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प्रकाशितवाक्य 19:1

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    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 125

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1989, पेज 15-16

प्रकाशितवाक्य 19:2

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1989, पेज 15-16

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    शुद्ध उपासना, पेज 169

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    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1991, पेज 16

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    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2014, पेज 22

    2/15/2014, पेज 8-12

    7/1/1995, पेज 13-14

प्रकाशितवाक्य 19:9

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2015, पेज 19

    2/15/2014, पेज 10

प्रकाशितवाक्य 19:10

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    प्रहरीदुर्ग, 2/15/2001, पेज 31

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2009, पेज 5

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2022, पेज 17

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 12/2019, पेज 5

प्रकाशितवाक्य 19:12

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    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2009, पेज 5

प्रकाशितवाक्य 19:14

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2022, पेज 17

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 12/2019, पेज 5

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2014, पेज 6-7

    2/15/2009, पेज 5

प्रकाशितवाक्य 19:19

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2020, पेज 15

    शुद्ध उपासना, पेज 183

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2015, पेज 29

प्रकाशितवाक्य 19:20

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2022, पेज 10-11

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2102

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रकाशितवाक्य 19:1-21

प्रकाशितवाक्य

19 इन बातों के बाद मैंने स्वर्ग में ऐसी आवाज़ सुनी जो एक बड़ी भीड़ की ज़ोरदार आवाज़ जैसी थी। वे कह रहे थे: “हे लोगो, याह का गुणगान करो! हमारा परमेश्‍वर हमारा उद्धारकर्त्ता है, वह महिमा से भरपूर और शक्‍तिशाली है, 2 क्योंकि उसके फैसले भरोसेमंद और सही हैं। क्योंकि उसने उस बड़ी वेश्‍या को सज़ा दी है जिसने अपने व्यभिचार से धरती को भ्रष्ट कर दिया। परमेश्‍वर ने अपने दासों के खून का बदला उससे लिया है।” 3 इसके फौरन बाद उन्होंने दूसरी बार कहा: “हे लोगो, याह का गुणगान करो! और बैबिलोन नगरी के जलने का धूआं हमेशा-हमेशा तक उठता रहेगा।”

4 और उन चौबीस प्राचीनों और चार जीवित प्राणियों ने नीचे गिरकर, राजगद्दी पर बैठे परमेश्‍वर की उपासना की और कहा: “आमीन! हे लोगो, याह का गुणगान करो!”

5 साथ ही, राजगद्दी में से एक आवाज़ निकली जो कह रही थी: “हमारे परमेश्‍वर के सब दासो, चाहे छोटे चाहे बड़े, तुम सब जो उसका डर मानते हो, उसका गुणगान करो!”

6 और मैंने ऐसी आवाज़ सुनी जैसे मानो एक बड़ी भीड़ चिल्ला रही हो, जो बहुत-सी जलधाराओं की और बादलों के गरजने की ज़बरदस्त आवाज़ जैसी थी। वे कह रहे थे: “हे लोगो, याह का गुणगान करो, क्योंकि हमारे सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा ने राजा बनकर राज करना शुरू किया है। 7 आओ हम खुशियाँ मनाएँ और आनंद से भर जाएँ और परमेश्‍वर की महिमा करें क्योंकि मेम्ने की शादी का वक्‍त आ पहुँचा है और उसकी दुल्हन ने खुद को तैयार कर लिया है। 8 हाँ, उसे यह अधिकार दिया गया है कि वह उजला, साफ और बढ़िया मलमल पहनकर सजे, क्योंकि बढ़िया मलमल पवित्र जनों के नेक कामों की निशानी है।”

9 और उसने मुझसे कहा: “यह लिख: सुखी हैं वे जिन्हें मेम्ने की शादी की शाम की दावत पर आने का न्यौता मिला है।” उसने मुझसे यह भी कहा: “ये परमेश्‍वर के भरोसेमंद वचन हैं।” 10 इस पर मैं उसकी उपासना करने के लिए उसके पैरों पर गिर पड़ा। मगर उसने मुझसे कहा: “खबरदार! ऐसा मत कर! मैं तो सिर्फ तेरे और तेरे भाइयों की तरह दास हूँ जिन्हें यीशु के बारे में गवाही देने का काम मिला है। परमेश्‍वर की उपासना कर; क्योंकि भविष्यवाणियों का मकसद यीशु की गवाही देना है।”

11 और मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा और देखो! एक सफेद घोड़ा। जो उस पर सवार था, वह विश्‍वासयोग्य और सच्चा कहलाता है, और वह परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक न्याय करना और युद्ध लड़ना जारी रखता है। 12 उसकी आँखें आग की ज्वाला हैं और उसके सिर पर बहुत-से मुकुट हैं। उस पर एक नाम लिखा है जिसका मतलब खुद उसके सिवा कोई और नहीं जानता, 13 और वह एक पोशाक पहने हुए है जिस पर खून छिड़का हुआ है और वह इस नाम से पुकारा जाता है, परमेश्‍वर का वचन। 14 और स्वर्ग की सेनाएँ सफेद घोड़ों पर उसके पीछे-पीछे आ रही थीं और वे सफेद, साफ और बढ़िया मलमल पहने हुए थे। 15 और उस घुड़सवार के मुँह से एक तेज़ धारवाली लंबी तलवार निकलती है ताकि वह उस तलवार से राष्ट्रों पर वार करे और वह चरवाहे की तरह उन्हें लोहे की छड़ से हाँकेगा। वह सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के क्रोध और जलजलाहट के हौद में भी रौंदता है। 16 और उसकी पोशाक पर, हाँ उसकी जाँघ पर एक नाम लिखा है, राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।

17 और मैंने एक और स्वर्गदूत देखा जो सूरज के बीच खड़ा था और उसने ज़ोरदार आवाज़ में पुकार लगायी और बीच आकाश में उड़ते सभी पक्षियों से कहा: “यहाँ आओ, परमेश्‍वर की शाम की बड़ी दावत के लिए इकट्ठे हो जाओ, 18 ताकि तुम राजाओं का माँस, सेनापतियों का माँस, शक्‍तिशाली आदमियों का माँस और घोड़ों और उनके सवारों का माँस, चाहे आज़ाद हों, चाहे दास, चाहे छोटे हों, चाहे बड़े, सभी का माँस खाओ।”

19 और मैंने जंगली जानवर और धरती के राजाओं और उनकी सेनाओं को देखा जो उस घुड़सवार और उसकी सेना से युद्ध लड़ने के लिए इकट्ठा हुए थे। 20 और उस जंगली जानवर को, साथ ही उसके सामने चमत्कार दिखानेवाले झूठे भविष्यवक्‍ता को पकड़ा गया जो चमत्कार दिखाकर उन लोगों को गुमराह करता था जिन पर जंगली जानवर का निशान लगाया गया था और जो उसकी मूरत की पूजा करते थे। इन दोनों को जीते-जी आग की उस झील में फेंक दिया गया जो गंधक से जलती रहती है। 21 और बाकी, घुड़सवार के मुँह से निकलनेवाली लंबी तलवार से मार डाले गए। और सभी पक्षियों ने भरपेट उनका माँस खाया।

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