तीतुस
2 मगर तू ऐसी बातों के बारे में बताता रह जो खरी शिक्षा के मुताबिक हैं। 2 बुज़ुर्ग भाई हर बात में संयम बरतनेवाले हों, गंभीर हों, स्वस्थ मन रखते हों, विश्वास, प्यार और धीरज में मज़बूत* हों। 3 इसी तरह, बुज़ुर्ग बहनों का बर्ताव ऐसा हो जैसा पवित्र लोगों का होता है। वे बदनाम करनेवाली न हों, बहुत ज़्यादा दाख-मदिरा पीने की आदी न हों, बल्कि अच्छी बातों की सिखानेवाली हों, 4 ताकि वे जवान स्त्रियों को सीख देकर सुधार सकें कि वे अपने-अपने पति और बच्चों से प्यार करें, 5 स्वस्थ मन रखें, साफ चरित्र रखें। साथ ही वे अपने घर का काम-काज करनेवाली, भली, और अपने-अपने पति के अधीन रहनेवाली हों जिससे कि परमेश्वर के वचन की बदनामी न की जा सके।
6 इसी तरह जवान भाइयों को उकसाता रह कि वे स्वस्थ मन रखें। 7 और तू खुद हर बात में बढ़िया काम करने की मिसाल रख। ऐसी शिक्षाएँ दे जिनमें ज़रा भी भ्रष्टता न हो। गंभीरता दिखा। 8 तेरी बातचीत हितकर हो ताकि उसमें कोई दोष न निकाल सके, जिससे वे जो विरोधी हैं शर्मिंदा हों और उन्हें हमारे बारे में कुछ भी बुरा कहने का मौका न मिले। 9 जो दास हैं वे सब बातों में अपने मालिकों के अधीन रहें और उन्हें अच्छी तरह खुश करें और मुँहज़ोर न बनें, 10 चोरी न करें, बल्कि पूरी वफादारी दिखाएँ ताकि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्त्ता, परमेश्वर की शिक्षा की शोभा बढ़ा सकें।
11 इसलिए कि परमेश्वर की वह महा-कृपा जो सब किस्म के लोगों के लिए उद्धार लाती है, ज़ाहिर की गयी है, 12 और यह हमें सिखाती है कि हम ऐसे चालचलन को त्याग दें जो परमेश्वर की मरज़ी के खिलाफ है और दुनियावी ख्वाहिशों को त्याग दें और मौजूदा दुनिया की व्यवस्था में स्वस्थ मन से और परमेश्वर के स्तरों पर चलते हुए और उसकी भक्ति करते हुए जीवन बिताएँ। 13 और उस वक्त का इंतज़ार करते रहें जब हमारी सुखद आशा पूरी होगी और महान परमेश्वर की महिमा ज़ाहिर होगी और साथ ही हमारे उद्धारकर्त्ता, मसीह यीशु की महिमा ज़ाहिर होगी। 14 मसीह ने खुद को हमारे लिए दे दिया कि हमें हर तरह के दुराचार से छुड़ाए और शुद्ध कर ऐसे लोग बना ले जो खास उसके अपने हों और बढ़िया कामों के लिए जोशीले हों।
15 इन सारी बातों के बारे में उन्हें सीख देकर उकसाता रह और आज्ञा देने के पूरे अधिकार के साथ उन्हें ताड़ना देता रह। कोई भी इंसान तुझे तुच्छ न समझे।