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    सजग होइए!,

    अंक 3 2016, पेज 12

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इब्रानियों 11:25

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इब्रानियों 11:26

फुटनोट

  • *

    इब्रा 11:26 यूनानी में, “मसीह।”

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इब्रानियों 11:27

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    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 83

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इब्रानियों 11:35

फुटनोट

  • *

    इब्रा 11:35 यानी, मरे हुओं में से जी उठना।

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
इब्रानियों 11:1-40

इब्रानियों

11 विश्‍वास, आशा की हुई चीज़ों का पूरे भरोसे के साथ इंतज़ार करना है और उन असलियतों का साफ सबूत है, जो अभी दिखायी नहीं देतीं। 2 क्योंकि इसी विश्‍वास की वजह से पुराने वक्‍त के लोगों ने अपने बारे में गवाही पायी कि परमेश्‍वर उनसे खुश है।

3 विश्‍वास ही से हम यह समझ पाते हैं कि परमेश्‍वर के वचन से दुनिया की व्यवस्थाएँ ठहरायी गयीं, इसलिए जो दिखायी दे रहा है वह उन चीज़ों से आया है जो दिखायी नहीं देतीं।

4 विश्‍वास ही से हाबिल ने परमेश्‍वर को ऐसा बलिदान चढ़ाया जो कैन के बलिदान से श्रेष्ठ था। और इसी विश्‍वास की वजह से उसे यह गवाही दी गयी कि वह परमेश्‍वर की नज़र में नेक था। परमेश्‍वर ने उसकी भेंट के बारे में गवाही दी कि उसने उसे मंज़ूर किया है। हालाँकि हाबिल मर चुका है फिर भी इसी विश्‍वास की वजह से वह आज भी बोलता है।

5 विश्‍वास ही से हनोक को हटा दिया गया ताकि वह मौत को आता न देखे। और वह कहीं नहीं पाया गया क्योंकि परमेश्‍वर ने उसे हटा लिया था। मगर हटा दिए जाने से पहले उसे यह गवाही दी गयी कि उसने परमेश्‍वर को खुश किया है। 6 विश्‍वास के बिना परमेश्‍वर को खुश करना नामुमकिन है, इसलिए कि जो उसके पास आता है उसका यह यकीन करना ज़रूरी है कि परमेश्‍वर सचमुच है और वह उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं।

7 विश्‍वास ही से नूह ने, परमेश्‍वर की तरफ से उन चीज़ों के बारे में चेतावनी पाने के बाद जो उस वक्‍त तक दिखायी नहीं दे रही थीं, परमेश्‍वर का डर मानते हुए अपने परिवार को बचाने के लिए एक जहाज़* बनाया। इसी विश्‍वास की वजह से उसने उस वक्‍त की दुनिया को सज़ा के लायक ठहराया और उस नेकी का वारिस बना जो विश्‍वास की वजह से है।

8 विश्‍वास ही से अब्राहम ने, जब उसे बुलाया गया, आज्ञा मानी और उस जगह के लिए निकल पड़ा जो उसे विरासत में मिलनेवाली थी। हालाँकि वह नहीं जानता था कि वह कहाँ जा रहा है फिर भी वह गया। 9 विश्‍वास की वजह से वह वादा किए गए देश में ऐसे रहा जैसे एक पराए देश में रह रहा हो। और वह इसहाक और याकूब के साथ तंबुओं में रहा जो उसके साथ उसी वादे के वारिस थे। 10 इसलिए कि वह एक ऐसे शहर के इंतज़ार में था, जो सच्ची बुनियाद पर खड़ा है, जिसका निर्माण करनेवाला और रचनेवाला परमेश्‍वर है।

11 विश्‍वास ही से सारा ने गर्भधारण करने की शक्‍ति पायी, हालाँकि उसकी बच्चे पैदा करने की उम्र बीत चुकी थी, क्योंकि जिसने वादा किया था उसे उसने विश्‍वासयोग्य माना था। 12 इसलिए उस एक आदमी से जो मानो बेजान था, आसमान के तारों और समुद्र किनारे की रेत के कणों जैसी अनगिनत संतानें पैदा हुईं।

13 ये सभी विश्‍वास रखते हुए मर गए, हालाँकि जिन बातों का उनसे वादा किया गया था, वे उनके दिनों में पूरी नहीं हुईं। फिर भी, उन्होंने वादा की गयी बातों को दूर ही से देखा और उनसे खुशी पायी। और सब लोगों के सामने यह ऐलान किया कि वे उस देश में अजनबी और मुसाफिर हैं। 14 इसलिए कि जो इस तरह की बातें कहते हैं वे ज़ाहिर करते हैं कि वे पूरी लगन से उस जगह की खोज में हैं जो उनकी अपनी होगी। 15 और अगर वे उस देश को याद करते रहते जहाँ से वे निकले थे, तो उनके पास वहाँ लौट जाने का मौका था। 16 मगर अब वे एक बढ़िया जगह पाने की कोशिश में आगे बढ़ रहे हैं, जिसका नाता स्वर्ग से है। इसलिए परमेश्‍वर उनका परमेश्‍वर कहलाए जाने से शर्मिंदा नहीं होता। यहाँ तक कि उसने उनके लिए एक शहर तैयार किया है।

17 विश्‍वास ही से अब्राहम ने, जब उसकी परीक्षा ली गयी थी, इसहाक को मानो बलि चढ़ा ही दिया था। और यह आदमी, जिसने खुशी-खुशी वादों को स्वीकार किया था, अपने इकलौते बेटे को बलि चढ़ाने ही वाला था, 18 हालाँकि उससे यह कहा गया था: “जो ‘तेरा वंश’ कहलाएगा, वह इसहाक से होगा।” 19 उसने यह इसलिए किया क्योंकि वह मानता था कि परमेश्‍वर उसके बेटे को मरे हुओं में से भी जी उठाने के काबिल है। और वाकई उसने अपने बेटे को मौत के मुँह से वापस पाया। और यह आनेवाली बातों की एक मिसाल बना।

20 विश्‍वास ही से इसहाक ने आनेवाली बातों के बारे में याकूब और एसाव को आशीष दी।

21 विश्‍वास ही से याकूब ने, जब वह मरने पर था, यूसुफ के दोनों बेटों को आशीष दी और अपनी लाठी के सिरे का सहारा लेकर परमेश्‍वर की उपासना की।

22 विश्‍वास ही से यूसुफ ने, जब वह मरने पर था, इस्राएल के बेटों के मिस्र से निकलने की बात कही और उसकी हड्डियाँ वहाँ से ले जाने की आज्ञा दी।

23 विश्‍वास ही से मूसा के माता-पिता ने उसके पैदा होने के बाद तीन महीने तक उसे छिपाए रखा। क्योंकि उन्होंने देखा कि बच्चा बहुत सुंदर है और वे राजा के हुक्म से न डरे। 24 विश्‍वास ही से मूसा ने, बड़ा होने पर फिरौन की बेटी का बेटा कहलाने से इनकार कर दिया। 25 और पाप का चंद दिनों का सुख भोगने के बजाय, उसने परमेश्‍वर के लोगों के साथ ज़ुल्म सहने का चुनाव किया। 26 उसने समझा कि परमेश्‍वर का अभिषिक्‍त जन* होने के नाते निंदा सहना, मिस्र के खज़ानों से कहीं बड़ी दौलत है, क्योंकि वह अपनी नज़र इनाम पाने पर लगाए हुए था। 27 विश्‍वास ही से उसने मिस्र छोड़ दिया मगर राजा के क्रोध के डर से नहीं, क्योंकि वह उस अदृश्‍य परमेश्‍वर को मानो देखता हुआ डटा रहा। 28 विश्‍वास ही से मूसा ने फसह का त्योहार मनाया और दरवाज़े की चौखटों पर लहू छिड़का ताकि नाश करनेवाला उनके पहलौठों को हाथ न लगाए।

29 विश्‍वास ही से वे लाल सागर के बीच से ऐसे गुज़रे जैसे सूखी ज़मीन पर चल रहे हों। मगर जब मिस्रियों ने इससे गुज़रने की जुर्रत की, तो सागर ने उन्हें निगल लिया।

30 विश्‍वास ही से जब इस्राएलियों ने सात दिन तक यरीहो शहर की दीवारों के चक्कर काटे तब वे ढह गयीं। 31 विश्‍वास की वजह से ही राहाब नाम की वेश्‍या आज्ञा न माननेवालों के साथ नाश नहीं हुई, क्योंकि उसने जासूसों का शांति से सत्कार किया था।

32 और किस-किसका नाम गिनवाऊँ? अगर मैं गिदोन, बाराक, शिमशोन, यिप्तह, दाविद, साथ ही शमूएल और दूसरे भविष्यवक्‍ताओं के बारे में बताऊँ तो समय कम पड़ जाएगा। 33 इन लोगों ने विश्‍वास ही से उनके खिलाफ लड़नेवाली हुकूमतों को हराया, परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक नेक काम किए, वादे हासिल किए, शेरों का मुँह बंद किया, 34 धधकती आग को ठंडा किया, तलवार की धार से बच निकले, उन्हें कमज़ोर हालत से शक्‍तिशाली किया गया, उन्होंने युद्ध में वीरता हासिल की और विदेशी फौजों को खदेड़ा। 35 स्त्रियों ने उन अपनों को वापस पाया जो मर चुके थे। और दूसरे ऐसे थे जिन्हें यातनाएँ दे-देकर मार डाला गया क्योंकि वे किसी तरह की फिरौती देकर इन यातनाओं से छुटकारा नहीं पाना चाहते थे ताकि वे एक बेहतर पुनरुत्थान* पा सकें। 36 हाँ, कितने ऐसे थे जिनकी खिल्ली उड़ायी गयी और जिन्हें कोड़े लगाए गए। इतना ही नहीं, उन्हें ज़ंजीरों में बाँधा गया और कैद में डाला गया और इस तरह वे आज़माए गए। 37 उन पर पत्थरवाह किया गया, उनके विश्‍वास की आज़माइश हुई, उन्हें आरे से चीरा गया और तलवार से कत्ल किया गया। वे भेड़ों और बकरों की खाल पहने भागे फिरे। वे तंगी, मुसीबतें और बदसलूकी सहते रहे, 38 और यह दुनिया उनके लायक न थी। वे रेगिस्तानों, पहाड़ों, गुफाओं और धरती की माँदों में भटकते रहे।

39 इन सभी ने, हालाँकि अपने विश्‍वास के ज़रिए अपने बारे में गवाही पायी थी, फिर भी उन्होंने वादा पूरा होते हुए नहीं देखा। 40 क्योंकि परमेश्‍वर हमें इससे बेहतर कुछ देना चाहता था ताकि वे हमसे अलग परिपूर्ण न बनाए जाएँ।

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