, तीन बार जिन जहाजों पर मैं चढ़ा वे समंदर में टूट गए, एक रात और एक दिन मैंने समंदर के बीच काटा। 26 मैं बार-बार सफर में, नदियों के खतरों में, डाकुओं के खतरों में, अपनी ही जाति के लोगों से खतरों में, दूसरी जाति के लोगों से खतरों में, शहर के खतरों में, वीराने के खतरों में, समंदर के खतरों में, झूठे भाइयों के बीच रहने के खतरों में रहा हूँ। 27 मैंने कड़ी मेहनत और घोर मज़दूरी में, अकसर रात-रात भर जागते रहने में, भूख और प्यास में, कई बार भूखे पेट रहने में, ठंड में और उघाड़े में दिन बिताए।

28 इन सब बातों के अलावा हर दिन सारी मंडलियों की चिंता मुझे खाए जाती है। 29 किसकी कमज़ोरी से मैं खुद को कमज़ोर महसूस नहीं करता? किसके ठोकर खाने से मेरा जी नहीं जलता?

30 अगर मुझे शेखी मारनी ही है, तो मैं उन बातों पर शेखी मारूँगा जिनसे मेरी कमज़ोरियाँ ज़ाहिर होती हैं। 31 प्रभु यीशु का परमेश्‍वर और पिता, वही जिसका गुणगान हमेशा-हमेशा तक होता रहेगा, जानता है कि मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ। 32 दमिश्‍क में अरितास राजा के अधीन जो राज्यपाल था, उसने मुझे पकड़ने के लिए दमिश्‍कियों के शहर पर पहरा बिठा रखा था, 33 मगर मुझे एक बड़े टोकरे में बिठाकर शहर की दीवार में बनी एक खिड़की से नीचे उतार दिया गया और मैं उसके हाथ से बच गया।

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें