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  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र

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    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 130, 164

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1 तीमुथियुस 5:22

फुटनोट

  • *

    1तीमु 5:22 या, “पर हाथ रखने में।”

1 तीमुथियुस 5:23

फुटनोट

  • *

    1तीमु 5:23 यह दूषित पानी पीने के बारे में कहा गया था, जो तीमुथियुस की बीमारी की वजह थी।

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 43

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2015, पेज 25-26

दूसरें अनुवाद

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
1 तीमुथियुस 5:1-25

1 तीमुथियुस

5 किसी बुज़ुर्ग की सख्ती से आलोचना न कर। इसके बजाय, उसे अपना पिता समझकर प्यार से समझा, नौजवानों को अपने भाई समझकर, 2 बुज़ुर्ग स्त्रियों को माँ समझकर और कम उम्र की स्त्रियों को बहनें समझकर सारी पवित्रता के साथ समझा।

3 जो विधवाएँ वाकई ज़रूरतमंद हैं, उनका आदर कर और उनकी देखभाल कर। 4 लेकिन अगर किसी विधवा के बच्चे या नाती-पोते हैं, तो ये बच्चे परमेश्‍वर की भक्‍ति दिखाते हुए पहले अपने ही घर के लोगों की देखभाल करना सीखें और अपने माता-पिता और उनके माता-पिता को उनका हक अदा करते रहें, क्योंकि परमेश्‍वर इससे खुश होता है। 5 जो विधवा सचमुच ज़रूरतमंद है और जिसका देखनेवाला कोई नहीं है, वह परमेश्‍वर पर आशा रखती है और रात-दिन मिन्‍नतों और प्रार्थनाओं में लगी रहती है। 6 मगर जो भोग-विलास में पड़ जाती है वह ज़िंदा होते हुए भी मर गयी है। 7 इसलिए ये आज्ञाएँ उन्हें देता रह ताकि कोई उन पर उंगली न उठा सके। 8 बेशक अगर कोई अपनों की, खासकर अपने घर के लोगों की देखभाल नहीं करता, तो वह विश्‍वास से मुकर गया है और अविश्‍वासी से भी बदतर हो गया है।

9 उसी विधवा का नाम मदद की सूची में लिखा जाए जो साठ साल से कम की न हो, एक ही पति की पत्नी रही हो, 10 जिसके भले कामों की लोग गवाही देते हों कि उसने अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दी है, मेहमान-नवाज़ी दिखायी है, पवित्र जनों के पाँव धोए हैं, जो मुसीबत में थे उन्हें राहत पहुँचायी है और हर भला काम करने में मेहनत की है।

11 दूसरी तरफ, कम उम्र की विधवाओं को जो शादी करना चाहती हैं, सूची में शामिल न कर। क्योंकि जब उनकी यौन-इच्छाएँ उनके और मसीह की सेवा के बीच आ जाती हैं, 12 तो वे दोषी ठहरती हैं, क्योंकि उन्होंने विश्‍वास की वजह से पहले जो इरादा ज़ाहिर किया था अब वे उसके खिलाफ जाती हैं। 13 साथ ही उन्हें खाली रहने और घर-घर घूमने की आदत पड़ जाती है। हाँ, वे न सिर्फ खाली रहती हैं बल्कि उन्हें गप्पे लड़ाने की आदत पड़ जाती है और वे दूसरों के मामलों में दखल देती रहती हैं। वे ऐसी बातों के बारे में बोलती हैं जो उन्हें नहीं बोलनी चाहिए। 14 इसलिए मैं यही चाहता हूँ कि कम उम्र की विधवाएँ शादी करें, बच्चे पैदा करें और घर-गृहस्थी संभालें ताकि विरोधियों को हमारे बारे में बुरा-भला कहने का मौका न दें। 15 दरअसल, कुछ तो भटककर शैतान के पीछे हो भी चुकी हैं। 16 अगर किसी विश्‍वासी स्त्री के परिवार में विधवाएँ हैं, तो वह उनकी देखभाल करे और मंडली पर उनका बोझ न डाले। तब मंडली ऐसी विधवाओं की देखभाल कर पाएगी जो वाकई ज़रूरतमंद हैं।

17 जो प्राचीन बढ़िया तरीके से अगुवाई करते हैं, वे दुगुने आदर के योग्य समझे जाएँ। खासकर वे जो बोलने और सिखाने में कड़ी मेहनत करते हैं। 18 इसलिए कि शास्त्रवचन कहता है: “अनाज की दँवरी करनेवाले बैल का मुँह न बाँधना” और यह भी कि “काम करनेवाला अपनी मज़दूरी पाने का हकदार है।” 19 किसी भी प्राचीन के खिलाफ लगाए गए इलज़ाम को तब तक स्वीकार न करना, जब तक दो या तीन गवाह इसका सबूत न दें। 20 जो पाप में लगे रहते हैं, उन्हें सब देखनेवालों के सामने ताड़ना दे, ताकि बाकी लोग भी पाप करने से डरें। 21 मैं तुझे परमेश्‍वर और मसीह यीशु और चुने हुए स्वर्गदूतों के सामने पूरी गंभीरता के साथ यह हुक्म देता हूँ कि पहले से कोई राय कायम किए बिना तू यह सब कर और पक्षपात की भावना से कुछ न कर।

22 किसी भी आदमी को ज़िम्मेदारी के पद पर ठहराने में* कभी जल्दबाज़ी न कर। न ही दूसरों के पापों का हिस्सेदार बन, अपना चरित्र साफ बनाए रख।

23 अब से पानी मत पीया कर,* बल्कि अपने पेट के लिए और बार-बार की बीमारी की वजह से थोड़ी दाख-मदिरा पिया कर।

24 कुछ लोगों के पाप तो सरेआम ज़ाहिर हो जाते हैं जिससे उन्हें फौरन सज़ा मिलती है, मगर दूसरों के पाप भी ज़ाहिर होते हैं, चाहे बाद में ही सही। 25 इसी तरह अच्छे काम भी सरेआम ज़ाहिर होते हैं और जो अच्छे काम ज़ाहिर नहीं होते, वे भी छिपाए नहीं जा सकते।

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